भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption

भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay on Corruption) : भारत में भ्रष्टाचार | एक राष्ट्रीय समस्या के रूप में | देश में भ्रष्टाचार के बढ़ते कदम | भ्रष्टाचार उन्मूलन |भ्रष्टाचार के कारण व निवारण | भ्रष्टाचार एक अभिशाप।

रूपरेखा –

(1) प्रस्तावना (भ्रष्टाचार का अर्थ)

(2) भ्रष्टाचार के विविध रूप – (क) रिश्वत, (ख) भाई-भतीजावाद, (ग) कमीशन, (घ) यौन शोषण।

(3) भ्रष्टाचार के कारण – (क) महंगी शिक्षा, (ख) लचर न्याय व्यवस्था, जन जागृति का अभाव, (घ) विलासितापूर्ण आधुनिक जीवनशैली, (ड़) जीवन मूल्यों का हृास व चारित्रिक पतन।

(4) भ्रष्टारचार दूर करने क उपाय – (क) कठोर कानून, (ख) जन आंदोलन, (ग) पारदर्शिता, (घ) निशुल्क उच्च शिक्षा, (ड़) नैतिक मूल्यों की स्थापना, (च) कार्य स्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा व संरक्षण।

प्रस्तावना –

भ्रष्टाचार शब्द संस्कृत भाषा के भ्रष्ट और आचार शब्दों से मिलकर बना है। भ्रष्ट का अर्थ है अपने स्थान से गिरा हुआ या विचलित। वहीं आचार से आशय आचरण या व्यवहार से है। इस प्रकार किसी व्यक्ति द्वारा उसकी गरिमा व नैतिक मूल्यों से गिरकर अपने कर्तव्यों के विपरीत किया गया आचरण भ्रष्टाचार कहलाता है।

भ्रष्टाचार के विविध रूप –

आज भ्रष्टाचार इतना व्यापक हो गया है किस इसके विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। जिन्हें आसानी से वर्गीकृत किया जा सकता है, जो कि निम्न हैं –

रिश्वतखोरी –

यह भ्रष्टाचार का सबसे आम/प्रचलित रूप है। जो कि देश के लगभग सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। किसी कार्य के लिए प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा अपने ही कर्तव्य को करने या उसमें नियमों को ताख पर रखकर बदलाव करने के लिए लिया गया धन या धन का कोई भी स्वरूप रिश्वत कहलाता है। यह देश की एक आम समस्या सी बन गई है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगी जिसने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी मोड़ पर किसी को रिश्वत न दी हो। रिश्वतखोरी के कारण सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें पात्रों को मिलने वाले लाभ चंद रिश्वत लेकर कुपात्रों को प्रदान कर दिये जाते हैं। वर्तमान समय की यह एक बेहद गंभीर समस्या है।

भाई-भतीजावाद –

यह भी वर्तमान समय में भ्रष्टाचार का एक प्रचलित रूप है। इसमें किसी पद या धन लाभ की लालसा में व्यक्ति अपने कुपात्र रिश्तेदारों को योग्यता की अनदेखी कर रिक्त पद, लाभ व सुविधा प्रदान कर देता है।

कमीशन –

किसी विशेष सेवा या सौदे में किसी सक्षम व्यक्ति या अधिकारी द्वारा सौदे की संपूर्ण धनराशि का एक निश्चित भाग लेकर विधि विरुद्ध या नियमों की अनदेखी कर कार्य किया जाता है। यह कार्य जिस कीमत पर किया जाता है वह कमीशन कहलाता है। वर्तमान समय में प्राइवेट, अर्द्धसरकारी या सरकारी ठेके इत्यादि अधिकांश कमीशन के आधार पर की बांटे जा रहे हैं। कमीशन के खेल में नीचे से ऊपर तक सभी लिप्त हैं और इसमें सभी का हिस्सा होने का दावा करते हैं। जो कि काफी हद तक सही भी है। क्योंकि इससे संबंधित लगभग सभी व्यक्ति खामोशी से इसे बढ़ावा देने में योगदान दे रहे हैं।

यौन शोषण –

वर्तमान समय में यह भ्रष्टाचार का सबसे घिनौना रूप है। जहाँ किसी लाचार स्त्री से धन या रिश्वत के स्थान पर उसके शरीर की डिमांड की जाती है। इसमें सक्षम व्यक्ति किसी को अनुचित लाभ पहुँचाने के बदले उसका यौन शोषण करता है। यह बहुत सारे सरकारी, अर्द्धसरकारी व प्राइवेट सेक्टर के कार्यालयों व संगठनों में देखने को मिलता है। आजकल बहुत से नेता, अभिनेता, अधिकारी और बाबा इन कार्यों में लिप्त हैं। जिनमें से कई अपने कृत्यों के फलस्वरूप जेल की सलाखों के पीछे पहुँच चुके हैं।

भ्रष्टाचार के कारण –

वैसे तो भ्रष्टाचार के अनेक कारण विद्यमान हैं। उनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्न हैं –

महँगी शिक्षा –

शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है। शिक्षा के माध्यम से ही बालक के नैतिक मूल्यों का निर्माण होता है। लेकिन वर्तमान समय में शिक्षा के व्यवसायीकरण के चलते ये अत्यधिक महँगी हो गई है। जिस कारण हर किसी को उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती और अशिक्षा या निम्न तबके की शिक्षा औऱ जागरूकता में कमी भ्रष्टाचार का मूल कारण है। दूसरी ओर जो एक व्यक्ति शिक्षा में बहतु अधिक धन लगाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करता है तो वह स्वयं भी उससे धनार्जन करने की कोशिश करता है। जिससे उसकी शिक्षा में लगे पैसे को वह जल्द से जल्द पूरा कर सके। जिसके लिए वह अनुचित कृत्य करने लगता है। यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुवात होती है। फिर वह भ्रष्टाचार के दलदल में और अधिक फसता चला जाता है।

लचर न्याय व्यवस्था –

देश की लचर (लचीली) न्याय व्यवस्था भ्रष्टाचार का मूल कारण है। इसके माध्यम से रसूखदार व्यक्ति भ्रष्टाचार करने पर भी कानूनी दाव पेंच का सहारा लेकर बच जाता है। वहीं एक आम आदमी पीड़ित होने पर भी इसमें फंस जाता है। इसके बाद लोगों की ऐसी मानसिकता बन जाती है कि जिसके पास करोड़ों-अरबों रुपये का धन होगा उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यही मानसिकता लोगों को भ्रष्टाचार कर पैसा कमाने के लिए प्रेरित करती है।

जन जागृति का अभाव –

देश की एक बड़ी जनसंख्या अपने ही अधिकारों से अनभिज्ञ है। जिसका लाभ उठाकर प्रभावशाली लोग उनका शोषण करते हैं। आम जनता आसानी से उनके शोषण का शिकार होती रहती है। जन जागृति के अभाव में वे लोग इसका विरोध करने में स्वयं को अक्षम पाते हैं।

विलासितापूर्ण आधुनिक जीवनशैली –

आधुनिक समय की विलासितापूर्ण जीवनशैली ने लोगों को अत्यधिक प्रभावित किया है। लेकिन ऐसी जीवनशैली व्यतीत करने के लिए अत्यधिक धन की आवश्यकता होती है। अतः अपनी धन की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए व्यक्ति अनुचित कार्यों का सहारा लेता है। इस प्रकार विलासितापूर्ण जीवनशैली भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।

जीवन मूल्यों का हृास व चारित्रिक पतन –

आज व्यक्ति के जीवन मूल्यों का इतना ह्रास हो गया है कि उसे उचित व अनुचित मे फर्क ही पता नहीं चलता। जीनव मूल्यों के इस ह्रास ने  व्यक्ति को संवेदनहीन बना दिया है। एक संवेदनहीन, मूल्यहीन व दुश्चरित्र व्यक्ति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।

भ्रष्टाचार दूर करने क उपाय –

आज भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है। इसे जड़ से समाप्त कर पाना बेहद मुश्किल है। परंतु इसको समाप्त करने के प्रयास किये जा सकते हैं और इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उपाय –

कठोर कानून –

कठोर कानून बनाकर भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है। सर्फ कानून बनाना ही नहीं बल्कि उनको कठोरता व समानता से सभी पर लागू करना भी आवश्यक है। अन्यथा फिर प्रभावशाली लोग इसका दुरुपयोग करेंगे। इसलिए कानून बनाने के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाए कि वह समान रूप से सभी पर लागू है। जब सभी को पता होगा कि हर भ्रष्टाचारी कानून के दायरे में है और भ्रष्टाचार करने पर जेल जाएगा। तो कोई भी भ्रष्टाचार करने की हिम्मत नहीं करेगा। दण्ड का भय जब तक नहीं होता तब तक लोग भ्रष्टाचार में लिप्त रहेंगे।

जन आंदोलन –

यह भ्रष्टाचार को रोकने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। इसके माध्यम से लोगों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों से अवगत कराकर उन्हें भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रेरित किया जा सकता है। जिससे काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है। समाज सेवी अन्ना हजारे द्वारा चलाया गया आंदोलन इसी राह में एक अहम कड़ी था।

