‘रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान’ शीर्षक के इस लेख में रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संगठन व संरचना का अध्ययन किया जाता है। ‘रसायन विज्ञान’ कहलाती है। इसके अतिरिक्त विज्ञान की दो अन्य शाखाएं भौतिक विज्ञान व जीव विज्ञान भी हैं। ‘लेवायसिये’ को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है। रसायन विज्ञान अर्थात ‘Chemistry’ शब्द की उत्पत्ति मिश्र के शब्द ‘कीमिया’ से हुई है, जिसका अर्थ है काला रंग।
आरंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को ‘केमिटेकिंग’ कहा जाता था।
पदार्थ/द्रव्य –
- विश्व की कोई भी चीज जो स्थान घेरती हो।
- जिसका द्रव्यमान हो
- अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाती है।
प्रकृति में अधिकांश पदार्थ तीन अवस्थाओं ठोस, द्रव व, गैस में ही पाये जाते हैं। जल पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में रह सकता है। पदार्थ की पांचवीं अवस्था प्लाज्मा और छठी बोस आइंस्टाइन कंडनसेट है। ताप व दाब में परिवर्तन कर पदार्थ की इन अवस्थाओं में परिवर्तन किया जा सकता है। परंतु सभी पदार्थों की अवस्था में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
ठोस – पदार्थ की वह अवस्था जिसका आकार व आयतन दोनो निश्चित हों, ठोस कहलाती हैं।
द्रव – वह पदार्थ जिसका आयतन निश्चित परंतु आकार अनिश्चित हो, द्रव कहलाता है।
गैस – वह पदार्थ जिसका न आयतन निश्चित हो और न ही आकार, गैस कहलाते है।
ऊर्ध्वपातन –
किसी ठोस को गर्म करने पर पहले वह द्रव अवस्था में आता है उसके बाद गैस में परिवर्तित हो जाता है। परंतु कुछ पदार्थ गर्म करने पर ठोस से सीधे गैस अवस्था में परिवर्ति हो जाते हैं। ठोस से सीधे गैस में परिवर्तिन की यह प्रक्रिया ऊर्ध्वपातन कहलाती है।
खनिज – पृथ्वी की भूपर्पटी पर प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले तत्व व यौगिक को खनिज कहा जाता है।
अयस्क – वे खनिज जिनसे धातुओं को सुगमतापूर्वक एवं लाभकारी रूप में निकाला जाता है, वे अयस्क कहलाते हैं।
प्रमुख धातुएं व उनके अयस्क
धातु | अयस्क |
एल्युमिनियम | बॉक्साइट,
एल्युनाइट,
क्रोयोलाइट,
कोरंडम,
काओलीन,
फ्ल्स्पार |
लोहा | हेमेटाइट
मैग्नेटाइट
लिमोनाइट
आयरनपायराइट
सिडेराइट
कैल्कोपाइरायट |
कैल्शियम | डोलोमाइट
जिप्सम
कैल्साइट
सिलिकेट/एस्बेस्टस
फलोरस्पार
कैल्शियम मैग्नेशियम |
सोडियम | चिली साल्टपीटर
बोरेक्स
ट्रोना
सोडियम क्लोराइड |
मैग्नेशियम | मैग्नेसाइट
डोलोमाइट
कार्नेलाइट
कीसेराइट
इप्सम लवण |
चाँदी | रूबी सिल्वर
हार्न सिल्वर
पायरा गाइराइट |
जिंक | जिंक ब्लैंड
कैलेमाइन
जिंकाइट |
ताँबा | क्यूप्राइट
कॉपर ग्लांस
कॉपर पायराइट |
यूरेनियम | पिलब्लैंड
कार्नेलाइट |
सोना | काल्वेराइट
सिल्वेनाइट |
पोटैशियम | कार्नेलाइट
नाइटर |
मैगनीज | पाइरोल्युसाइट
सीलोमीलिन (मैंगनाइट) |
स्ट्रांशियम | स्ट्रांसियनाइट
सिलेस्टाइन |
पारा | सिनेबार |
निकेल | मिलेराइट |
क्रोमियम | क्रोमाइट |
कोबाल्ट | स्मेल्टाइट |
लेड | गैलेना |
टिन | केसीटेराइट |
बेरियम | बेराइट |
कैडमियम | ग्रीनोकाइट |
बिस्मिथ | बिस्मुथईट |
एण्टिमनी | स्टिबनाइट |
