धार्मिक ज्ञान : हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई

धार्मिक ज्ञान : हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई‘ शीर्षक के इस लेख में सभी धर्मों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। अनेकता में एकता भारत की प्रमुख विशेषता है। भारत विभिन्न धर्मों का देश है। यहाँ के लोग धार्मिक भावना से भरे हुए हैं। यहाँ अनगिनत धर्म, पंथ व समुदाय के लोग निवास करते हैं। भारत चार प्रमुख धर्मों – हिंदू, बौद्ध, जैन, व सिख की जन्मस्थली है।

हिंदू धर्म

हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। इसे सनातन धर्म कहा जाता है अर्थात् जो सदा से चला आ रहा हो।

चार युगों का सही क्रम क्या है – सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग।

हिंदू धर्म की सबसे प्राचीन पुस्तक कौनसी है – ऋग्वेद।

हिंन्दू धर्म में कुल कितने वेद हैं – चार (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद)।

हिंदू धर्म की धार्मिक पुस्तकें कौन कौनसी हैं – वेद, पुराण, गीता, महाभारत, रामायण इत्यादि।

कृष्ण की पत्नियों के नाम – रुक्मिणी, जामवंती, व सत्यभामा।

बलराम किसके भाई थे – श्रीकृष्ण के।

रामायण संबंधी जानकारी –

दशरथ के कितने पुत्र थे – चार (राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न)

दशरथ की पत्नियां कौन कौन थीं – कौशल्या(राम), कैकयी(भरत), सुमित्रा(लक्ष्मण व शत्रुघ्न)

जटायु के भाई का नाम क्या था – सम्पाती

रावण के पिता का नाम क्या था – विश्रवा ऋषि

बाली कहाँ का राजा था – किष्किंधा का

बाली किसका भाई था – सुग्रीव का

सुग्रीव किसका भाई था – बाली का

अंगद किसका पुत्र था – बाली का

हनुमान जी की माता का नाम क्या था – अंजना

हनुमान जी के पिता का नाम क्या था – केसरी/पवनदेव

मकरध्वज कौन था – हनुमान जी का पुत्र

कैकसी किसकी माता थी – रावण की

मेघनाद रावण का कौन था – पुत्र

कुम्भकर्ण रावण का कौन था – भाई

विभीषण किसका भाई था – रावण का

मारीच किसका मामा था – रावण

लक्ष्मण की पत्नी का नाम क्या था – उर्मिला

राम के पुत्रों के नाम – लव और कुश

महाभारत ज्ञान –

प्रश्न – कुंती के कितने पुत्र थे ?

उत्तर – चार

प्रश्न – कुंती के पुत्रों के नाम ?

उत्तर – कर्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन

प्रश्न – माद्री के कितने पुत्र थे ?

उत्तर – 2 (नकुल व सहदेव)

प्रश्न – पांडु की कितनी पत्नियां थीं ?

उत्तर – दो (कुंती व माद्री)

प्रश्न – पांडु के कितने पुत्र थे ?

उत्तर – 5

प्रश्न – पांडु के पुत्रों के नाम ?

उत्तर – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव

प्रश्न – कर्ण के पिता कौन थे ?

उत्तर – सूर्य देव

प्रश्न – कंस किसका मामा था ?

उत्तर – श्रीकृष्ण

प्रश्न – शकुनि किसका मामा था ?

उत्तर – दुर्योधन

प्रश्न – परशुराम के शिष्य कौन कौन थे ?

उत्तर – भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण

प्रश्न – महाभारत में इच्छामृत्यु का वरदान किसे प्राप्त था ?

उत्तर – भीष्म को

प्रश्न – भीष्म के वचपन का नाम क्या था ?

उत्तर – देवव्रत

प्रश्न – द्रौपदी किस राज्य की कन्या थीं ?

उत्तर – पांचाल

प्रश्न – द्रौपदी किसकी पुत्री थीं ?

