निर्वाचन आयोग | Election Commission of India

निर्वाचन आयोग Election Commission of India

निर्वाचन आयोग Election Commission of India (ECI) : राष्ट्रीय दल, राष्ट्रीय दल घोषित करने के मानक, वर्तमान में राष्ट्रीय दलों की संख्या इत्यादि…

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीना –

भारत के निर्वाचन आयोग ने 10 अप्रैल 2023 को भारत की तीन राजनीतिक पार्टियों से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया। ये पार्टियाँ तृणमूल कांग्रेस (TMC), NCP, CPI हैं। इसके अतिरिक्त दो क्षेत्रीय पार्टियों का भी दर्जा बापस ले लिया है। क्षेत्रीय दलों में आंध्र प्रदेश की भारत राष्ट्र समिति (BRS) और उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय लोक दल (RLD) है। अब रालोद एक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है।

चुनाव आयोग ने क्यों छीना राष्ट्रीय पार्टियों का दर्जा ?

चुनाव आयोग ने इन पार्टियों को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया था। लेकिन ये उतना परिणाम नहीं ला सकीं। इन दलों का वोट शेयर 6 प्रतिशत से कम रहा। इसलिए इनसे राष्ट्रीय दल का दर्जा छीन लिया गया। इन पार्टियों को 2 संसदीय चुनावों और 21 विधानसभा चुनावों में पर्याप्त मौके दिये गए। परंतु फिर भी ये पार्टियां मानक पूरे नहीं कर पायीं। Symbol Order 1969 के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों की समीक्षा की जाती है। जो कि एक सतत प्रक्रिया है। 2019 से चुनाव आयोग अब तक 16 राजनीतिक दलों के स्टेटस को अपग्रेड कर चुका है। साथ ही 9 राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के करंट स्टेटस को छीन चुका है। हालांकि आगामी चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर ये फिर से राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त कर सकती हैं।

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राष्ट्रीय पार्टी घोषित होने के मानक –

किसी दल को राष्ट्रीय दल घोषित किये जाने के 3 नियम हैं –

  • कोई भी पार्टी जो 4 राज्यों से अधिक में 6 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त करने में सफल रहे।
  • यदि कोई पार्टी 3 से अधिक राज्यों में लोकसभा की 2 प्रतिशत से अधिक सीटें जीतती है।
  • यदि किसी पार्टी को 4 से अधिक राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त हो।

राष्ट्रीय पार्टी होने के फायदे –

किसी भी पार्टी के राष्ट्रीय दल घोषित होने पर उसे एक चुनाव चिह्न दिया जाता है। यह चुनाव चिह्न वह पूरे देश में प्रयोग कर सकती है। साथ ही इस चिह्न का प्रयोग अन्य कोई भी पार्टी चुनाव में नहीं कर सकती।

भारत में राष्ट्रीय पार्टियाँ –

(अप्रैल 2023)

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
  2. भारतीय जनता पार्टी (BJP)
  3. बहुजन समाज पार्टी (BSP)
  4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM)
  5. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)
  6. आम आदमी पार्टी (AAP)

राजनीतिक दलों की संख्या –

भारत में राजनीतिक पार्टियों को कुल 3 कैटेगरी में रखा गया है। जिनके तहत देश में वर्तमान (12 अप्रैल 2023) में कुल 2858 पार्टियाँ हैं।

राष्ट्रीय दल – वर्तमान में चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त 6 राष्ट्रीय दल हैं।

क्षेत्रीय दल – चुनाव आयोग से राज्य स्तर पर दल का दर्जा प्राप्त 57 क्षेत्रीय दल हैं।

गैर मान्यता प्राप्त पार्टी – 2796 अन्य पंजीकृत दल हैं। किसी भी पार्टी को चुनाव आयोग में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है। कुछ गैर मान्यता प्राप्त पार्टियाँ भी हैं। ये वे पार्टियाँ हैं जो चुनाव आयोग में पंजीकृत तो हैं। लेकिन इन्हें मान्यता नहीं मिली है। क्योंकि ये अपने क्षेत्र में आवश्यक प्रतिशत मत प्राप्त नहीं कर सकीं।

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अप्रैल 2023 में किन राज्य पार्टियों का दर्जा छीना ?

उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय लोकदल (RLD)

आंध्रप्रदेश की भारत राष्ट्र समिति (BRS)

पश्चिम बंगाल की रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP)

मणिपुर की PDA

मिजोरम की MPC

पदुच्चेरी की PMK

नई क्षेत्रीय पार्टियां –

(अप्रैल 2023)

  • रामविलास की लोक जनशक्ति पार्टी को नागालैंड में राज्य पार्टी की मान्यता।
  • टिपरा मोथा पार्टी को त्रिपुरा में राज्य पार्टी की मान्यता।
  • Voice of The People पार्टी को मेघालय में राज्य पार्टी की मान्यता प्राप्त हुई है।

आम आदमी पार्टी को मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा –

दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को निर्वाचन आयोग ने अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय दल का दर्जा प्रदान किया है। आम आदमी पार्टी ने 4 राज्यों में 6 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त कर लिये हैं। 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 13 प्रतिशत वोट मिले। इससे पहले दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी 6 प्रतिशत मतों का आंकड़ा पार कर चुकी थी। अब यह पार्टी 4 राज्यों में 6 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर चुकी है। इसी लिए इसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान कर दिया गया।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त –

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनुच्छेद 324(2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आय़ुक्तों के वेतन-भत्ते आदि समान हैं। इन्हें वही वेतन प्राप्त होता है जो उच्चतम न्यायलय के न्यायधीशों को होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। इनमें जो भी पहले हो जाए। मुख्य निर्वाचन आयुक्त को भी असमर्थता या साबित कदाचार के उसी नियम द्वारा हटाया जा सकता है। जिस नियम (अनुच्छेद-124(4)) द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है। निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी की जाती है। इसके बाद निर्वाचन आयोग चुनाव की तिथि, समय आदि की घोषणा करता है।

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जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) –

यह प्रावधान करती है कि यदि किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित कर 2 या 2 वर्ष से अधिक की सजा सुनाई गई है। तो सजा के दौरान और उसके 6 वर्ष बाद तक वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित होगा।

वयस्क मताधिकार –

61वें संविधान संशोधन अधिनियम 1988 द्वारा मतदान की न्यूनतम आयु सीमा 21 से घटाकर 18 कर दी गई। यह 28 मार्च 1989 से प्रभावी हुई। 18 वर्ष के युवकों ने पहली बार मताधिकार का प्रयोग नवंबर 1989 में 9वीं लोकसभा के आम चुवामों में किया।

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