काव्य सौंदर्य के रस (Ras)

‘काव्य सौंदर्य के रस’ शीर्षक के इस लेख में रसों की विस्तृत जानकारी दी गई है। रस के अंग या अवयव – स्थायीभाव, विभाव, संचारी भाव, व अनुभाव।

रस व उनके स्थायी भाव –

मनुष्य के मस्तिष्क में सदैव रहने वाले भावों को ही स्थाई भाव कहते हैं। वैसे ये सुषुप्त अवस्था में रहते हैं परंतु समय आने पर ये जागृत व उद्दीप्त हो जाते हैं। हिंदी के काव्य सौंदर्य में कुल 11 रस व उनके 11 ही स्थायी भाव भी हैं।

  1. श्रृंगार रस – रति
  2. वीर रस – उत्साह
  3. करुण रस – शोक
  4. हास्य रस – हास
  5. शान्त रस – निर्वेद
  6. रौद्र रस – क्रोध
  7. भक्ति रस – देव विषयक रति
  8. बीभत्स रस – जुगुप्सा/ग्लानि
  9. वात्सल्य रस – वत्सलता
  10. अद्भुत रस – आश्चर्य
  11. भयानक रस – भय

विभाव –

मानव मस्तिष्क में स्थाई भावों को जागृत व उद्दीप्त करने वाले कारकों को विभाव कहते हैं। विभाव के दो भेद होते हैं – आलम्बन विभाव, उद्यीपन विभाव। वह कारक जिसके कारण व्यक्ति में कोई भाव जागृत होता है, आलम्बन विभाव कहलाता है। व्यक्ति के मन में उत्पन्न भाव को और अधिक उद्दीप्त करने वाले कारक को उद्दीपन विभाव कहते हैं।

अनुभाव

मन में स्थायी भाव के जागृत होने के बाद उनके द्वारा की गई चेष्टाएं अनुभाव कहलाती हैं। अनुभाव के चार भेद होते हैं – मानसिक अनुभाव, कायिक अनुभाव, सात्तविक अनुभाव, आहार्य अनुभाव।

संचारी भाव – 

हिंदी रसों में कुल 33 संचारी भाव हैं –

मद, श्रम, आवेग, दैन्य, निर्वेद, अपस्मार, उग्र, जड़ता, गर्व, मोह, मरण, अलसता, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, हर्ष, निद्रा, ग्लानि, स्मृति, चिंता, मति, असूया, अवहित्था, व्याधि, विषाद, वतर्क, उन्माद, औत्सुक्य, धृति, शंका, लज्जा, चपलता, सन्त्रास।

उदाहरण –

साँप (आलम्बन विभाव) को देखकर व्यक्ति के मन में डर (भय का स्थाई भाव) उत्पन्न हुआ।

जब साँप ने फुंफकार (उद्दीपन विभाव) मारी तो व्यक्ति और अधिक डर गया और चिल्लाने (अनुभव) लगा।

श्रंगार रस

प्रेमी व प्रेमिका के बीच मन में उत्पन्न स्थाई भाव (प्रेम या रति) के फलस्वरूप उत्पन्न आनन्द ही ‘श्रंगार रस’ कहलाता है।

  • स्थाई भाव – रति या प्रेम।
  • उद्दीपन विभाव – वसंत ऋतु, एकांत स्थल, भृकुटि-भंग, कटाश्र, चंद्रमा आलम्बन संबंधी अन्य चेष्टाएं।
  • अनुभाव – संयोग श्रंगार के अनुभावों में अपलक देखना, नेत्र से संकेत करना, मुस्कुराना, आश्रय को प्रेम भरी दृष्टि से देखना इत्यादि। वियोग श्रंगार में अश्रु, प्रलाप व, विवर्णता आदि आते हैं।
  • संचारी भाव – संयोग श्रंगार में लज्जा, हर्ष, व औत्सुक्य आदि। वियोग श्रंगार में निर्वेद, ग्लानि व, जड़ता आदि।

