रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान (Chemistry)

‘रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान’ शीर्षक के इस लेख में रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संगठन व संरचना का अध्ययन किया जाता है। ‘रसायन विज्ञान’ कहलाती है। इसके अतिरिक्त विज्ञान की दो अन्य शाखाएं भौतिक विज्ञानजीव विज्ञान भी हैं। ‘लेवायसिये’ को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है। रसायन विज्ञान अर्थात ‘Chemistry’ शब्द की उत्पत्ति मिश्र के शब्द ‘कीमिया’ से हुई है, जिसका अर्थ है काला रंग।

आरंभ में रसायन विज्ञान के अध्ययन को ‘केमिटेकिंग’ कहा जाता था।

पदार्थ/द्रव्य –

  • विश्व की कोई भी चीज जो स्थान घेरती हो।
  • जिसका द्रव्यमान हो
  • अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाती है।

प्रकृति में अधिकांश पदार्थ तीन अवस्थाओं ठोस, द्रव व, गैस में ही पाये जाते हैं। जल पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में रह सकता है। पदार्थ की पांचवीं अवस्था प्लाज्मा और छठी बोस आइंस्टाइन कंडनसेट है। ताप व दाब में परिवर्तन कर पदार्थ की इन अवस्थाओं में परिवर्तन किया जा सकता है। परंतु सभी पदार्थों की अवस्था में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

ठोस – पदार्थ की वह अवस्था जिसका आकार व आयतन दोनो निश्चित हों, ठोस कहलाती हैं।

द्रव – वह पदार्थ जिसका आयतन निश्चित परंतु आकार अनिश्चित हो, द्रव कहलाता है।

गैस – वह पदार्थ जिसका न आयतन निश्चित हो और न ही आकार, गैस कहलाते है।

ऊर्ध्वपातन

किसी ठोस को गर्म करने पर पहले वह द्रव अवस्था में आता है उसके बाद गैस में परिवर्तित हो जाता है। परंतु कुछ पदार्थ गर्म करने पर ठोस से सीधे गैस अवस्था में परिवर्ति हो जाते हैं। ठोस से सीधे गैस में परिवर्तिन की यह प्रक्रिया ऊर्ध्वपातन कहलाती है।

खनिज – पृथ्वी की भूपर्पटी पर प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले तत्व व यौगिक को खनिज कहा जाता है।

अयस्क – वे खनिज जिनसे धातुओं को सुगमतापूर्वक एवं लाभकारी रूप में निकाला जाता है, वे अयस्क कहलाते हैं।

प्रमुख धातुएं व उनके अयस्क

धातुअयस्क
एल्युमिनियमबॉक्साइट,
एल्युनाइट,
क्रोयोलाइट,
कोरंडम,
काओलीन,
फ्ल्स्पार
लोहाहेमेटाइट
मैग्नेटाइट
लिमोनाइट
आयरनपायराइट
सिडेराइट
कैल्कोपाइरायट
कैल्शियमडोलोमाइट
जिप्सम
कैल्साइट
सिलिकेट/एस्बेस्टस
फलोरस्पार
कैल्शियम मैग्नेशियम
सोडियमचिली साल्टपीटर
बोरेक्स
ट्रोना
सोडियम क्लोराइड
मैग्नेशियममैग्नेसाइट
डोलोमाइट
कार्नेलाइट
कीसेराइट
इप्सम लवण
चाँदीरूबी सिल्वर
हार्न सिल्वर
पायरा गाइराइट
जिंकजिंक ब्लैंड
कैलेमाइन
जिंकाइट
ताँबाक्यूप्राइट
कॉपर ग्लांस
कॉपर पायराइट
यूरेनियमपिलब्लैंड
कार्नेलाइट
सोनाकाल्वेराइट
सिल्वेनाइट
पोटैशियमकार्नेलाइट
नाइटर
मैगनीजपाइरोल्युसाइट
सीलोमीलिन (मैंगनाइट)
स्ट्रांशियमस्ट्रांसियनाइट
सिलेस्टाइन
पारासिनेबार
निकेलमिलेराइट
क्रोमियमक्रोमाइट
कोबाल्टस्मेल्टाइट
लेडगैलेना
टिनकेसीटेराइट
बेरियमबेराइट
कैडमियमग्रीनोकाइट
बिस्मिथबिस्मुथईट
एण्टिमनीस्टिबनाइट

अणु – किसी भी तत्व व यौगिक का वह छोटे से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है, अणु कहलाता है।

परमाणु – किसी भी तत्व का वह छोटे से छोटा कण जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है, परंतु स्वतंत्र रूप में नहीं रह सकता परमाणु कहलाता है।

अपरूप – जिन पदार्थों के रासायनिक गुण समान और भौतिक गुण भिन्न होते हैं, अपरूप कहलाते हैं।

परमाणु क्रमांक – किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहा जाता है।

परमाणु द्रव्यमान – किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों और न्यूट्रानों की संख्या के योग को परमाणु क्रमांक कहा जाता है।

समस्थानिक

समान प्रोटानों की संख्या व भिन्न न्यूट्रानों की संख्या वाले तत्वों को समस्थानिक कहा जाता है। सर्वाधिक समस्थानिकों वाला तत्व पोलोनियम है।

समभारिक

समान परमाणु द्रव्यमान व भिन्न परमाणु क्रमांक वाले तत्वों को समभारिक कहा जाता है। मेंडलीफ की आवर्त सारणी में समस्थानिकों के लिए स्थान नहीं दिया गया।

समन्यूट्रानिक

न्यूट्रानों की समान संख्या वाले परमाणुओं को समन्यूट्रानिक कहा जाता है।

धातु

ऐसे तत्व (सिवाय हाइड्रोजन के) जो इलेक्ट्रान को त्यागकर धनायन प्राप्त करते हैं, धातु कहलाते हैं। ये विद्युत व ऊष्मा के सुचालक होते हैं।

