‘सिंधु घाटी सभ्यता’ या ‘हड़प्पा सभ्यता’ (Indus valley Civilization) का नाम विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में आता है।
सैंधव सभ्यता की खोज
साल 1826 में पहली बार चार्ल्स मैसन ने हड़प्पा के टीलों का उल्लेख किया। साल 1853 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रथम डायरेक्टर कनिंघम को एक अंग्रेज ने हड़प्पा से प्राप्त एक वृषभ की आकृति वाली मोहर दी। इसी आधार पर कनिंघम ने इसी साल यहां पर उत्खनन शुरु किया और साल 1873 तक लगे रहे। परंतु वे इसके महत्व को न समझ सके और उनका अन्वेषण असफल रहा। साल 1921 में दयाराम साहनी की अध्यक्षता में यहाँ पुनः उत्खनन प्रारंभ हुआ।
हड़प्पाई स्थल, उत्खनन वर्ष व उतखननकर्ता
स्थल | वर्ष | खोजकर्ता | उत्खननकर्ता | प्राप्तियाँ |
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हड़प्पा | 1921 | दयाराम साहनी | दयाराम साहनी व माधोस्वरूप | 16 ताम्र भट्टियाँ, तांबे की इक्कागाड़ी, प्रसाधन केस, अभिलेखयुक्त मोहरें, गधे की हड्डियाँ, एच.आर. समाधि इत्यादि |
मोहनजोदड़ो | 1922 | राखलदास बनर्जी | राखलदास बनर्जी | मलेरिया के साक्ष्य, मुहर पर सुमेरियन नावों का चित्र, चाँदी का प्राचीनतम साक्ष्य, शिलाजीत, अन्नागार, 20 खंभों वाला भवन, बहुमंजिला इमारतें, पुरोहित आवास, तांबे का हेयरपिन, कीलदार अभिलेख, 6 ईंट के भट्टे, कांसे की नर्तकी, पशुपति की मुहर, स्नानागार इत्यादि। |
सुतकांगेडोर | 1927 व 1962 | आर. एल. स्टाइन | ||
चन्हूदड़ो | 1931 | एन.जी. मजूमदार | मैके | मनके बनाने का कारखाना, सौंदर्य प्रसाधन जैसे लिपिस्टिक, काजल, पाउडर, वक्राकार ईंटें, स्याही दवात इत्यादि, झूकर-झाकर संस्कृति के अवशेष, मिट्टी की पकी हुई नालियों के साक्ष्य। |
कालीबंगा | 1953 | अमलानन्द घोष | बी.बी.लाल, बी.के. थापर | जुताई के साक्ष्य, लकड़ी की नाली, नक्काशीदार ईंटें, दुर्ग या किले का द्विभागीकरण, सात आयताकार यज्ञ विदियां, एक युग्म शवाधान, अंत्येष्टि संस्कार की तीनों विधियां, भूकंप का प्राचीनतम प्रमाण, मुहरों पर बांध की आकृति, दो मृणपट्टिकाएं, आक्रामक मुद्रा में वृषभ की मूर्ति, ऊँट की हड्डियां, बेलनाकार तंदूर, लेखयुक्त वर्तन, अण्डाकार कब्र, शल्य चिकित्सा के प्रमाण इत्यादि। |
कोटदीजी | 1953 | फजल अहमद | ||
रंगपुर | 1953-54 | एस.आर.राव | रंगनाथ राव | धान की भूसी, बाजरा, पीली मिट्टी... |
रोपड़ | 1953-56 | बी.बी. लाल | यज्ञदत्त शर्मा | मालिक के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य। |
लोथल | 1955 व 1962 | एस.आर.राव | रंगनाथ राव | बंदरगाह, अग्नि वेदियां, फारस की खाड़ी प्रकार की मुहर, गोरिल्ला की मृणमूर्ति, ममी, 3 युग्म शवाधान, तांबे की मू्र्ति, लकड़ी का अन्नागार, घोड़े की लघु मृणमूर्ति, प्रशासकीय भवन, चालाक लोमड़ी की आकृति, हाँथी दांत का स्केल, रंगाई कुण्ड इत्यादि। |
आलमगीरपुर | 1958 | भारत सेवक समाज | यज्ञदत्त शर्मा | सूती कपड़ा (कपास) |
बनावली | 1974 | रवींद्रनाथ सिंह विष्ट | मिट्टी का हल, अग्नि वेदियाँ, धावनपात्र इत्यादि। | |
धौलावीरा | 1990-91 | जे.पी. जोशी | रवींद्रनाथ सिंह विष्ट | स्टेडियम या प्लेग्राउंड, पालिशदर श्वेत पाषाण खण्ड, सैंधव लिपि के 10 अक्षर, सूचनापट्ट अभिलेख, विशाल तालाब, नेवले की पत्थर की मूप्ति, राजसभा इत्यादि। |
