भारत में समाचार पत्रों का इतिहास

‘भारत में समाचार पत्रों का इतिहास’ शीर्षक के इस लेख में समाचार पत्रों के इतिहास की जानकारी दी गई है। भारत में प्रेस की स्थापना का श्रेय पुर्तगालियों को दिया जाता है। वर्ष 1684 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में ‘पहली प्रिंटिंग प्रेस’ बम्बई में स्थापित की। इसके बाद ‘समाचारपत्र व पत्रिकाएं’ छपना प्रारंभ हुईं। विलियम वोल्ट्स ने साल 1766 ई. में आधुनिक भारतीय प्रेस की शुरुवात की। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी ने इन्हें बापस ब्रिटेन भेज दिया।

बंगाल गजट –

इसके बाद जेम्स आगस्टस हिक्की ने 1780 ई. में  बंगाल गजट नामक प्रथम समाचार पत्र स्थापित किया।

यह भारत में प्रकाशित पहला समाचार पत्र था। इसका नाम ‘द् बंगाल गजट’ या ‘कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर’ था।

यह अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया जाता था। यह एक साप्ताहिक अखबार था।

साल 1782 ई. में इसे बंद कर दिया गया।

प्रारंभिक समाचार पत्र –

‘इंडिया गजट’ भारत में प्रकाशित दूसरा समाचार पत्र था। इसे नवंबर 1780 ई. में प्रकाशित किया गया। प्रारंभिक काल के समाचार पत्र एक दूसरे के पूरक हुआ करते थे। तब इनमें प्रतिस्पर्द्धा की भावना व्याप्त न थी। ये पत्र आज की भांति दैनिक न होकर साप्ताहिक या पाक्षिक हुआ करते थे। गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा साल 1816 ई. में प्रकाशित ‘बंगाल गजट’ किसी भारतीय द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित पहला समाचार पत्र था।

जेम्स सिल्क बर्मिंघम –

प्रेस के इतिहास में बर्मिंघम का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन्होंने प्रेस को जनता का प्रतिबिंब बनाया और प्रेस में सत्तापक्ष के विरुद्ध आलोचनात्मक दृष्टिकोण की भावना भरी। इन्होंने साल 1818 ई. में कलकत्ता जरनल का संपादन किया।

मराठा व केसरी –

साल 1881 ई. में आगरकर ने मराठा का अंग्रेजी भाषा में बम्बई से प्रकाशन प्रारंभ किया। इसी साल केलकर ने बम्बई से मराठी भाषा में केसरी का प्रकाशन प्रारंभ किया। इसके बाद इन दोनों समाचार पत्रों का प्रकाशन बालगंगाधर तिलक के हाथों में चला गया।

राजा राममोहन राय –

राष्ट्रीय प्रेस की स्थापना का श्रेय राजा राममोहन राय को ही जाता है। इन्होंने साल 1821 ई. में बांगला में संवाद कौमुदी का प्रकाशन किया। इसके बाद साल 1822 ई. में फारसी भाषा में मिरात उल अखबार का प्रकाशन किया। अखबार को इन्होंने समाज सुधार, धार्मिक समस्याओं व दार्शनिक विचारों का भी माध्यम बना दिया।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर –

साल 1859 ई. में ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘सोम प्रकाश‘ का प्रकाशन प्रारंभ किया। इस समाचार पत्र के माध्यम से इन्होंने नील आंदोलन में किसानों के हितों का जोरदार समर्थन किया। सोमप्रकाश की स्थापना के कुछ समय बाद इन्होंने हिंदू पैट्रियाट को भी ले लिया। क्रिस्टोदास पाल इस समाचार पत्र के सम्पादक थे। जिन्हें ‘भारतीय पत्रिकारिता का राजकुमार’ कहा जाता है।

वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट –

ईश्वरचंद्र विद्यासागर के सोमप्रकाश के विरुद्ध ही लार्ड लिटन ने ‘वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट – 1878’ पारित किया। मोतीलाल घोष ने अपनी बांग्ला भाषा की पत्रिका अमृतबाजार को इस एक्ट से बचाने के लिए 1878 में अंग्रेजी साप्ताहिक में परिवर्तित कर लिया।

ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित समाचर एजेंसियां –

भारतीयों के अतिरिक्त ब्रिटिश सरकार ने भी कुल चार समाचार एजेंसियों की स्थापना की।

ब्रिटिश सरकार द्वारा सर्वप्रथम साल 1860 ई. में ‘रायटर‘ नामक एजेंसी की स्थापना की गई।

इसके बाद साल 1905 ई. में एसोसिएट प्रेस ऑफ इंडिया की स्थापना की।

साल 1927 ई. में फ्री प्रेस न्यूज सर्विस की स्थापना की।

साल 1934 ई. में यूनाइटेड प्रेस ऑफ इंडिया की स्थापना की।

प्रेस संबंधी अधिनियम –

प्रारंभ में प्रेस संबंधी नियमों का अभाव था। अर्थात् ये प्रशासकों की दया पर निर्भर करते था। जो अंग्रेजी समाचार पत्र उनके विरुद्ध जाते थे, उनके सम्पादक को बापस ब्रिटेन भेज दिया जाता था। परंतु भारतीयों के साथ ऐसा नहीं कर सकते थे। बाद में ‘समाचारपत्र व पत्रिकाएं’ बड़ी मात्रा में छपने लगीं। इसलिए भारतीयों पर नियंत्रण रखने हेतु प्रेस संबंधी अधिनियमों को लाया गया। इसकी शुरुवात लार्ड वेलेजली के समय हुई। समाचारपत्र व पत्रिकाएं ।

