भारत की बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं

भारत की बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं

भारत की बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं :- भारत की कृषि व्यवस्था मानसून पर आधारित थी। जिस साल समय पर मानसून आ जाता था, तो फसल अच्छी हो जाती थी। परंतु मानसून वक्त पर न आने पर फसलें बर्बाद हो जाया करती थीं या बहुत कम उत्पादन हुआ करता था। कृषि की नियमितता व उत्पादन बढ़ाने हेतु सिंचाई व्यवस्था की आवश्यकता पड़ी। भारत की सिंचाई परियोजनाओं को तीन भागों में बांटा गया है –

  • लघु सिंचाई परियोजनाएं – 2000 हेक्टेयर से कम क्षेत्र को सिंचित करने वाली परियोजनाएं।
  • मध्यम सिंचाई परियोजनाएं – 2000 से 10000 हेक्टेयर तक के क्षेत्र को सिंचित करने वाली परियोजनाएं।
  • वृहत् सिंचाई परियोजनाएं – 10000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को सिंचित करने वाली परियोजनाएं।

दामोदर घाटी परियोजना –

  • यह स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देश्यीय परियोजना है।
  • 1948 ई. में दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई।
  • इसका आधार संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना (1933 ई.) थी।
  • दामोदर घाटी झारखंड व पश्चिम बंगाल राज्यों में फैली है।
  • छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर दामोदर नदी हुगली नदी (प. बंगाल) से मिल जाती है।
  • इस परियोजना के तहत कोनार, तिलैया, मैथान व पंचेत पहाड़ी पर बांध बनाए गए।
  • जबकि चंद्रपुर, बोकारो, दुर्गापुर, व पतरातू में विद्युत गृह बनाए गए।

भाखड़ नांगल परियोजना –

  • भाखड़ नांगल परियोजना पंजाब व हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर अवस्थित है।
  • यह देश की सबसे बड़ी नदी घाटी बहुउद्देश्यीय परियोजना है।
  • भाखड़ नांगल बांध विश्व का सबसे ऊँचा (226 मीटर) गुरुत्वीय बांध है।
  • गोविंद सागर झील इसी बांध के पीछे (हिमाचल प्रदेश में) अवस्थित है।
  • इस परियोजना का लाभ पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली को प्राप्त होता है।

रिहन्द बांध परियोजना –

  • रिहंद बांध परियोजना उत्तर प्रदेश में सोन की सहायक नदी रिहंद पर बनाई गई है।
  • गोविंद बल्लभ पंत सागर नाम की कृत्रिम झील को इसी बांध के पीछे बनाया गया है।
  • यह भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
  • यह उत्तर प्रदेशमध्य प्रदेश की सीमा पर अवस्थित है।
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हीराकुंड बांध परियोजना –

  • इसे ओडिशा राज्य में संभलपुर के निकट महानदी पर बनाया गया है।
  • यह संसार का सबसे लम्बा बांध है।

इंदिरा गाँधी परियोजना –

  • इंदिरा गाँधी (राजस्थान नहर) परियोजना में रावी और व्यास नदी का जल सतलज नदी में लाया गया है।
  • व्यास नदी पर पौंग बांध बनाया गया है।
  • इसका उद्देश्य नए क्षेत्र को सिंचित कर कृषि योग्य बनाना है।
  • यह विश्व की सबसे लम्बी नहर है।
  • मुख्य नहर को इंदिरा नहर के नाम से जाना जाता है।
  • इससे राजस्थान राज्य के जैसलमेर, बीकानेर, व गंगानगर जिलों में सिंचाई की जाती है।
  • यह भारत का सबसे बड़ा कमान क्षेत्र विकसित करता है।

चंबल परियोजना –

  • यह राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
  • इसके माध्यम से यमुना की सहायक चंबल नदी के जल का उपयोग किया गया है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में गाँधी सागर बांध बनाया गया है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत राजस्थान में जवाहर सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध और कोटा बैराज बनाया गया है।
  • चंबल नदी की द्रोणी में मृदा का संरक्षण करना इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य है।

केन-बेतबा लिंक परियोजना –

  • प्रायद्वीपीय नदी विकास योजना के तहत इसका शुभारंभ 25 अगस्त 2005 को किया गया था।
  • इस परियोजना को अमृत क्रांति के नाम से शुरु किया गया था।
  • यह देश की प्रमुख नदियों को जोड़ने की ओर एक सफल पहल है।
  • यह राज्यों को जल विवाद निपटाने के लिए भी प्रेरित करेगी।
  • उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश की इस सम्मिलित योजना में केन-बेतवा नदियों को जोड़ा गया है।
  • इसके तहत दोनो राज्यों के पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पेयजल व सिंचाई की सुविधा की गई।
  • यह 4263 करोड़ रुपये लागत की परियोजना है।
  • इसका लाभान्वित क्षेत्र 8.81 लाख हेक्टेयर आंका गया है।
  • इस परियोजना के तहत 72 मेगावाट विद्युत उत्पादन की बात कही गई।