सुरकोटदा | 1964 | गजपति जोशी | जगपति जोशी | घोड़े की हड्डियां, कलश शवाधान, पत्थर की चिनाई वाले भवन इत्यादि। |
हड़प्पा सभ्यता का नामकरण-
इस सभ्यता का खोजा गया पहला स्थल ‘हड़प्पा’ होने के कारण इस सभ्यता का नाम ‘हड़प्पा सभ्यता’ पड़ा। सर जॉन मार्शल ने इसे ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ के नाम से पुकारा। क्योंकि पहले इस सभ्यता के स्थल सिंधु व उसकी सहायक नदियों के निकट खोजे गए थे। यह सभ्यता ‘कांस्य युगीन’ सभ्यता मानी जाती है। क्योंकि कांसे के सर्वप्रथम प्रयोग का साक्ष्य यहीं से प्राप्त होता है। गार्डेन चाइल्ड ने इसे ‘प्रथम नगरी क्रांति’ कहा।
तिथि निर्धारण –
यह सभ्यता मिश्र व मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकालीन थी। सैंधव सभ्यता की तिथि का निर्धारण करना बेहद मुश्किल कार्य है। सभी विद्वानों ने इस पर अपनी अलग-अगल राय दी है। परंतु धर्मपाल अग्रवाल ने ‘कार्बन डेटिंग’ के आधार पर इसकी तिथि 2300 से 1700 ई.पू. तक की बताई है।
सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरें –
सभ्यता की मुहरें वर्गाकार, घनाकार, गोलाकार, व बेलनाकार थीं। यहाँ की आयताकार मुहरों पर सिर्फ लिपि और वर्गाकार मुहरों पर लिपि के साथ ही पशु की आकृति का भी अंकन पाया गया है। विभिन्न मुद्राओं पर वृक्षों का भी अंकन पाया गया है। वृक्षों में मुख्यतः पीपल और बबूल का अंकन प्राप्त हुआ है। सर्वाधिक मुहरें सेलखड़ी की बनी हैं। परंतु लोथल व देशलपुर से तांबें की मुहरें प्राप्त हुई हैं। सभ्यता से प्राप्त मुहरों में लगभग 68 प्रतिशत सिर्फ मोहनजोदड़ो से ही प्राप्त हुई हैं। इसके बाद करीब 19 प्रतिशत मुहरें हड़प्पा से प्राप्त हुई हैं। इस तरह 87 प्रतिशत मुहरें इन दोनों स्थलों से ही प्राप्त हुई हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरों पर अंकन –
मुहरों पर सर्वाधिक अंकन ‘पीपल वृक्ष’ का इसके बाद ‘एक श्रंगी पशु’ का मिलता है। यहां से प्राप्त मुहरों पर गाय, ऊट, व घोड़े का अंकन नहीं मिला है।
विदेशी व्यापार
वस्तु | आयात स्थल |
सोना | ईरान, अफगानिस्तान, कर्नाटक |
चाँदी | ईरान, अफगानिस्तान, खेतड़ी(राजस्थान) |
ताँबा | खेतड़ी, ओमान, बलूचिस्तान |
सीसा | ईरान |
लाजवर्द | मेसोपोटामिया |
टिन | ईरान, अफगानिस्तान |
गोमेद | सौराष्ट्र |
नीलरत्न | बदख्शां (अफगानिस्तान) |
फिरोजा | ईरान |
सेलखड़ी | राजस्थान, गुजरात, बलूचिस्तान |
हरित मणि | दक्षिण भारत |
शंख व कौड़ियां | सौराष्ट्र (गुजरात), दक्षिण भारत |
हड़प्पा या सिंधु घाटी में मानवों की प्रजातियां-
सभ्यता में चार प्रजातियों के लोग निवास करते थे। भूमध्यसागरीय (सर्वाधिक), प्रोटोआस्ट्रेलायड, मंगोलायड, व अल्पाइन। इस सभ्यता में नीग्रो प्रजाति के लोग नहीं रहते थे।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल-
हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो, लोथल, कालीबंगा (राजस्थान), रोपड़, धौलावीरा, सुरकोटदा, मेहरगढ़, कोटदीजी, राखागढ़ी, बनावली, रंगपुर, आलमगीरपुर, माण्डी, हुलास।
- सबसे पूर्व में अवस्थित स्थल – आलमगीरपुर
