हिंदी गद्य का विकास

हिंदी गद्य का विकास क्रम (काल विभाजन) :

  • पूर्व भारतेंदु युग (हिन्दी गद्य साहित्य का प्रारंभिक काल) – 13वीं शताब्दी के मध्य से 1868 ई. तक
  • भारतेंदु युग (पुनर्जागरण काल) – 1868 ई. – 1900 ई.
  • द्विवेदी युग – 1900 से 1922 ई.
  • शुक्ल युग (छायावादी युग) – 1919 – 1938 ई.
  • शुक्लोत्तर युग (छायावादोत्तर युग) – 1938 ई. से वर्तमान

हिन्दी की बोलियाँ – हिंदी गद्य का विकास

  • पूर्वी हिन्दी – अवधी, वघेली, छत्तीसगढ़ी
  • पश्चिमी हिन्दी – खड़ोबोली, बुन्देली, ब्रजभाषा, हरियाणवी (बाँगरू)
  • बिहारी हिन्दी – भोजपुरी, मैथिली, मगही
  • राजस्थानी हिन्दी – मालवी, मेवाती, मारवाड़ी, जयपुरी
  • पहाड़ी हिन्दी – गढ़वाली, कुमाऊँनी

प्रमुख रचनाएं – हिंदी गद्य का विकास

खड़ीबोली हिन्दी की प्रथम रचना – गोरा बादल की कथा (जटमल)

हिन्दी का प्रथम नाटक – नहुष (गोपालचंद्र गिरिधर दास)

हिन्दी का प्रथम उपन्यास – परीक्षा गुरु (लाला श्रीनिवास दत्त)

हिंदी की प्रथम कहानी – इन्दुमती (किशोरीलाल गोस्वामी)

हिन्दी का प्रथम यात्रावृत्तांत – सरयू पार की यात्रा (भारतेन्दु हरिश्चंद्र)

हिन्दी गद्य की विधाएं – हिंदी गद्य का विकास

कहानी, निबन्ध, उपन्यास, जीवनी, नाटक, एकांकी, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्त, संस्मरण, रेखाचित्र, पत्र, डायरी, पिरोर्ताज, गद्यकाव्य/गद्यगीत, भेंटवार्ता/साक्षात्कार।

भारतेंदु युग के पत्र व पत्रिकाएं

पत्र/पत्रिकासम्पादक
कवि-वचन-सुधाभारतेन्दु हरिश्चंद्र
हरिश्चंद्र मैगजीनभारतेंदु हरिश्चंद्र
हिन्दी प्रदीपबालकृष्ण भट्ट
ब्राह्मणप्रतापनारायण मिश्र
आनन्द कादम्बिनीबदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'

द्विवेदी युग के पत्र व पत्रिकाएं

पत्र/पत्रिकाएंसम्पादक
सरस्वतीमहावीर प्रसाद द्विवेदी
सुदर्शनदेवकीनंदन खत्री, माधवप्रसाद मिश्र
समालोचनाचन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'
इन्दुअम्बिकाप्रसाद गुप्त
मर्यादाकृष्णकांत मालवीय
प्रतापगणेशशंकर 'विद्यार्थी'
प्रभाबालकृष्ण शर्मा 'नवीन'
चाँदरामरख सहगल, चण्डीप्रसाद 'हृदयेश'
माधुरीदुलारेलाल भार्गव

छायावाद युग के पत्र व पत्रिकाएं

पत्र/पत्रिकासम्पादक
हंसप्रेमचंद्र
आदर्श/मौजशिवपूजन सहाय
सरोजनवजादिकलाल श्रीवास्तव
साहित्य सन्देशगुलाबराय
कर्मवीरमाखनलाल चतुर्वेदी

छायावादोत्तर युग के पत्र व पत्रिकाएं

पत्र/पत्रिकासम्पादक
कादम्बिनीराजेंद्र अवस्थी
धर्मयुगधर्मवीर भारतीय / गणेश मंत्री
गंगाकमलेश्वर
हंसराजेंद्र यादव
सारिकाकमलेश्वर / अवधनारायण मुद्गल

हिन्दी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली पत्रिका – सरस्वती

द्विवेदी युग की सर्वप्रथम पत्रिका – सरस्वती

हिन्दी गद्य की विधाएं –

नाटक किसे कहते हैं ?

रंचमंच पर अभिनय किये जाने के उद्देश्य से लिखी जाने वाली एक से अधिक अंको वाली गद्य रचना। इसमें अभिनय व संवाद पर विशेष बल दिया जाता है।

एकांकी किसे कहते हैं ?