विशेष्य विशेषण

संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को ‘विशेषण’ कहते हैं। संज्ञा की विशेषता बताने वाले शब्द को ‘संज्ञा विशेषण’ कहते हैं। सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को ‘सर्वनाम विशेषण’ कहा जाता है। विशेषण जिसकी विशेषता बताता है उसे उसका ‘विशेष्य’ कहा जाता है।

विशेष्य व विशेषण की सूची –

विशेष्यविशेषणविशेष्यविशेषण
अधिकारीअधिकारअज्ञानीअज्ञान
आत्माआत्मीय/आत्मिकअर्थआर्थिक
अग्निआग्नेयअपमानअपमानित
गेरूगेरुआक्रोधक्रुद्ध
जंगलजंगलीचारचौथा
गुलाबगुलाबीतापतप्त
दिनदैनिकपशु पाशविक
पृथ्वीपार्थिवप्रतीक्षाप्रतीक्षित
राक्षसराक्षसीवर्षवार्षिक
वनवन्यवेदवैदिक
मातामातृकपितापैतृक
भ्रमभ्रामकबुद्धबौद्ध
पूर्वपूर्वीयोगयोगी, यौगिक
लघुलाघवलाठीलठैत
वियनविनीत, विनयीविस्मयविस्मित
विरहविरहीमर्ममार्मिक
मलमलिनमाधुर्यमधुर
विवाहवैवाहिकबालकबाल्य
संदेहसंदिग्धसंक्षेपसंक्षिप्त
सिंधुसैंधवसंसारसांसारिक
सीमासीमितशास्त्रशास्त्रीय
शिक्षाशिक्षित, शैक्षिकक्षोभक्षुब्ध
स्मरणस्मरणीयसमाजसामाजिक
स्वास्थ्यस्वस्थवेतनवैतनिक
विष्णुवैष्णवव्यवहार व्यावहारिक
साहित्यसाहित्यिकश्यामश्यामल
हिंसाहिंसकवास्तववास्तविक
यदुयादवनिजनिजी
हवाहवाईविषयविषयी
व्यक्तिवैयक्तिकव्याख्याव्याख्येता
यज्ञयाज्ञिकनावनाविक
रोगरोगीहृदयहार्दिक
शरीरशारीरिकसुखसुखी
स्वदेशस्वदेशीविज्ञानवैज्ञानिक
विद्याविद्वान, विद्यावानविकासविकसित
अनुमोदनअनुमोदितयशयशस्वी
वेतनवैतनिकअजयअजित
चर्चाचर्चितराजराजसी, राजकीय
आदरआदृतअनुवादअनुवादित
सरीदरसीदीन्यायन्यायिक
अध्यापनअध्यापितचिन्ताचिंतित
अनीतिअनैतिकआराधनाआराध्य
रोजरोजानाअनासक्तिअनासक्त
आदरआदरणीयअनुवादअनूदित
घातघातकरसरसीला
अपराधअपराधीआकाशआकाशीय
रुद्ररौद्रअनुशंसाअनुशंसित
न्यायन्यायीनिर्माणनिर्मित
अपराधअपराधीअनुवादअनुवाद्य
रसायनरासायनिकअंकनअंकित
अनुशासनअनुशासितआसमानआसमानी
आराधनाआराध्यघृणाघृणित
उपकारउपकृतउपकारउपकारक
आसक्तिआसक्तअंगआंगिक
उत्तरउत्तरीघनिष्ठताघनिष्ट
राष्ट्रराष्ट्रीयअंकुरअंकुरित
अवयवआवयविकआभूषणआभूषित
ऋणऋणीआक्रमणआक्रांत
अणुआणविकअंचलआंचलिक
उपजउपजाऊआदिआद्य
आचरणआचरितराहराही
अंत/अन्तअन्तिम, अन्त्यअंतर/अन्तरआंतरिक
अनुष्ठानअनुष्ठितअंशआंशिक
आधारआधारितआधारआधृत
अनुभवआनुभाविकआदिआदिम
ओष्ठओष्ठ्यअभिषेकअभिषिक्त
अनुष्ठानआनुष्ठानिकउदयउदित