- पश्चिम में अवस्थित स्थल – सुतकांगेडोर
- सबसे उत्तर में अवस्थित स्थल – माण्डा
- सबसे दक्षिण में अवस्थित स्थल – दायमाबाद
सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार –
वर्तमान परिपेक्ष में इस सभ्यता का विस्तार तीन देशों भारत, पाकिस्तान, व अफगानिस्तान में विस्तृत था। यह सभ्यता पूर्व से पश्चिम तक करीब 1600 कि.मी और उत्तर से दक्षिण तक 1400 कि.मी. के साथ कुल 1299600 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत थी।
अफगानिस्तान में इस सभ्यता के दो स्थल सोर्तुघई, व मंडीगाक हिंदुकुश पर्वत के उत्तर में खोजे गए।
पाकिस्तान में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो चन्हूदड़ो, कोटदीजी, सुतकांगेडोर इत्यादि।
हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि –
हड़प्पा सभ्यता की लिपि चित्रात्मक थी जिसे ‘बूस्ट्रोफेडन’ लिपि कहा गया है। इस लिपि में 64 मूल चिह्न और 250-400 अक्षर हैं। इस लिपि की जानकारी का प्रमुख स्त्रोत यहाँ की मुहरें हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण –
- बाढ़ – मार्शल, मैके, व एस. आर. राव के अनुसार
- मलेरिया – कनेडी के अनुसार
- आर्य आक्रमण – गार्डेन चाइल्ड के अनुसार
- जलवायु परिवर्तन – अमलानन्द घोष, व आरेल स्टाइन
- पारिस्थितिकी असंतुलन – फेयर सर्विस
- नदियों का मार्ग परिवर्तन – लैम्ब्रिक, माधोस्वरूप वत्स, व देल्स के अनुसार
- भूतात्विक परिवर्तन व जलप्लापन – राइक्स, व एम. आर. साहनी।
सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएं व अवशेष –
- हड़प्पा – शंख का बना बैल, स्त्री के गर्भ से निकलता हुआ पौधा, पीतल की इक्का गाड़ी, जौं व गेहूँ, ईंटों के वृत्ताकार चबूतरे।
- मोहनजोदड़ो – नृत्य करती स्त्री की कांसे की मूर्ति, पुजारी(योगी) की मूर्ति, पशुपतिनाथ की प्रतिमा, महाविद्यालय भवन, कपड़े के साक्ष्य, घोड़े के दांत, कुम्भकारों के 6 भट्टे, सूती कपड़ा, हाथी का कपाल खंड, सीपी की पटरी, नर कंकाल।
- चन्हूदड़ो – वक्राकार ईंटें, झूकर-झांकर संस्कृति के अवशेष।
- लोथल – तीन युगल समाधियाँ, धान(चावल), बाजरे के साक्ष्य, घोड़े की मृणमूर्ति, बन्दरगाह, फारस की मोहरें इत्यादि।
- कालीबंगा – जुते खेत, हवनकुण्ड या अग्निकुण्ड, ईंटों से बने चबूतरे, बेलनाकार मोहरें, अलंकृत ईंटें, बेलनाकार मोहरें, हवनकुण्ड, समाधियाँ।
- बनवाली – खिलौना हल, सरसों का ढेर, तिल, अच्छे किस्म के जौं, सड़कें व नालियों के अवशेष, मातृदेवी की मृणमूर्ति, मनके, ताँबे के बाणाग्र, सेलखड़ी की महरें, पकाई हुई मोहरें, चर्ट के फलक, मनुष्य व पशु मूर्तियां।
- सुरकोटता – घोड़े की हड्डियां, एक विशेष प्रकार की कब्रगाह।
- रंगपुर – घान की भूसी, मृदभाण्ड, नालियाँ, पत्थर के फलक, कच्ची ईंटों के दुर्ग।
- कोटदीजी – कांसे की चूड़ियां, वाणाग्र, धातुओं के औजार व हथियार।
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प्रश्न | उत्तर |
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सैंधव सभ्यता से प्राप्त मातृदेवी की मूर्ति को पूजे जाने की बात किसने कही है | मार्शल ने |
पालतू कुत्ते को मालिक के साथ दफनाये जाने के साक्ष्य | रोपड़ से |