अणु – किसी भी तत्व व यौगिक का वह छोटे से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है, अणु कहलाता है।
परमाणु – किसी भी तत्व का वह छोटे से छोटा कण जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है, परंतु स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकता परमाणु कहलाता है।
अपरूप – जिन पदार्थों के रासायनिक गुण समान और भौतिक गुण भिन्न होते हैं, अपरूप कहलाते हैं।
परमाणु क्रमांक – किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहा जाता है।
परमाणु द्रव्यमान – किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों और न्यूट्रानों की संख्या के योग को परमाणु क्रमांक कहा जाता है।
समस्थानिक –
समान प्रोटानों की संख्या व भिन्न न्यूट्रानों की संख्या वाले तत्वों को समस्थानिक कहा जाता है। सर्वाधिक समस्थानिकों वाला तत्व पोलोनियम है।
समभारिक –
समान परमाणु द्रव्यमान व भिन्न परमाणु क्रमांक वाले तत्वों को समभारिक कहा जाता है। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में समस्थानिकों के लिए स्थान नहीं दिया गया।
समन्यूट्रानिक –
न्यूट्रानों की समान संख्या वाले परमाणुओं को समन्यूट्रानिक कहा जाता है।
धातु –
ऐसे तत्व (सिवाय हाइड्रोजन के) जो इलेक्ट्रान को त्यागकर धनायन प्राप्त करते हैं, धातु कहलाते हैं। ये विद्युत व ऊष्मा के सुचालक होते हैं।
प्रमुख मिश्रधातुएं व उनके अवयवों की प्रतिशत मात्रा
मिश्रधातु | अवयव | प्रतिशत अनुपात |
पीतल | ताँबा+जस्ता | 70%+30% |
काँसा | ताँबा+टिन | 90%+10% |
जर्मन सिल्वर | ताँबा+जस्ता+निकेल | 60%+20%+20% |
रोल्डगोल्ड | ताँबा+एल्युमिनियम | 90%+10% |
गन मेटल | ताँबा+जस्ता+टिन | 90%+2%+8% |
डेल्टा मेटल | ताँबा+जस्ता+लोहा | 60%+38%+2% |
टाँका | टिन+लेड | 67%+33% |
मुंज मेटल | ताँबा+जस्ता | 60%+40% |
डच मेटल | ताँबा+जस्ता | 80%+20% |
मोनेल मेटल | ताँबा+निकेल | 70%+30% |
रोज मेटल | बिस्मथ+लेड+टिन | 50%+28%+22% |
मैगनेलियम | एल्युमिनियम+मैग्नीशियम | 95%+5% |
टाइप मेटल | लेड+एंटिमनी+टिन | 82%+15%+3% |
ड्यूरेलुमिन | एल्युमिनियम+ताँबा+मैग्नीशियम+मैंगनीज | 95%+4%+.5%+.5% |
यशदलेपन – लोहे व स्टील को जंग से बचाने के लिए उनपर जस्ते की परत चढ़ाई जाती है। लोहे व इस्पात पर जस्ते की परत चढ़ाने की इसी प्रक्रिया को यशदलेपन कहा जाता है।
नाइक्रोम – यह निकेल, आयरन व क्रोमियम की मिश्रधातु है। विद्युत हीटर की कंडली इसी की बनी होती है।
पॉलीथीन – यह एथिलीन गैस के उच्च ताप व उच्च दाब पर बहुलीकरण करने से प्राप्त होती है।
प्लास्टिक –
प्लास्टिक दो प्रकार की होती हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम। लाह प्राकृतिक प्लास्टिक का उदाहरण है।
कृत्रिम प्लास्टिक दो प्रकार ही होती हैं – थर्मोप्लास्टिक व थर्मोसेंटिंग प्लास्टिक।
थर्मोप्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम व ठंडी करने पर कठोर हो जाती है।
इसे फिर गर्म करो तो ये फिर मुलायम व ठंडी करने पर फिर कठोर हो जाती है, इसमें यह गुण सदैव विद्यमान रहता है।
परंतु थर्मोसेंटिंग प्लास्टिक को पहली बार गर्म करने पर वह मुलायम हो जाती है और ठंडी करने पर कठोर।
परंतु इसे पुनः गर्म करने पर यह मुलायम नहीं होती। अतः इसमें मुलायम होने की यह क्रिया बार बार नहीं होती।
