विज्ञान : वरदान या अभिषाप (Vigyan Vardan Ya Abhishap) – विज्ञान के वरदान, विज्ञान का सदुपयोग, विज्ञान के लाभ और हानियाँ, विज्ञान और मानव कल्याण, विज्ञान वरदान भी और अभिशाप भी, विज्ञान और आधुनिकता, विज्ञान के बढ़ते कदम, विज्ञान की देन, विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ।
रूपरेखा –
(1) – प्रस्तावना, (2) विज्ञान वरदान के रूप में – संचार के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, परिहवन के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में, उद्योग के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में, आम रहन-सहन में। (3) – विज्ञान एक अभिशाप के रूप में। (4) – उपसंहार।
प्रस्तावना –
विज्ञान ने जहाँ एक ओर मानव जीवन को बहुत सी सहूलियतें प्रदान की हैं। वहीं दूसरी ओर विनाश के साधनों को भी विकसित किया है। ऐसी स्थिति में यह विचारणीय हो जाता है कि आखिर विज्ञान मानव कल्याण में किस हद तक उपयोगी है। आझ विज्ञान को वरदान माना जाए या अभिशाप के रूप में देखा जाए।
विज्ञान : वरदान के रूप में –
आज विज्ञान ने मानव जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी वस्तुओं को सृजित किया है। जिसके कारण आज मानव का जीवन वेहद आसान लगने लगा है। आज बड़े-बड़े कार्य जिनमें महीनों या सालों लगते थे। विज्ञान के आविष्कारों के चलते बेहद कम समय और कम लोगों को लगाकर आसनी से संपन्न किये जा सकते हैं।
परिवहन के क्षेत्र में विज्ञान –
विज्ञान के आविष्कारों ने जैसे परिवहन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। पहले जहाँ लोग घोड़े, गधे, बैलगाड़ी इत्यादि के माध्यम से परिवहन करते थे। जिनमें बहुत अधिक समय लगता था। आज सड़क, रेल, जहाज और हवाई जहाज के माध्यम से बेहद कम समय में हम ये सभी कार्य संपन्न कर सकते हैं। पहले के समय में लंबी यात्राओं में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। ये विज्ञान की ही देन है कि आज मानव पृथ्वी ही नहीं अपितु चांद पर भी कदम रख चुका है।
संचार के क्षेत्र में –
संचार व्यवस्था किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था की भी नींव होती है। प्राचीन काल से ही युद्धनीति में भी इसका अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान था। लेकिन तब संचार का संचालन घोड़ों के माध्यम से किया जाता था। लेकिन वर्तमान में टेलीग्राफ, टेलीफोन, ईमेल, फैक्स, टैलेक्स, मोबाइन फोन, इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाओं के माध्यम से क्षण भर में सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। वहीं रेडियो और टेलिविजन के माध्यम से किसी भू सूचना को पल भर में दुनिया भर में प्रसारित किया जा सकता है। क्योंकि देश या राष्ट्र पर आयी किसी भी मुसीबत के समय संचार व्यवस्था का मजबूत होता अत्यंत आवश्यक है। इनकी अनदेखी से एक क्षेत्र के आपातकाल में होने से दूसरे स्थानों तक मदद या सतर्कता हेतु सूचना पहुँचाना पहुँचायी जा सकती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में –
चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वरदान सिद्ध हुआ है। प्रचीनकाल में जहाँ लोगो सही चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण जान से हाथ धोने पड़ते थे। वहीं आज विज्ञान के चिकित्सा क्षेत्र को इतना विकसित कर दिया है कि आज लगभग हर बीमारी का निदान व इलाज संभव हो पाया है। आज तमाम तरह के मानव विकारों से राहत दिलाने के इक्यूपमेंट्स उपलब्ध हैं।
कृषि के क्षेत्र में –
कृषि के क्षेत्र में तो विज्ञान ने जैसे क्रांति ही ला दी हो। दुनिया भर में पहले कृषि कार्य बैलों व मानव श्रम के माध्यम से ही होती थी। वहीं आज कृषि कार्यों के विभिन्न चरणों को सुलभ बनाने के लिए तमाम तरह के यंत्र उपलब्ध हैं। जिनसे कृषि कार्य न केवल सरल व सुलभ हुआ है। बल्कि उत्पादन का अधिशेष प्राप्त करना भी संभव हो पाया है। आज कृषि की बुआई से लेकर कटाई यहाँ तक कि उत्पादन के वहन तक के कार्यों में विज्ञान के उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है।
उद्योग के क्षेत्र में विज्ञान –
आज विभिन्न प्रकार के उद्योगों का कार्य पूर्ण व आंशिक रूप से वैज्ञानकि आविष्कारों के माध्यम से किया जा रहा है। आज इनमें विभिन्न प्रकार की मशीनों व उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे पहले की अपेक्षा उत्पादन में भारी मात्रा में वृद्धि दर्ज की गई है।
दैनिक जीवन में विज्ञान की देन –
आज के दैनिक जीवन में प्रयोग किये जाने वाले बल्ब, फोन, मोटरसाइकिल, टीवी, फ्रिज, पंखा, कूलर, एसी से लेकर हर सामान्य व प्रमुख वस्तु विज्ञान की ही देन है। इन सभी के उपयोग से मानव जीवन बेहद सरल व सुलभ सा हो गया है। आज किसी भी चीज के लिए हमें महीनों या सालों तर इंतजार नहीं करना पड़ता। आज हम हर पल देश-दुनिया से जुड़ाव महसूस करते हैं। इन सभी के प्रयोग से समय व धन दोनों की बचत होती है।
विज्ञान : एक अभिशाप के रूप में
जहाँ एक ओर विज्ञान हमारे लिए वरदान साबित हुआ। वहीं दूसरी ओर इसके विध्वंसकारी आविष्कारों के कारण इसे अभिशाप भी माना जाता है। परमुणा हथियार इसके सबसे विध्वंशक व विनाशकारी आविष्कारों में में आते हैं। विज्ञान ने मनुष्य के हाथों में अपार शक्ति तो दे दी लेकिन उसके प्रयोग का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। विज्ञान प्रदत्त इन शक्तियों का प्रयोग आज रचनात्मक कार्यों के साथ विनाशकारी कार्यों के लिए भी किया जा रहा है।
उपसंहार –
विज्ञान का वास्तविक उद्देश्य मानव हित व मानव कल्याण करना है। यदि विज्ञान अपने इन उद्देश्यों की पूर्ति में सफल नहीं हुआ तो आवश्यकता है कि मानव इसका परित्याग कर दे।