एक अंक के नाटक को एकांकी कहा जाता है। इसमें किसी घटना विशेष की प्रस्तुति की जाती है।

उपन्यास किसे कहते हैं ?

किसी विस्तृत कथावस्तु की पात्रों के चरित्र चित्रण, घटनाएं, संवाद व निश्चित उद्देश्य को लक्ष्य में रखकर की जाने वाली गद्य रचना।

कहानी किसे कहते हैं ?

वह लघु रचना जिसमें पात्रों के चरित्र चित्रण व घटनाक्रमों के माध्यम से उनके या समाज के चरित्र, भाव या विशिष्टता के किसी विशेष पक्ष को प्रस्तुत किया जाता है।

निबन्ध किसे कहते हैं ?

वह गद्य रचना जिसमें लेखक द्वारा किसी विषय पर अपने विचारों की  स्वच्छन्द अभिव्यक्ति क्रमिक व प्रत्यक्ष रूप से की जाती है, निबन्ध कहलाता है।

आलोचना किसे कहते हैं ?

किसी साहित्य रचना का भली भांति अध्ययन करके उसके गुण-दोषों का विश्लेषण करना, उस रचना की आलोचना कहलाती है। आलोचना के लिए समीक्षा व समालोचना शब्द का भी प्रयोग किया जाता है।

जीवनी किसे कहते हैं ?

किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की जन्म से लेकर मृत्यु तक की प्रमुख घटनाओं के क्रमबद्ध वर्णन व विश्लेषण को जीवनी कहा जाता है।

आत्मकथा किसे कहते हैं ?

जब लेखक अपनी जीवन की स्मरणीय घटनाओं का क्रमबद्ध वर्णन एवं विश्लेषण करता है, उसे आत्मकथा कहते हैं।

यात्रावृत्त किसे कहते हैं ?

वह गद्य रचना जिसे रचनाकार द्वारा किसी यात्रा के अनुभव या यथावत् कलात्मक वर्णन करता है, यात्रावृत्त कहलाती है।

संस्मरण किसे कहते हैं ?

जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी स्मरणीय घटना या तथ्य को उसके यथार्थ रूप में सशक्त एवं रोचक भाषा शैली में पुनः मूर्त करता है, उसे संस्मरण कहा जाता है।

रेखाचित्र किसे कहते हैं ?

वह गद्य रचना जिसमें किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना व भाव का कम से कम शब्दों में यथावत् चित्रांकन किया जाता है, उसे रेखाचित्र कहते हैं।

गद्यकाव्य क्या है ?

वह रचना जिसमें छन्द के बिना भी कविता के गुणों का समावेश होता है, गद्यकाव्य या गद्यगीत कहलाता है।

रिपोर्ताज क्या है ?

वह गद्य रचना जिसमें किसी घटना का आँखों देखा विवरण प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। वह रिपोर्ताज कहलाता है।

भेंटवार्ता या साक्षात्कार क्या है ?

जब रचनाकार किसी व्यक्ति विशेष से भेंट करके उसके भावों, व्यक्तित्व, क्रियाकलापों इत्यादि से संबंधित प्रश्नोत्तर रूप में साहित्य रचना करता है तो वह रचना ‘भेंटवार्ता’ या ‘साक्षात्कार’ कहलाती है।

डायरी –

जब कोई कलात्मक अभिरुचि व्यक्ति अपने जीवन में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं का तिथिबद्ध एवं क्रमबद्ध विवरण लिखता है, वह रचना डायरी कहलाती है।

पत्र साहित्य क्या है ?

जब लेखक अपने किसी मित्र, परिचित या अन्य किसी को पत्र द्वारा अपने संबंध में या किसी महत्वपूर्ण समस्या के संबंध में मात्र सूचना, जिज्ञासा या समाधान लिखकर भेजता है और उत्तर की अपेक्षा रखता है। तब वह पत्र-साहित्य का सृजन करता है।

भारतेन्दु युग के लेखक – हिंदी गद्य का विकास

भारतेंदु हरिश्चंद, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट, लाला श्रीनिवासदास, अम्बिकादत्त व्यास, चण्डीप्रसाद सिंह,

द्विवेदी युग के लेखक – हिंदी गद्य का विकास

महावीर प्रसाद द्विवेदी, देवकीनन्दन खत्री, बाबू गुलाबराय, किशोरीलाल गोस्वामी, माधवप्रसाद मिश्र, चंद्रधर ‘गुलेरी’, शिवनन्दन सहाय, लक्ष्मीप्रसाद, राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह, विशंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’।

शुक्ल युग (छायावाद युग) के लेखक –

आचार्य रामचंद्र शुक्ल, बाबू गुलाबराय, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, हरिकृष्ण ‘प्रेमी’, आचार्य चतुरसेन शास्त्री।