  • समाचार पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम – 1799
  • अनुज्ञप्ति अधिनियम – 1823
  • अनुज्ञप्ति अधिनियम – 1857
  • पंजीकरण अधिनियम – 1867
  • देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम – 1878
  • समाचार पत्र अधिनियम – 1908
  • भारतीय समाचार पत्र अधिनियम – 1910
  • भारतीय समाचार पत्र (संकटकालीन शक्तियां) अधिनियम – 1931
  • समाचारपत्र (आपत्तिजनक विषय) अधिनियम – 1951

चार्ल्स मेटकॉफ –

कार्यवाहक गवर्नर चार्ल्स मेटकॉफ को भारतीय समाचार पत्रों के मुक्तिदाता के रूप में जाना जाता है। इन्होंने प्रेस संबंधी अनुज्ञप्ति अधिनियम – 1823 के नियमों को रद्द कर दिया।

समाचार पत्र व पत्रिकाएं

समाचार पत्र/पत्रिकाएंप्रकाशन वर्षप्रकाशक/संपादकभाषा/विवरण
बंगाल गजट1780 ई.जेम्स ऑगस्टस हिक्कीअंग्रेजी
इंडियन गजट1780 ई.बर्नार्ड मेसिंक व पीटर रीडअंग्रेजी
कलकत्ता गजट1784 ई.सरकारी सहायता सेअंग्रेजी
ओरिएंटल एडवर्टाइजर1784 ई.सरकारी सहायताअंग्रेजी
बंगाल जरनल1785 ई.थॉमस जॉन्सअंग्रेजी
मद्रास कुरियन1785 ई.रिचर्ड जॉनसन, हग बॉयडअंग्रेजी
बम्बई कुरियन1790 ई.ल्यूक एशबर्नरअंग्रेजी
एशियाटिक मिरर1794 ई.हार्ल्स के. ब्रुसअंग्रेजी
इंडिया हेराल्ड1795 ई.हम्परेजअंग्रेजी
मद्रास गजट1795 ई.आर. विलियमअंग्रेजी
द् टेलीग्राफ1796 ई.हॉल मेकेनलीअंग्रेजी
कलकत्ता मॉर्निंग पोस्ट1798 ई.आर्चीबाल्डअंग्रेजी
मिशनरी हेराल्ड1801 ई.टी. आर्मस्ट्रांगअंग्रेजी
द् समाचार प्रेस1812 ई.फर्दून जी मर्दबानगुजराती
बंगाल गजट1816 ई.गंगाधर भट्टाचार्यअंग्रेजी
दिग्दर्शन1818 ई.जे. सी. मार्शमैनबंगला
फ्रेंड ऑफ इंडिया1818 ई.जे. सी. मार्समैनअंग्रेजी
समाचार दर्पण1919 ई.जे. सी. मार्समैनबंगला
उदंड मार्तंड1826 ई.जुगल किशोरहिंदी
बम्बई दर्पण1832 ई.बाल शास्त्रीमराठी
द् टाइम्स ऑफ इंडिया1838 ई.टाइम्स ऑफ इंडिया प्रेसअंग्रेजी
न्यू इंडिया1848 ई.ऐनी बेसेंटअंग्रेजी
हिंदू पैट्रियाट1855 ई.हरिश्चंद्र मुखर्जीअंग्रेजी
लाहौर क्रॉनिकल1849 ई.मुंशी मो. अजीमअंग्रेजी
सोम प्रकाश1859 ई.ईश्वचंद्र विद्यासागरबंगला
नेशनल रिफार्मर1860 ई.प्रकाशक - केनोक्लास्ट(लंदन)
संपादक - जोसेफ बैंकर
अंग्रेजी
बंगाली1862 ई.सुरेंद्रनाथ बनर्जीबंगला
गुजरात मित्र1863 ई.प्रवीणकांत वी. रेशमवालागुजराती
नेटिव ओपीनियन1864 ई.वी. एन. मांडलिकअंग्रेजी
पायनियर1865 ई.जुलियन राबिन्सनअंग्रेजी
ज्ञान प्रदायनी1866 ई.नवीनचंद्र रायहिंदी
अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट1866 ई.सर सैयद अहमद खांअंग्रेजी-उर्दू
कविवचन सुधा1867 ई.भारतेंदु हरिशचंदहिंदी
मेल1867 ई.टी. ए. सुब्रम्ण्यमअंग्रेजी
अमृत बाजार पत्रिका1868 ई.मोतीलाल घोषबंगला
हरिश्चंद्र मैगजीन1872 ई.भारतेंदु हरिश्चंद्रहिंदी
मुस्लिम क्रॉनिकल1873 ई.-अंग्रजी
बिहार हेराल्ड1874 ई.-अंग्रेजी
स्टेट्समैन1875 ई.के. रंग हैरीअंग्रेजी
द् ट्रिब्यून1877 ई.सरदयाल सिंह मजीठियाअंग्रेजी
हिंदी प्रदीप1877 ई.बालकृष्ण भट्टहिंदी
अवध पंच1877 ई.मो. सज्जाद हुसैनउर्दू
द् हिंदू1878 ई.वीर राघवाचारीअंग्रेजी
बंगाली1879 ई.सुरेंद्रनाथ बनर्जीअंग्रेजी
सुरभि1880 ई.जोगेंद्रनाथ बोसबंगला
स्वदेश मित्रन1880 ई.सी. एस. नरसिम्हनतमिल
केसरी1881 ई.दे केसरी मराठा ट्रस्टमराठी
द् ट्रिब्यून1881 ई.आर. माधवन नायरअंग्रेजी
बंगवासी1881 ई.जोगेंद्र बोसबंगला
आवर कार्नर1883 ई.औरिक बेसेंटअंग्रेजी
एडवोकेट1886 ई.ए. सी. मजूमदार,
बिशन नारायण दर
अंग्रेजी
दीपिका1887 ई.पादरी विक्टर जेडनरिबेलिमलयालम
कैपिटल1888 ई.दिनेश बहलअंग्रेजी
इंडिया1890 ई.दादाभाई नौरोजीअंग्रेजी
मलयाला मनोरमा1890 ई.के. एम. मैथ्यूमलयालम
मद्रास लॉ जरनल1891 ई.के. शंकर नारायणअंग्रेजी
हिंदुस्तान स्टैण्डर्ड1899 ई.सच्चिदानंद सिन्हाअंग्रेजी
द् इंडियन रिव्यू1900 ई.ए. नटेशनअंग्रेजी
कृष्ण पत्रिका1902 ई.एम. सुब्रह्मण्यम शर्मातेलुगू व अंग्रेजी
द् मालाबार हेराल्ड1905 ई.जॉन मल्मपिल्लीअंग्रेजी
दुख निवारण1906 ई. सुखबीर सिंहपंजाबी
आंध्र पत्रिका 1908 ई.सर्वपल्ली साधाकृष्णनतेलुगू
कॉमर्स1910 ई.वाडीलाल डागलीअंग्रेजी
प्रताप1910 ई.गणेश शंकर विद्यार्थीहिंदी
केरल कौमुदी1911 ई.एम. एस. मणिमलयालम
अल हिलाल1912 ई.मौलाना अबुलकलाम आजादउर्दू
अल बिलाग1913 ई.अबुल कलाम आजादउर्दू
गदर1913 ई.लाला हरदयालहिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, गुरमुखी इत्यादि।
मद्रास स्टैंडर्ड1914 ई.ऐनी बेसेंटहिंदी
कामनवील1914 ई.ऐनीबेसेंटअंग्रेजी
न्यू इंडिया1914 ई.ऐनीबेसेंटअंग्रेजी
द् लीडर1918 ई.मदनमोहन मालवीयअंग्रेजी
द् सर्वेंट्स ऑफ इंडिया1918 ई.सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटीअंग्रेजी
द् यंग इंडिया1919 ई.महात्मा गाँधीअंग्रेजी
नवजीवन1919 ई.महात्मा गाँधीहिंदी, गुजराती
इंडिपेंडेंस1919 ई.मोतीलाल नेहरुअंग्रेजी
हिंदुस्तान टाइम्स1920 ई.के. एम. पणिक्करअंग्रेजी
मैन इन इंडिया1921 ई.सुरजीत सिंह सिन्हाअंग्रेजी
सोशलिस्ट1922 ई.एस. ए. डांगेअंग्रेजी
मिलाप1923 ई.रणवीर सिंहउर्दू
मातृभूमि1923 ई.के. पी. केशव मेननमलयालम
संदेश1923 ई.सी. एस. पटेलगुजराती
हिंदुस्तान टाइम्स1924 ई.के. एम. पणिक्करअंग्रेजी
इंडियन नेशन1930 ई.ब्रजनंदन आजादअंग्रेजी
प्रजा माता1931 ई.के. सिद्धरमनकन्नड़
देश1932 ई.अशोक कुमार सरकारबंगला
नवशक्ति1931 ई.पी. आर. बेहरेमराठी
हरिजन 1933 ई.महात्मा गाँधीअंग्रेजी, हिंदी, गुजराती
नव भारत1934 ई.रामगोपाल माहेश्वरीहिंदी
सह्याद्रि1935 ई.जे. एस. तिलकमराठी
स्वराज1936 ई.एन. वी. पारुलेकरगुजराती
इंकलाब1937 ई.खालिद अंसारीउर्दू
नेशनल हेराल्ड1938 ई.जवाहरलाल नेहरूअंग्रेजी
भारत मित्र1941 ई.बालमुकुंद गुप्तहिंदी
हिंदुस्तान1941 ई.मदनमोहन मालवीयहिंदी
हिंदुस्तान1941 ई.प्रतापनारायण मिश्रहिंदी
कामरेड1941 ई.मौलाना मुहम्मद अलीअंग्रेजी