आयूआयुष्मान्ईसाईस्वी
अवश्यआवश्वयकआश्रयआश्रित
अनुक्रमआनुक्रमिकघावघायल
इहलोकइहलौकिकइहलोकऐहलोकिक
उत्पीड़नउत्पीड़ितनिषेधनिषिद्ध
अनुरागअनुरागीअनुभवअनुभवी
आकर्षणआकृष्टनिष्चयनिष्चित
ईश्वरईश्वरीयघमण्डघमण्डी
अक्लअक्लमन्दउपार्जनउपार्जित
अनुपातआनुपातिकनमकनमकीन
निष्कासननिष्कासितउन्नति उन्नत
उद्योगऔद्योगिकघरघरेलू
अलंकारअलंकृतअन्यायअन्यायी
उपनिवेशऔपनिवेशिकअध्ययनअधीत
ग्रासग्रस्तनगरनागरिक
अपेक्षाअपेक्षितउत्साहउत्साहित
अलंकारआलंकारिकनिन्दानिंदनीय
उपेक्षाउपेक्षितउपेक्षाउपेक्षणीय
अतिरंजनअतिरंजितपुस्तकपुस्तकीय
उत्कर्षउत्कृष्टअनादरअनादृत
निंदानिन्द्यअभ्यासअभ्यासी
ईर्ष्याईर्ष्यईर्ष्याईर्ष्यालु
गुणगुणीगुणगुणवान
अध्यात्मआध्यात्मिकपहाड़पहाड़ी
एतिहासऐतिहासिकनियमनियमित
उत्तेजनाउत्तेजितकृपाकृपालु
उच्चारणउच्चरितउच्चारणउच्चारणीय
अपकारअपकारीक्रमक्रमिक
इच्छाइष्टइच्छाऐच्छिक
उपनिषद्औपनिषदिककण्ठकण्ठ्य
कामकामीकामकामुक
कर्मकर्मीकर्मकर्मठ
करुणाकरुणकरुणाकारुणिक
उपयोगउपयोगीउपयोगउपयुक्त
कलंककलंकितकत्थाकत्थई
कुटुम्बकौटुम्बिकनाटकनाटकीय
ऋषिआर्षपरिवारपारिवारिक
कर्जकर्जदारकर्जकर्जखोर
कुलकुलीनक्रयक्रीत
नरकनारकीयनीतिनैतिक
गोत्रगोत्रीयधनधनवान
कालकालीनकालिककाला
ग्रहणगृहीतग्रहणग्राह्य
गाँवगँवारगर्मीगर्म
जातिजातीयधर्मधार्मिक
केंद्र/केन्द्रकेंद्रितकेन्द्रकेन्द्रीय
गौरवगौरवित/गौरवान्वितजलजलीय
धनधनीगलतीगलत
ग्रामग्रामीणग्रामग्राम्य
पृथुपृथुलजहरजहरीला
कल्पनाकाल्पनिककल्पनाकल्पित
चेष्टाचेष्टितदर्ददर्दनाक
दर्शनदार्शनिकपरिभाषापारिभाषिक
जागरणजागृतजागरणजागरित
कागजकागजीकिताबकिताबी
ख्यातिख्यातचौमासचौमासा
जवाबजवाबीदगादगाबाज
पुष्टिपौष्टिककमाईकमाऊ
काँटाकँटीलादर्शनदर्शनीय
दन्तदन्त्यचारचौथा
खानदानखानदानीजनपदजनपदीय
प्यारप्याराकंकड़कँकड़ीली
चिन्हचिन्हितदस्तदस्तावर
पर्वतपर्तीयखानाखाऊ
तेजतेजस्वीत्यागत्यागी/त्याज्य
कर्मकर्मठकर्मकर्मण्य
दम्पतिदाम्पत्यचाचाचचेरा
तिरस्कारतिरस्कृततर्कतार्किक
चक्रचक्रितदेवदैवी
कसरतकसरतीखेलखिलाड़ी
दयादयालुक्लेशक्लिष्ट
तत्वतात्विकतालुतालव्य
खर्चखर्चीलाचरित्रचारित्रिक
देशदेशीखानखनिज
दयादयामयदेवदैविक
खूनखूनीतन्त्रतांत्रिक
चित्रचित्रितचित्रचितेरा/चित्रकार
खण्डखण्डितखपड़ाखपड़ैल
परलोकपारलौकिकभारतभारतीय
भूखभूखा
भूषणभूषितआकाशआकाशीय
प्रतिष्ठाप्रतिष्ठितबलबलिष्ट
प्रदेशप्रादेशिकप्रसंगप्रासंगिक