शुक्लोत्तर युग के लेखक – हिंदी गद्य का विकास

हजारी प्रसाद द्विवेदी, यशपाल, भगवतीचरण वर्मा, राजेंद्र यादव, इलाचंद्र जोशी, जैनेंद्र कुमार, विष्णु प्रभाकर, उपेंद्रनाथ ‘अश्क’।

युग का नामकालावधिप्रमुख लेखकप्रमुख रचनाएँप्रमुख विधाएंप्रमुख भाषाविशेष
1. प्राचीन युग या आदि युग13वीं सदी से 1868 ई.-----
(क) राजस्थानी गद्य13वीं सदीसंग्राम सिंह, मुनि जिनविजय-वार्त्ता, चरित-कथाराजस्थानी गद्यजैन धर्म के उपदेश और सिद्धांतों की रचना
(ख) ब्रजभाषा गद्य16वीं-17वीं सदीबिट्ठलदास, गोकुलनाथ, नाभादास, बैकुण्ठमणि शुक्ल, बनारसीदास, वैष्णवदासश्रंगार रस मण्डन, चौरासी वैष्णवन की वार्त्ता, दो सौ बावन वैष्णवन की वार्त्ता, अष्टयाम, बनारसी विलास, अगहन माहात्म्य, वैशाख माहात्म्य, भक्तमाल प्रसंगवार्त्ता, टीकाएँ, कथाएँ, जीवनीब्रजभाषा गद्यब्रजभाषा का अपरिमार्जित गद्य की प्रयुक्त हुआ है। यह गद्य मौलिक, अनूदित, टीकात्मक व पद्यप्रधान है।
(ग) खड़ीबोली का जागरण युग17वीं-18वीं सदीजटमल, कवि गंगा, रामप्रसाद निरंजनी, पं. दौलतरामगोरा-बादल की कथा, चन्द-छन्द-बरन की महिला, भाषा योग वाशिष्ठ, पद्मपुराणकथा, वार्त्ताब्रजमिश्रित खड़ीबोली-
(घ) खड़ीबोली का उन्नयन18वीं सदीमुंशी सदासुखलाल, इंशा अल्ला खाँ, लल्लू लाल, सदल मिश्रसुखसागर, प्रेमसागर, रानी केतकी की कहानी, नासिकेतोपाख्यानकहानी, उपन्यास, आख्यानब्रजमिश्रित खड़ीबोली-
(ङ) पूर्व भारतेंदु युग19वीं सदी के मध्य 1868 ई.राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द', राजा लक्ष्मणसिंहअभिज्ञानशाकुन्तलम्अनुवादअरबी-फारसी मिश्रित खड़ीबोलीसमाचार पत्रों के प्रकाशन का आरम्भ
2. भारतेंदु युग19वीं सदी का उत्तरार्द्ध
(1868 से 1900)
भारतेंदु हरिश्चंद्र, बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन', किशोरीलाल गोस्वामीभारत दुर्दशा, कलिकौतुक, काव्य मीमांसा, महाराणा प्रताप, आनन्द रघुनन्दन, नहुष, इन्दुमतीनाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, आलोचना।विदेशी शब्दों व ब्रजभाषा से युक्त खड़ीबोलीहरिश्चंद्र मैगजीन, हरिश्चंद्र चंद्रिका, कवि-वचन-सुधा, ब्राह्मण, आनन्द कादम्बिनी, हिन्दी प्रदीप आदि पत्र व पत्रिकाओं का प्रकाशन
3. द्विवेदी युग1900 से 1922 ई.महावीरप्रसाद द्विवेदी, श्यामसुंदर दास, गुलाबराय, जयशंकर प्रसाद, सरदार पूर्णसिंह, चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी', मिश्रबन्धु, बालमुकुन्द गुप्त आदिरसज्ञ रंजन, रूपक रहस्य, हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, साहित्यालोचन, हिन्दी भाषा और साहित्यनिबन्ध, नाटक, जीवनी, कहानी, उपन्यास, आलोचनापरिमार्जित व परिष्कृत खड़ीबोली का प्रयोगअनेक पत्रिकाओं का प्रकाशन, भाषा परिष्कार का महत्वपूर्ण कार्य, सरस्वती, इन्दु, मर्यादा, समालोचना, सुदर्शन प्रभा, माधुरी आदि पत्रिकाओं का प्रकाशन
4. शुक्ल युग (छायावादयुगीन गद्य)1919 से 1938 ई.आचार्य रामचंद्र शुक्ल, राय कृष्णदास, जयशंकरप्रसाद, प्रेमचंद, गुलाबराय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, नन्द दुलारे वाजपेयी, हरिकृष्ण प्रेमी, सुमित्रानन्दन पन्त, माखनलाल चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', उग्रगोदान, चिन्तामणि, चन्द्रगुप्त, पुनर्नवा, रंगभूमि, आन का मान, हिन्दी साहित्य का इतिहास, हिन्दी साहित्य का आदिकालनिबन्ध, कहानी, नाटक, जीवनी, उपन्यास, एकांकी, आलोचना, संस्मरण, इतिहास, रेखाचित्रआलंकारिकता से परिपूर्ण खड़ीबोलीनिबन्ध के विकास का महत्वपूर्ण युग
शुक्लोत्तर/छायावादोत्तर युग1938 से 1947 ई.आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, अमृतलाल नागर, वृन्दावन लाल वर्मा, सेठ गोविन्ददास, अज्ञेय, इलाचंद्र जोशी, जैनेंद्र कुमार, रांगेय राघव, नन्ददुलारे वाजपेयी, यशपाल, फणीश्वरनाथ रेणु, रामवृक्ष बेनीपुरी, लक्ष्मीनारायण मिश्रबाणभट्ट की आत्मकथा, मृगनयनी, स्मृति की रेखाएँ, विराट की पद्मिनी, मैला आँचल, सुनीता, सुखदा, अशोक के फूल, अतीत के चलचित्र, श्रंखला की कड़ियाँनिबन्ध, कहानी, नाटक, उपन्यास, एकांकी, आलोचना, संस्मरण, इतिहास, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, ललित निबन्ध, रेडियो-रूपक, गद्यगीतशुद्ध साहित्य खड़ीबोली का प्रयोग, चिंतन की विधानताइस युग को प्रतिवादी युग भी कहा जाता है।
स्वतंत्र्योत्तर युग1947 सेरामधारी सिंह 'दिनकर', सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय', उपेंद्रनाथ 'अश्क', डॉ. नगेंद्र, विद्यानिवास मिश्र, भगवतीचरण वर्मा, विष्णु प्रभाकर, भगवतीचरण वर्मा, कमलेश्वर, राजेंद्र यादव, उषादेवी मिश्रा, शिवानीसंस्कृति के चार अध्याय, विचार और वितर्क, विचार और विवेचना, सारा आकाश, लहरों के राजहंस, आवारा मसीहा, साहित्य की चेतना, गुनाहों का देवता, शेखर : एक जीवनी, नदी के द्वीपनिबन्ध, नाटक, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संस्मरण, रेखाचित्र, रेडियो-रूपक, ललित-निबन्ध, आत्मकथा, रिपोर्ताज, जीवनी, डायरी, भेंटवार्ताविश्लेषण प्रधान, प्रांजल और साहित्यिक खड़ीबोलीविभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन। धर्मयुग, कादम्बिनी जैसी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएं निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। पिछले कुछ वर्षों से हंस नामक साहित्यिक पत्र का भी प्रकाशन किया जा रहा है।