भारत में समाचारपत्र व पत्रिकाएं – इतिहास

हमारे देश में समाचार पत्रों के इतिहास की शुरुवात यूरोरियन के भारत आगमन से मानी जाती है। 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुवात की। 1557 ई. में गोवा में ईसाई मिशनरियों द्वारा पहली पुस्तक छापी गई। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1684 ई. में अपनी पहली प्रिंटिंग प्रेस बम्बई में स्थापित की। 1766 ई. में कंपनी के असंतुष्ट अधिकारी विलियम बोल्ट्स ने अपने समाचार पत्र के माध्यम से कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स की नीतियों के विरुद्ध लिखा। अतः ब्रिटिश सरकार ने इन्हें बापस बुला लिया। भारत का पहला समाचार पत्र ‘द् बंगाल गजट’ था, जो 1780 ई. में जेम्स आगस्टस हिक्की द्वारा प्रकाशित किया गया।

भारत में स्वतंत्र एवं तटस्थ पत्रकारिता की शुरुवात जेम्स हिक्की व वर्किंघम ने ‘कलकत्ता जनरल’ के प्रकाशन से की। प्रेस का आधुनिक रूप बर्किंघम की ही देन है, इन्होंने प्रेस को जनता का प्रतिबम्ब बनाया। किसी भारतीय द्वारा प्रकाशित पहला अखबार ‘बंगाल गजट’ था। ये साल 1816 में गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा प्रकाशित किया गया। 1818 ई. में मार्शमैन ने बांग्ला में ‘दिग्दर्शन’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। भारत में राष्ट्रीय प्रेस की स्थापना का श्रेय राजा राममोहन राय को जाता है।

‘समाचारपत्र व पत्रिकाएं’ लेख समाप्त।

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता

‘सिंधु घाटी सभ्यता’ या ‘हड़प्पा सभ्यता’ (Indus valley Civilization) का नाम विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में आता है।