प्रमुख मिश्रधातुएं व उनके अवयवों की प्रतिशत मात्रा

मिश्रधातुअवयवप्रतिशत अनुपात
पीतलताँबा+जस्ता70%+30%
काँसाताँबा+टिन90%+10%
जर्मन सिल्वरताँबा+जस्ता+निकेल60%+20%+20%
रोल्डगोल्डताँबा+एल्युमिनियम90%+10%
गन मेटलताँबा+जस्ता+टिन90%+2%+8%
डेल्टा मेटलताँबा+जस्ता+लोहा60%+38%+2%
टाँकाटिन+लेड67%+33%
मुंज मेटलताँबा+जस्ता60%+40%
डच मेटलताँबा+जस्ता80%+20%
मोनेल मेटलताँबा+निकेल70%+30%
रोज मेटलबिस्मथ+लेड+टिन50%+28%+22%
मैगनेलियमएल्युमिनियम+मैग्नीशियम95%+5%
टाइप मेटललेड+एंटिमनी+टिन82%+15%+3%
ड्यूरेलुमिनएल्युमिनियम+ताँबा+मैग्नीशियम+मैंगनीज95%+4%+.5%+.5%

यशदलेपन – लोहे व स्टील को जंग से बचाने के लिए उनपर जस्ते की परत चढ़ाई जाती है। लोहे व इस्पात पर जस्ते की परत चढ़ाने की इसी प्रक्रिया को यशदलेपन कहा जाता है।

नाइक्रोम – यह निकेल, आयरन व क्रोमियम की मिश्रधातु है। विद्युत हीटर की कंडली इसी की बनी होती है।

पॉलीथीन – यह एथिलीन गैस के उच्च ताप व उच्च दाब पर बहुलीकरण करने से प्राप्त होती है।

प्लास्टिक

रसायन विज्ञान प्लास्टिक

प्लास्टिक दो प्रकार की होती हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम। लाह प्राकृतिक प्लास्टिक का उदाहरण है।

कृत्रिम प्लास्टिक दो प्रकार ही होती हैं – थर्मोप्लास्टिक व थर्मोसेंटिंग प्लास्टिक।

थर्मोप्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम व ठंडी करने पर कठोर हो जाती है।

इसे फिर गर्म करो तो ये फिर मुलायम व ठंडी करने पर फिर कठोर हो जाती है, इसमें यह गुण सदैव विद्यमान रहता है।

परंतु थर्मोसेंटिंग प्लास्टिक को पहली बार गर्म करने पर वह मुलायम हो जाती है और ठंडी करने पर कठोर।

परंतु इसे पुनः गर्म करने पर यह मुलायम नहीं होती। अतः इसमें मुलायम होने की यह क्रिया बार बार नहीं होती।

रबड़

रबड़
रसायन विज्ञान

रबड़ भी दो प्रकार की होती हैं। प्राकृतिक व कृत्रिम रबड़। प्राकृतिक रबड़ आइसोप्रिन का बहुलक होती है।

नियोप्रीन व थाईकॉल संश्लिष्ट रबड़ के उदाहरण हैं। रबर आसानी से कार्बन डाईसल्फाइड में घुल जाता है।

प्राकृतिक रबड़ बहुत मुलायम होता है, इसे कठोर बनाने के लिए इसमें कार्बन मिलाया जाता है।

वाल्कनीकरण

प्राकृतिक रबड़ को सल्फर के साथ मिलाकर गर्म करने की क्रिया को वाल्कनीकरण के नाम से जाना जाता है।

बहुलीकरण

जब एक ही यौगिक के दो या अधिक अणु आपस में मिलकर एक भारी अणु बनातें हैं तो यह क्रिया बहुलीकरण कहलाती है।

इसमें बने उत्पाद को बहुलक (पॉलीमर) कहते हैं। स्टार्च व सेलुलोज प्राकृतिक बहुलक हैं।

तत्व (रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान)-

वह शुद्धतम पदार्थ जिसे किसी भी भौतिक व रासायनिक विधि से न तो दो या दो से अधिक अवयवों में विभक्त किया जा सकता है और न ही दो या दो से अधिक अवयवों के योग से बनाया जा सकता है।

पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रमुख तत्व व उनकी प्रतिशत मात्रा –

  • ऑक्सीजन – 46.60
  • सिलिकॉन – 27.72
  • एल्युमिनियम – 8.13
  • लोहा – 5
  • कैल्सियम – 3.60
  • सोडियम – 2.83
  • पोटेशियम – 2.59
  • मैग्नीशियम – 2.09
  • टिटेनियम – 0.44
  • हाइड्रोजन – 0.14

यौगिक

दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात के रासायनिक योग से बना हुआ पदार्थ यौगिक कहलाता है।

मिश्रण

दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों के किसी भी मात्रा के मेल से बने हुए पदार्थ को मिश्रण कहा जाता है।

इसे सरल विधि द्वारा फिर से पृथक किया जा सकता है। यह मिश्रण दो प्रकार का होता है – समांग मिश्रण व विषमांग मिश्रण।

मिश्रण को अलग करने की प्रमुख विधियां – आसवन विधि, भाप आसवन विधि, ऊर्ध्वपातन विधि, रवाकरण, आंशिक आसवन, वर्णलेखन विधि प्रमुख हैं।

कोयले के प्रकार

एंथ्रेसाइट कोयला, बिटुमिनस कोयला, लिग्नाइट कोयला, पीट कोयला।

अम्ल – वे यौगिक जिनमें हाड्रोजन प्रतिस्थाप्य के रूप में रहता है, अम्ल कहलाते हैं।

ये स्वाद में खट्टे होते हैं और इनका जलीय विलयन नीले लिटमस को लाल कर देता है।

भस्म – अम्ल से प्रतिक्रिया कर लवण व जल देने वाले पदार्थ को भस्म कहते हैं।

लवण – अम्ल व भस्म की प्रतिक्रिया से बने पदार्थ में जल व लवण होता है।

प्रमुख लवण

सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक), सोडियम कार्बोनेट (धाबन सोडा), सोडियम बाईकार्बोनेट (खाने का सोडा), सोडियम हाइड्राक्साइड (कास्टिक सोडा), पोटेशियम नाइट्रेट कुछ प्रमुख लवण हैं।

pH मान

किसी विलयन की अम्लीयता व क्षारीयता को जांचने के लिए उसके pH मान को देखा जाता है।

जिस विलयन का pH मान 7 से कम होता है वे अम्लीय और जिनका pH मान 7 से अधिक होता है वे विलयन क्षारीय कहलाते हैं।