पारदर्शिता –

भ्रष्टाचार हमेशा Under the Table और बंद कमरों में गोपनीयता के आधार पर होता है। अतः देश व जनहित के सभी कार्यों में पारदर्शिता लाकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। सूचना का अधिकार इस दिशा में उठाया गया एक अहम कदम था। इसे व्यापक बनाने के लिए इसका पर्याप्त प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है। भ्रष्टाचार पर निबंध ।

निशुल्क उच्च शिक्षा –

पूरे देश में सभी युवाओं को निशुल्क उच्च शिक्षा देकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। वर्तमान में 14 वर्ष तक की आयु के बालकों को राज्य की ओर से निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। परंतु उच्च शिक्षा और गुणवत्ता की शिक्षा अभी निशुल्क उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिस दिन ऐसा होगा, भ्रष्टाचार में काफी हृास होगा। भ्रष्टाचार पर निबंध ।

नैतिक मूल्यों की स्थापना –

व्यक्ति में नैतिक मूल्यों की स्थापना कर भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है। इसके लिए घर, परिवार और शिक्षक वर्ग को पहले स्वयं फिर दूसरों को इसके लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार पर निबंध ।

कार्य स्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा व संरक्षण –

प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसके कार्यस्थल पर सुरक्षा व संरक्षण की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। जिससे वह निडर होकर ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके। क्योंकि आज भी बहुत से ईमानदार लोग हैं जो ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहते हैं। लेकिन प्रभावशाली व गुंडा प्रवृत्ति के लोग उनको डरा धमकाकर अनुचित कार्य के लिए दबाव बनाते हैं। हालांकि महिला कर्मियों के कार्य स्थल पर शारीरिक शोषण से बचाव संबंधित कानून बनाया गया है। लेकिन इसे व्यापक स्तर पर प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार पर निबंध ।

भ्रष्टाचार के बारे में –

  • भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ क्या है – भ्रष्ट आचरण
  • अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है।
  • भ्रष्टाचार मे व्यक्ति सरकारी या किसी की निजी संपत्ति का शोषण करता है।
  • भारत समेत कई अन्य विकासशील देशों में तेजी से फैल रहा है।
  • वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है।
  • किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत अधिक हानि होती है।
  • देश में भ्रष्टाचार आम नागरिकों के अत्यंत घातक और देश की तरक्की के लिए बाधक है।
  • भ्रष्टाचार देश में और भी कई समस्याओं को जन्म देता है।
  • अशिक्षा व जानकारी का अभाव भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है।
  • शिक्षा व जागरूकता के माध्यम से भ्रष्टाचार को मिटाया जा सकता है। भ्रष्टाचार पर निबंध ।

विज्ञान : वरदान या अभिषाप

विज्ञान : वरदान या अभिषाप (Vigyan Vardan Ya Abhishap) – विज्ञान के वरदान, विज्ञान का सदुपयोग, विज्ञान के लाभ और हानियाँ, विज्ञान और मानव कल्याण, विज्ञान वरदान भी और अभिशाप भी, विज्ञान और आधुनिकता, विज्ञान के बढ़ते कदम, विज्ञान की देन, विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ।

रूपरेखा –

(1) – प्रस्तावना, (2) विज्ञान वरदान के रूप में – संचार के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, परिहवन के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में, उद्योग के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में, आम रहन-सहन में। (3) – विज्ञान एक अभिशाप के रूप में। (4) – उपसंहार।

प्रस्तावना –

विज्ञान ने जहाँ एक ओर मानव जीवन को बहुत सी सहूलियतें प्रदान की हैं। वहीं दूसरी ओर विनाश के साधनों को भी विकसित किया है। ऐसी स्थिति में यह विचारणीय हो जाता है कि आखिर विज्ञान मानव कल्याण में किस हद तक उपयोगी है। आझ विज्ञान  को वरदान माना जाए या अभिशाप के रूप में देखा जाए।

विज्ञान : वरदान के रूप में –

आज विज्ञान ने मानव जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी वस्तुओं को सृजित किया है। जिसके कारण आज मानव का जीवन वेहद आसान लगने लगा है। आज बड़े-बड़े कार्य जिनमें महीनों या सालों लगते थे। विज्ञान के आविष्कारों के चलते बेहद कम समय और कम लोगों को लगाकर आसनी से संपन्न किये जा सकते हैं।

परिवहन के क्षेत्र में विज्ञान –

विज्ञान के आविष्कारों ने जैसे परिवहन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। पहले जहाँ लोग घोड़े, गधे, बैलगाड़ी इत्यादि के माध्यम से परिवहन करते थे। जिनमें बहुत अधिक समय लगता था। आज सड़क, रेल, जहाज और हवाई जहाज के माध्यम से बेहद कम समय में हम ये सभी कार्य संपन्न कर सकते हैं। पहले के समय में लंबी यात्राओं में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। ये विज्ञान की ही देन है कि आज मानव पृथ्वी ही नहीं अपितु चांद पर भी कदम रख चुका है।