सैंधव सभ्यता की खोज

साल 1826 में पहली बार चार्ल्स मैसन ने हड़प्पा के टीलों का उल्लेख किया। साल 1853 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रथम डायरेक्टर कनिंघम को एक अंग्रेज ने हड़प्पा से प्राप्त एक वृषभ की आकृति वाली मोहर दी। इसी आधार पर कनिंघम ने इसी साल यहां पर उत्खनन शुरु किया और साल 1873 तक लगे रहे। परंतु वे इसके महत्व को न समझ सके और उनका अन्वेषण असफल रहा। साल 1921 में दयाराम साहनी की अध्यक्षता में यहाँ पुनः उत्खनन प्रारंभ हुआ।

हड़प्पाई स्थल, उत्खनन वर्ष व उतखननकर्ता

स्थलवर्षखोजकर्ताउत्खननकर्ताप्राप्तियाँ
हड़प्पा1921दयाराम साहनीदयाराम साहनी व माधोस्वरूप16 ताम्र भट्टियाँ, तांबे की इक्कागाड़ी, प्रसाधन केस, अभिलेखयुक्त मोहरें, गधे की हड्डियाँ, एच.आर. समाधि इत्यादि
मोहनजोदड़ो1922राखलदास बनर्जीराखलदास बनर्जीमलेरिया के साक्ष्य, मुहर पर सुमेरियन नावों का चित्र, चाँदी का प्राचीनतम साक्ष्य, शिलाजीत, अन्नागार, 20 खंभों वाला भवन, बहुमंजिला इमारतें, पुरोहित आवास, तांबे का हेयरपिन, कीलदार अभिलेख, 6 ईंट के भट्टे, कांसे की नर्तकी, पशुपति की मुहर, स्नानागार इत्यादि।
सुतकांगेडोर1927 व 1962आर. एल. स्टाइन
चन्हूदड़ो1931एन.जी. मजूमदारमैकेमनके बनाने का कारखाना, सौंदर्य प्रसाधन जैसे लिपिस्टिक, काजल, पाउडर, वक्राकार ईंटें, स्याही दवात इत्यादि, झूकर-झाकर संस्कृति के अवशेष, मिट्टी की पकी हुई नालियों के साक्ष्य।
कालीबंगा1953अमलानन्द घोषबी.बी.लाल, बी.के. थापरजुताई के साक्ष्य, लकड़ी की नाली, नक्काशीदार ईंटें, दुर्ग या किले का द्विभागीकरण, सात आयताकार यज्ञ विदियां, एक युग्म शवाधान, अंत्येष्टि संस्कार की तीनों विधियां, भूकंप का प्राचीनतम प्रमाण, मुहरों पर बांध की आकृति, दो मृणपट्टिकाएं, आक्रामक मुद्रा में वृषभ की मूर्ति, ऊँट की हड्डियां, बेलनाकार तंदूर, लेखयुक्त वर्तन, अण्डाकार कब्र, शल्य चिकित्सा के प्रमाण इत्यादि।
कोटदीजी1953फजल अहमद
रंगपुर1953-54एस.आर.रावरंगनाथ रावधान की भूसी, बाजरा, पीली मिट्टी...
रोपड़1953-56बी.बी. लालयज्ञदत्त शर्मामालिक के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य।
लोथल1955 व 1962एस.आर.रावरंगनाथ रावबंदरगाह, अग्नि वेदियां, फारस की खाड़ी प्रकार की मुहर, गोरिल्ला की मृणमूर्ति, ममी, 3 युग्म शवाधान, तांबे की मू्र्ति, लकड़ी का अन्नागार, घोड़े की लघु मृणमूर्ति, प्रशासकीय भवन, चालाक लोमड़ी की आकृति, हाँथी दांत का स्केल, रंगाई कुण्ड इत्यादि।
आलमगीरपुर1958भारत सेवक समाजयज्ञदत्त शर्मासूती कपड़ा (कपास)
बनावली1974रवींद्रनाथ सिंह विष्टमिट्टी का हल, अग्नि वेदियाँ, धावनपात्र इत्यादि।
धौलावीरा1990-91जे.पी. जोशीरवींद्रनाथ सिंह विष्टस्टेडियम या प्लेग्राउंड, पालिशदर श्वेत पाषाण खण्ड, सैंधव लिपि के 10 अक्षर, सूचनापट्ट अभिलेख, विशाल तालाब, नेवले की पत्थर की मूप्ति, राजसभा इत्यादि।
सुरकोटदा1964गजपति जोशीजगपति जोशीघोड़े की हड्डियां, कलश शवाधान, पत्थर की चिनाई वाले भवन इत्यादि।

हड़प्पा सभ्यता का नामकरण-

इस सभ्यता का खोजा गया पहला स्थल ‘हड़प्पा’ होने के कारण इस सभ्यता का नाम ‘हड़प्पा सभ्यता’ पड़ा। सर जॉन मार्शल ने इसे ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ के नाम से पुकारा। क्योंकि पहले इस सभ्यता के स्थल सिंधु व उसकी सहायक नदियों के निकट खोजे गए थे। यह सभ्यता ‘कांस्य युगीन’ सभ्यता मानी जाती है। क्योंकि कांसे के सर्वप्रथम प्रयोग का साक्ष्य यहीं से प्राप्त होता है। गार्डेन चाइल्ड ने इसे ‘प्रथम नगरी क्रांति’ कहा।

तिथि निर्धारण –

यह सभ्यता मिश्र व मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकालीन थी। सैंधव सभ्यता की तिथि का निर्धारण करना बेहद मुश्किल कार्य है। सभी विद्वानों ने इस पर अपनी अलग-अगल राय दी है। परंतु धर्मपाल अग्रवाल ने ‘कार्बन डेटिंग’ के आधार पर इसकी तिथि 2300 से 1700 ई.पू. तक की बताई है।

सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरें –

सभ्यता की मुहरें वर्गाकार, घनाकार, गोलाकार, व बेलनाकार थीं। यहाँ की आयताकार मुहरों पर सिर्फ लिपि और वर्गाकार मुहरों पर लिपि के साथ ही पशु की आकृति का भी अंकन पाया गया है। विभिन्न मुद्राओं पर वृक्षों का भी अंकन पाया गया है। वृक्षों में मुख्यतः पीपल और बबूल का अंकन प्राप्त हुआ है। सर्वाधिक मुहरें सेलखड़ी की बनी हैं। परंतु लोथल व देशलपुर से तांबें की मुहरें प्राप्त हुई हैं। सभ्यता से प्राप्त मुहरों में लगभग 68 प्रतिशत सिर्फ मोहनजोदड़ो से ही प्राप्त हुई हैं। इसके बाद करीब 19 प्रतिशत मुहरें हड़प्पा से प्राप्त हुई हैं। इस तरह 87 प्रतिशत मुहरें इन दोनों स्थलों से ही प्राप्त हुई हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरों पर अंकन –

मुहरों पर सर्वाधिक अंकन ‘पीपल वृक्ष’ का इसके बाद ‘एक श्रंगी पशु’ का मिलता है। यहां से प्राप्त मुहरों पर गाय, ऊट, व घोड़े का अंकन नहीं मिला है।

विदेशी व्यापार

वस्तु आयात स्थल
सोना ईरान, अफगानिस्तान, कर्नाटक
चाँदी ईरान, अफगानिस्तान, खेतड़ी(राजस्थान)
ताँबा खेतड़ी, ओमान, बलूचिस्तान
सीसा ईरान
लाजवर्द मेसोपोटामिया
टिन ईरान, अफगानिस्तान
गोमेद सौराष्ट्र
नीलरत्न बदख्शां (अफगानिस्तान)
फिरोजा ईरान
सेलखड़ी राजस्थान, गुजरात, बलूचिस्तान
हरित मणि दक्षिण भारत
शंख व कौड़ियां सौराष्ट्र (गुजरात), दक्षिण भारत

हड़प्पा या सिंधु घाटी में मानवों की प्रजातियां-

सभ्यता में चार प्रजातियों के लोग निवास करते थे। भूमध्यसागरीय (सर्वाधिक), प्रोटोआस्ट्रेलायड, मंगोलायड, व अल्पाइन। इस सभ्यता में नीग्रो प्रजाति के लोग नहीं रहते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल-

हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो, लोथल, कालीबंगा (राजस्थान), रोपड़, धौलावीरा, सुरकोटदा, मेहरगढ़, कोटदीजी, राखागढ़ी, बनावली, रंगपुर, आलमगीरपुर, माण्डी, हुलास।

  • सबसे पूर्व में अवस्थित स्थल – आलमगीरपुर
  • पश्चिम में अवस्थित स्थल – सुतकांगेडोर
  • सबसे उत्तर में अवस्थित स्थल – माण्डा
  • सबसे दक्षिण में अवस्थित स्थल – दायमाबाद

सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार –

वर्तमान परिपेक्ष में इस सभ्यता का विस्तार तीन देशों भारत, पाकिस्तान, व अफगानिस्तान में विस्तृत था। यह सभ्यता पूर्व से पश्चिम तक करीब 1600 कि.मी और उत्तर से दक्षिण तक 1400 कि.मी. के साथ कुल 1299600 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत थी।

अफगानिस्तान में इस सभ्यता के दो स्थल सोर्तुघई, व मंडीगाक हिंदुकुश पर्वत के उत्तर में खोजे गए।

पाकिस्तान में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो चन्हूदड़ो, कोटदीजी, सुतकांगेडोर इत्यादि।

हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि –

हड़प्पा सभ्यता की लिपि चित्रात्मक थी जिसे ‘बूस्ट्रोफेडन’ लिपि कहा गया है। इस लिपि में 64 मूल चिह्न और 250-400 अक्षर हैं। इस लिपि की जानकारी का प्रमुख स्त्रोत यहाँ की मुहरें हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण –

  • बाढ़ – मार्शल, मैके, व एस. आर. राव के अनुसार
  • मलेरिया – कनेडी के अनुसार
  • आर्य आक्रमण – गार्डेन चाइल्ड के अनुसार
  • जलवायु परिवर्तन – अमलानन्द घोष, व आरेल स्टाइन
  • पारिस्थितिकी असंतुलन – फेयर सर्विस
  • नदियों का मार्ग परिवर्तन – लैम्ब्रिक, माधोस्वरूप वत्स, व देल्स के अनुसार
  • भूतात्विक परिवर्तन व जलप्लापन – राइक्स, व एम. आर. साहनी।

सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएं व अवशेष –

  • हड़प्पा – शंख का बना बैल, स्त्री के गर्भ से निकलता हुआ पौधा, पीतल की इक्का गाड़ी, जौं व गेहूँ, ईंटों के वृत्ताकार चबूतरे।
  • मोहनजोदड़ो – नृत्य करती स्त्री की कांसे की मूर्ति, पुजारी(योगी) की मूर्ति, पशुपतिनाथ की प्रतिमा, महाविद्यालय भवन, कपड़े के साक्ष्य, घोड़े के दांत, कुम्भकारों के 6 भट्टे, सूती कपड़ा, हाथी का कपाल खंड, सीपी की पटरी, नर कंकाल।
  • चन्हूदड़ो – वक्राकार ईंटें, झूकर-झांकर संस्कृति के अवशेष।
  • लोथल – तीन युगल समाधियाँ, धान(चावल), बाजरे के साक्ष्य, घोड़े की मृणमूर्ति, बन्दरगाह, फारस की मोहरें इत्यादि।

 