उत्तर – पांचाल नरेश द्रुपद की

प्रश्न – शल्य  कौन था ?  या शल्य किसके मामा थे ?

उत्तर – शल्य नकुल व सहदेव के मामा थे। ये माद्री के भाई थे।

प्रश्न – शकुनि कौन था ? या शकुनि किसका मामा था ?

उत्तर – शकुनि दुर्योधन का मामा और गांधारी का भाई था।

प्रश्न – दुर्योधन के पिता का नाम क्या था ?

उत्तर – धृतराष्ट्र

प्रश्न – गांधारी कौन थीं ?

उत्तर – धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन की माता, व शकुनि की बहन।

प्रश्न – अभिमन्यु किसका पुत्र था ?

उत्तर – अर्जुन व सुभद्रा का

प्रश्नधृतराष्ट्र के कितने पुत्र थे ?

उत्तर – 100

प्रश्न – वर्तमान भारत के किस क्षेत्र को महाभारत में इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था ?

उत्तर – दिल्ली

पुराणों की संख्या कितनी है ?

उत्तर :- पुराणों की संख्या 18 है।

  1. मत्स्य पुराण
  2. विष्णु पुराण
  3. गरुण पुराण
  4. भागवत पुराण
  5. ब्रह्म पुराण
  6. पद्म पुराण
  7. वायु पुराण
  8. लिंग पुराण
  9. वराह पुराण
  10. कूर्म पुराण
  11. नारद पुराण
  12. मार्कण्डेय पुराण
  13. भविष्य पुराण
  14. वामन पुराण
  15. अग्नि पुराण
  16. ब्रह्म वैवर्त पुराण
  17. स्कन्द पुराण
  18. ब्रह्माण्ड पुराण
श्राप –
  • अर्जुन के द्वारा कर्ण को वीरगति प्राप्त होने के बाद कुंती ने बताया कि कर्ण तुम्हारे ही ज्येष्ठ भ्राता थे। तब युधिष्ठिर को भारी धक्का लगा कि एक भाई के हाथों बड़े भाई की जान चली गई। इतनी बड़ी बात उनकी माता ने उनसे छुपाई और अंजाने में अर्जुन से ये अपराध हो गया। तब युधिष्ठिर ने अपनी माता कुंती के साथ समस्त नारी जाति को श्राप दिया। श्राप, – ”आज के बाद कोई भी स्त्री किसी बात को ज्यादा दिन तक छुपा नहीं सकेगी।” माता द्वारा इतनी बड़ी बात इतने सालों तक छुपाने के कारण उन्होंने कुंती को यह श्राप दिया।

इस्लाम धर्म

इस्लाम धर्म के अनुयाइयों को मुसलमान (मुसल्सल है ईमान जिसका) कहा जाता है। कुरान इस्लाम धर्म की पवित्र धार्मिक पुस्तक है। यह एक एकेश्वरवादी धर्म है। इसमें मूर्तिपूजा के लिए कोई स्थान नहीं। इस्लाम का कानून शरीयत पर आधारित है। कुरान, हदीस, कयास, व इज्म को संयुक्त रूप से शरीयत कहा जाता है। हजरत मोहम्मद साहब इस्लाम धर्म के पैगम्बर थे। इनका जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ था। खजीदा नामक स्त्री से इनका विवाह हुआ। इन्हें हीरा नामक गुफा में 40 वर्ष की अवस्था में ज्ञान की प्राप्ति हुई। 622 ई. में मोहम्मद साहब मक्का से यासरिब (मदीना) चले गए। उनका मक्का से मदीना जाना इस्लाम जगत में हिजरत कहलाया। इसी तिथि (622 ई.) से हिजरी संवत की शुरुवात हुई। कलमा, नमाज, जकात, रोजा,  हज इस्लाम की पांच धार्मिक मान्यताएं हैं।