धान (चावल) की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य | कोल्डिहवा से |
संसार में मृदभांडों के प्रयोग के प्राचीनतम साक्ष्य | चौपानीमांडो से |
दक्षिण भारत में प्रयुक्त होने वाली पहली फसल | रागी |
हड़प्पा में किसी सभ्यता के दबे होने की बात सर्वप्रथम किसने कही | चार्ल्स मेसन |
हड़प्पा सभ्यता की लिपि कैसी थी | चित्राक्षर |
मेसोपोटामिया की लिपि कैसी थी | कीलनुमा |
हड़प्पा सभ्यता के शहर | नियोजित थे |
मेसोपोटामिया सभ्यता के शहर | अव्यवस्थित थे |
NCERT के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का काल | 2500 से 1800 ई. पू. |
पंजाब के मांटगुमरी (वर्तमान में शाहीवाल) जिले में अवस्थित शहर | हड़प्पा |
रावी नदी के वाएं तट पर अवस्थित शहर | हड़प्पा |
एक श्रंगी पशु आकृति वाली मुहर कहाँ से प्राप्त हुई | मोहनजोदड़ो से |
हाथी का कपाल खंड | मोहनजोदड़ो से |
सड़कों को पक्की करने का सभ्यता का एकमात्र उदाहरण | मोहनजोदड़ो |
किस हड़प्पाई स्थल से करीब 1200 मुद्राओं की प्राप्ति हुई है | मोहनजोदड़ो |
अहमदाबाद में भोगवा नदी के किनारे खम्भात की खाड़ी में अवस्थित नगर | लोथल |
मुर्दों के नगर के रूप में किसे जाना जाता है | लोथल |
तीन युग्मित समाधियां कहाँ से प्राप्त हुई हैं | लोथल |
ममी कहाँ से प्राप्त हुई हैं | लोथल |
साँप के चित्रण वाली मुद्रा कहाँ से प्राप्त हुई है | लोथल |
कालीबंगा से आशय क्या है | काली चूड़ियां |
सात हवनकुंडों के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं | कालीबंगा |
कपड़े में लिपटा उस्तरा कहाँ से प्राप्त हुआ है | कालीबंगा |
सिक्के पर बकरी का अंकन किस स्थल से प्राप्त हुआ है | कालीबंगा |
मैसोपोटामिया के किन स्थलों से हड़प्पाई मुहर मिली | सूसा व उर |
एक श्रंगी आकृति वाली हड़प्पाई मुहर सीरिया के किस स्थल से मिली | हमा |
सभ्यता का समाज चार वर्गों पर आधारित था | योद्धा, विद्वान, व्यापारी, श्रमिक |
यहाँ पर चार प्रजातियों के लोग रहते थे | भूमध्यसागरीय, प्रोटोऑस्ट्रेलायड, मंगोलाइड, व अल्पाइन |
सभ्यता की मुहर पर किस जंगली पशु का चित्रण नहीं मिला है | शेर |
सभ्यता की मुहरों पर किन पशुओं का चित्रण नहीं मिला है | ऊँट व घोड़ा (परंतु इनकी हड्डयां मिली हैं) |
साल 1929 में आमरी की खोज व खनन किसने किया | मजूमदार ने |
हड़प्पाई टीलों का सर्वप्रधम उल्लेख किसने किया | चार्ल्स मैसन |
हड़प्पाई टीलों का सर्वप्रधम उत्खनन किसने किया | कनिंघम |
इस सभ्यता पर अपने लेख को किसने एशियाटिक सोसाइटी में प्रतिवेदित किया था | जे. एफ. फ्लीट |
साल 1921 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक कौन थे | सर जॉन मार्शल |
साल 1921 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के निदेशक कौन थे | दयाराम साहनी |
किस स्थल से सुरक्षा दीवार या किलेबंदी के साक्ष्य मिले हैं | कोटदीजी |
युग्म शवाधान के साक्ष्य | कालीबंगा व लोथल से |
मोहनजोदड़ो की खोज किसने की | 1922 में राखलदास बनर्जी ने |
मोहनजोदड़ो जाने वाले पहले व्यक्ति कौन थे | राखलदास बनर्जी ने |
कोटदीजी की खोज व उत्खनन किसने किया | फजल अहमद |
जम्मू कश्मीर में अवस्थित कौनसा स्थल चिनाव नदी पर अवस्थित था | माण्डा |