परंतु वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम होने पर वह अम्लीय वर्षा कहलाती है।

मुह का pH मान 5.5 से कम होने पर दांतों का क्षय होने लगता है।

मानव शरीर में पाए जाने वाले प्रमुख तत्वों की प्रतिशत मात्रा

  • ऑक्सीजन – 65
  • कार्बन – 18
  • हाइड्रोजन – 10
  • नाइट्रोजन – 3
  • कैल्सियम – 2
  • फॉस्फोरस -1
  • पोटेशियम – 0.35
  • सल्फर – 0.25
  • सोडियम – 0.15
  • क्लोरीन – 0.15
  • मैग्नीशिमय – 0.05
  • लोहा – 0.004
  • अन्य तत्व – 0.046

वाष्पीकरण – क्वथनांक पर पदार्थ का ठोस से द्रव में बदलने की क्रिया वाष्पीकरण कहलाती है।

वाष्पन

क्वथनांक से कम ताप पर किसी पदार्थ का ठोस अवस्था से वाष्प में परिवर्तित होना वाष्पन कहलाता है।

क्वथनांक जितना कम होगा वाष्पना की प्रक्रिया उतनी ही अधिक होगी।

विलेय व विलायक – विलयन में जो पदार्थ अधिक मात्रा में होता है उसे विलायक व जो पदार्थ अपेक्षाकृत मात्रा में कम होता है उसे विलेय कहा जाता है।

नायलॉन (NyLon)

यह मानव द्वारा संश्लिष्ट प्रथम रेशा है।

इसका निर्माण पहली बार साल 1935 में ततपश्चात साल 1939 में उद्योगिक रूप में किया गया।

तब इससे औरतों के मोजे बनाकर इसका प्रयोग किया गया।

नायलॉन शब्द न्यूयॉर्क के Ny और London के Lon को मिलाकर बनाया गया है।

रेयॉन – ये सेलुलोज से बने कृत्रिम रेशे हैं।

हाइड्रोजन

इसके तीन समस्थानिक प्रोडियम, ट्राइटियम व, ड्यूटीरियम हैं।

ड्यूटीरियम के ऑक्साइड को भारी जल के रूप में जाना जाता है।

भारी जल की खोज यूरे व पाशबर्न ने वर्ष 1932 में की थी।

साधारण जल के करीब 7000 में से 1 भाग भारी जल का होता है।

ऑक्सीजन – इसके कुल ती स समस्थानिक होते हैं। ऑक्सीजन का अपरूप ओजोन है।

निष्क्रिय गैसें

हीलियम, रेडॉन, जीनॉन, निऑन, आर्गन व क्रिप्टान को निष्क्रिय गैस या उत्कृष्ट गैसों के रूप में जाना जाता हैं।

रेडॉन को छोंड़कर अन्य सभी गैसें वायुमंडल में पायी जाती हैं।

डायनामाइट

इसका अविष्कार अल्फ्रेड नोबेल ने साल 1867 में किया था।

नाइट्रोग्लिसरिन को लकड़ी के बुरादे जैसे किसी अक्रिय पदार्थ में अवशोसित करके बनाया जाता था।

परंतु आधुनिक डायनामाइट में नाइट्रोग्लिसरिन के स्थान पर सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है।

RDX

इसका पूर्ण नाम Research and Developed Explosive और रासायनिक नाम साइक्लो ट्राईमिथाइलीन ट्राईनाइट्रोमाइन है।

इसे प्लास्टिक बिस्फोटक के नाम से भी जाना जाता है।

इसका अविष्कार जर्मन वैज्ञानिक हेंस हेनिंग ने साल 1899 में किया था।

बारूद – इसका अविष्कार रोजर बैंकन ने पोटेशियम नाइट्रेट का प्रयोग कर किया था।

इसका पहला प्रयोग 1346 ई. में किया गया था।

विलयन के प्रकार

ठोस में ठोस का विलयन- मिश्रधातु (जैसे- पीतल, कांसा)

ठोस में गैस का विलयन- कपूर में वायु का विलयन

द्रव में ठोस का विलयन- पारा में लेड का विलयन

द्रव में द्रव का विलयन- जल में एल्कोहॉल का विलयन

ठोस में द्रव का विलयन- थैलियम में पारा का विलयन

गैस में द्रव का विलयन – बादल व कुहरा

द्रव में गैस का विलयन- जल में कार्बन डाईऑक्साइड का विलयन

गैस में ठोस का विलयन – धुआँ व वायु में आयोडीन

गैस में गैस का विलयन – वायु व गैसों का मिश्रण

रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान प्रमुख तथ्य –

  • सर्वाधिक इलेक्ट्रान बंधुता क्लोरीन की होती है।
  • सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मकता फ्लोरीन की होती है।
  • निष्क्रिय गैसों का गलनांक निम्न होता है।
  • नॉन स्टिकी वर्तन बनाने के लिए उनपर टेफ्लान की परत चढ़ाई जाती है।

– रसायन विज्ञान सामान्य ज्ञान लेख समाप्त।

भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान

‘भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान’ शीर्षक इस लेख में भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान की महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। न्यूटन को ‘भौतिकी का पिता’ कहा जाता है। भौतिक विज्ञान में द्रव्य तथा ऊर्जा और उसकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इसे अतिरिक्त रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान विज्ञान की दो प्रमुख शाखाएं हैं। किसी भौतिक राशि के मापन के निर्देशों को मात्रक कहा जाता है। मात्रक दो प्रकार के होते हैं – ‘मूल मात्रक’ और ‘व्युत्पन्न मात्रक’। 

विज्ञान शब्द से क्या तात्पर्य है ?