संचार के क्षेत्र में –

संचार व्यवस्था किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था की भी नींव होती है। प्राचीन काल से ही युद्धनीति में भी इसका अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान था। लेकिन तब संचार का संचालन घोड़ों के माध्यम से किया जाता था। लेकिन वर्तमान में टेलीग्राफ, टेलीफोन, ईमेल, फैक्स, टैलेक्स, मोबाइन फोन, इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाओं के माध्यम से क्षण भर में सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। वहीं रेडियो और टेलिविजन के माध्यम से किसी भू सूचना को पल भर में दुनिया भर में प्रसारित किया जा सकता है। क्योंकि देश या राष्ट्र पर आयी किसी भी मुसीबत के समय संचार व्यवस्था का मजबूत होता अत्यंत आवश्यक है। इनकी अनदेखी से एक क्षेत्र के आपातकाल में होने से दूसरे स्थानों तक मदद या सतर्कता हेतु सूचना पहुँचाना पहुँचायी जा सकती है।

चिकित्सा के क्षेत्र में –

चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वरदान सिद्ध हुआ है। प्रचीनकाल में जहाँ लोगो सही चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण जान से हाथ धोने पड़ते थे। वहीं आज विज्ञान के चिकित्सा क्षेत्र को इतना विकसित कर दिया है कि आज लगभग हर बीमारी का निदान व इलाज संभव हो पाया है। आज तमाम तरह के मानव विकारों से राहत दिलाने के इक्यूपमेंट्स उपलब्ध हैं।

कृषि के क्षेत्र में –

कृषि के क्षेत्र में तो विज्ञान ने जैसे क्रांति ही ला दी हो। दुनिया भर में पहले कृषि कार्य बैलों व मानव श्रम के माध्यम से ही होती थी। वहीं आज कृषि कार्यों के विभिन्न चरणों को सुलभ बनाने के लिए तमाम तरह के यंत्र उपलब्ध हैं। जिनसे कृषि कार्य न केवल सरल व सुलभ हुआ है। बल्कि उत्पादन का अधिशेष प्राप्त करना भी संभव हो पाया है। आज कृषि की बुआई से लेकर कटाई यहाँ तक कि उत्पादन के वहन तक के कार्यों में विज्ञान के उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है।

उद्योग के क्षेत्र में विज्ञान –

आज विभिन्न प्रकार के उद्योगों का कार्य पूर्ण व आंशिक रूप से वैज्ञानकि आविष्कारों के माध्यम से किया जा रहा है। आज इनमें विभिन्न प्रकार की मशीनों व उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे पहले की अपेक्षा उत्पादन में भारी मात्रा में वृद्धि दर्ज की गई है।

दैनिक जीवन में विज्ञान की देन –

आज के दैनिक जीवन में प्रयोग किये जाने वाले बल्ब, फोन, मोटरसाइकिल, टीवी, फ्रिज, पंखा, कूलर, एसी से लेकर हर सामान्य व प्रमुख वस्तु विज्ञान की ही देन है। इन सभी के उपयोग से मानव जीवन बेहद सरल व सुलभ सा हो गया है। आज किसी भी चीज के लिए हमें महीनों या सालों तर इंतजार नहीं करना पड़ता। आज हम हर पल देश-दुनिया से जुड़ाव महसूस करते हैं। इन सभी के प्रयोग से समय व धन दोनों की बचत होती है।

विज्ञान : एक अभिशाप के रूप में

जहाँ एक ओर विज्ञान हमारे लिए वरदान साबित हुआ। वहीं दूसरी ओर इसके विध्वंसकारी आविष्कारों के कारण इसे अभिशाप भी माना जाता है। परमुणा हथियार इसके सबसे विध्वंशक व विनाशकारी आविष्कारों में में आते हैं। विज्ञान ने मनुष्य के हाथों में अपार शक्ति तो दे दी लेकिन उसके प्रयोग का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। विज्ञान प्रदत्त इन शक्तियों का प्रयोग आज रचनात्मक कार्यों के साथ विनाशकारी कार्यों के लिए भी किया जा रहा है।

उपसंहार –

विज्ञान का वास्तविक उद्देश्य मानव हित व मानव कल्याण करना है। यदि विज्ञान अपने इन उद्देश्यों की पूर्ति में सफल नहीं हुआ तो आवश्यकता है कि मानव इसका परित्याग कर दे।

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