सिंध के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दायें तट पर अवस्थित स्थल | मोहनजोदड़ो |
किस स्थल के मकानों से तंदूर के साक्ष्य मिले हैं | कालीबंगा |
आलमगीरपुर, हुलास, मांडी, व बड़गाँव | उत्तर प्रदेश |
कालीबंगा, बालाथल व सोथी | राजस्थान |
वणावली, कुणाल, व राखीगढ़ी | हरियाणा |
हड़प्पा के व्यापार का चौराहा किसे कहा जाता है | सुतकांगेडोर |
धौलावीरा, रंगपुर, सुरकोटदा, देसलपुर, लोथल, रोजदि, शिकारपुर, कुन्तासी | गुजरात |
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्खनित पहला स्थल | रोपड़ |
स्वतंत्रता के बाद सर्वाधिक स्थलों का उत्खनन किस राज्य में हुआ | गुजरात |
किस स्थल का अंत दो भयंकर अग्निकांडों से हुआ | कोटदीजी, कालीबंगा |
तीनों कालों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थल | धौलावीरा, सुरकोटदा, माण्डा, राखीगढ़ी, वणावली |
सभ्यता का सर्वाधिक संकेंद्रण किस घाटी में था | सरस्वती/घग्घर घाटी |
हड़प्पा के उत्खनन से संबंधित लोग | सर जॉन मार्शल, दयाराम साहनी, व माधवस्वरूप वत्स |
तोरण द्वार का नगर व अर्द्ध औद्योगिक नगर | हड़प्पा |
सभ्यता के लिए किसने 'वृहत्तर सिंधु सभ्यता' नाम का सुझाव दिया | ए. आर. मुगल |
हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, चन्हूदड़ो, धौलावीरा, कालीबंगा, व बनावली | इन सात स्थलों को नगर की संज्ञा दी गई है |
सिंधु सभ्यता को किसने प्रथम नगरीय क्रांति कहा | गार्डेन चाइल्ड |
सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल कौनसा है | आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश) |
सभ्यता का सबसे पश्चिमी स्थल कौनसा है | सुतकांगेडोर |
सभ्यता का सबसे उत्तरी स्थल कौनसा है | मांडा (जम्मू कश्मीर) |
सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल कौनसा है | दायमाबाद (महाराष्ट्र) |
सोथी संस्कृति के मृदभांडों की खोज किसने की | अमलानन्द घोष |
हाथी के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए हैं | रोजदि (गुजरात) |
मुओं का भाटा (मृतकों का टीला), रेगिस्तान का बगीचा, व स्तूपों का शहर | मोहनजोदड़ो |
चाँदी का प्राचीनतम साक्ष्य कहाँ से मिला | मोहनजोदड़ो से |
चांदी का कलश व शिलाजीत कहाँ से पाया गया | मोहनजोदड़ो |
मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारती संरचना कौनसी है | अन्नागार |
मलेरिया का प्राचीनतम साक्ष्य कहाँ से मिला | मोहनजोदड़ो से |
जुते हुए खेत के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं | कालीबंगा से |
एक युगम शवाधान की प्राप्ति कहां से हुई है | कालीबंगा |
तीन युगम शवाधानों की प्राप्ति कहां से हुई है | लोथल |
सुमेरियन नावों के चित्रांकन वाली मोहर किस स्थान से प्राप्त हुई है | मोहनजोदड़ो से |
कौनसा नगर बाढ़ के कारण सात बार उजड़ा और बसा | मोहनजोदड़ो |
किस स्थल का मिश्र व सीरिया के साथ सीधा व्यापार होता था | लोथल |
ममी व फारस की खाड़ी प्रकार की मोहर कहां से प्राप्त हुई है | लोथल |
20 खंभो वाला सभा भवन कहाँ पर मिला है | मोहनजोदड़ो |
ताँबे की हेयरपिन कहाँ से प्राप्त हुई है | मोहनजोदड़ो से |
जालीदार जुताई के साक्ष्य कहां पर मिले हैं | कालीबंगा |