‘Science’ शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द Scientia से हुई है। इसका अर्थ है Knowledge (ज्ञान) या to Know (जानना)। अर्थात हमारे इस भौतिक संसार में जो भी घटित हो रहा है उसका क्रमबद्ध अध्ययन या Systematic Knowledge (व्यवस्थित ज्ञान) ही विज्ञान कहलाता है।

विज्ञान की शाखाएं –

विज्ञान की प्रमुख दो शाखाएं प्राकृतिक विज्ञान (Natural Science), और भौतिकीय विज्ञान (Physical Science) हैं। भौतिकीय विज्ञान के अंतर्गत भौतिकी (Physics), और रसायन विज्ञान (Chemistry) आते हैं। प्राकृतिक (Natural Science) विज्ञान के अंतर्गत जंतु विज्ञान (Zoology) और वनस्पति विज्ञान (Botany) आते हैं।

भौतिकी (Physics) –

विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत द्रव्य तथा ऊर्जा और उनकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, भौतिकी कहलाती है।

अध्ययन की सुविधा हेतु भौतिकी को आठ भागों में बांटा गया है –

  1. यांत्रिकी (Machanics)
  2. ध्वनि (Sound)
  3. ऊष्मा (Heat)
  4. प्रकाश (Light)
  5. विद्युत (Electricity)
  6. चुम्बकत्व (Megnetism)
  7. आधुनिक एवं परमाणु भौतिकी (Modern and Atomic Physics)
  8. इलेक्ट्रॉनिकी (Electronics)

भौतिक राशियों के SI मात्रक

भौतिक राशिमात्रकभौतिक राशिमात्रक
लंबाईमीटरबलन्यूटन
समयसेकेंडआयतनघन मीटर
तापकेल्विनऊर्जाजूल
द्रव्यमानकिलोग्रामदाबपास्कल
विद्युत धाराएम्पियरवेगमीटर/सेकेंड
ज्योति तीव्रताकैंडेलाविद्युत ऊर्जाकिलोवाट घंटा
गुप्त ऊष्माजूल/किग्रा.विशिष्ट ऊष्माजूल/किग्रा.
आवृत्तिहर्ट्जविद्युत धारिताफैराड
समतल कोणरेडियनज्योति फ्लक्स ल्यूमेन
घन/ठोस कोणस्टेरेडियनसंवेग/आवेगन्यूटन सेकेंड
पदार्थ का परिमाणमोलतरंग लंबाई मीटर
विभवांतरवोल्टखगोलीय दूरीप्रकाश वर्ष
चुम्बकीय प्रेरणगाउसविद्युत आवेशकूलम्ब
कार्यजूलकार्यन्यूटन मीटर
वायुमंडलीय दाबबारविद्युत प्रतिरोधओम
तरंगदैर्ध्यएंगस्ट्रमसमुद्र की गहराईफैदम
पराध्वनिक गतिमैकध्वनि तीव्रताडेसीबल
शक्तिवाटशक्तिजूल/सेकेंड
क्षेत्रफलवर्गमीटरघनत्वकिग्रा./घनमीटर
त्वरणवर्गमीटर/सेकेंडचालमीटर/सेकेंड
पृष्ठ तनावन्यूटन/मीटरचुम्बकीय क्षेत्रगॉस
गुरुत्वीय त्वरणवर्गमीटर/सेकेंडचुम्बकीय तीव्रताटेस्ला
ऊष्माजूलचुम्बकीय फ्लक्सवेबर, मैक्सवेल
लेंस की क्षमताडायऑप्टरजड़त्व आघूर्णकिग्रा वर्ग मीटर
विद्युत क्षेत्र तीव्रतान्यूटन प्रति कूलम्बश्यानतान्यूटन सेकेंड वर्ग मीटर
कोणीय वेगरेडियन/सेकेंडपृष्ठ तनावन्यूटन/मीटर

विज्ञान में भौतिक राशियां दो प्रकार की होती हैं-  सदिश राशि और अदिश राशि।

वे राशियां जिनमें परिमाण और दिशा दोनो होते हैं उन्हें सदिश राशि कहा जाता है।

जिन राशियों में सिर्फ परिमाण होता है और दिशा नहीं होती, उन्हें अदिश राशि कहा जाता है।

सदिश राशियों के उदाहरण – बल, वेग, विस्थापन, त्वरण, आवेग, संवेग।

अदिश राशियों के उदाहरण – कार्य, समय, ऊर्जा, ताप, चाल, दूरी, दाब, द्रव्यमान, आयतन, विद्युत धारा।

न्यूटन के गति विषयक नियम –

इन्होंने साल 1687 में अपनी पुस्तक प्रिंसिपिया में गति विषयक नियम दिये।

न्यूटन के गति विषयक प्रथम नियम को जड़त्व का नियम या गैलीलियो का नियम भी कहते हैं।

इसी नियम से बल की परिभाषा मिलती है।

इसके अनुसार कोई वस्तु तब तक अपनी पूर्व अवस्था में ही रहती है जब तक उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए।

न्यूटन के गति विषयक दूसरे नियम से बल का व्यंजन प्राप्त होता है।

न्यूटन के गति विषयक तीसरे नियम को क्रिया प्रतिक्रिया के नियम के रूप में जाना जाता है।

