इजराइल और फिलिस्तीन : Israel and Palestine दोनों ही एशिया महाद्वीप पर अवस्थित हैं। इजराइल 11 मई 1949 ई. से संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश है।
इजराइल : सामान्य परिचय
इजरायल बेहद घना बसा हुआ अत्यधिक नगरीकृत एक पश्चिम एशियाई देश है। इसकी राजधानी येरुसलेम यहूदी, इस्लाम और ईसाई तीनों धर्मों का प्रमुख केंद्र है। यह विश्व का एकमात्र यहूदी देश है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या यहूदी धर्म की है। इसके पश्चिम में भूमध्यसागर अवस्थित है। इजराइल की सीमा जॉर्डन, लेबनॉन, मिश्र व सीरिया से लगती है। यहाँ महिला व पुरुष युवाओं के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। इजराइल का क्षेत्रफल 20770 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की जनसंख्या 90.5 लाख (2019) है। इजराइल का निर्माण 18 मई 1948 ई. को फिलिस्तीन के विभाजन के फलस्वरूप हुआ। यहाँ की करीब 16% जनसंख्या अरब क्षेत्र से संबंधित है। शेष जनसंख्या अन्य देशों से प्रवासित यहूदियों की है। इजराइल की लगभग 40% जनसंख्या विदेशों से आयी है। इसे ‘ओलीम’ कहा जाता है। इजराइल में जन्मे यहूदियों को ‘सबरश’ कहा जाता है।
बाइबिल के अनुसार प्रभु ने इस क्षेत्र को यहूदियों के लिए चुना था। इसीलिए यहूदी इसे अपना घर मानते हैं। 72 ई. पू. इस क्षेत्र पर रोमन साम्राज्य ने अधिकार कर लिया। इसके बाद यहूदी पूरी दुनिया में इधर उधर बस गए।
इजराइल का निर्माण –
विएना में रहने वाले एक यहूदी थियोडोर हर्जल ने वर्तमान इजराइल की सैद्धांतिक नींव रखी। इन्होंने विश्व भर में भटक रहे यहूदियों के लिए एक राष्ट्र का निर्माण करने का निर्णय किया। 1897 ई. में इन्होंने स्विजरलैंड में वर्ल्ड जॉयनिस्ट कांग्रेस की स्थापना की। विश्व भर से यहूदी इस संस्था को चंदा दने लगे और इसके झंडे तले इकट्ठा होने लगे। हर साल संस्था का वार्षिक सम्मेलन होता था। साल 1904 ई. में हर्जल का दिल की बामारी से निधन हो गया। अब तक यह संस्था बहुत मजबूत हो चुकी थी।
बालडोर समझौता –
यह बात प्रथम विश्व युद्ध के पहले की है। उस समय तुर्की व आस पास के क्षेत्र पर ओटोमन साम्राज्य का आधिपत्य था। यहूदियों ने ब्रिटेन के साथ यह समझौता किया। इसके तहत युद्ध में यदि ब्रिटेन ओटोमन साम्राज्य को हरा देता है। तो फिलिस्तीन के क्षेत्र पर यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र देश की स्थापना की जाएगी। अब संस्था ने विश्व भर के यहूदियों को फिलिस्तीन के क्षेत्र में बसाने का प्रयास शुरु किया। ब्रिटेन ने युद्ध तो जीत लिया परंतु यहूदियों के लिए स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण का वादा पूरा नहीं किया। परंतु यहूदियों को इस क्षेत्र में बसाने संबंधी सुविधाएं व संसाधन अवश्य मुहैया कराए।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद की स्थिति –
साल 1920 से 1945 के बीच हिटलर के नाजियों के हाथों उत्पीड़न व नरसंहार के मद्देनजर यूरोप से तमाम यहूदी फिलिस्तीन पहुँचने लगे। ये देख फिलिस्तीनियों को अपने क्षेत्रीय संसाधनो पर अपने अधिकार के भविष्य की चिंता होने लगी। इसके बाद फिलिस्तीनियों व यहूदियों के बीच संघर्ष प्रारंभ हो गया। 1933 ई. में हिटलर जर्मनी का प्रधानमंत्री बना। सत्ता पाते ही उसने दुनिया भर से यहूदियों का खात्मा करने की शुरुवात की। 1939 ई. में शुरु हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उसने बड़ी मात्रा में यहूदियों का नरसंहार किया। उसने व्यवस्थित तरीके से 1939 से 1946 के बीच करीब 60 लाख यहूदियों का सफाया कर दिया। यह कहा जाता है कि हिटलर ने दुनिया से एक तिहाई यहूदी आबादी को खत्म कर दिया।