फलफलितभूमिभौमिक
प्रशंसाप्रशंसनीयप्रशंसाप्रशंसित
पतनपतितपथपाथेय
पीड़ापीड़ितबुद्धिबौद्धिक
भगवत्भागवतपुष्पपुष्पित
पूजापूज्यपूजापूजनीय
पल्लवपल्लवितपुरुषपौरुषेय
पत्थरपथरीयभावभावुक
भूतभौतिकपानीपेय
प्रांतप्रांतीयपरिवर्तनपरिवर्तित
भाषाभाषिकभाषाभाषाई
पश्चिमपाश्चात्यपश्चिमपश्चिमी
भूगोलभौगोलिकबर्फबर्फीला
विकारविकारीविकारविकृत
पाठपाठ्यपरस्परपारस्परिक
प्यासप्यासाभोजनभोज्य
पक्षपाक्षिकप्रार्थनाप्रार्थनीय
बाजारबाजारूपरिचयपरिचित
प्रथमप्राथमिकपुरातत्वपुरातात्विक
विद्याविद्यावानप्रातःकालप्रातःकालीन
भयभयानकफेनफेनिल
पराजयपराजितमामाममेरा
प्रस्तावप्रस्तावितप्रस्तावप्रस्तुत
व्यवसायव्यावसायिकप्राचीप्राच्य
प्रमाणप्रामाणिकवर्णनवर्णनीय
प्रणामप्रणम्यप्रकृतिप्राकृतिक
प्रतिबिम्बप्रतिबिम्बितपाठकपाठकीय
मिथिलामैथिलमृत्युमर्त्य
मांसमांसलमायामायावी
विचारविचारणीयविचारवैचारिक
पुराणपौराणिकमेधामेधावी
मथुरामाथुरमंगलमंगलमय
मुखमौखिकमुखमुखर
मंगलमांगलिकलोहालौह
विपत्तिविपन्नविपदविपन्न
विजयविजयीविजयविजेता
विवेकविवेकीमूलमौलिक
वायुवायविकवायुवायव्य
मोहमुग्धलोकलौकिक
लज्जालज्जितलज्जालज्जालु
वंदनावन्दनीयवन्दनावन्द्य
मासमासिकविलासविलासी
लेखकलेखितमूर्छामूर्छित
विभाजनविभक्तविभाजनविभक्त
लक्षणलाक्षणिकलक्षणलक्ष्य
विवादविवादीविवादविवाद्य
मालमालदारविषादविषण्य
विस्तारविस्तृतविस्तारविस्तीर्ण
वियोगवियोगीवियोगवियुक्त
लाजलज्जितसम्पादकसम्पादकीय
संतापसंतप्तमैलमैला
लाभलब्धलाभलभ्य
विधानवैधानिकविधानविहित
मानमान्यलखनऊ लखनवी
सम्मानसम्मानितसम्मानसम्मान्य
संयोगसंयुक्तस्वप्नस्वप्निल
राजनीतिराजनीतिकमजहबमजहबी
सोनासुनहरास्मृतिस्मृत
संख्यासंख्येयसंख्यासांख्यिक
मध्यममाध्यमिकसूर्यसौर
स्वभावस्वाभाविकसमुद्रसामुद्र
रंगरंगीलारंगरंगीन
श्रद्धाश्रद्धालुश्रद्धाश्रद्धेय
सागरसागरीयस्त्रीस्त्रैण
स्तुति स्तुत्यस्वर्णस्वर्णिम
सम्प्रदायसाम्प्रदायिकक्षणक्षणिक
संबंधसम्बद्धसम्बंधसंबंधी
सुरसुरीलासुगंधसुगंधित
स्तुतिस्तुत्यसिद्धांतसैद्धांतिक
शासनशासकशासनशासित
समाससामासिकसाहससाहसिक
सम्पत्तिसम्पन्नसम्पत्तिसाम्पतिक
शरदशारदीयक्षमाक्षम्य
स्थानस्थानिकस्थानस्थानीय
समयसामयिकस्वर्णस्वर्णिम
शिवशैवशौकशौकीन
समुद्रसामुद्रिकसमुद्रसमुद्री
क्षयक्षीणक्षयक्षयी
समरसामरिकसंकेतसांकेतिक
स्वादस्वादुसप्ताहसाप्ताहिक
स्वर्गस्वर्गीयस्वर्गस्वर्गिक