भौतिक उपकरण व उनके कार्य

उपकरणकार्य/उपयोग
अल्टीमीटरउड़ते हुए विमान की ऊँचाई नापने हेतु
अमीटरविद्युत धारा को मापना
ऑडियोमीटरध्वनि की तीव्रता मापना
ऑडियोफोनकान में लगाकर सुनने में सहायता के लिए प्रयुक्त
बैरोमीटरवायुदाब नापने
बाइनोक्यूलरदूर की वस्तु को देखने
कैलोरीमीटरऊष्मा की मात्रा ज्ञात करने
सिस्मोग्राफ भूकम्प का पता लगाने वाला यंत्र
रडारवायुयानों को संसूचित करने व स्थिति का पता लगाने
गाइरोस्कोपघूमती हुई वस्तुओं की गति नापना
पायरोमीटरदूर स्थित वस्तुओं का ताप ज्ञान करने
माइक्रोमीटरबेहद सूक्ष्म वस्तुओं को देखना
फैदोमीटरसमुद्र की गहराई नापने
ग्रेवीमीटरपानी की सतह पर तेल की उपस्थिति जांचना
माइक्रोमीटरबेहद छोटी चीजों को नापने का पैमाना
रेडियोमीटरविकिरण की माप करना
मेनोमीटरगैसों का दाब ज्ञात करना
कार्डियोग्रामहृदय गति नापने
हाइड्रोफोनपानी के अंदर ध्वनि तरंगों की गणना करना
हाइड्रोमीटरद्रवों का आपेक्षिक घनत्व नापना
हाइग्रोमीटरवायुमंडल में आर्द्रता नापना
स्पीडोमीटरवाहनों की गति दर्शाने वाला यंत्र
मेगाफोनध्वनि को दूरस्थ दे जाने का उपकरण
सबमेरीनपानी के अंदर चलने वाला जहाज
टेलिस्कोपदूर की बस्तुओं को देखने के लिए
थर्मोस्टेटताप को स्थिर रखने के लिए प्रयुक्त
टैकोमीटरमोटर वोट व वायुयान की गति नापने के लिए
ओडोमीटरपहिये द्वारा चली दूरी नापने
डिक्टोफोनअपने बात या आदेश को दूसरे को सुनाने के लिए रिकार्ड करने हेतु
एयरोमीटरवायु व गैस का भार तथा घनत्व ज्ञात करना
एनीमोमीटरहवा की गति व शक्ति नापना
बैरोग्राफवायुमंडलीय दाब में होने वाले परिवर्तन को मापना
अक्यूमुलेटरविद्युत ऊर्जा का संग्रहण करने हेतु
कारबुरेटरइंजन में पेट्रोल व हवा का मिश्रण बनाने हेतु
क्रोनोमीटरजलयानों पर समय का पता लगाने हेतु
साइक्लोट्रॉनआवेशित कणों को त्वरित करना
कम्पास बॉक्सदिशा का पता लगाने
बैलिस्टिक गैल्वेनोमीटरलघु धारा को नापने हेतु
डेनसिटीमीटरधनत्व ज्ञात करना
नमनमापीनमन कोण के मापन हेतु
फोनोग्राफध्वनिलेखन में प्रयुक्त
साइटोट्रोनकृत्रिम मौसम उत्पन्न करना
फोटो टेलिग्राफचित्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना
रेनगेजवर्षा नापने
स्फेरीमीटरगोलाकार वस्तु की त्रिज्या नापने

ग्रह की परिभाषा क्या है –

  • जिस पिण्ड का अपना गुरुत्वाकर्षण हो।
  • लगभग गोल आकृति प्राप्त कर चुका हो।
  • जो सिर्फ अपने तारे की ही परिक्रमा करता हो।
  • अपना निश्चित परिक्रमण पथ हो और किसी अन्य ग्रह के परिक्रमण पथ को न काटता हो।

उपग्रह – किसी ग्रह की परिक्रमा करने वाला पिण्ड।

गुरुत्व केंद्र – किसी वस्तु का वह केंद्र जिस पर समस्त भार कार्य करता है।

तरंग – तरंगें दो प्रकार की होती हैं – यांत्रिक और अयांत्रिक तरंगें।

वे तरंगें जिनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।

ये दो प्रकार की होती हैं – अनुप्रस्थ व अनुदैर्ध्य।

वे तरंगें जिनके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती, अयांत्रिक तरंगें या विद्युत चुम्बकीय तरंगें कहलाती हैं।

सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगें फोटॉन की बनी होती हैं।

विद्युत चुम्बकीय तरंगें

इसकी अवधारणा मैक्सवेल ने दी थी।

ये अनुप्रस्थ व उदासीन होती हैं, इनके पास संवेग होता है। इनकी चाल प्रकाश की चाल के समान होती है।

अवश्रव्य तरंगें– 20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति की तरंगों को अवश्रव्य तरंग कहा जाता है।

श्रव्य तरंगें – 20 हर्ट्ज से 20 हजार हर्ट्ज तक की आवृत्ति की तरंगों को श्रव्य तरंगें कहा जाता है।

पराश्रव्य तरंगें – 20 हजार हर्ट्ज से अधिक की आवृत्ति की तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है।

संतुलन के प्रकार – स्थायी संतुलन, अस्थाई संतुलन, उदासीन संतुलन।

प्रकाशवर्ष

बहुत अधिक दूरी को मापने के लिए प्रकाशवर्ष का प्रयोग किया जाता है।

यह दूरी की इकाई है, परंतु पारसेक प्रकाशवर्ष से भी बड़ी इकाई है।

वर्तमान में दूरी की सबसे बड़ी इकाई पारसेक ही है।

शक्ति – कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।

विद्युत सेल

विद्युत सेल दो प्रकार के होते हैं। प्राथमिक सेल व द्वितीयक सेल।

प्राथमिक सेलों में रासायनिक ऊर्जा सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

ये सेल एक बार ही प्रयोग में लाये जाते हैं।

द्वितीयक सेलों में पहले विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में ततपश्चात रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

इन सेलों को पुनः आवेशित करके प्रयोग में लाया जा सकता है।

क्वथनांक

द्रव एक निश्चित ताप पर वाष्प में बदल जाते हैं। वे जिस ताप बिंदु पर वाष्प में बदलते हैं उसे उनका क्वथनांक कहा जाता है।

संघनन – किसी निश्चित ताप पर वाष्प का द्रव में बदलना संघनन कहलाता है।

क्वथनांक व संघनन प्रायः बराबर होते हैं।

गलनांक – किसी ठोस का एक निश्चित ताप पर तरल में परिवर्तन हो जाता है।

जिस ताप पर कोई ठोस पदार्थ तरल में परिवर्तित होता है उस ताप बिंदु को उसका गलनांक कहते हैं।

अशुद्धि मिलाने से गलनांक घट जाता है।

हिमांक –

तरल पदार्थ एक निश्चित ताप पर ठोस अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं। व जिस ताप बिंदु पर ठोस अवस्था में परिवर्तित होते हैं उसे उनका हिमांक कहते हैं।

गलनांक व हिमांक प्रायः बराबर ही होते हैं।

गुरुत्वाकर्षण – पृथ्वी द्वारा किसी पिण्ड पर लगाया जाने वाला आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।

अपकेंद्रीय बल – 

जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार पथ पर चलती है तो केंद्र से बाहर की ओर एक बल कार्य करता है जिसे अपकेंद्रीय बल कहा जाता है।

अभिकेंद्रीय बल

जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार पथ पर चलती है तो भीतर केंद्र की ओर एक बल कार्य करता है, जिसे अभिकेंद्रीय बल कहा जाता है।