खलीफा

633 ई. में मोहम्मद साहब के निधन के बाद इस्लाम जगत में खिलाफत नामक संस्था की शुरुवात हुई। ‘अबू बकर’ इस्लाम जगत के पहले खलीफा बने। इनके बाद क्रमशः हजरत उमर, हजरत उस्मान, हजरत अली इस्लाम के खलीफा बने। ये इस्लाम धर्म के पहले चार खलीफा हुए। इनके बाद खिलाफल वंशानुगत हो के विकेंद्रित हो गई। अब खलीफा के पद के कई दावेदार हो गए। मिश्र में फातिमा वंश, स्पेन में उमैया वंश, बगदाद में अब्बासी वंश।

कलमा

ला इलाह इल्लल्लाह मुहम्मदन रसूलल्लाह” यह इस्लाम का धार्मिक आधार वाक्य है।

नमाज

हर मुसलमान को दिन में पांच बार नमाज पढ़नी चाहिए। फजिर – सुबह की नमाज, जोहर – दोपहर की नमाज, असिर – दोपहर के बाद की नमाज, मगरिब – शाम की नमाज, एशा – रात की नमाज।

जकात – 

हर मुसलमान को अपनी कुल सम्पत्ति का 40 वां हिस्सा (2.5 प्रतिशत) प्रत्येक वर्ष दान करना होगा। यह दान स्वेच्छा से करना होगा। बलपूर्वक इसकी बसूली करना धर्म विरुद्ध है।

रोजा – 

यह रमजान के पाक महीने में रखा जाने वाला उपवास है।

हज – 

यह इस्लाम का अंतिम धार्मिक कर्तव्य है। हर मुसलमान को अपने जीवन में मक्का की तीर्थयात्रा करनी होती है।

सिख धर्म

गुरुनानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक व पहले गुरु थे। ये बाबर और हुमायूं के समकालीन थे। सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए। गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के अंतिम गुरु थे।

सिखों के सभी गुरु –

  1. गुरुनानक देव – सिख धर्म के संस्थापक
  2. गुरु अंगद – गुरुमुखी लिपि का आविष्कार
  3. रामदास – लंगर प्रथा को स्थाई बनाया
  4. अमर दास – अमृतसर शहर बसाया
  5. अर्जुन देव – आदिग्रंथ का संकलन, जहाँगीर ने इनकी हत्या करवा दी।
  6. हरगोविंद – अकाल तख्त की स्थापना
  7. गुरु हर राय – आदिग्रंथ पर स्पष्टीकरण के लिए औरंगजेब ने इन्हें दिल्ली बुलाया।
  8. हर किशन – इनकी मृत्यु चेचक के कारण हो गई।
  9. तेग बहादुर – औरंगजेब ने इनकी हत्या करवा दी।
  10. गुरु गोविंद सिंह – खालसा पंथ की स्थापना, जफरनामा की रचना।

ईसाई धर्म

ईसा मसीह को ईसाई धर्म का संस्थापक व पैगम्बर माना जाता है। बाइबिल इस धर्म की पवित्र पुस्तक है। ईसा मसीह का जन्म जैरुसलम के निकट बैथलेहम में हुआ था। इनके जन्म दिवस को हर साल क्रिसमस-डे के रूप में मनाया जाता है। इनके पिता का नाम ‘जोसेफ’ और माता का नाम ‘मैरी’ था। रोमन गवर्नर पोंटियस ने इन्हें 33 ई. में सूली पर चढ़ा दिया। इस तिथि को ईसाई लोग ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाते हैं। ईसाई मान्यता के अनुसार ईसा-मसीह सूली पर चढ़ाने के तीन दिन बाद पुनः जीवित हुए थे। इस तिथि को ईसाई लोग ‘ईस्टर त्योहार’ के रूप में मनाते हैं।

जैन धर्म

बौद्ध धर्म

पारसी धर्म

पारसी धर्म के पैगम्बर जरथ्रुस्ट (ईरानी) थे। पारसियों का पवित्र ग्रंथ ‘जेन्दा अवेस्ता‘ इन्हीं के उपदेशों का संकलन है। ये लोग अहुर नामक ईश्वर के उपासक हैं।

यहूदी कौन होते हैं ?