फिलिस्तीन का बँटवारा –
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद इस क्षेत्र पर ब्रिटेन का प्रभुत्व था। परंतु बढ़ते यहूदी-फिलिस्तीनी संघर्ष के चलते इस क्षेत्र को संभालना ब्रिटेन के लिए मुश्किल हो रहा था। अब ब्रिटेन इस समस्या को नवगठित संयुक्त राष्ट्र में ले गया। संयुक्त राष्ट्र ने 29 सितंबर 1947 को इस क्षेत्र का बंटबारा यहूदी व अरब देशों में कर दिया। येरुशलम को अंतर्राष्ट्रीय शहर घोषित कर दिया गया। यहूदियों ने तो तुरंत इस फैसले को स्वीकार कर लिया। परंतु अरब देशों ने इस निर्णय को नहीं माना। 1948 ई. में ब्रिटेन ने इस क्षेत्र को अपने आधिपत्य से स्वतंत्र कर दिया।
अरब राष्ट्रों का इजराइल पर आक्रमण –
इसके निर्माण होते ही इराक, सीरिया व लीबिया ने इजराइल पर हमला कर दिया। इस तरह इजराइल व अरबों के बीच युद्ध की शुरुवात हो गई। सऊदी अरब से मिश्र की सहायता से इजराइल पर हमला किया। यमन भी इस युद्ध में शामिल हो गया। 1 वर्ष तक चलने के बाद युद्ध विराम की घोषणा की गई। इजराइल व जॉर्डन के बीच सीमा का निर्धारण किया गया। इसे ग्रीन लाइन नाम दिया गया। इस युद्ध के दौरान करीब 70 लाख फिलिस्तीनी विस्थापित हुए। युद्ध के बाद 11 मई 1949 को संयुक्त राष्ट्र ने इजराइल को मान्यता दे दी।
इजराइल और अरब देशों का 1967 ई. का युद्ध –
1967 ई. में एक बार फिर अरब देशों ने मिलकर इजराइल पर हमला कर दिया। इजराइल व अरब देशों के बीच हुए युद्ध में इजराइल ने इन्हें फिर हरा दिया। इस बार मात्र 6 दिन में ही इजराइल ने इन देशों को हरा दिया। इजराइल ने यह लड़ाई जीती और इसके 80% क्षेत्र पर इसका कब्जा बना रहा। साथ ही इजराइल ने सिनाई प्रायद्वीप (मिश्र), गोलन पहाड़ियां (सीरिया), जॉर्डन के पश्चिमी भाग (वेस्ट बैंक) पर कब्जा कर लिया। इजराइल ने इनके कब्जे वाले गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुसलेम पर भी कब्जा कर लिया। हालांकि गाजा के कुछ हिस्सों को उसने बापस कर दिया है।
1978 ई. में मिश्र ने इजराइल को मान्यता दे दी। इसके बदले इजराइल ने स्वेज नहर के पूर्वी भाग (सिनाई प्रायद्वीप) का क्षेत्र खाली कर दिया। अभी भी अरब देशों व इजराइल के बीच बहुत से विवाद हैं। इनमें…
- गोलन हाइट्स पर इजराइल का नियंत्रण,
- लेबनान के दक्षिणी भाग पर अवैध कब्जा,
- 1967 के युद्ध के बाद वेस्ट बैंक क्षेत्र में बसाई गईं बस्तियां
प्रमुख हैं। 10 लाख से अधिक फिलिस्तीनी लोग आस-पास के देशों में शरण लिये हुए हैं। यह भी इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण समस्या है।
फिलिस्तीन के बारे में –
शब्द ‘फिलिस्तीन’ का तात्पर्य है पवित्र भूमि। हजरत मूसा यहीं के निवासी थे। यह एक राज्यक्षेत्र है। यह एक क्षेत्र का नाम है, जो मिश्र व लेबनान के बीच था। यह क्षेत्र यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म की जन्म स्थली माना जाता है। यह तीनों ही धर्मों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। 1948 ई. से पहले यह एक स्वतंत्र राष्ट्र हुआ करता था। परंतु वर्तमान में यह इजराइल का एक स्वायत्तशासी प्रदेश है। मानव इतिहास में इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 8000 ई. पू. आखेट युग के बाद सर्वप्रथम कृषि व पशुपालन के साक्ष्य इसी स्थान से मिले हैं।