  • कालीबंगा – जुते खेत, हवनकुण्ड या अग्निकुण्ड, ईंटों से बने चबूतरे, बेलनाकार मोहरें, अलंकृत ईंटें, बेलनाकार मोहरें, हवनकुण्ड, समाधियाँ।
  • बनवाली – खिलौना हल, सरसों का ढेर, तिल, अच्छे किस्म के जौं, सड़कें व नालियों के अवशेष, मातृदेवी की मृणमूर्ति, मनके, ताँबे के बाणाग्र, सेलखड़ी की महरें, पकाई हुई मोहरें, चर्ट के फलक, मनुष्य व पशु मूर्तियां।
  • सुरकोटता – घोड़े की हड्डियां, एक विशेष प्रकार की कब्रगाह।
  • रंगपुर – घान की भूसी, मृदभाण्ड, नालियाँ, पत्थर के फलक, कच्ची ईंटों के दुर्ग।
  • कोटदीजी – कांसे की चूड़ियां, वाणाग्र, धातुओं के औजार व हथियार।

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सैंधव सभ्यता से प्राप्त मातृदेवी की मूर्ति को पूजे जाने की बात किसने कही हैमार्शल ने
पालतू कुत्ते को मालिक के साथ दफनाये जाने के साक्ष्यरोपड़ से
धान (चावल) की खेती के प्राचीनतम साक्ष्यकोल्डिहवा से
संसार में मृदभांडों के प्रयोग के प्राचीनतम साक्ष्यचौपानीमांडो से
दक्षिण भारत में प्रयुक्त होने वाली पहली फसलरागी
हड़प्पा में किसी सभ्यता के दबे होने की बात सर्वप्रथम किसने कहीचार्ल्स मेसन
हड़प्पा सभ्यता की लिपि कैसी थीचित्राक्षर
मेसोपोटामिया की लिपि कैसी थीकीलनुमा
हड़प्पा सभ्यता के शहर नियोजित थे
मेसोपोटामिया सभ्यता के शहरअव्यवस्थित थे
NCERT के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का काल2500 से 1800 ई. पू.
पंजाब के मांटगुमरी (वर्तमान में शाहीवाल) जिले में अवस्थित शहरहड़प्पा
रावी नदी के वाएं तट पर अवस्थित शहरहड़प्पा
एक श्रंगी पशु आकृति वाली मुहर कहाँ से प्राप्त हुईमोहनजोदड़ो से
हाथी का कपाल खंडमोहनजोदड़ो से
सड़कों को पक्की करने का सभ्यता का एकमात्र उदाहरणमोहनजोदड़ो
किस हड़प्पाई स्थल से करीब 1200 मुद्राओं की प्राप्ति हुई हैमोहनजोदड़ो
अहमदाबाद में भोगवा नदी के किनारे खम्भात की खाड़ी में अवस्थित नगरलोथल
मुर्दों के नगर के रूप में किसे जाना जाता हैलोथल
तीन युग्मित समाधियां कहाँ से प्राप्त हुई हैंलोथल
ममी कहाँ से प्राप्त हुई हैंलोथल
साँप के चित्रण वाली मुद्रा कहाँ से प्राप्त हुई हैलोथल
कालीबंगा से आशय क्या हैकाली चूड़ियां
सात हवनकुंडों के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैंकालीबंगा
कपड़े में लिपटा उस्तरा कहाँ से प्राप्त हुआ हैकालीबंगा
सिक्के पर बकरी का अंकन किस स्थल से प्राप्त हुआ हैकालीबंगा
मैसोपोटामिया के किन स्थलों से हड़प्पाई मुहर मिलीसूसा व उर
एक श्रंगी आकृति वाली हड़प्पाई मुहर सीरिया के किस स्थल से मिलीहमा
सभ्यता का समाज चार वर्गों पर आधारित थायोद्धा, विद्वान, व्यापारी, श्रमिक
यहाँ पर चार प्रजातियों के लोग रहते थेभूमध्यसागरीय, प्रोटोऑस्ट्रेलायड, मंगोलाइड, व अल्पाइन
सभ्यता की मुहर पर किस जंगली पशु का चित्रण नहीं मिला हैशेर
सभ्यता की मुहरों पर किन पशुओं का चित्रण नहीं मिला हैऊँट व घोड़ा (परंतु इनकी हड्डयां मिली हैं)
साल 1929 में आमरी की खोज व खनन किसने कियामजूमदार ने
हड़प्पाई टीलों का सर्वप्रधम उल्लेख किसने कियाचार्ल्स मैसन
हड़प्पाई टीलों का सर्वप्रधम उत्खनन किसने कियाकनिंघम
इस सभ्यता पर अपने लेख को किसने एशियाटिक सोसाइटी में प्रतिवेदित किया थाजे. एफ. फ्लीट
साल 1921 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक कौन थेसर जॉन मार्शल
साल 1921 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के निदेशक कौन थेदयाराम साहनी
किस स्थल से सुरक्षा दीवार या किलेबंदी के साक्ष्य मिले हैंकोटदीजी
युग्म शवाधान के साक्ष्यकालीबंगा व लोथल से
मोहनजोदड़ो की खोज किसने की1922 में राखलदास बनर्जी ने
मोहनजोदड़ो जाने वाले पहले व्यक्ति कौन थेराखलदास बनर्जी ने
कोटदीजी की खोज व उत्खनन किसने कियाफजल अहमद
जम्मू कश्मीर में अवस्थित कौनसा स्थल चिनाव नदी पर अवस्थित थामाण्डा
सिंध के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दायें तट पर अवस्थित स्थलमोहनजोदड़ो
किस स्थल के मकानों से तंदूर के साक्ष्य मिले हैंकालीबंगा
आलमगीरपुर, हुलास, मांडी, व बड़गाँवउत्तर प्रदेश
कालीबंगा, बालाथल व सोथीराजस्थान
वणावली, कुणाल, व राखीगढ़ीहरियाणा
हड़प्पा के व्यापार का चौराहा किसे कहा जाता हैसुतकांगेडोर
धौलावीरा, रंगपुर, सुरकोटदा, देसलपुर, लोथल, रोजदि, शिकारपुर, कुन्तासीगुजरात