गुणवाचक विशेषण –

जिस शब्द से संज्ञा का गुण, स्वभाव, दशा इत्यादि का पता चलता है, उसे गुणवाचक विशेषण कहा जाता है। हिंदी भाषा में इसी प्रकार के विशेषण सर्वाधिक हैं। इनमें से प्रमुख विशेषण निम्नलिखित हैं।

  • काल – भूत, भविष्य, वर्तमान, प्राचीन, नया, पुराना, ताजा, आगामी, अगला, पिछला, टिकाऊ, मौसम।
  • गुण – पापी, झूठा, सच्चा, दुष्ट, न्यायी, सीधा, शान्त, उचित, अनुचित, भला, बुरा, दानी।
  • स्थान – सतही, बाहरी, भीतरी, ऊपरी, दायां, बायां, पूरबी, पश्चिमी, स्थानीय, देशीय, पंजाबी, असमी, बंगाली, भारतीय, अमेरिकी, देशीय।
  • आकार – लंबा, चौंड़ा, गोल, तिकोना, चौकोर,सुडौल, समान, सीधा, तिरछा, नुकीला, सुंदर।
  • दशा – सूखा, गीला, गाढ़ा, गरीब, पिघला, मोटा, पतला, घना, भारी, दुबला, रोगी, उद्यमी, पालतू।
  • रंग – फीका, चमकीला, धुँधला, बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल, गुलाबी।
  • दृष्टव्य – गुणवाचक विशेषणों में सा (सादृश्यवाचक) लगाकर उनके गुणों को कम भी किया जा सकता है। जैसे, बड़ा-सा, छोटा-सा, लंबा-सा, मोटा-सा, काला-सा इत्यादि।

संख्यावाचक विशेषण –

जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराता हो, वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। इसके तीन प्रमुख भेद निश्चित संख्यावाचक, अनिश्चित संख्यावाचक, व परिमाणबोधक हैं। निश्चित संख्यावाचक में – एक, दो, तीन पचास, सौ इत्यादि आते हैं। अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण में कुछ, सब इत्यादि आते हैं। वहीं परिमाणबोधक नाम तौल के काम आते हैं, जैसे – सेर, तोला, थोड़ा, सब इत्यादि।