कुत्ता, खरगोश, बैल व, बत्तख की ताँबे की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुई है | लोथल से |
कौनसा स्थल सरस्वती (घग्घर) नदी के किनारे स्थित था | कालीबंगा |
कौनसा स्थल मनहर व मानसेहरा नदियों के बीच स्थित था | धौलावीरा |
लकड़ी की नाली के साक्ष्य कहाँ पर मिले हैं | कालीबंगा |
सभ्यता की तीसरी राजधानी किसे कहा गया है | कालीबंगा |
मनके बनाने का कारखाना कहाँ से प्राप्त हुआ है | चन्हूदड़ो |
लघु हड़प्पा या लघु मोहनजोदड़ो की संज्ञा किसे दी जाती है | चन्हूदड़ो |
सभ्यता की सबसे बड़ी इमारती संरचना कौनसी है | लोथल बंदरगाह |
कालीबंगा में उत्खनन किसकी अध्यक्षता में हुआ | बी. के. थापर व बी. बी. लाल |
झूकर झाकर संस्कृति के अवशेष कहाँ से मिले हैं | चन्हूदड़ो से |
राजसभा का साक्ष्य किस स्थल से प्राप्त हुआ है | धौलावीरा से |
हाथी दांत का स्केल कहां से प्राप्त हुआ है | लोथल से |
स्नानागार की सीढ़ियां किस दिशा में बनी थीं | उत्तर व दक्षिण |
घोड़े की हड्डियां किस हड़प्पाई स्थल से प्राप्त हुई हैं | सुरकोटदा से |
मिट्टी का हल कहाँ से प्राप्त हुआ है | बनावली से |
पक्की ईंट की नालियों का साक्ष्य कहाँ से मिला है | चन्हूदड़ो से |
भारत में अवस्थित सबसे बड़ा हड़प्पाई स्थल | राखीगढ़ी |
किस स्थल से नेवले की पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई है | धौलावीरा से |
किस स्थल से चाँदी का मुकुट प्राप्त हुआ | कुणाल से |
पंचतंत्र की चालाक लोमड़ी की आकृति कहां से प्राप्त हुई है | लोथल से |
किस स्थल को समृद्ध लोगों का शहर कहा जाता है | बनावली |
पत्थर की चुनाई वाले भवनों के साक्ष्य | सुरकोटदा से |
यज्ञ की सात आयताकार वेदियां कहाँ से मिली | कालीबंगा से |
भूकंप का प्राचीनतम प्रमाण कहाँ से मिलता है | कालीबंगा से |
अंतिम संस्कार की तीनों विधियों के साक्ष्य कहाँ से मिले हैं | कालीबंगा से |
कहाँ से प्राप्त मुहरों पर बाँध की आकृति मिलती है | कालीबंगा |
किले या दुर्ग का द्विभागीकरण कहाँ से मिला है | कालीबंगा से |
कौनसा हड़प्पाई स्थल हिंडन नदी पर अवस्थित था | आलमगीरपुर |
कार्बन डेटिंग के आधार पर सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण किसने किया | धर्मपाल अग्रवाल |
कार्बन डेटिंग के आधार पर हड़प्पा सभ्यता की कालावधि कितनी मानी गई है | 2300 ई. पू. से 1700 ई. पू. |
ऊँट की हड्डियां कहाँ से प्राप्त हुई | कालीबंगा से |
सभ्यता की लिपि कौनसी थी | बूस्ट्रोफेडन लिपि |
सभ्यता के नगरों का निर्माण किस पद्यति के आधार पर हुआ था | चेसबोर्ड या ग्रिड पद्यति |
मिट्टी की खिलौना नाव कहां से प्राप्त हुई है | लोथल से |
कौनसा स्थल गुजरात में मादर नदी पर अवस्थित था | रंगपुर |
कौनसा स्थल साबरमती व भोगवा के संगम पर अवस्थित था | लोथल |
बैल की आक्रामक मुद्रा की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुई | कालीबंगा से |
ताँबे का श्रंगारदान कहाँ से मिला है | उर से |
दिल्मुन की पहचान किसके रूप में की गई है | बहरीन द्वीप |
सभ्यता की सबसे प्राचीन स्त्री की मूर्ति कहाँ से प्राप्त हुई है | मेहरगढ़ |
कछुआ, मछली व, घड़ियाल की मृणमूर्तियां कहां से मिली हैं | हड़प्पा |