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्खनित पहला स्थलरोपड़
स्वतंत्रता के बाद सर्वाधिक स्थलों का उत्खनन किस राज्य में हुआगुजरात
किस स्थल का अंत दो भयंकर अग्निकांडों से हुआकोटदीजी, कालीबंगा
तीनों कालों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थलधौलावीरा, सुरकोटदा, माण्डा, राखीगढ़ी, वणावली
सभ्यता का सर्वाधिक संकेंद्रण किस घाटी में थासरस्वती/घग्घर घाटी
हड़प्पा के उत्खनन से संबंधित लोगसर जॉन मार्शल, दयाराम साहनी, व माधवस्वरूप वत्स
तोरण द्वार का नगर व अर्द्ध औद्योगिक नगरहड़प्पा
सभ्यता के लिए किसने 'वृहत्तर सिंधु सभ्यता' नाम का सुझाव दियाए. आर. मुगल
हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, चन्हूदड़ो, धौलावीरा, कालीबंगा, व बनावलीइन सात स्थलों को नगर की संज्ञा दी गई है
सिंधु सभ्यता को किसने प्रथम नगरीय क्रांति कहागार्डेन चाइल्ड
सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल कौनसा हैआलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश)
सभ्यता का सबसे पश्चिमी स्थल कौनसा हैसुतकांगेडोर
सभ्यता का सबसे उत्तरी स्थल कौनसा हैमांडा (जम्मू कश्मीर)
सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल कौनसा हैदायमाबाद (महाराष्ट्र)
सोथी संस्कृति के मृदभांडों की खोज किसने कीअमलानन्द घोष
हाथी के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए हैंरोजदि (गुजरात)
मुओं का भाटा (मृतकों का टीला), रेगिस्तान का बगीचा, व स्तूपों का शहरमोहनजोदड़ो
चाँदी का प्राचीनतम साक्ष्य कहाँ से मिलामोहनजोदड़ो से
चांदी का कलश व शिलाजीत कहाँ से पाया गयामोहनजोदड़ो
मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारती संरचना कौनसी हैअन्नागार
मलेरिया का प्राचीनतम साक्ष्य कहाँ से मिलामोहनजोदड़ो से
जुते हुए खेत के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैंकालीबंगा से
एक युगम शवाधान की प्राप्ति कहां से हुई हैकालीबंगा
तीन युगम शवाधानों की प्राप्ति कहां से हुई हैलोथल
सुमेरियन नावों के चित्रांकन वाली मोहर किस स्थान से प्राप्त हुई हैमोहनजोदड़ो से
कौनसा नगर बाढ़ के कारण सात बार उजड़ा और बसामोहनजोदड़ो
किस स्थल का मिश्र व सीरिया के साथ सीधा व्यापार होता थालोथल
ममी व फारस की खाड़ी प्रकार की मोहर कहां से प्राप्त हुई हैलोथल
20 खंभो वाला सभा भवन कहाँ पर मिला हैमोहनजोदड़ो
ताँबे की हेयरपिन कहाँ से प्राप्त हुई हैमोहनजोदड़ो से
जालीदार जुताई के साक्ष्य कहां पर मिले हैंकालीबंगा
कुत्ता, खरगोश, बैल व, बत्तख की ताँबे की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुई हैलोथल से
कौनसा स्थल सरस्वती (घग्घर) नदी के किनारे स्थित थाकालीबंगा
कौनसा स्थल मनहर व मानसेहरा नदियों के बीच स्थित थाधौलावीरा
लकड़ी की नाली के साक्ष्य कहाँ पर मिले हैंकालीबंगा
सभ्यता की तीसरी राजधानी किसे कहा गया हैकालीबंगा
मनके बनाने का कारखाना कहाँ से प्राप्त हुआ हैचन्हूदड़ो
लघु हड़प्पा या लघु मोहनजोदड़ो की संज्ञा किसे दी जाती हैचन्हूदड़ो
सभ्यता की सबसे बड़ी इमारती संरचना कौनसी हैलोथल बंदरगाह
कालीबंगा में उत्खनन किसकी अध्यक्षता में हुआबी. के. थापर व बी. बी. लाल
झूकर झाकर संस्कृति के अवशेष कहाँ से मिले हैंचन्हूदड़ो से
राजसभा का साक्ष्य किस स्थल से प्राप्त हुआ हैधौलावीरा से
हाथी दांत का स्केल कहां से प्राप्त हुआ हैलोथल से
स्नानागार की सीढ़ियां किस दिशा में बनी थींउत्तर व दक्षिण
घोड़े की हड्डियां किस हड़प्पाई स्थल से प्राप्त हुई हैंसुरकोटदा से
मिट्टी का हल कहाँ से प्राप्त हुआ हैबनावली से
पक्की ईंट की नालियों का साक्ष्य कहाँ से मिला हैचन्हूदड़ो से
भारत में अवस्थित सबसे बड़ा हड़प्पाई स्थलराखीगढ़ी
किस स्थल से नेवले की पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई हैधौलावीरा से
किस स्थल से चाँदी का मुकुट प्राप्त हुआकुणाल से
पंचतंत्र की चालाक लोमड़ी की आकृति कहां से प्राप्त हुई हैलोथल से
किस स्थल को समृद्ध लोगों का शहर कहा जाता हैबनावली
पत्थर की चुनाई वाले भवनों के साक्ष्यसुरकोटदा से
यज्ञ की सात आयताकार वेदियां कहाँ से मिलीकालीबंगा से
भूकंप का प्राचीनतम प्रमाण कहाँ से मिलता हैकालीबंगा से
अंतिम संस्कार की तीनों विधियों के साक्ष्य कहाँ से मिले हैंकालीबंगा से