परिमाणवाचक विशेषण –

वे विशेषण शब्द जिनसे किसी वस्तु या पदार्थ के नाप या माप का बोध होता है। परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं – निश्चित परिमाणवाचक और अनिश्चित परिमाणवाचक। निश्चित परिमाणवाचक विशेषण किसी संज्ञा या सर्वानाम के निश्चित परिमाण को बोध कराते हैं। जैसे 4 लीटर, 10 मीटर, 15 किलोग्राम। वहीं दूसरी ओर अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण से किसी संज्ञा या सर्वानाम के निश्चित परिमाण का बोध नहीं होता है। जैसे – कुछ, थोड़ा, कम, ज्यादा इत्यादि।

सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण –

वे सर्वनाम शब्द जिनसे किसी ओर संकेत किया जाता हो। सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – यह, वह, किस, यहाँ, कोई, कुछ, कौन इत्यादि।

विशेष्य विशेषण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर –

प्रश्न – अधिकारी का विशेषण क्या है ?

उत्तर – अधिकार

प्रश्न – अग्नि का विशेषण क्या है ?

उत्तर – आग्नेय

प्रश्न – जंगल का विशेषण क्या है ?

उत्तर – जंगली

प्रश्न – गुलाब का विशेषण क्या है ?

उत्तर – गुलाबी

प्रश्न – दिन का विशेषण क्या है ?

उत्तर – दैनिक

प्रश्न – पृथ्वी का विशेषण क्या है ?

उत्तर – पार्थिव

प्रश्न – राक्षस का विशेषण क्या है ?

उत्तर – राक्षसी

प्रश्न – वन का विशेषण क्या है ?

उत्तर – वन्य

प्रश्न – भ्रम का विशेषण क्या है ?

उत्तर – भ्रामक

प्रश्न – पूर्व का विशेषण क्या है ?

उत्तर – पूर्वी

प्रश्न – लघु का विशेषण क्या है ?

उत्तर – लाघव

प्रश्न – मल का विशेषण क्या है ?

उत्तर – मलिन

प्रश्न – विवाह का विशेषण क्या है ?

उत्तर – वैवाहिक

प्रश्न – संदेह का विशेषण क्या है ?

उत्तर – संदिग्ध

प्रश्न – सिंधु का विशेषण क्या है ?

उत्तर – सैंधव

प्रश्न – सीमा का विशेषण क्या है ?

उत्तर – सीमित

प्रश्न – स्वास्थ्य का विशेषण क्या है ?

उत्तर – स्वस्थ

प्रश्न – हिंसा का विशेषण क्या है ?

उत्तर – हिंसक

प्रश्न – यादव किसका विशेषण है ?

उत्तर – यदु

प्रश्न – हवा का विशेषण क्या है ?

उत्तर – हवाई

प्रश्न – व्यक्ति का विशेषण क्या है ?

उत्तर – वैयक्तिक

प्रश्न – यज्ञ का विशेषण क्या है ?

उत्तर – याज्ञिक

प्रश्न – किसका विशेषण है ?

उत्तर –

प्रश्न – रोगी किसका विशेषण है ?

उत्तर – रोग

प्रश्न – चर्चित किसका विशेषण है ?

उत्तर – चर्चा

प्रश्न – अनैतिक किसका विशेषण है ?

उत्तर – अनीति

प्रश्न – अपराधी किसका विशेषण है ?

उत्तर – अपराध

प्रश्न – न्यायी किसका विशेषण है ?

उत्तर – न्याय

प्रश्न – घृणित किसका विशेषण है ?

उत्तर – घृणा

प्रश्न – आराध्य किसका विशेषण है ?

उत्तर – आराधना

प्रश्न – राष्ट्रीय किसका विशेषण है ?

उत्तर – राष्ट्र

प्रश्न – उपजाऊ किसका विशेषण है ?

उत्तर – उपज

प्रश्न – आधारित किसका विशेषण है ?

उत्तर – आधार

प्रश्न – आंशिक किसका विशेषण है ?

उत्तर – अंश

प्रश्न – आदिम किसका विशेषण है ?

उत्तर – आदि

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