मालिक के साथ बकरी को दफनाने के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं | लोथल से |
अपवादस्वरूप किस एक स्थल से नहरों के साक्ष्य मिले हैं | शोर्तघई |
सीप उद्योग का केंद्र | लोथल व बालाकोट |
कौनसा क्षेत्र लाजवर्द मणि के लिए प्रसिद्ध था | बदख्शा (अफगानिस्तान) |
सभ्यता वासियों को किस धातु का ज्ञान नहीं था | लोहा |
किन स्थलों से खोपड़ी की शल्य चिकित्सा के साक्ष्य मिले हैं | कालीबंगा, व लोथल |
वाट किस पत्थर के बने होते थे | चर्ट |
गड्ढे खोदने के साक्ष्य कहाँ से मिले हैं ? | बुर्जहोम, व रंगपुर |
बुर्जहोम कहाँ है ? | कश्मीर |
रंगपुर कहाँ है ? | गुजरात |
भारत में प्रयोग की जाने वाली पहली धातु कौनसी थी ? | तांबा |
हड़प्पा वासियों को किसकी जानकारी नहीं थी ? | वैज्ञानिक तरीके से बनाई गई मेहराब। |
मोहनजोदड़ो में सड़कों की चौंड़ाई कितनी थी ? | 13.5 से 33 फुट |
हड़प्पा वासियों को किसकी जानकारी नहीं थी ? | कुएं पर पुल्ली |
मेसोपोटामिया की सुमेरियन भाषा को किस भाषा से प्रतिस्थापित किया ? | अक्काडियन (अक्कदी) |
मेसोपोटामिया के लोग हड़प्पा सभ्यता को किस नाम से जानते थे ? | मेलुहा (मोहनजोदड़ो) |
मेसोपोटामिया को इतिहास में किस अवधि को प्राथमिक राज्य गठन का युग माना जाता है ? | उरुक काल |
हरियाणा में स्थित हड़प्पाई स्थल कौन कौनसे हैं ? | राखीगढ़ी, बनावली, मिताथल, रिसवल |
हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु आर्य आक्रमण का सिद्धांत किसने दिया ? | मार्टिन व्हीलर |
मिट्टी की 274 मुहरें किस प्राचीन स्थान से मिली हैं ? | बसाढ़ |
एक मानव अस्थि पंजर के पास एक बकरे का अस्थि पंजर किस स्थल से प्राप्त हुआ है ? | मोहनजोदड़ो |
सात अग्नि कुण्ड किस स्थान से प्राप्त हुए हैं ? | कालीबंगा |
कौनसा हड़प्पाई स्थल भूकंप के आरंभिक साक्ष्य को दर्शाता है ? | कालीबंगा |
किस स्थल से अग्निपूजा के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ? | कालीबंगा |
पकी मिट्टी का पैमाना (स्केल) कहाँ से प्राप्त हुआ है ? | कालीबंगा |
मजदूरों के मकानों के अवशेष कहाँ से मिले हैं ? | हड़प्पा |
कहाँ से प्राप्त मुहर पर बाघ से लड़ता हुआ व्यक्ति अंकित है ? | मोहनजोदड़ो |
मिट्टी के रथ का नमूना कहाँ से मिला है ? | राखीगढ़ी |
समाधि आर-37 और समाधि एच कहाँ प्राप्त हुई हैं ? | हड़प्पा |
ताम्रनिधियां आर्यों की कर्तव्य हैं यह किसका कथन है ? | एच. गेल्डर्न |
किस हड़प्पाई स्थल से मध्यनगर का प्रमाण मिला है ? | कालीबंगा |
किस पशु का अंकन हड़प्पाई मुहरों पर नहीं हुआ है ? | गाय |
सर्वाधिक सैंधव स्थल किस नदी के तट पर मिले हैं ? | घग्घर (सरस्वती) नदी |
सिंधु सभ्यता की लिपि की जानकारी प्राप्त होती है ? | मुहरों से |
सैंधव सभ्यता कैसे ज्ञात हुई ? | उत्खनन से |
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या थी ? | नगर नियोजन |
गोदीबाड़ा के साक्ष्य किस हड़प्पाई स्थल से प्राप्त हुए हैं ? | लोथल |
एक युगल शवाधान की प्राप्ति किस स्थल से हुई है ? | कालीबंगा |
तीन युगल शवाधान की प्राप्ति किस स्थल से हुई है ? | लोथल |
– हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता।