मध्यप्रदेश का इतिहास

मध्यप्रदेश का इतिहास History of Madhya Pradesh : भारत का हृदय कहे जाने वाला मध्यप्रदेश मध्यकाल में मालवा क्षेत्र के अंतर्गत आता था। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्य के बाद मुगलों का इस क्षेत्र पर नियंत्रण कम हो गया। इसके बाद मराठों ने इस क्षेत्र पर अपना विस्तार प्रारंभ किया। 1720 ई. से 1760 ई. तक मराठों से इसके सर्वाधिक हिस्से पर नियंत्रण कर लिया। मालवा के अधिकतर क्षेत्र पर इंदौर के होल्कर से शासन किया। ग्वालियर पर सिंधिया ने शासन किया। इसके बाद अंग्रेजों ने  1775 से 1818 तक मराठों को पराजित किया। 1853 ई. में अंग्रेजों ने नागपुर पर अधिकार कर लिया।

अवंति महाजनपद –

प्रचीनकाल के 16 महाजनपदों में से अवंती मध्यप्रदेश में ही अवस्थित था। अवंति की राजधानी महिष्मति व उज्जैनी थी।

मध्यप्रदेश की राजधानी –

सबसे पहले जबलपुर को मध्यप्रदेश की राजधानी बनाया गया था। लेकिन अंतिम चरण में राजनीतिक दबाव के चलते भोपाल को राज्य की राजधानी के रूप में घोषित किया गया। भोपाल को झीलों के शहर के रूप में जाना जाता है।

विभाजन से पूर्व मध्यप्रदेश –

भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1 नवंबर 1956 को भूतपूर्व ब्रिटिश केंद्रीय प्रांत और मकरी व बरार के प्रदेशों तथा छत्तीसगढ़ के क्षेत्र को मिलाकर मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना की गई।

मध्यप्रदेश का विभाजन –

1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्य के पूर्वी हिस्से को पृथ्क कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गई।

मध्यप्रदेश का इतिहास से संबंधित तथ्य –

सिरोही तहसील के रूपनाथ गाँव (जिला- जबलपुर) की एक चट्टान पर मौर्य सम्राट अशोक का शिलालेख अंकित है।

राज्य के साँची (रायसेन), भरहुत (सतना), निमाड़, व उज्जैनी में अशोक ने स्तूपों का निर्माण कराया।

एरण, बेसनगर, पवाया, रूपनाथ (जबलपुर) में अशोक महान ने स्तंभ स्थापित करवाए।

गुप्त शासक चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने उज्जैनी को अपनी राजधानी बनाया।

मध्यकाल में मालवा क्षेत्र पर परमारों का शासन रहा। विंध्य प्रदेश में चंदेलों का शासन रहा और महाकौशल में कल्चुरियों का शासन रहा।

राजा भोज ने इस काल में इस क्षेत्र में भोपाल नगर की स्थापना की थी।

1019 ई. में महमूद गजनवी ने ग्वालियर के शासक पर आक्रमण कर उसे पराजित किया।

1197 ई. में मोहम्मद गोरी ने ग्वालियर पर आक्रमण कर इसे दिल्ली में मिला लिया।

1526 ई. की पानीपत की लड़ाई के बाद बाबर ने ग्वालियर, चंदेरी, व रायसेन पर अधिकार कर लिया।

इसके बाद मराठा शक्ति का उदय हुआ। पेशवा बाजीराव ने मध्यप्रदेश के कई हिस्सों पर अपना अधिकार कर लिया।

1857 के स्वतंत्रता संग्राम में देश भर में आंदोलन हुए। उनमें नागपुर का विद्रोह भी सम्मिलित है।

उत्तर प्रदेश की नदियाँ Ι Rivers in Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश की नदियाँ ( Rivers in Uttar Pradesh ) : गंगा, यमुना, रामगंगा, गोमती, चम्बल, राप्ती, केन, बेतवा, सोन इत्यादि। उद्गम स्थलों के आधार पर इन नदियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है।

  • हिमालयी नदियाँ – गंगा, यमुना, गण्डक, काली (शारदी), सरयू, रामगंगा, राप्ती आदि।
  • गंगा के मैदानी क्षेत्र से निकलने वाली नदियाँ – गोमती, वरुण, पाण्डो, ईसन आदि।
  • दक्षिणी पठार से निकलने वाली नदियाँ – चम्बल, केन, बेतवा, सोन, टौंस, कन्हार, रिहन्द इत्यादि।

गंगा नदी –

अलकबन्दा जब देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है तो दोनों आगे चलकर गंगा के नाम से बहती है। गंगा हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। यह सहारनपुर से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। रामगंगा, गोमती, घाघरा, राप्ती और गण्डक नदियां गंगा नदी में बाईं ओर से मिलने वाली नदियां हैं। वहीं यमुना, सोन, टौंस, कर्मनाशा और चंद्रप्रभा नदियाँ गंगा में दाईं ओर से आकर मिलती हैं।

गंगा की सहायक नदियाँ –

यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, राप्ती, गण्डक, सोन, टौंस, कर्मनाशा, चंद्रप्रभा, काली नदी इत्यादि।

यमुना नदी –

यह गंगा की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी है। इसका उद्गम स्थल बंदरपूंछ के पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद (उत्तरकाशी) से है। यमुना नदी की कुल लम्बाई 960 किलोमीटर है। यह भी सहारनपुर जिले से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। यह इलाहाबाद में गंगा नदी से मिल जाती है। चम्बल, बेतवा, और हिण्डन नदियाँ यमुना की सहायक नदी हैं।

रामगंगा नदी –

रामगंगा का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में कुमाऊँ हिमालयी श्रेणी के दक्षिणी भाग में स्थित दूधातोली पर्वत के निकट है। यह बिजनौर जिले में उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। इसकी कुल लम्बाई 690 किलोमीटर है। यह कन्नौज के निकट गंगा नदी में मिल जाती है। अत्यधिक परिवर्तनशील व अनिश्चित मार्गों के कारण इस नदी का प्रयोग सिंचाई हेतु नहीं किया जाता है। कालागढ़ में इस नदी पर सिंचाई हेतु बांध बनाया गया है। कोह नदी रामगंगा की सहायक नदी है।

गोमती नदी –

गोमती नदी का उद्गम स्थल पीलीभीत की फुलहर झील है। सई इसकी सहायक नदी है। गाजीपुर जिले के कैथी नामक स्थान पर गोमती नदी गंगा से मिल जाती है। गोमती नदी की लम्बाई 940 किलोमीटर है।

चम्बल नदी –

मध्यप्रदेश के मऊ के निकट जनापाव पहाड़ी चम्बल नदी का उद्गम स्थल है। चम्बल नदी की कुल लम्बाई 1050 किलोमीटर है। चम्बल नदी अपने मार्ग में बीहड़ का निर्माण करती है। काली सिंध, बनास व पार्वती चम्बल की सहायक नदियाँ हैं।

राप्ती नदी –

राप्ती नदी का उद्गम स्थल नेपाल की लघु हिमालय श्रेणियों के धौलागिरि के दक्षिण में स्थित रुकुमकोट के पास से है। इसकी कुल लम्बाई 640 किलोमीटर है। उत्तरी भारत में राप्ती की एक मुख्य धारा बूढ़ी गण्डक के रूप में जानी जाती है। रोहिणी राप्ती की मुख्य सहायक नदी है।

केन नदी –

कर्णवती के नाम से प्रसिद्ध केन नदी कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी लम्बाई 308 किलोमीटर है। भोजहा के निकट केन नदी यमुना में मिल जाती है।

बेतवा नदी –

बेतवा नदी का उद्गम स्थल विंध्याचल श्रेणी में स्थित मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुमरा गाँव में है। इसकी लम्बाई 480 किलोमीटर है। हमीरपुर के निकट बेतवा नदी यमुना में मिल जाती है।

सोन नदी –

अमरकण्टक की पहाड़ियों में नर्मदा के उद्गम स्थल के निकट शोषाकुण्ड नामक स्थान पर सोन नदी का उद्गम स्थल है। इसकी लम्बाई 780 किलोमीटर है। रिहन्द, गोपद, बनास, कुनहड सोन की सहायक नदियाँ हैं।

घाघऱा नदी –

तिब्बत पठार पर स्थित मापचांचुगो हिमनद हिमनदी घाघरा नदी का उद्गम स्थल है। घाघरा नदी पर्वतीय प्रदेशों में करनाली नदी कहलाती है। मैदानी क्षेत्र में आकर यह घाघरा के नाम से जानी जाती है। घाघरा नदी की कुल लम्बाई 1080 किलोमीटर है। बिहार के छपरा के निकट यह नदी गंगा में मिल जाती है। घाघरा नदी लखीमपुर व सीतापुर की सीमा बनाती है।

टौंस नदी –

टौंस नदी को तमसा के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी का उद्गम स्थल कैमूर की पहाड़ियों में स्थित तमसा कुण्ड नामक जलाशय से है। इसकी कुल लम्बाई 265 किलोमीटर है। इलाहाबाद के सिरसा के निकट यह यह गंगा नदी में मिल जाती है। बिहार जलप्रपात इसी नदी पर अवस्थित है। बेलन नदी टौंस की प्रमुख सहायक नदी है।

उत्तर प्रदेश की नदियों से संबंधित प्रश्न उत्तर –

प्रश्न – चम्बल नदी कहाँ पर  यमुना से मिलती है ?

उत्तर – इटावा के निकट

प्रश्न – बेतवा नदी कहाँ पर यमुना से मिलती है ?

उत्तर – हमीरपुर के निकट

प्रश्न – हिण्डन नदी यमुना से कहाँ पर मिलती है ?

उत्तर – नोएडा

प्रश्न- रामगंगा कहाँ पर गंगा नदी में मिल जाती है ?

उत्तर – कन्नौज के निकट

प्रश्न – किस नदी का मार्ग अत्यधिक परिवर्तनशील व अनिश्चित होने के कारण उसका प्रयोग सिंचाई हेतु नहीं हो पाता ?

उत्तर – रामगंगा

प्रश्न – सिंचाई हेतु कालागढ़ में किस नदी पर बांध बनाया गया है ?

उत्तर – रामगंगा

प्रश्न – कोह नदी किसकी सहायक नदी है ?

उत्तर – रामगंगा

प्रश्न- बूढ़ी गण्डक किस नदी की एक मुख्य धारा है ?

उत्तर – राप्ती नदी

प्रश्न – रोहिणी किस की मुख्य सहायक नदी है ?

उत्तर – राप्ती नदी

प्रश्न – कौनसी नदी लखीमपुर व सीतापुर की सीमा बनाती है ?

उत्तर – घाघरा नदी

प्रश्न – राप्ती व काली नदी किस नदी में जाकर मिलती हैं ?

उत्तर – घाघरा नदी।

प्रश्न – कहाँ पर आकर बेतवा नदी यमुना में मिल जाती है ?

उत्तर – हमीरपुर

प्रश्न – कौनसी नदी को कर्णवती के नाम से भी जाना जाता है ?

उत्तर – केन नदी

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