हिन्दी गद्य का इतिहास प्रश्न उत्तर –

प्रश्न – ‘उक्ति व्यक्ति प्रकरण’ किस काल की रचना है ?

उत्तर – आदिकाल

प्रश्न – ‘राउल बेल’ किस काल की रचना है ?

उत्तर – आदिकाल

प्रश्न – हिन्दी का प्राचीनतम गद्य किस भाषा में मिलता है ?

उत्तर – राजस्थानी हिन्दी

प्रश्न – ‘राजा भोज का सपना’ किसकी रचना है ?

उत्तर – राजा शिवप्रसाद ‘सितारेहिन्द’

प्रश्न – खड़ीबोली गद्य की सर्वप्रथम रचना कौनसी है ?

उत्तर – गोरा बादल की कथा

प्रश्न – ‘गोरा बादल की कथा’ के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – जटमल

प्रश्न – कवि गंग किसके दरबारी कवि थे ?

उत्तर – अकबर

प्रश्न – खड़ीबोली गद्य का प्रारंभ किस कृति से माना जाता है ?

उत्तर – चन्द छन्द बरनन की महिमा

प्रश्न – खड़ीबोली में व्यवस्थित भाषा का प्रयोग सबसे पहले किया ?

उत्तर – रामप्रसाद निरंजनी

प्रश्न – खड़ीबोली गद्य की प्रामाणिक रचनाएँ कब से प्राप्त होती हैं ?

उत्तर – 17वीं शताब्दी

प्रश्न – खड़ीबोली गद्य का व्यवस्थित विकास कब से हुआ ?