रबड़ –
रबड़ भी दो प्रकार की होती हैं। प्राकृतिक व कृत्रिम रबड़। प्राकृतिक रबड़ आइसोप्रिन का बहुलक होती है।
नियोप्रीन व थाईकॉल संश्लिष्ट रबड़ के उदाहरण हैं। रबर आसानी से कार्बन डाईसल्फाइड में घुल जाता है।
प्राकृतिक रबड़ बहुत मुलायम होता है, इसे कठोर बनाने के लिए इसमें कार्बन मिलाया जाता है।
वाल्कनीकरण –
प्राकृतिक रबड़ को सल्फर के साथ मिलाकर गर्म करने की क्रिया को वाल्कनीकरण के नाम से जाना जाता है।
बहुलीकरण –
जब एक ही यौगिक के दो या अधिक अणु आपस में मिलकर एक भारी अणु बनातें हैं तो यह क्रिया बहुलीकरण कहलाती है।
इसमें बने उत्पाद को बहुलक (पॉलीमर) कहते हैं। स्टार्च व सेलुलोज प्राकृतिक बहुलक हैं।
तत्व (रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान)-
वह शुद्धतम पदार्थ जिसे किसी भी भौतिक व रासायनिक विधि से न तो दो या दो से अधिक अवयवों में विभक्त किया जा सकता है और न ही दो या दो से अधिक अवयवों के योग से बनाया जा सकता है।
पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रमुख तत्व व उनकी प्रतिशत मात्रा –
- ऑक्सीजन – 46.60
- सिलिकॉन – 27.72
- एल्युमिनियम – 8.13
- लोहा – 5
- कैल्सियम – 3.60
- सोडियम – 2.83
- पोटेशियम – 2.59
- मैग्नीशियम – 2.09
- टिटेनियम – 0.44
- हाइड्रोजन – 0.14
यौगिक –
दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात के रासायनिक योग से बना हुआ पदार्थ यौगिक कहलाता है।
मिश्रण –
दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों के किसी भी मात्रा के मेल से बने हुए पदार्थ को मिश्रण कहा जाता है।
इसे सरल विधि द्वारा फिर से पृथक किया जा सकता है। यह मिश्रण दो प्रकार का होता है – समांग मिश्रण व विषमांग मिश्रण।
मिश्रण को अलग करने की प्रमुख विधियां – आसवन विधि, भाप आसवन विधि, ऊर्ध्वपातन विधि, रवाकरण, आंशिक आसवन, वर्णलेखन विधि प्रमुख हैं।
कोयले के प्रकार –
एंथ्रेसाइट कोयला, बिटुमिनस कोयला, लिग्नाइट कोयला, पीट कोयला।
अम्ल – वे यौगिक जिनमें हाड्रोजन प्रतिस्थाप्य के रूप में रहता है, अम्ल कहलाते हैं।
ये स्वाद में खट्टे होते हैं और इनका जलीय विलयन नीले लिटमस को लाल कर देता है।
भस्म – अम्ल से प्रतिक्रिया कर लवण व जल देने वाले पदार्थ को भस्म कहते हैं।
लवण – अम्ल व भस्म की प्रतिक्रिया से बने पदार्थ में जल व लवण होता है।
प्रमुख लवण –
सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक), सोडियम कार्बोनेट (धाबन सोडा), सोडियम बाईकार्बोनेट (खाने का सोडा), सोडियम हाइड्राक्साइड (कास्टिक सोडा), पोटेशियम नाइट्रेट कुछ प्रमुख लवण हैं।
pH मान –
किसी विलयन की अम्लीयता व क्षारीयता को जांचने के लिए उसके pH मान को देखा जाता है।
जिस विलयन का pH मान 7 से कम होता है वे अम्लीय और जिनका pH मान 7 से अधिक होता है वे विलयन क्षारीय कहलाते हैं।
परंतु वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम होने पर वह अम्लीय वर्षा कहलाती है।
मुह का pH मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय होने लगता है।
मानव शरीर में पाए जाने वाले प्रमुख तत्वों की प्रतिशत मात्रा
- ऑक्सीजन – 65
- कार्बन – 18
- हाइड्रोजन – 10
- नाइट्रोजन – 3
- कैल्सियम – 2
- फॉस्फोरस -1
- पोटेशियम – 0.35