कहाँ से प्राप्त मुहरों पर बाँध की आकृति मिलती हैकालीबंगा
किले या दुर्ग का द्विभागीकरण कहाँ से मिला हैकालीबंगा से
कौनसा हड़प्पाई स्थल हिंडन नदी पर अवस्थित थाआलमगीरपुर
कार्बन डेटिंग के आधार पर सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण किसने कियाधर्मपाल अग्रवाल
कार्बन डेटिंग के आधार पर हड़प्पा सभ्यता की कालावधि कितनी मानी गई है2300 ई. पू. से 1700 ई. पू.
ऊँट की हड्डियां कहाँ से प्राप्त हुईकालीबंगा से
सभ्यता की लिपि कौनसी थीबूस्ट्रोफेडन लिपि
सभ्यता के नगरों का निर्माण किस पद्यति के आधार पर हुआ थाचेसबोर्ड या ग्रिड पद्यति
मिट्टी की खिलौना नाव कहां से प्राप्त हुई हैलोथल से
कौनसा स्थल गुजरात में मादर नदी पर अवस्थित थारंगपुर
कौनसा स्थल साबरमती व भोगवा के संगम पर अवस्थित थालोथल
बैल की आक्रामक मुद्रा की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुईकालीबंगा से
ताँबे का श्रंगारदान कहाँ से मिला हैउर से
दिल्मुन की पहचान किसके रूप में की गई हैबहरीन द्वीप
सभ्यता की सबसे प्राचीन स्त्री की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुई हैमेहरगढ़
कछुआ, मछली व, घड़ियाल की मृणमूर्तियां कहां से मिली हैंहड़प्पा
मालिक के साथ बकरी को दफनाने के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैंलोथल से
अपवादस्वरूप किस एक स्थल से नहरों के साक्ष्य मिले हैंशोर्तघई
सीप उद्योग का केंद्रलोथल व बालाकोट
कौनसा क्षेत्र लाजवर्द मणि के लिए प्रसिद्ध थाबदख्शा (अफगानिस्तान)
सभ्यता वासियों को किस धातु का ज्ञान नहीं थालोहा
किन स्थलों से खोपड़ी की शल्य चिकित्सा के साक्ष्य मिले हैंकालीबंगा, व लोथल
वाट किस पत्थर के बने होते थेचर्ट
गड्ढे खोदने के साक्ष्य कहाँ से मिले हैं ?बुर्जहोम, व रंगपुर
बुर्जहोम कहाँ है ?कश्मीर
रंगपुर कहाँ है ?गुजरात
भारत में प्रयोग की जाने वाली पहली धातु कौनसी थी ?तांबा
हड़प्पा वासियों को किसकी जानकारी नहीं थी ?वैज्ञानिक तरीके से बनाई गई मेहराब।
मोहनजोदड़ो में सड़कों की चौंड़ाई कितनी थी ?13.5 से 33 फुट
हड़प्पा वासियों को किसकी जानकारी नहीं थी ?कुएं पर पुल्ली
मेसोपोटामिया की सुमेरियन भाषा को किस भाषा से प्रतिस्थापित किया ?अक्काडियन (अक्कदी)
मेसोपोटामिया के लोग हड़प्पा सभ्यता को किस नाम से जानते थे ?मेलुहा (मोहनजोदड़ो)
मेसोपोटामिया को इतिहास में किस अवधि को प्राथमिक राज्य गठन का युग माना जाता है ?उरुक काल
हरियाणा में स्थित हड़प्पाई स्थल कौन कौनसे हैं ?राखीगढ़ी, बनावली, मिताथल, रिसवल
हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु आर्य आक्रमण का सिद्धांत किसने दिया ? मार्टिन व्हीलर
मिट्टी की 274 मुहरें किस प्राचीन स्थान से मिली हैं ?बसाढ़
एक मानव अस्थि पंजर के पास एक बकरे का अस्थि पंजर किस स्थल से प्राप्त हुआ है ?मोहनजोदड़ो
सात अग्नि कुण्ड किस स्थान से प्राप्त हुए हैं ?कालीबंगा
कौनसा हड़प्पाई स्थल भूकंप के आरंभिक साक्ष्य को दर्शाता है ?कालीबंगा
किस स्थल से अग्निपूजा के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ?कालीबंगा
पकी मिट्टी का पैमाना (स्केल) कहाँ से प्राप्त हुआ है ?कालीबंगा
मजदूरों के मकानों के अवशेष कहाँ से मिले हैं ?हड़प्पा
कहाँ से प्राप्त मुहर पर बाघ से लड़ता हुआ व्यक्ति अंकित है ?मोहनजोदड़ो
मिट्टी के रथ का नमूना कहाँ से मिला है ?राखीगढ़ी
समाधि आर-37 और समाधि एच कहाँ प्राप्त हुई हैं ?हड़प्पा
ताम्रनिधियां आर्यों की कर्तव्य हैं यह किसका कथन है ?एच. गेल्डर्न
किस हड़प्पाई स्थल से मध्यनगर का प्रमाण मिला है ?कालीबंगा
किस पशु का अंकन हड़प्पाई मुहरों पर नहीं हुआ है ?गाय
सर्वाधिक सैंधव स्थल किस नदी के तट पर मिले हैं ?घग्घर (सरस्वती) नदी
सिंधु सभ्यता की लिपि की जानकारी प्राप्त होती है ?मुहरों से
सैंधव सभ्यता कैसे ज्ञात हुई ?उत्खनन से
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या थी ?नगर नियोजन
गोदीबाड़ा के साक्ष्य किस हड़प्पाई स्थल से प्राप्त हुए हैं ?लोथल
एक युगल शवाधान की प्राप्ति किस स्थल से हुई है ?कालीबंगा
तीन युगल शवाधान की प्राप्ति किस स्थल से हुई है ?लोथल

– हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता।

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