उत्तर – 19वीं शताब्दी

प्रश्न – हिन्दी गद्य के उत्कर्ष का सूर्योदय काल था –

उत्तर – भारतेन्दु युग

प्रश्न – खड़ीबोली के गद्य का उन्नायक कौन है ?

उत्तर – मुंशी सदासुखलाल

प्रश्न – हिन्दी खड़ीबोली गद्य का जनक कौन है ?

उत्तर – भारतेंदु हरिश्चंद्र

प्रश्न – ‘चौरासी वैष्णवों की वार्ता’ किस की रचना है ?

उत्तर – गोकुलनाथ

प्रश्न – ‘वर्ण रत्नाकर’ किसकी रचना है ?

उत्तर – ज्योतिरीश्वर

प्रश्न – ‘वर्ण रत्नाकर’ किस भाषा में है ?

उत्तर – मैथिली

प्रश्न – ‘नासिकेतोपाख्यान’ किसकी रचना है ?

उत्तर – सदल मिश्र

प्रश्न – ‘प्रमसागर’ किसकी रचना है ?

उत्तर – लल्लू लाल

प्रश्न – ‘राजाभोज का सपना’ किसकी रचना है ?

उत्तर – राजा शिवप्रसाद ‘सितारेहिन्द’

प्रश्न – ‘भाषा योगवशिष्ठ’ किसकी रचना है ?

उत्तर – रामप्रसाद निरंजनी

प्रश्न – ‘रानी केतकी की कहानी’ किसकी रचना है ?

उत्तर – मुंशी इंशा अल्ला खाँ

प्रश्न – कौनसी हिन्दी गद्य की विधा नहीं है ?

उत्तर – खण्डकाव्य

प्रश्न – पं. लल्लूलाल किस कॉलेज में अध्यापक थे ?

उत्तर – फोर्ट विलियम कॉलेज

प्रश्न – वर्तमान युग में हिन्दी गद्य से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – खड़ोबोली

प्रश्न – भारतेन्दु हरिश्चंद का सहयोगी लेखक कौन था ?

उत्तर – बालकृष्णभट्ट, प्रतापनारायण मिश्र

प्रश्न – भारतेन्दु से पूर्व के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – सदासुखलाल

प्रश्न – भारतेन्दु के समकालीन लेखक कौन हैं ?

उत्तर – प. बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, किशोरीलाल गोस्वामी

प्रश्न – आधुनिक काल को गद्यकाल के नाम से किसने अभिहित किया ?

उत्तर – रामचंद्र शुक्ल

प्रश्न – द्विवेदी युग कब से कब तक था ?

उत्तर – 1900 से 1922 ई.

प्रश्न – ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना किसने की ?

उत्तर – श्यामसुन्दर दास

प्रश्न – ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना में किस किस का योगदान था ?

उत्तर – श्यामसुन्दर दास, रामनारायण मिश्र, शिवकुमार सिंह

प्रश्न – द्विवेदी युग का नामकरण किसके नाम पर किया गया ?

उत्तर – महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – भाषा परिमार्जन का कार्य किसने किया ?

उत्तर – महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – ‘सुखसागर’ किसकी रचना है ?

उत्तर – मुंशी सदासुखलाल

प्रश्न – ‘अष्टयाम’ के रचनाकार कौन हैं ?

उत्तर – नाभादास

प्रश्न – श्यामसुन्दर दास के बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया ?

उत्तर – रामचंद्र शुक्ल

प्रश्न – ‘बनारस अखबार’ के प्रकासक कौन हैं ?

उत्तर – राजा शिवप्रसाद

प्रश्न – हिन्दी साहित्य में छायावाद के बाद कौनसा युग प्रारंभ हुआ ?

उत्तर – प्रगतिवादी युग

प्रश्न – छायावादी गद्य के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – बाबू गुलाबराय

प्रश्न – ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ किसने लिखा ?

उत्तर – रामचंद्र शुक्ल

प्रश्न – जयशंकर प्रसाद किस युग से संबंधित हैं ?

उत्तर – शुक्ल युग

प्रश्न – कौनसे लेखक द्विवेदी युग और छायावादी युग दोनो से संबंधित हैं ?

