पृथ्वी (Earth)

‘पृथ्वी (Earth)’ सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है। जल की उपस्थित के कारण इसे नीला ग्रह कहा जाता है। पृथ्वी पर पेंड़ पौधों व वनस्पति के कारण इसे हरा ग्रह कहा जाता है।

परिक्रमण काल (Revolution)-

पृथ्वी द्वारा सूर्य का एक चक्कर लगाने में लगे समय को पृथ्वी का परिक्रमण काल कहा जाता है। इसे ही पृथ्वी का सौर वर्ष या साल कहते हैं। पृथ्वी सूर्य का एक परिक्रमा 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट व 45.51 सेकेंड में लगाती है। साल में 365 दिन होते हैं। बचे हुए 5 घंटे, 48 मिनट व 45.51 सेकेंड को चार साल बाद मिलाकर लीप ईयर बना दिया जाता है। अर्थात हर चार साल बाद ‘29 फरवरी‘ की तिथि बढ़ा के इसे पूरा किया जाता है। 107160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से पृथ्वी सूर्य का परिक्रमा करती है।

घूर्णन काल (Rotation) –

जब पृथ्वी अपने अक्ष के परितः चक्कर लगाती है। इसे पृथ्वी का घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। पृथ्वी को अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में 23 घंटे, 56 मिनट 4.091 सेकेंड का समय लगता है। जिसे सामान्यतः 24 घंटे मानकर प्रयोग किया जाता है। पृथ्वी 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से अपने अक्ष पर घूमती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। इसी कारण हमें सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर जाता नजर आता है।

अपसौर (Aphelion)-

पृथ्वी (Earth) की सूर्य से सर्वाधिक दूरी को अपसौर कहा जाता है। यह स्थिति 4 जुलाई को होती है। प्रत्येक वर्ष 4 जुलाई को पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर होती है।

उपसौर (Perihelion)-

पृथ्वी (Earth) का सूर्य के सबसे निकट होने की स्थित को उपसौर कहा जाता है। यह स्थिति 3 जनवरी को बनती है। हर साल 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है।

सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी की स्थिति –

  • 21 मार्च को सूर्य की किरणें सीधी विषुपत रेखा पर पड़ती हैं।
  • 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इस स्थिति को ग्रीष्म अयनांत कहते हैं।
  • 23 सितंबर को फिर सूर्य की किरणें सीधी विषुपत रेखा पर पड़ती हैं।
  • 22 दिसंबर को सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इस स्थिति को शीत अयनांत कहते हैं।

पृथ्वी का व्यास –

हमारी पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास 12714 किलोमीटर है। इसका विषुवतीय व्यास 12756 किलोमीटर है। पृथ्वी आकार में सौरमंडल का पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है।

पृथ्वी का वायुमंडल –

हमारी पृथ्वी के वायुमंडल की कुल 5 परतें हैं। नीचे से ऊपर की ओर – क्षोभंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल, व बाह्यमंडल।

वायुमंडल में गैसें-

पृथ्वी (Earth) के वायुमंडल में विभिन्न गैसों का भंडार पाया जाता है। परंतु इसके वायुमंडल का 99 प्रतिशत भाग सिर्फ दो गैसों नाइट्रोजन व ऑक्सीजन का ही बना है। पृथ्वी के वायुमंडल में 78.03 प्रतिशत नाइट्रजोन गैस है। इसके वायुमंडल में 20.99 प्रतिशत ऑक्सीजन है। आर्गन गैस 0.93 प्रतिशत, कार्बन डाईआक्साइड 0.03 प्रतिशत। इनके अतिरिक्त हीलियम, निऑन, क्रिप्टन, जेनन जैसी अक्रिय गैसें भी हैं।

ऋतु परिवर्तन –

पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन का कारण इसका अक्ष पर झुकाव व सूर्य के सापेक्ष स्थिति है।

पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है।

वार्षिक गति के कारण पृथ्वी पर दिन रात छोटे-बड़े होते हैं।

ज्वार भाटा –

समुद्र के जल का ऊपर की ओर उठकर आगे बढ़ना ज्वार कहलाता है। समुद्र के जल का नीचे की ओर गिरकर पीछे हटना भाटा कहलाता है। यह सूर्य व चंद्रमा की आकर्षण शक्ति के फलतः बनता है। इससे उत्पन्न तरंगों को ज्वारीय तरंगें कहा जाता है। हर 24 घंटे में हर स्थान पर दो बार ज्वार भाटा आता है। अर्थात हर स्थान पर 12 घंटे बाद ज्वार भाटा आता है। सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा के एक सीध में होने पर तीव्र ज्वार आता है। इस स्थिति को सिजिगी (Syzygy) कहा जाता है। यह स्थिति अमावस्या व पूर्णमासी के दिन बनती है। इसके विपरीत सूर्य, चंद्रमा व पृथ्वी के समकोण पर होने पर निम्न ज्वार उत्पन्न होता है।

अन्य तथ्य –
  • पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी 14 करोड़, 95 लाख, 98 हजार, 500 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है।
  • सूर्य के बाद पृथ्वी का निकटतम तारा प्राक्सिमा सेंचुरी है।
  • पृथ्वी पर देशांतरों के बीच की दूरी को गोरे कहा जाता है।
  • पृथ्वी पर कुल 24 टाइम जोन हैं।
  • चंद्रमा का सूर्य व पृथ्वी के बीच आ जाना सूर्य ग्रहण कहलाता है।
  • पृथ्वी का सूर्य व चंद्रमा के बीच आ जाना चंद्र ग्रहण कहलाता है।

सूर्य (Sun)

‘सूर्य (Sun)’ हमारे सौरमंडल का केंद्र बिंदु है। यह हमारे सौरमण्डल का तारा है। यह समस्त सौरमंडल की ऊर्जा का स्त्रोत है।

परिक्रमण काल –

सूर्य का परिक्रमण काल 25 करोड़ वर्ष है। यह 250 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से परिक्रमा करता है। किसी निश्चित केंद्र के परितः घूमना परिक्रमा कहलाता है।

सूर्य का घूर्णन –

हमारा सूर्य ठोस न होकर एक गैसीय पिण्ड है। इसी कारण इसकी गति में असमानता पायी जाती है। सूर्य अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका मध्य भाग 25 दिनों में परिभ्रमण करता है। इसके ध्रुवीय भाग का घूर्णन काल 35 दिन है। ध्यान रहे ये 25 और 35 दिन पृथ्वी के दिन के आधार पर हैं। वरना किसी ग्रह व उपग्रह के दिन की गणना उसका घूर्णन काल ही होता है। स्वयं के परितः घूमना परिभ्रमण या घूर्णन कहलाता है।

नाभिकीय संलयन –

हैंस बेथ के अनुसार सूर्य के केंद्र में 10000000°C ताप पर नाभिकीय संलयन क्रिया होती है। इसमें हाइड्रोजन के चार नाभिक मिलकर हीलियम का एक नाभिक बनाते हैं। इससे अपार ऊर्ज विमुक्त होती है। अर्थात नाभिकीय संलयन क्रिया सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत है।

सूर्य का आकार –

हमारे तारे अर्थात सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किलोमीटर है। पृथ्वी के व्यास की तुलना में 110 गुना अधिक है। सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। पृथ्वी को सूर्यतप का दो अरबवां भाग मिलता है।

क्रोड़ या कोर –

सूर्य के क्रोड़ या कोर का तापमान 1 करोड़ 50 लाख डिग्री सेल्सियस है।

रासायनिक बनावट –

सूर्य एक गैसीय गोला है। इसके कुल द्रव्यमान का 71% भाग हाइड्रोजन का है। सूर्य के कुल द्रव्यमान का 26.5% हिस्सा हीलियम का है। इसके अतिरिक्त बचा 2.5% हिस्सा अन्य तत्वों का है।

सूर्य का जीवनकाल –

हमारे तारे अर्थात सूर्य का कुल जीवनकाल 10 अरब वर्ष है।

वर्तमान में यह 5 अरब वर्ष पूर्ण कर चुका है।

सूर्य ग्रहण –

जब सूर्य व पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है। तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के कुछ हिस्सों तक नहीं पहुंच पाता। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देने वाले भाग को सूर्य किरीट (Corona) कहते हैं। सूर्य किरीट एक्स-किरणों को उत्सर्जित करती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य किरीट से ही प्रकाश प्राप्त होता है।