यहूदी बहुत ही पुराना धर्म है। यह विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। यहूदियों के पतन से ही इस्लाम और ईसाई धर्म का उदय हुआ है। इस्लाम व ईसाइयत का आधार यहूदी परंपरा ही है। यह एक एकेश्वरवादी धर्म है। तनख, तालमुद, मिद्रश इस धर्म के प्रमुख ग्रंथ हैं। यहूदियों का प्रार्थना स्थल ‘सेनेगॉग’ है। यहूदियों के धर्म ग्रंथ इब्रानी व अरामी भाषा में लिखे गए हैं। अब्राहम को यहूदी, इस्लाम और ईसाई तीनों धर्मों का पितामह मानते हैं।

गौतम बुद्ध व बौद्ध धर्म (Gautam Buddha and Buddhism)

‘गौतम बुद्ध व बौद्ध धर्म’ शीर्षक के इस लेख में महात्मा बुद्ध और बौद्ध धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। महात्मा बुद्ध को ‘एशिया के प्रकाश पुंज’ के नाम से जाना जाता है।

गौतम बुद्ध –

महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. नेपाल की तराई में  अवस्थित कपिलवस्तु के लुम्बिनी में हुआ था। ‘कमल व सांड’ को इनके जन्म का प्रतीक माना जाता है। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम सुद्धोधन और माता का नाम महामाया देवी था। इनके पिता सुद्धोधन शाक्य गणराज्य के मुखिया थे। सिद्धार्थ के जन्म के सातवें दिन इनकी माता महामाया देवी की मृत्यु हो गई। इसके बाद इनका पालन-पोषण प्रजापती गौतमी ने किया। 16 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह ‘यशोधरा’ (गोपा/बिम्बा/भद्दकच्छना) से हुआ। इनसे एक पुत्र राहुल उत्पन्न हुआ।

कपिलवस्तु की यात्रा –

इनके पिता ने अपने भरोसेमंद सार्थी चन्ना के साथ इन्हें कपिलवस्तु की यात्रा पर भेजा। यात्रा के दौरान इन्होंने क्रमशः तीन दृश्य बूढ़ा व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, एक शव, संन्यासी देखे। इन दृश्यों का इनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा।

महाभिनिष्क्रमण –

सांसारिक मायामोह से व्यथित होकर 29 वर्ष की अवस्था में इन्होंने घर त्याग दिया। घोड़े को इस घटना का प्रतीक माना जाता है। गौतम बुद्ध के गृह त्याग की यह घटना महाभिनिष्क्रमण कहलाई। अनोमा नदी के तट पर अपना सिर मुंडवाया और भिक्षु भेष धारण किया। गृह त्याग के बाद इन्होंने सांख्य दर्शन के ज्ञाता आलारकलाम को अपना पहला गुरु बनाया।

ज्ञान की प्राप्ति –

छः वर्ष की कठोर तपस्या के बाद वैशाख पूर्णिमा की रात निरंजना(पुनपुन) नदी किनारे पीपल वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसीलिए पीपल (बोधिवृक्ष) को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। तब ये 35 वर्ष के थे। ज्ञान प्राप्ति के बाद ये बुद्ध कहलाए। जहाँ इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई वह स्थान बोधगया कहलाया। वैशाख पूर्णिमा बौद्धों का प्रमुख पवित्र त्योहार है। इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

धर्मचक्रप्रवर्तन –

ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ के ऋषिपत्तनम में दिया। बौद्ध ग्रंथों में इस घटना को धर्मचक्र प्रवर्तन के नाम से जाना गया। बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा ‘पालि’ में दिए। महात्मा बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश कोशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए। बिम्बिसार, प्रसेनजित, व उदयिन इनके अनुयायी शासक थे।

अष्टांग मार्ग –

बुद्ध ने कहा कि संसार दुखों से भरा है। दुखों से मुक्ति के लिए महात्मा बुद्ध ने अष्टांग मार्ग की संकल्पना दी।

इसके तहत सम्यक दृष्टि, सम्यक वाणी, सम्यक संकल्प, सम्यक कर्मांतक, सम्यक आजीव, सम्यक स्मृति, सम्यक व्यायाम, सम्यक समाधि आते हैं।

महापरिनिर्वाण –

महात्मा बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पू. मल्लों की राजधानी कुशीनारा में हो गई। बौद्ध धर्म में इस घटना को महापरिनिर्वाण कहा गया। मल्लों ने ही इनका अंत्येष्टि संस्कार बड़े ही सम्मान से किया। एक अनुश्रुति के अनुसार बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अवशेषों को आठ भागों में बांटा गया। उन अवशेषों पर आठ स्तूप बनाए गए। स्तूपों को इनकी मृत्यु का प्रतीक चिह्न माना जाता है।

बुद्ध से जुड़े आठ स्थल –

लुम्बिनी, गया, सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर, राजगृह, संकास्य, व श्रावस्ती। बौद्ध ग्रंथों में इन स्थानों को अष्टमहास्थान के नाम से जाना जाता है।

गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म में निर्वाण –

त्रिष्णा के समाप्त हो जाने की स्थित को ही बौद्ध धर्म में निर्वाण की संज्ञा दी गई है। पद चिह्न को निर्वाण का प्रतीक माना जाता है। निर्वाण बौद्ध धर्म का प्रमुख लक्ष्य है। जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाना ही निर्वाण है।

बौद्ध संगीतियां

महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध संगीतियों का आयोजन प्रारंभ हुआ।

प्रथम बौद्ध संगीति –

प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन 483 ई. पू. राजगृह की सप्तपर्णी गुफा में महाकस्सप की अध्यक्षता में हुआ। इसका आयोजन हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु के समय हुआ। इसमें महात्मा बुद्ध के उपदेशों को दो पिटकों (विनयपिटक व सुत्तपिटक) में संकलित किया गया।

द्वितीय बौद्ध संगीति –

द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन 383 ई. पू. वैशाली में सबाकामी/सर्वकामी की अध्यक्षता में हुआ। इस समय शिशुनाग वंश के कालाशोक का शासन था। इसमें बौद्ध धर्म दो भागों स्थाविर और महासंघिक में बंट गया।

तृतीय बौद्ध संगीति –

तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन 255 ई. पू. पाटलिपुत्र में मोगलिपुत्र तिस्स की अध्यक्षता में हुआ। इस समय अशोक महान का शासनकाल था। अभिधम्म पिटक को इसी संगीति के दौरान जोड़ा गया।

चतुर्थ बौद्ध संगीति –

चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन पहली शताब्दी में कश्मीर के कुण्डलवन में वसुमित्र की अध्यक्षता में हुआ। अश्वघोष को इस संगीति का उपाध्यक्ष बनाया गया। इस समय कनिष्क का शासनकाल चल रहा था। इस बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म ‘हीनयान व महायान’ शाखाओं में बँट गया।

हीनयान –

बुद्ध के मूल उपदेशों को बिना किसी परिवर्तन के अपनाने वाले हीनयानी कहलाए। हीनयानी रुढ़िवादी व निम्नमार्गी थे। ये बुद्ध को महापुरुष मानते थे और उन्हें ईश्वर समझकर उनकी पूजा नहीं करते थे। ये लोग भक्ति व मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं रखते थे। इस संप्रदाय के ग्रंथ पाली भाषा में हैं। इस संप्रदाय के लोग श्रीलंका, जावा, व बर्मा में थे। आगे चलकर ये संप्रदाय भी दो शाखाओं ‘वैभाषिक व सौत्रान्तिक‘ में बँट गया।