उत्तर – बाबू गुलाबराय

प्रश्न – भारतेंदु युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – भारतेंदु हरिश्चंद्र

प्रश्न – भारतेंदु युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – प्रतापनारायण मिश्र

प्रश्न – भारतेंदु युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – बालकृष्ण भट्ट

प्रश्न – भारतेंदु युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – लाला श्रीनिवास दास

प्रश्न – भारतेंदु युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – अम्बिकादत्त व्यास

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – देवकीनन्दन खत्री

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – बाबू गुलाबराय

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – किशोरीलाल गोस्वामी

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – माधवप्रसाद मिश्र

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – चंद्रधर ‘गुलेरी’

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – शिवनन्दन सहाय,

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – लक्ष्मीप्रसाद,

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह,

प्रश्न – द्विवेदी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – विशंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’

प्रश्न – शुक्ल युग या छायावादी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – आचार्य रामचंद्र शुक्ल,

प्रश्न – शुक्ल युग या छायावादी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – बाबू गुलाबराय

प्रश्न – शुक्ल युग या छायावादी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – जयशंकर प्रसाद

प्रश्न – शुक्ल युग या छायावादी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – मुंशी प्रेमचंद

प्रश्न – शुक्ल युग या छायावादी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – हरिकृष्ण ‘प्रेमी’

प्रश्न – शुक्ल युग या छायावादी युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – आचार्य चतुरसेन शास्त्री

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – यशपाल

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – भगवतीचरण वर्मा

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – राजेंद्र यादव

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – इलाचंद्र जोशी

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – जैनेंद्र कुमार

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – विष्णु प्रभाकर

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग या छायावादोत्तर युग के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – उपेंद्रनाथ ‘अश्क’।

प्रश्न – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के गद्य लेखक कौन हैं ?

उत्तर – वासुदेव शरण अग्रवाल

प्रश्न – ‘हरिऔध’ का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर – अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

प्रश्न – हिन्दी का प्रथम नौटक कौनसा है ?

उत्तर – नहुष

प्रश्न – हिन्दी के प्रथम नौटककार कौन हैं ?

उत्तर – गोपालचंद्र गिरिधरदास

प्रश्न – भारतीय आचार्यों के अनुसार नाटक के कितने तत्व हैं ?

उत्तर – पाँच

प्रश्न – विषस्य विषमौषधम्’ हैं –

उत्तर – नाटक

प्रश्न – ‘चन्द्रावली’ किसकी रचना है ?

उत्तर – भारतेंदु हरिशचंद्र

प्रश्न – ‘वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति’ के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – भारतेंदु हरिशचंद्र

प्रश्न – ‘नीलदेवी’ किस विधा की रचना है ?

उत्तर – नाटक

प्रश्न – ‘लहरों के राजहंस’ किस काल का नाटक है ?

उत्तर – प्रसादोत्तर काल

प्रश्न – हिन्दी का पौराणिक नाटक है ?

उत्तर – गंगा का बेटा

प्रश्न – ‘सूतपुत्र’ किस विधा की रचना है ?

उत्तर – नाटक

प्रश्न – ‘लहरों के राजहंस’ किस विधा की रचना है ?

उत्तर – नाटक

प्रश्न – आधुनिक काल के प्रमुख नाटककार कौन हैं ?

जयशंकर प्रसाद

प्रश्न – हिन्दी के प्रमुख एकांकीकार कौन हैं ?

उत्तर – उपेंद्रनाथ ‘अशक’

प्रश्न – ‘एकांकी सम्राट’ के नाम से किसे जाना जाता है ?

रामकुमार वर्मा

प्रश्न – हिन्दी एकांकी का जनक किसे कहा जाता है ?

उत्तर – विष्णु प्रभाकर

प्रश्न – हिन्दी का पहला मौलिक उपन्यास कौन सा है ?

उत्तर – परीक्षा गुरु

प्रश्न – उपन्यास ‘मैला आँचल’ किसकी रचना है ?

उत्तर – फणीस्वर नाथ ‘रेणु’

प्रश्न – ‘अनामदास का पोथा’ किसकी रचना है ?

उत्तर – हजारीप्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – ‘गोदान’ किस विधा की रचना है ?

उत्तर – उपन्यास

प्रश्न – ‘तपोभूमि’ किस विधा की रचना ?

उत्तर – उपन्यास

प्रश्न – आधुनिक युग की महिला उपन्यासकार कौन हैं ?

उत्तर – मन्नू भण्डारी

प्रश्न – ‘निस्सहाय हिन्दू’ किसकी रचना है ?

उत्तर – राधाकृष्णदास

प्रश्न – ‘सौ अजान एक सुजान’ किसकी रचना है ?

उत्तर – बालकृष्ण भट्ट

प्रश्न – ‘प्रेमाश्रय’ किसकी रचना है ?

उत्तर – प्रेमचन्द

प्रश्न – ‘तट की खोज’ किसकी रचना है ?

उत्तर – हरिशंकर परसाई

प्रश्न – शुक्लोत्तर युग के उपन्यासकार हैं ?

उत्तर – यशपाल

प्रश्न – ‘भाग्यवती’ उपन्यास के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – श्रद्धाराम फुल्लौरी

प्रश्न – ‘सेवासदन’ किसकी रचना है ?