1948 ई. में इजराइल की एक देश के रूप में स्थापना के बाद अरब फिलिस्तीनियों को आस पास के देशों में शरणार्थियों की तरह रहना पड़ा। अरबी फिलिस्तीनियों की एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी भी है जिसके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है। वर्तमान में इनकी सर्वाधिक आबादी इजराइल के क्षेत्र ‘वेस्ट बैंक‘ और ‘गाजा पट्टी‘ में मिलती है। यदि शर्णार्थियों के रूप में इनकी जनसंख्या की बात करें तो ऐसी सर्वाधिक जनसंख्या जॉर्डन, सीरिया व लेबनान में है। अरब-इजराइल संधि के बाद फिलिस्तीन के नए देश बनने की राह में प्रगति हुई। इसके बाद 1990 ई. से इजराइल व यासर अराफात के मध्य बातचीत से फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
फिलिस्तीन का गठन कब हुआ –
14 जून 2009 को इजराइल ने फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में गठन के लिए समर्थन दिया।
31 अक्टूबर 2011 को अमेरिका के भारी विरोध के बाद फिलिस्तीन को यूनेस्को की सदस्यता प्रदान कर दी गई।
जेरुसलेम पर विवाद –
वर्तमान में जेरुसलम इजराइल की राजधानी है। परंतु यह यहूदी, इस्लाम और ईसाई तीनों धर्म का पवित्र स्थल है। इसी कारण ये सभी इस पर अपना अधिकार मानते हैं। अरब देश इसके एक क्षेत्र पर अपना अधिकार चाहते हैं। जिससे वे अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा कर सकें। वहीं फिलिस्तीन पूर्वी जेरुसलेम को अपनी राजधानी बनाना चाहता है।
इजराइल फिलिस्तीन संघर्ष –
साल 2014 में भी इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष हुआ था। यह संघर्ष 50 दिनों तक चला था। सात साल बाद मई 2021 में फिलिस्तीन की ओर से की गई गोलाबारी के बाद एक बार फिर यहाँ संघर्ष प्रारंभ हो गया। इसके बाद इजराइल ने भी जबावी कार्यवाही में हमास पर हलमे करना प्रारंभ किये। इसके चलते इस क्षेत्र में युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए।
इजराइल ने किन देशों को धन्यवाद दिया –
आतंकी संगठन हमास के हमलो से छिड़े संघर्ष में इजराइल को सपोर्ट करने वाले देशों में 25 देशों को इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्विटर के माध्यम से धन्यवाद दिया। परंतु इस सूची में उन्होंने भारत को स्थान नहीं दिया। इजराइल द्वारा धन्यवाद दिये गए देशों की सूची –
- अमेरिका
- अल्बानिया
- आस्ट्रेलिया
- ऑस्ट्रिया
- ब्राजील
- कनाडा
- कोलम्बिया
- साइप्रस
- जॉर्जिया
- जर्मनी
- हंगरी
- इटली
- स्लोवेनिया
- यूक्रेन
- मेसिडोनिया
- नीदरलैंड
- चेक गणराज्य
- उरुग्वे
- गुटेमाला
- बुल्गारिया
- बोस्निया एंड हर्जिगोविना
- लिथुआनिया
- माल्दोवा
- होंडुरस
- पराग्वे
क्या इजराइल एक देश है ?
उत्तर – हाँ, वर्तमान में इजराइल एक स्वतंत्र व संप्रभु देश है। इसे संयुक्त राष्ट्र की भी सदस्यता प्राप्त है।
क्या फिलिस्तीन एक देश है ?
उत्तर – हाँ, वर्तमान में फिलिस्तीन एक देश है।
इसका सर्वाधिक विवाद इजराइल से ही रहा है।
परंतु 14 जून 2009 को इजराइल ने इसे एक देश के रूप में मान्यता प्रदान कर दी।
यह संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश तो नहीं है।
परंतु 31 अक्टूबर 2021 को इसे यूनेस्को की सदस्यता अवश्य प्राप्त हो गई।