मौत का कुआँ इसी बल का उदाहरण है।

अभिकेंद्रीय बल प्राप्त करने के लिए ही सड़कों को मोड़ की जगहों पर बाहरी तरफ से थोड़ा ऊँचा बनाया जाता है।

बल आघूर्ण – किसी पिण्ड को एक अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्त को बल आघूर्ण कहते हैं।

ऊष्मा

केवल तापांतर के कारण एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित होने वाली ऊर्जा को ऊष्मा कहते हैं।

परम शून्य ताप – किसी भी वस्तु का न्यूनतम संभव ताप -273.15 डिग्री सेल्सियस हो सकता है।

इस ताप को ही परम शून्य ताप कहते हैं, इससे कम ताप नहीं पाया जा सकता।

पूर्ण विकिरण उत्तरमापी – इससे दूर स्थित अधिक ताप वाली वस्तुओं का ताप मापा जाता है।

इसके माध्यम से 800 डिग्री सेल्सियस से अधिक के ताप को ही मापा जा सकता है।

उत्तोलक

उत्तोलक के तीन बिंदु आलम्ब, भार व आयास होते हैं।

प्रथम श्रेणी के उत्तोलक में आलम्ब बीच में होता है।

द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक में भार बीच में होता है। तृतीय श्रेणी के उत्तोलक में आयास बीच में होता है।

प्रति चुम्बकीय पदार्थ – सोना, चाँदी, हीरा, ताँबा, जस्ता, बिस्मिथ, जल, नमक।

अनुचुम्बकीय पदार्थ – ऑक्सीजन, सोडियम, क्रोमियम, प्लैटिनम, एल्युमिनियम।

लौह चुम्बकीय पदार्थ – लोहा, इस्पात, कोबाल्ट, निकेल।

गोलीय दर्पण –

उत्तल दर्पण में बने प्रतिबिम्ब –

वस्तु की स्थिति प्रतिबिम्ब की स्थिति प्रतिबिम्ब की प्रकृति प्रतिबिंब का आकार
अनन्त पर फोकस पर काल्पनिक, सीधा वस्तु से काफी छोटा
ध्रुव तथा अनन्त के बीच दर्पण के पीछे ध्रुव तथा फोकस के बीच काल्पनिक, सीधा वस्तु से छोटा

अवतल दर्पण में बने प्रतिबिम्ब –

वस्तु की स्थितिप्रतिबिंब की स्थितिप्रतिबिंब की प्रकृति और आकार
अनन्त दूरी पर फोकस परवास्तविक, उल्टा, वस्तु से बहुत छोटा
अनन्त तथा वक्रता केंद्र के बीचफोकस तथा वक्रता केंद्र के बीचवास्तविक, उल्टा, वस्तु से छोटा
वक्रता केंद्र परवक्रता केंद्र परवास्तविक, उल्टा, वस्तु के बराबर
वक्रता केंद्र तथा फोकस के बीचवक्रता केंद्र तथा अनन्त के बीचवास्तविक, उल्टा, वस्तु से बड़ा
फोकस परअनन्त परवास्तविक, उल्टा, वस्तु से बड़ा
फोकस और ध्रुव के बीचदर्पण के पीछेआभासी, सीधा वस्तु से बड़ा

निकट दृष्टि दोष

इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति निकट की चीजें तो देख लेता है, परंतु दूर की वस्तुएं ठीक ने दिखाई नहीं देतीं।

इसके निवारण के लिए अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

दूर दृष्टि दोष – इस रोग से ग्रसित व्यक्ति दूर की वस्तुएं तो देख लेता है, परंतु पास की चीजें ठीक से नजर नहीं आती।

इस रोग के निवारण के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

जरा दृष्टि दोष – बुढ़ापे के कारण आँख की सामंजस्य क्षमता कम हो जाती है चली जाती है।

इसके कारण न दूर की चीजें नजर आती हैं न पास की।

इस रोग के निवारण के लिए द्विफोकसी लेंस या बाईफोकल लेंस या उभयातल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

अबिंदुकता या दृष्टि वैषम्यता – इस रोग से पीड़ित व्यक्ति क्षैतिज दिशा में तो ठीक से देख लेता है।

परंतु ऊर्द्ध्व दिशा में उसे नजर नहीं आता। इस रोग के निवारण के लिए बेलनाकार लेंस का प्रयोग किया जाता है।

संसंजक बल –

एक ही पदार्थ के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को लंसंजक बल के नाम से जाना जाता है।

आसंजक बल – दो भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच लगने वाला बल आसंजक बल कहलाता है। इसे बल के कारण दो वस्तुएं एक दूसरे से चपकती हैं।

कार्य – बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं। कार्य एक अदिश राशि है।

ऊर्जा

किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं।

गतिज ऊर्जा – किसी वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन्न हुई कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं।

ऊर्जा संरक्षण का नियम – ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है।

यह एक रूप से दूसरे में स्थानांतरित होती रहती है।

ऊष्मा संचरण

ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना ऊष्मा संचरण कहलाता है।

ठोस पदार्थों में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा होता है।

गैसों व द्रवों में ऊष्मा का संचरण संवहन प्रक्रिया के माध्यम से होता है।

संवहन विधि द्वारा ही हमारा वायुमंडल गर्म होता है।

ऊष्मा का संचरण तीन विधियों से हाता है – चालन, संवहन, व विकिरण।

ऊर्जा को रूपांतरित करने वाले उपकरण

उपकरणऊर्जा का रूपांतरण
डायनेमोयांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
विद्युत मोटरविद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
माइक्रोफोनध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
लाउडस्पीकरविद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा
सोलर सेलसौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
विद्युत सेलरासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
विद्युत बल्बविद्युत ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मा में
ट्यूब लाइटविद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में
मोमबत्तीरासायनिक ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मा में
सितारयांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में

भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान तथ्य –

  • C.G.S. पद्यति में बल का मात्रक ‘डाइन’ है।
  • C.G.S. पद्यति में कार्य का मात्रक ‘अर्ग’ है।
  • इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की – जे. जे. थॉमसन ने
  • प्रोटान की खोज किसने की – गोल्डस्टीन ने
  • न्यूट्रॉन की खोज किसने की – चैडविक ने
  • अश्व शक्ति भी शक्ति का मात्रक होता है यह नाम जेम्स वॉट द्वारा दिया गया है।
  • पृथ्वी का पलायन वेग कितना है – 11.2 किलोमीटर/सेकेंड
  • आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता।
  • घर्षण का कोई मात्रक नहीं होता।
  • श्यानता केवल गैसों व द्रवों का गुण है।
  • ताप बढ़ने पर द्रवों की श्यानता घट जाती है और गैसों की बढ़ जाती है।
  • एक आदर्श तरल की श्यातना शून्य होती है।
  • कान पर ध्वनि का प्रभाव 1/10 सेकेंड तक रहता है।

भौतिकी सामान्य तथ्य –

  • प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता व परावर्तक सतह के बीच न्यूनतम दूरी 16.6 मीटर होनी चाहिए।
  • संटीग्रेट पैमाने का नया नाम सेल्सियस पैमाना है।
  • पारा -39 डिग्री सेल्सियस पर और एल्कोहॉल -115 डिग्री सेल्सियस पर जमता है।
  • दो आवेशों को धनात्मक आवेश और ऋणात्मक आवेश का नाम बेंजामिन फ्रैंकलिन ने दिया।
  • विद्युत का सबसे अच्छा चालक चाँदी है, दूसरा ताँबा।
  • वोल्टीय सेल में ताँबे की छड़ (एनोड) और जस्ते की छड़ (कैथोड) का प्रयोग किया जाता है।
  • लेकलांश सेल में ताँबे की छड़ (एनोड) और कार्बन की छड़ (कैथोड) का प्रयोग किया जाता है।
  • जेनरेटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर काम करता है।
  • अस्थाई चुम्बक बनाने के लिए लोहा और स्थाई चुम्बक बनाने के लिए इस्पात/स्टील का प्रयोग किया जाता है।
  • सर्वाधिक वेधन क्षमता गामा किरणों की होती है।
  • सर्वाधिक आयनन क्षमता अल्फा किरणों की होती है।
  • आइंस्टीन जर्मनी मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक थे, इन्हे साल 1921 में नोबेल पुरस्कार मिला था।

भौतिक विज्ञान के प्रमुख शीर्षक –

यांत्रिकी, ध्वनि तथा द्रव्य के गुण, विमीय विश्लेषण, ऋजुरेखीय पथ पर गति, वृत्तीय गति, यांत्रिकी, कार्य, ऊर्जा तथा मशीनें, सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण, द्रवस्थैतिकी, वायुमण्डलीय दाब, सरल आवर्त गति, ध्वनि, डॉप्लर प्रभाव, प्रत्यास्थता, पृष्ठ तनाव, द्रवों का प्रवाह तथा श्यानता, ऊष्मा, कैलोरीमान, आर्द्रतामिति, ऊष्मा का संचरण, प्रकाश, ग्रहण, गोलीय दर्पण, प्रकाश का अपवर्तन, लेंस द्वारा प्रकाश का अपवर्तन, वर्ण विक्षेपण, प्रकाशिक यंत्र, विद्युत एवं चुम्बकत्व, विद्युत धारिता, विद्युत चालन, सरल परिपथ, विद्युत-चुम्बकत्व, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण, प्रत्यावर्ती धारा, इलेक्ट्रान भौतिकी, प्रकाश वैद्युत प्रभाव, परमाणु संरचना तथा स्पैक्ट्रमों की उत्पत्ति, एक्स किरणें, रेडियोएक्टिव, नाभिक की संरचना, नाभिकीय ऊर्जा, इलेक्ट्रानिकी के आधुनिक संप्रयोग, खगोलकी, कम्प्यूटर भौतिकी।

भौतिकी की खोजें व खोजकर्ता –

  • गति विषयक नियम – 1687 ई. में
  • परमाणु – जॉन डाल्टन ने 1808 ई. में
  • विद्युत चुम्बकीय प्रेरण – माइकल फैराडे ने 1831 ई. में
  • एक्स किरणें – विल्हेम राटजन ने 1895 ई. में
  • रेडियो एक्टिविटी – हेनरी बेकरल ने 1896 ई. में
  • इलेक्ट्रॉन – जे. जे. थॉमसन ने 1897 ई. में
  • रेडियम – मैडम क्यूरी 1898 ई. में
  • क्वांटम सिद्धांत – मैक्स प्लांक ने 1901 ई. में
  • सापेक्षता का सिद्धांत – अलबर्ट आइंस्टीन ने 1905 ई. में
  • परमाणु संरचना – नील बोहर व रदर फोर्ट ने 1913 ई. में
  • प्रोटॉन – पदरफोर्ड ने 1919 ई. में
  • रमन प्रभाव – सी. वी. रमन ने 1928 ई. में
  • न्यूट्रॉन – जेम्स चैडविक ने 1932 ई. में
  • परमाणु बम – ऑटो हॉन ने 1941 ई. में

विज्ञान शब्दावली –

परम शून्य ताप – किसी पदार्थ का वह न्यूनतम ताप जिससे कम ताप प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस ताप पर प्रत्येक गैस के अणु विराम अवस्था में होते हैं। इसका मान – 273.15° सेल्सियस होता है।

एक्यूपंक्चर – शल्य चिकित्सा की चायनीज पद्यति है।

एलगी – यह निम्न कोटि की वनस्पति होती है।

अमीबा – यह सबसे छोटा जीव होता है।

अल्फा किरण – यह हीलियम का नाभिक होता है।

एनाबायोसिस – यह जीवित जीवों में पायी जाने वाली अवस्था है। भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान

ब्लू आइस – शुद्ध बर्फ जिसमें जर्मस नहीं होते।

ब्यूरेट – यह काँच की टोंटी लगा उपकरण होता है।

कैटेलिस्ट – क्रिया में तेजी लाने हेतु यह रासायनिक पदार्थों में मिलाया जाता है।

क्लोरोफिल – पौधों में पाया जाने वाला हरा रंग।

कम्पोस्ट – सड़ी गली बेकार बस्तुओं से तैयार खाद कम्पोस्ट खाद कहलाती है।

कॉस्मिक रेंज – अंतरिक्ष से पृथ्वी को ओर आने वाले विद्युत आवेशित कण ही कॉस्मिक रेंज कहलाते हैं।