उत्तर – मुंशी प्रेमचन्द्र

प्रश्न – ‘पतितों के देश में’ किसकी रचना है ?

उत्तर – रामवृक्ष बेनीपुरी

प्रश्न – उपन्यास सम्राट के रूप में किसे जाना जाता है ?

उत्तर – प्रेमचन्द्र

प्रश्न – हिन्दी की प्रथम कहानी कौनसी है ?

उत्तर – इन्दुमती

प्रश्न – हिन्दी के प्रथम कहानीकार कौन हैं ?

उत्तर – किशोरीलाल गोस्वामी

प्रश्न – आंचलिक कहानी लिखने के लिए कौन प्रसिद्ध है ?

उत्तर – फणीश्वरनाथ ‘रेणु’

प्रश्न – निबन्ध साहित्य का प्रारंभ किस युग में हुआ ?

उत्तर – भारतेंदु युग

प्रश्न – युगप्रवर्तक निबन्ध लेखक हैं –

उत्तर – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवनकाल है –

उत्तर – 1864-1938 ई.

प्रश्न – हजारीप्रसाद द्विवेदी को पद्मभूषण से किस वर्ष सम्मानित किया गया ?

उत्तर – 1957 ई.

प्रश्न – रामचंद्र शुक्ल का निबन्ध संग्रह ‘चिंतामणि भाग-एक’ पहली बार किस नाम से प्रकाशित हुआ ?

उत्तर – विचार वीथी

प्रश्न – ‘इन्दु’ किस युग की कविता है ?

उत्तर – द्विवेदी युग

प्रश्न – राजनैतिक संस्मरणों के लिए प्रसिद्ध है –

उत्तर – कन्हैयालाल ‘प्रभाकर’

प्रश्न – रिपोर्ताज लिखने का प्रारंभ किस युग में हुआ ?

उत्तर – छायावादोत्तर काल

प्रश्न – हिन्दी का प्रथम यात्रावृत्त कौनसा है ?

उत्तर – सरयू पार की यात्रा

प्रश्न – यात्रावृत्त विधा की शुरुवात किस युग में हुई ?

उत्तर – भारतेंदु युग

प्रश्न – किस रचनाकार के निबन्ध प्रायः संस्मरणात्मक हैं ?

उत्तर – महादेवी वर्मा

हिंदी गद्य का विकास –

प्रश्न – सर्वाधिक यात्रावृत्त किस युग में लिखे गए ?

उत्तर – छायावादोत्तर युग

प्रश्न – डायरी विधा के लेखक कौन हैं ?

उत्तर – शमशेर बहादुर सिंह

प्रश्न – ‘बेकन विचारमाला’ किसका अनूदित ग्रंथ है ?

उत्तर – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – ‘The Mad Man’ का ‘पगला’ नाम से हिन्दी अनुवाद किसने किया ?

उत्तर – राय कृष्णदास

प्रश्न – ‘The Mad Man’ किसकी रचना है ?

उत्तर – खलील जिब्रान

प्रश्न – हिन्दी विधा ‘रेखाचित्र’ अंग्रेजी के किस शब्द का हिन्दी रूपांतरण है ?

उत्तर – स्केच (Sketch)

प्रश्न – रेखाचित्र के प्रसिद्ध लेखक कौन हैं ?

उत्तर – महादेवी वर्मा

प्रश्न – हिन्दी की नई विधा है –

उत्तर – संस्मरण

प्रश्न – हिन्दी के रेखाचित्रकार कौन हैं ?

उत्तर – महादेवी वर्मा

प्रश्न – छायोवादोत्तर काल की पत्रिका है –

उत्तर – कादम्बिनी

प्रश्न – काका कालेकर किस विधा के लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं ?

उत्तर – डायरी

प्रश्न – हिन्दी प्रदीप के सम्पादक कौन थे ?

उत्तर – भालकृष्ण भट्ट

प्रश्न – सम्पूर्णानन्द द्वारा सम्पादित पत्रिका कौनसी है ?

उत्तर – मर्यादा

प्रश्न – हिन्दी प्रदीप

प्रश्न – हिन्दी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली पत्रिका कौनसी है ?

उत्तर – सरस्वती

प्रश्न – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किस पत्रिका का सम्पादन किया ?

उत्तर – सरस्वती

प्रश्न – ‘सरस्वती पत्रिका के सम्पादक कौन थे ?

उत्तर – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न – कवि वचन सुधा के सम्पादक कौन थे ?

उत्तर – भारतेंदु हरिश्चंद्र

प्रश्न – हिन्दी की प्रथम डायरी है –

उत्तर – नरदेव शास्त्री वेदतीर्थ की जेल डायरी

प्रश्न – ब्राह्मण पत्रिका किस युग में प्रकाशित हुई ?

