क्या है What Is ?
स्टील्थ विमान क्या है ?
शत्रु की निगरानी प्रणाली (राडार सिस्टम) से बचने में सक्षम विमान को स्टील्थ विमान कहा जाता है। इसे इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि यह शत्रु की निगरानी प्रणाली में मॉनीटर न किया जा सके। यह तकनीक विकसित करने वाला देश अमेरिका है। सबसे पहले अमेरिका ने ही इस तकनीक को विकसित एवं प्रयोग किया। हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने भी इस तरह के विमान बनाने की योजना बनाई थी। विश्व के पहले स्टील्थ विमान का नाम ‘हॉर्टेन हो 229’ है।
विश्व के कुछ देशों के पास ही स्टील्थ विमान निर्माण की तकनीक है। कुछ देश ही अब तक इसका परीक्षण कर पाये हैं। परंतु कुछ अभी इसे विकसित करने में ही लगे हैं। मारक अभियान में स्टील्थ प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाला अमेरिका एकमात्र देश है। अमेरिका ने स्टील्थ पोत ‘एफ-2 रैप्टर’ का परीक्षण 7 सितंबर 1997 को किया था। इसके बाद 15 दिसंबर 2006 को अमेरिका ने ‘एफ-35 लाइटिंग 2’ का परीक्षण किया। भारत भी रूस के साथ मिलकर इस तकनीक पर काम कर रहा है।
अंतरिक्ष कचरा क्या है ? या अंतरिक्ष मलबा किसे कहते हैं ?
पृथ्वी के आस पास की कक्षा में मानवों द्वारा निर्मित निश्चेत वस्तुओं के जमावबाड़े को अंतरिक्ष कचरा कहा जाता है। विश्व भर के कई देश स्पेस टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में विकास कर रहे हैं। हर देश अपना संचार नेटवर्क विस्तृत करने की होड़ में लगा है। हर देश आज अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट स्थापित करने में लगा है। इन सभी कृत्रिम उपग्रहों का कार्यकाल असीमित नहीं होता। वरन ये कुछ सालों बाद काम करना बंद कर देते हैं। आपने हर देश को आज तक सैटैलाइट स्थापित करते ही सुना होगा। क्या कभी किसी देश को अपना सेवानिवृत्त सैटैलाइट बापस लाते सुना है ?
1 से 10 सेमी. के लाखों टुकड़े पृथ्वी की कक्षा में 28164 किलोमीटर की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। इस कचरे में अधिकांश पृथ्वी की कक्षा से 2000 किलोमीटर के दायरे में है। इनका सर्वाधिक संकेंद्रण 750 से 800 किलोमीटर के क्षेत्र में है। इतनी रफ्तार से घूम रहे ये टुकड़े किसी भी कृत्रिम उपग्रह से टकराने पर बेहद नुकसानदायक हो सकते हैं।
अंतरिक्ष कचरा निगरानी प्रणाली –
अमेरिकी रक्षा विभाग ने इन घटनाओं से बचने के लिए अंतरिक्ष कचरा निगरानी प्रणाली को विकसित किया है। यह प्रणाली किसी सक्रिय उपग्रह के मार्ग पर कचरा आ जाने पर चेतावनी जारी कर देती है।
अंतरिक्ष कचरे के कारण हुई घटनाएं –
- साल 1996 ई. में फ्रांस का एक उपग्रह रॉकेट के मतबे से क्षतिग्रस्त हो गया था।
- साल 2009 ई. में एक रूसी निष्क्रिय उपग्रह ने अमेरिका के एक सक्रिय उपग्रह को नष्ट कर दिया।
- 2013 में ध्वस्त किये चीन के एक उपग्रह ने रूस के उपग्रह ‘ब्लिट्स’ को क्षतिग्रस्त कर दिया।
अंतरिक्ष युद्ध क्या है ? या स्पेस वार क्या है ?
आप सभी में से कुछ लोगों ने ही स्पेस वार के बारे में सुना होगा। बहुत कम लोगों को ही अंतरिक्ष युद्ध की जानकारी होगी। जिन्होंने पहली बार यह शब्द सुना है उनके दिमाग में इसे सुनते ही जो तस्वीर बनी होगी वो शायद गार्जियंस ऑफ द् गैलैक्सी फिल्म की तरह होगी। अंतरिक्ष युद्ध से लोग मिसाइल, हैलीकॉप्टर, रॉकेट इत्यादि से लड़ा जाने वाला युद्ध समझ लेते हैं। परंतु जरा ठहरिये, यदि आपने भी ऐसा सोचा है तो आप गलत हैं। दरअसल वर्तमान युग में हमारी हर जानकारी का इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क के माध्यम से आदान प्रदान किया जाता है। संचार व GPS के लिए उपग्रह (सैटेलाइट) स्थापित किये जाते हैं। सुरक्षा व्यवस्था में भी इन संचार उपग्रहों का बहुत अहम योगदान है। यदि देश के किसी एक छोर पर किसी तरह का विदेशी हमला होता है।
तो तुरंत वह जानकारी अन्य सुरक्षा एजेंसियों, विभागों व केंद्रों को भेज दी जाती है। इससे बेहद कम समय में ही थल सेना, वायु सेना व नौसेना की तमाम टुकड़ियां मदद के लिए पहुँच जाती है। लेकिन जरा कल्पना कीजिए यदि किसी देश के संचार नेटवर्क को ही ठप कर दिया जाए तो ? क्या ये संभव है ? अब तक तो नहीं था, परंतु अब ये संभव है। यदि किसी देश के संचार उपग्रहों को मिसाइल के जरिये निशाना बना के नष्ट कर दिया जाए तो उसकी पूरी संचार व्यवस्था ठप्प हो जाएगी। इसका भयावह असर ये होगा कि देश के एक कोने पर विदेशी कब्जा कर लेगा और धीरे धीरे दूसरी ओर बढ़ना शुरु कर देगा। बाकी के क्षेत्र को इसका पता तक नहीं चलेगा। जी हाँ यही है स्पेस वार, जिसमें किसी देश के संचार उपग्रहों को नष्ट कर दो और बाकी का काम सैन्य शक्ति पर छोड़ दो।
रेयर अर्थ मैटेरियल्स क्या है ?
पृथ्वी की पपड़ी में पायी जाने वाली तत्वों की श्रंखलाओं को दुर्लभ पार्थिव सामग्रियां यानि की रेयर अर्थ मटेरियल्स के रूप में जाना जाता है। इनमें विशिष्ट चुम्बकीय, इलेक्ट्रोकेमिकल व प्रकाशकीय विशेषताएं पायी जाती हैं। ये बहुत से आधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए उपयोगी हैं। जैसे – इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, संचार, नेटवर्क, कम्प्यूटर, स्वच्छ ऊर्जा इत्यादि। कुल 17 ऐसे तत्व हैं जिन्हें रेयर मैटिरियल्स माना जाता है। इनमें 15 लैंथानाइड श्रंखला के अंतर्गत आते हैं और अन्य 2 स्कैंडियम व यित्रियम हैं। खोजे गए रेयर अर्थ मटेरियल्स में पहला ‘गैडोलिनाइट’ था।
प्रथम औद्योगिक क्रांति –
18वीं – 19वीं शताब्दी में यूरोप में हुई। मुख्य रूप से यूरोप में घटित यह भाप शक्ति आधारित थी।
द्वितीय औद्योगिक क्रांति –
19वीं शताब्दी में हुए विद्युत, वायुयान व दहन इंजन के आविष्कारों ने द्वितीय औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया।
तृतीय औद्योगिक क्रांति –
1960 के दशक में चार्ल्स बैवेज द्वारा कम्प्यूटर का अविष्कार किया गया। इसके साथ ही सूचना व प्रौद्योगिकी का विकास हुआ। इसने तृतीय औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया। 1990 के दशक में यह क्रांति अपने चरम पर पहुँच गई।
चतुर्थ औद्योगिक क्रांति क्या है ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए. आई.) तकनीक, ऑटो पायलेट कार, 3डी प्रिंटिंग जैसी तकनीकों के साथ चतुर्थ औद्योगिक क्रांति की संभावना जताई जा रही है। जनवरी 2016 में दावोस (स्विजरलैंड) में विश्व आर्थिक मंच की बैठक का आयोजन हुआ। इसमें विश्व आर्थिक संकट के साथ जो दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा उभरकर आया। वो था स्मार्ट मशीनरी आधारित चौथी औद्योगिक क्रांति के आगमन का। पूर्व तीन औद्योगिक क्रांतियों के समान इसे भी उतना ही प्रभावी होने की संभावना व्यक्त की गई। इसमें स्मार्ट रोबोट्स व अपेक्षाकृत हल्की व कठोर सामग्रियों के क्षेत्र में नवाचार की बात कही गई। हालांकि इसका एक दुष्परिणाम यह होगा कि इससे लाखों नौकरियां समाप्त हो जाएंगी। जो कि समाज में आर्थिक असमानता भी लाएगी।
महाविस्फोट सिद्धांत क्या है ? What is Big Bang Theory :-
बिग बैंग सिद्धांत ब्रह्माण की उत्पत्ति से संबंधित है। यह सिद्धांत जॉर्ज लैमेन्टर ने दिया था। यह ब्रह्माण की उत्पत्ति का सबसे प्रचलित सिद्धांत है। बिग बैंग थ्योरी के अनुसार ब्रह्माण की उत्पत्ति एक पिण्ड में हुए विस्फोट के फलस्वरूप हुई। जिसे महाविस्फोट की संज्ञा दी गई। बेल्जियम के खलोलशास्त्री जॉर्ज लैमेन्तेर ने इसका प्रतिपादन 1960-70 ई. में किया। इनके अनुसार करीब 15 अरब साल पहले एक विशालकाय पिण्ड था। इसका निर्माण भारी पदार्थों से हुआ था। अचानक हुए इसमें विस्फोट से पदार्थों का बिखराव हुआ। तब से इसमें निरन्तर विस्तार हो रहा है।