साइक्लोट्रोन – यह यंत्र कणों की ऊर्जा उत्पन्न करने की गति को बढ़ाता है।

डेलीक्वैंसेस – यह एक प्रकार का ठोस पदार्थ होता है। यह हवा में से आर्द्रता सोख लेता है।

डर्टी आइस – अंतरिक्ष के वायुमण्डल में पाए जाने वाले लौह कण से युक्त मीथेन व अमोनिया के जमे हुए ठोस कण हैं।

इको साउंडिंग – समुद्र में गहराई नापने की पद्यति है।

एफ्लोरसेंस – वे ठोस पदार्थ जो हवा में खुला छोड़े जाने पर अपने केलासन जल छोड़ देते हैं और बिखर जाते हैं। उनकी दशा को एफ्लोरसेंस कहा जाता है।

एन्जाइम – शरीर के अंदर पाये जाने वाले रासायनिक पदार्थ हैं। ये शरीर की रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं।

पलायन वेग – किसी पिंड की वह गति जिस गति से किसी पिंड को फेंकने पर वह पिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल जाए।

फंगस – यह सबसे छोटी वनस्पति है।

जीन – यह वंशानिक्रम का मात्रक है।

जर्मेनियम – यह एक धातु है।

होलोग्राफी – लेजर के माध्यम से त्रि-विमीय चित्र खींचने की पंद्यति है।

भौतिक विज्ञान प्रश्न उत्तर –

प्रश्न – भौतिक राशियां कौन कौन सी हैं ?

उत्तर – बल, चाल, दूरी, द्रव्यमान, लम्बाई, घनत्व, विद्युत धारा।

प्रश्न – अदिश राशियां कौन कौन सी हैं ?

उत्तर – समय, चाल, आयतन, कार्य, ताप, घनत्व, द्रव्यमान, विद्युत धारा।

प्रश्न – सदिश राशियां कौन कौन सी हैं ?

उत्तर – बल, बेग, विस्थापन, त्वरण, बल आघूर्ण, रेखीय संवेग, कोणीय विस्थापन, चुम्बकत्व तीव्रता, चुम्बकीय आघूर्ण, चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता, चुम्बकीय क्षेत्र प्रेरण, प्रवणता, चाल प्रवणता, विद्युत तीव्रता, विद्युत ध्रुवण, विद्युत ध्रुव आघूर्ण, विद्युत धारा घनत्व।

प्रश्न – मूल मात्रक किसे कहते हैं ?

उत्तर – भौतिक राशियों को व्यक्त करने वाले ऐसे मानक जो अन्य मात्रकों से स्वतंत्र होते हैं, मूल मात्रक कहलाते हैं। जैसे – समय, द्रव्यमान, लम्बाई।

प्रश्न – कार्य का मात्रक क्या है ?

उत्तर – जूल

प्रश्न – प्रकाशवर्ष किसकी इकाई है ?

उत्तर – दूरी

2 भौतिक विज्ञान

प्रश्न – पारसेक किसकी इकाई है ?

उत्तर – दूरी की

प्रश्न – डेसिबल किसकी इकाई है ?

उत्तर – ध्वनि प्रबलता

प्रश्न – अश्व शक्ति किसकी इकाई है ?

उत्तर – शक्ति की

प्रश्न – समुद्री मील किसकी इकाई है ?

उत्तर – दूरी की

प्रश्न – यंग प्रत्यास्थता गुणांक का SI मात्रक क्या है ?

उत्तर – न्यूटन प्रति वर्ग मीटर

प्रश्न – पदार्थ के संवेग और वेग के अनुपात से कौनसी भौतिक राशि प्राप्त होती है ?

उत्तर – द्रव्यमान

प्रश्न – शून्य में स्वसंत्र रूप से गिरने वाली वस्तु का वेग, बल, गति, त्वरण में से क्या समान रहता है ?

उत्तर – त्वरण

प्रश्न – रॉकेट किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?

उत्तर – संवेग संरक्षण

3 भौतिक विज्ञान –

प्रश्न – गाड़ी के अचानक ब्रेक लगने पर सबार न्यूटन के गति विषयक किस नियमानुसार आगे की ओर झुक जाते हैं ?

उत्तर – पहला नियम (जड़त्वा का नियम)

प्रश्न – पृथ्वी के किस स्थान पर पिण्ड का भार सर्वाधिक होगा ?

उत्तर – ध्रुवों पर

प्रश्न – 1 किलोग्राम राशि का भार कितना होता है ?

उत्तर – 9.8 न्यूटन

प्रश्न – जड़त्व आघूर्ण व कोणीय त्वरण का गुणनफल कितना होता है ?

उत्तर – टॉर्क

प्रश्न – बर्फ पर चना क्यों कठिन होता है ?

उत्तर – घर्षण की कमी के कारण
प्रश्न – पानी का घनत्व सर्वाधिक किस ताप पर होता है ?

उत्तर – 4 डिग्री सेल्सियस

प्रश्न – वस्तु की मात्रा बदलने पर क्या अपरिवर्तित रहता है ?

उत्तर – घनत्व

प्रश्न – समुद्र में प्लवन करते वक्त बर्फ का कितना हिस्सा समुद्र की सतह से ऊपर रहेगा ?

उत्तर – 1/9

प्रश्न – साबुन के बुलबुले के अंदर का दाब वायुमंडलीय दाब की अपेक्षा होता है ?

उत्तर – अधिक

प्रश्न – हाइड्रोजन से भरा रबड़ का गुब्बारा ऊपर जाकर क्यों फट जाता है ?

उत्तर – वायुमंडलीय दाब की कमी के कारण

प्रश्न – सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत है –

उत्तर – नाभिकीय संलयन क्रिया

प्रश्न – चाबी वाली घड़ी किस प्रकार की ऊर्जा से चलती है ?

उत्तर – स्थितिज ऊर्जा

प्रश्न – लोलक की कालावधि किस पर निर्भर करती है ?

उत्तर – लम्बाई पर

– भौतिक विज्ञान लेख समाप्त।

error: Content is protected !!