उत्तर – भारतेंदु युग

प्रश्न – ‘माधुरी पत्रिका’ किस युग से संबंधित है ?

उत्तर – द्विवेदी युग

प्रश्न – ब्राह्मण पत्रिका का प्रकाशन कहाँ से होता था ?

उत्तर – कानपुर

प्रश्न – प्रेमचंद्र किस पत्रिका के संपादक थे ?

उत्तर – हंस

प्रश्न – ‘राबर्ट नर्सिंह होम में’ की घटना का संबंध किस शहर से है ?

उत्तर – इंदौर

प्रश्न – वाराणसी में ‘भारत कला भवन’ नामक संग्रहालय की स्थापना किसने की ?

उत्तर – राय कृष्णदास

प्रश्न – ‘प्रजा हितैषी’ नामक समाचार पत्र किसने निकाला ?

उत्तर – राजा लक्ष्मणसिंह

प्रश्न – हिन्दी गद्य की नई चाल में किसने ढाला ?

उत्तर – सरस्वती पत्रिका

कबीर के दोहे

कबीर के दोहे (Kabir ke Dohe) : दोहों का अपने शुद्ध रूप में होना अति आवश्यक है। आज इंटरनेट पर लोग इधर उधर से कॉपी-पेस्ट करके जानकारी डाल देते हैं। लेकिन हमने मानक पुस्तकों से ही ये दोहे उठाए हैं। इसलिए ये अपने शुद्ध व सटीक रूप में हैं –

कबीर के दोहे –

बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलिया कोय।

जो दिल खोजा आपनो, मुझ-सा बुरा न कोय।।

कबीर के दोहे

दुर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय।

मुई खाल की स्वाँस सो, सार भसम ह्वै-जाय।।

कबीर के दोहे

मधुर बचन है औषधी, कटुक बचन है तीर।

स्त्रवन द्वार ह्वै संचरे, सालै सकल सरीर।।

कबीर के दोहे

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।

सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।।

कबीर के दोहे

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।

माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।।

कबीर के दोहे

जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं हम नाहिं।

प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहिं।

कबीर के दोहे

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि।

कबीर के दोहे

यहु ऐसा संसार है, जैसा सैंबल फूल।

दिन दस के ब्यौहार कौं, झूठैं रंग न भूलि।।

कबीर के दोहे

सतगुर हम सूँ रीझि करि, एक कह्या प्रसंग।

बरस्या बादल प्रेम का, भीजि गया सब अंग।।

कबीर के दोहे

राम नाम के पटतरे, देबे कौं कछु नाहिं।

क्या ले गुर संतोषिए, हौंस रही मन माँहि।।

यह तन काचा कुंभ है, लियाँ फिरै था साथि।

ढबका लागा फुटि गया, कछू न आया हाथि।।

कबीर के दोहे

भगति भजन हरि नाँव है, दूजा दुक्ख अपार।

मनसा बाचा कर्मनाँ, कबिरा सुमिरण सार।।

कबीर के दोहे

कबिरा चित्त चमंकिया, चहुँ दिसि लागी लाइ।

हरि सुमिरण हाथूँ घड़ा, बेगे लेहु बुझाइ।।

कबीर के दोहे

इहि औसरि चेत्या नहीं, पसु ज्यूँ पाली देह।

राम नाम जाण्या नहीं, अंति पड़ी मुख षेह।।

ग्यान प्रकास्या गुर मिल्या, सो जिनि बीसरि जाइ।

जब गोबिंद कृपा करी, तब गुरु मिलिया आइ।।

कबीर के दोहे

कबिरा कहा गरबियौ, देहीं देखि सुरंग।

बीछड़ियाँ मिलिबौ नहीं, ज्यूँ काँचली भुजंग।।

कबीर के दोहे

अंषड़ियाँ झाईँ पड़ी, पंथ निहारि-निहारि।

जीभड़ियाँ छाला पड्या, राम पुकारि-पुकारि।

कबीर के दोहे

माया दीपक नर पतँग, भ्रमि भ्रमि इवैं पड़त।

कहै कबीर गुर ग्यान थैं, एक आध उबरंत।।

कबीर के दोहे

झूठे सुख को सुख कहैं, मानत हैं मन मोद।

जगत चबैना काल का, कछु मुख में कछु गोद।।

कबीर के दोहे

कबिरा कहा गरबियौ, ऊँचे देखि अवास।

काल्हि पर्यूँ भ्वैं लोटणाँ, ऊपरि जामै घास।।

कबीर के दोहे

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