महायान –

महायान का अर्थ है ‘उत्कृष्ट मार्ग’। महायान शाखा की स्थापना नागार्जुन ने की। इन लोगों ने बौद्ध धर्म के कठोर व परम्परागत नियमों में परिवर्तन किया। ये लोग बुद्ध को भगवान मानकर उनकी उपासना करते हैं। इसमें परोपकार पर विशेष बल दिया गया। इस शाखा के सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं। ये शाखा आत्मा व पुनर्जन्म में विश्वास रखती है। ये बोधिसत्व को अपना आदर्श मानते हैं। आगे चलकर ये संप्रदाय भी दो भागों में बँट गया। ये दो भाग शून्यवाद/सापेक्ष्यवाद (माध्यमिक) व विज्ञानवाद (योगाचार) हैं।

वज्रयान –

सातवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म में तंत्र-मंत्र के प्रभाव से इस शाखा का उदय हुआ। ये शक्ति के उपासक थे।

सुत्तपिटक –

सुत्तपिटक को ‘बौद्ध धर्म का एनसाइक्लोपीडिया‘ कहा जाता है। सुत्तपिटक में ही बुद्ध के पूर्वजन्म की (जातक) कथाएं वर्णित हैं। खुद्दक निकाय सबसे प्रसिद्ध जातक कथा है। हीनयान शाखा की उपशाखा सौत्रांति इसी पिटक पर आधारित है।

गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म संबंधी प्रमुख तथ्य –

  • यह धर्म मूल रूप से अनीश्वरवादी है।
  • बौद्ध धर्म की विस्तृत जानकारी त्रिपिटको (सुत्तपिटक, विनयपिटक, व अभिधम्मपिटक) से प्राप्त होती है।
  • नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे।
  • बौद्ध धर्म में आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है।
  • परंतु बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है।
  • बौद्ध संघ में सम्मिलित होने की न्यूनतम आयु सीमा 15 वर्ष निर्धारित की गई थी।
  • बौद्ध धर्म के त्रिरत्न – बुद्ध, धम्म, संघ।
  • बुद्ध का पंचशील सिद्धांत छांदोग्य उपनिषद में वर्णित है।
  • ‘प्रज्ञापार्मिता सूत्र’ महायान शाखा का सबसे प्रमुख ग्रंथ है।
  • बोरोबदूर का स्तूप विश्व का सबसे बड़ा स्तूप है।
  • अशोक, कनिष्क, हर्षवर्धन, व मिनाण्डर आदि शासकों का बौद्ध धर्म के प्रसार में विशेष योगदान रहा।
  • गृहस्थ जीवन बिताकर बौद्ध धर्म मानने वालों को उपासक कहा जाता था।
  • बुद्ध ने दस शीलों के अनुशीलन को जीवन का आधार बनाया।
  • धार्मिक जुलूसों का प्रारंभ बौद्ध धर्म द्वारा ही किया गया।
  • महायान संप्रदाय का उदय आंध्रप्रदेश में माना जाता है।
  • बौद्ध धर्म में प्रवेश करने को ‘उपसम्पदा’ कहा गया है।
  • बुद्ध ने मगध को प्रचार का प्रमुख केंद्र बनाया।
  • बुद्धघोष बौद्ध ग्रंथों के महान टीकाकर हैं।
  • विसुद्धमग्ग ग्रंथ को त्रिपिटकों की कुंजी कहा जाता है।
  • आदि गुरु शंकराचार्य को प्रछन्न बौद्ध कहा जाता है।
  • बौद्ध धर्म में वर्ण व जाति व्यवस्था का विरोध किया।
  • संघ में चोर, दास, सेवक, रोगी, ऋणी, हत्यारों का प्रवेश वर्जित था।
  • भविष्य में अवतार लेने वाले मैत्रेय को संभावित बुद्ध कहा जाता है।
  • बौद्ध भिक्षु नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन कहा जाता है।
  • मंजुश्री मूलकल्प में वज्रयान शाखा के सिद्धांतों की जानकारी मिलती है।
  • थेरवाद सबसे प्राचीन संप्रदाय है।
  • महावंश से भारत व श्रीलंका के इतिहास की जानकारी मिलती है।

– गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म लेख समाप्त।

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