- सल्फर – 0.25
- सोडियम – 0.15
- क्लोरीन – 0.15
- मैग्नीशिमय – 0.05
- लोहा – 0.004
- अन्य तत्व – 0.046
वाष्पीकरण – क्वथनांक पर पदार्थ का ठोस से द्रव में बदलने की क्रिया वाष्पीकरण कहलाती है।
वाष्पन –
क्वथनांक से कम ताप पर किसी पदार्थ का ठोस अवस्था से वाष्प में परिवर्तित होना वाष्पन कहलाता है।
क्वथनांक जितना कम होगा वाष्पना की प्रक्रिया उतनी ही अधिक होगी।
विलेय व विलायक – विलयन में जो पदार्थ अधिक मात्रा में होता है उसे विलायक व जो पदार्थ अपेक्षाकृत मात्रा में कम होता है उसे विलेय कहा जाता है।
नायलॉन (NyLon) –
यह मानव द्वारा संश्लिष्ट प्रथम रेशा है।
इसका निर्माण पहली बार साल 1935 में ततपश्चात साल 1939 में उद्योगिक रूप में किया गया।
तब इससे औरतों के मोजे बनाकर इसका प्रयोग किया गया।
नायलॉन शब्द न्यूयॉर्क के Ny और London के Lon को मिलाकर बनाया गया है।
रेयॉन – ये सेलुलोज से बने कृत्रिम रेशे हैं।
हाइड्रोजन –
इसके तीन समस्थानिक प्रोडियम, ट्राइटियम व, ड्यूटीरियम हैं।
ड्यूटीरियम के ऑक्साइड को भारी जल के रूप में जाना जाता है।
भारी जल की खोज यूरे व पाशबर्न ने वर्ष 1932 में की थी।
साधारण जल के करीब 7000 में से 1 भाग भारी जल का होता है।
ऑक्सीजन – इसके कुल ती स समस्थानिक होते हैं। ऑक्सीजन का अपरूप ओजोन है।
निष्क्रिय गैसें –
हीलियम, रेडॉन, जीनॉन, निऑन, आर्गन व क्रिप्टान को निष्क्रिय गैस या उत्कृष्ट गैसों के रूप में जाना जाता हैं।
रेडॉन को छोंड़कर अन्य सभी गैसें वायुमंडल में पायी जाती हैं।
डायनामाइट –
इसका अविष्कार अल्फ्रेड नोबेल ने साल 1867 में किया था।
नाइट्रोग्लिसरिन को लकड़ी के बुरादे जैसे किसी अक्रिय पदार्थ में अवशोसित करके बनाया जाता था।
परंतु आधुनिक डायनामाइट में नाइट्रोग्लिसरिन के स्थान पर सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है।
RDX –
इसका पूर्ण नाम Research and Developed Explosive और रासायनिक नाम साइक्लो ट्राईमिथाइलीन ट्राईनाइट्रोमाइन है।
इसे प्लास्टिक बिस्फोटक के नाम से भी जाना जाता है।
इसका अविष्कार जर्मन वैज्ञानिक हेंस हेनिंग ने साल 1899 में किया था।
बारूद – इसका अविष्कार रोजर बैंकन ने पोटेशियम नाइट्रेट का प्रयोग कर किया था।
इसका पहला प्रयोग 1346 ई. में किया गया था।
विलयन के प्रकार
ठोस में ठोस का विलयन- मिश्रधातु (जैसे- पीतल, कांसा)
ठोस में गैस का विलयन- कपूर में वायु का विलयन
द्रव में ठोस का विलयन- पारा में लेड का विलयन
द्रव में द्रव का विलयन- जल में एल्कोहॉल का विलयन
ठोस में द्रव का विलयन- थैलियम में पारा का विलयन
गैस में द्रव का विलयन – बादल व कुहरा
द्रव में गैस का विलयन- जल में कार्बन डाईऑक्साइड का विलयन
गैस में ठोस का विलयन – धुआँ व वायु में आयोडीन
गैस में गैस का विलयन – वायु व गैसों का मिश्रण
रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान प्रमुख तथ्य –
- सर्वाधिक इलेक्ट्रान बंधुता क्लोरीन की होती है।
- सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मकता फ्लोरीन की होती है।
- निष्क्रिय गैसों का गलनांक निम्न होता है।
- नॉन स्टिकी वर्तन बनाने के लिए उनपर टेफ्लान की परत चढ़ाई जाती है।
– रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान लेख समाप्त।