सौर ज्वाला –

कभी-कभी प्रकाशमण्डल से परमाणुओं का तूफान इतना तेजी से निकलता है कि सूर्य की आकर्षण शक्ति को पार कर, आकाश में चला जाता है। इसे सौर ज्वाला (Solar Flares) कहते हैं। जब यह पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है, तो हवा के कणों से टकराकर रंगीन प्रकाश उत्पन्न करता है। जिसे उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव पर देखा जा सकता है। उत्तरी ध्रुव पर इसे ‘अरोरा बोरियालिस’ और दक्षिणी ध्रुव पर इसे ‘अरौरा आस्ट्रेलिस’ कहते हैं।

सौर ज्वाला जहाँ से निकलती है, वहाँ पर काले धब्बे दिखाई पड़ते हैं। इन्हें ‘सौर कलंक (Sun Spots)’ कहा जाता है। ये सूर्य के अपेक्षाकृत ठण्डे भाग हैं। जिनका तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस होता है। सौर कलंक से प्रबल चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित होता है। यह विकिरण पृथ्वी पर बेतार संचार व्यवस्था को बाधित करता है। इनके बनने बिगड़ने की प्रक्रिया औसत 11 वर्षों में पूरी होती है। इस प्रक्रिया को सौर कलंक चक्र कहा जाता है।

आदित्य –

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो-ISRO) ने इस उपग्रह का विकास किया था। इसका उद्देश्य सूर्य के कोरोना व उससे होने वाले उत्सर्जन के रहस्यों को सुलझाना था।

सूर्य (Sun) व पृथ्वी संबंधी तथ्य –

सौर कलंक का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस होता है।

सूर्य के उत्तरी ध्रुव पर सौर ज्वाला को औरोरा बोरियालिस कहते हैं।

दक्षिणी ध्रुव पर सौर ज्वाला को औरोरा आस्ट्रेलिस कहते हैं।

सूर्य की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी – 14.7 करोड़ किलोमीटर

पृथ्वी की सूर्य से अधिकतम दूरी कितनी है – 15.21 करोड़ किलोमीटर

सूर्य की पृथ्वी से औसत दूरी कितनी है – 14.98 किलोमीटर

सूर्य का केंद्रीय दबाव कितना है – 1 करोड़ एटमास्फेयर

इसरो ने सूर्य के कोरोना अध्ययन हेतु ‘आदित्य’ उपग्रह को स्थापित किया था।

सूर्य का व्यास कितना है – 13,92,000 किलोमीटर

सूर्य पृथ्वी से कितना बड़ा है – 13 लाख गुना बड़ा

21वीं सदी का सबसे लम्बा पूर्ण सूर्य ग्रहण 22 जुलाई 2009 को पड़ा था।

सूर्य का द्रव्यमान कितना है – पृथ्वी से 3,32,000 गुना

सूर्य का तलीय गुरुत्व कितना है – पृथ्वी से 28 गुना

पृथ्वी पर आने वाले ज्वार भाटे में सूर्य व चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का अनुपात 11:5 है।

सूर्य का केंद्रीय घनत्व कितना है – 100 ग्राम प्रति घन सेमी.

सूर्य की सतह का ताप कितना है – 6000 डिग्री सेल्सियस

पृथ्वी तक सूर्य का प्रकाश पहुंचने में 498 सेकेंड (8 मिनट 18 सेकेंड) का समय लगता है।

सूर्य के केंद्र का ताप कितना है – 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस

सूर्य की आयु कितनी है – लगभग 50 करोड़ वर्ष

सामान्यतः तारे का संभावित जीवनकाल कितना होता है – 100 करोड़ वर्ष

सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में कितना समय लगता है – 8 मिनट 18 सेकेण्ड

सूरज का जो भाग हमें आँखों से नजर आता है उसे प्रकाशमण्डल कहते हैं।

सूर्यग्रहण के समय दिखने वाला सूर्य का बाह्यतम भाग कोरोना (Corona) कहलाता है।

– सूर्य (Sun) लेख समाप्त।

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