गंडक परियोजना –

  • गंडक परियोजना नेपाल की सहायता से शुरु की गई है।
  • इसमें नहर गंडक पर बने बाल्मीकिनगर बैराज से निकलती है।
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कोसी परियोजना –

  • कोसी नदी परियोजना बिहार से संबंधित है।
  • इसे नेपाल के सहयोग से पूरा किया गया है।
  • अपनी विनाशकारी बाढ़ों के कारण कोसी नदी को उत्तरी बिहार का शोक कहा जाता है।

सरदार सरोवर परियोजना –

  • यह राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है।
  • यह नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर अवस्थित है।
  • सरकार ने इस पर 30 बड़े, 135 मध्यम और 3000 लघु बांधों को बनाने की योजना बनाई।
  • नर्मदा नदी के कुल अपवाह क्षेत्र का 86 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में ही है।
  • महाराष्ट्र में नर्मदा का 12 प्रतिशत हिस्सा और गुजरात में मात्र 2 प्रतिशत है।

नागार्जुन परियोजना –

  • नागार्जुन परियोजना आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बनाई गई है।
  • इसका नामकरण बौद्ध विद्वान नागार्जुन के नाम पर नागार्जुन सागर किया गया है।

किशनगंज परियोजना –

  • जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर 330 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना बनाई गई।
  • इसके तहत 21 किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंग बनाने की योजना बनाई गई।
  • पाकिस्तान ने इस परियोजना को सिंधु जल समझौता 1960 का उल्लंघन माना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने सितंबर 2011 में बांध निर्माण की अनुमति दे दी। परंतु यह निर्देश भी दिया कि भारत इस नदी पर ऐसा कोई स्थाई निर्माण नहीं कर सकता जिससे नदी जल प्रवाह बाधित हो।

तुंगभद्रा परियोजना –

  • यह आंध्रप्रदेश व कर्नाटक की संयुक्त परियोजना है।
  • इसे कृष्णी की सहायक नदी तुंगभद्रा पर मल्लपुर के निकट बनाया गया है।

मयुराक्षी परियोजना –

  • यह छोटानागपुर पठार के उत्तर-पूर्वी भाग पर अवस्थित है।
  • इसे यहाँ के मेंसजोर नामक स्थान पर मयूराक्षी नदी पर बनाया गया है।
  • इसके माध्यम से झारखंड राज्य को बिजली से लाभान्वित करने की परियोजना बनाई गई है।
  • साथ ही प. बंगाल को सिंचाई नहरों से लाभान्वित करना भी इसका उद्देश्य है।
  • इसे कनाडा बांध के नाम से भी जाना जाता है।
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शरावती परियोजना –

  • इस परियोजना को भारत के सबसे ऊँचे जलप्रपात महात्मा गाँधी जलप्रपात (जोग) पर बनाया गया है।
  • यहाँ से बेंग्लुरु के औद्योगिक क्षेत्र और गोवा व तमिलनाडु को भी बिजली की आपूर्ति की जाती है।

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कोयना परियोजना –

  • इसे कृष्णा की सहायक कोयना नदी पर महाराष्ट्र में बनाया गया है।
  • यहाँ से मुम्बई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र को विद्युत आपूर्ति की जाती है।

बगलिहार परियोजना –

  • इसे जम्मू-कश्मीर में चिनाव नदी पर बनाया गया था।
  • यह 450 मेगावाट की एक जल विद्युत परियोजना है।
  • पाकिस्तान इसके निर्माण को साल 1960 के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन मानता है।

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मुल्ला पेरियार बांध विवाद –

  • इस बांध पर तमिलनाडु व केरल के बीच विवाद है।
  • यह बांध केरल राज्य के उडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बना है।
  • इसके जल का उपयोग तमिलनाडु के कृषक खेतों की सिंचाई हेतु करते हैं।
  • केरल की चिंता इसकी सुरक्षा के संबंध में है।
  • इसके पुराने होने के कारण इसके टूटने की आशंका के चलते केरल नया बांध बनाने के पक्ष में है।
  • क्योंके केरल के निचले भाग में रहने वाले लाखों लोगों का जीवन संकट में पड़ सकता है।
  • दूसरी ओर तमिलनाडु कहता है कि नया बांध बनाने से लाखों किसानों के हित प्रभावित होंगे।

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राष्ट्रीय जल मिशन –

  • 6 अप्रैल 2011 को राष्ट्रीय जल मिशन को स्वीकृति प्रदान की गई।
  • इसका उद्देश्य जल संरक्षण के मुद्दे को जन आंदोलन का स्वरूप प्रदान करना था।
  • इस मिशन के अंतर्गत कुल 5 लक्ष्य निर्धारित किये गए –
  1. सार्वजनिक क्षेत्र में जल का एक व्यापक डाटाबेस तैयार करना।
  2. जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तनों के प्रभावों का आंकलन करना।
  3. आम लोगों व राज्यों को जल संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करना।
  4. जल के उपयोग की प्रभाव क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाना।
  5. जल संचयन हेतु जलाशयों के स्तर को बढ़ावा।

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