‘भारत के राजवंश व शासक’ शीर्षक के इस लेख में भारत के लगभग सभी छोटे-बड़े राजवंशों को संकलित किया गया है।
प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक भारतीय उपमहाद्वीप पर तमाम राजवंशों का शासन रहा है। इन राजवंशों में मुख्यतः उत्तर भारत के शासकों के ही नाम सर्वत्र मिलते हैं। परंतु इनके अतिरिक्त और भी बहुत से छोटे छोटे राजवंशों का अस्तित्व रहा है।
भारत के राजवंश निम्नलिखित हैं –
हर्यक वंश –
हर्यक वंश को मगध साम्राज्य का पहला वंश माना जाता है। इस हर्यक वंश के शासकों ने 544 ई. पू. से 412 ई. पू. तक शासन किया। इस वंश के प्रमुख शासन निम्नलिखित हैं –
- बिम्बिसार (544-492 ई.पू.)
- अजातशत्रु (492-460 ई.पू.)
- उदायिन (460-445 ई.पू.)
- नागदशक (अंतिम शासक)
शिशुनाग वंश (412-344 ई.पू.) के शासक –
- शिशुनाग (412-394 ई.पू.)
- कालाशेक या काकवर्ण (394-366 ई.पू.)
- नन्दिबर्द्धन या महानन्दिन (अंतिम शासक)
नंदवंश के शासक (344-323 ई.पू.) –
- महापद्मनंद
- धनानन्द
मौर्य वंश के शासक(323-184 ई.पू.)
- चंद्रगुप्त मौर्य (323-298 ई.पू.)
- बिन्दुसार (298-273 ई.पू.)
- अशोक (273-232 ई.पू.)
- कुणाल (धर्मविवर्धन). जालौक, वीरसेन, दशरथ
- वृहद्रथ (अंतिम शासक)
शुंग वंश –
पुष्यमित्र ने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना की। यज्ञसेन को शुंगों का स्वाभाविक शत्रु कहा जाता है।
- पुष्यमित्र शुंग
- अग्निमित्र
- वसुज्येष्ठ, वसुमित्र, आंध्रक, घोष, वज्रमित्र
- देवभूति (अंतिम शासक)
कण्व वंश (75-30 ई.पू.)
शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या कर वसुदेव ने कण्व वंश की स्थापना की।
- वसुदेव
- भूमिमित्र
- नारायण
- सुशर्मन (अंतिम शासक)
सातवाहन वंश (30 ई.पू. – 250 ई.)
इस वंश का शासन, आंध्रा, महाराष्ट्र व कर्नाटक के क्षेत्र पर था। प्रारंभ में सातवाहनों की राजधानी धान्यकटक (अमरावती) थी। शातकर्णी प्रथम ने प्रतिष्ठान (पैठान) को सातवाहनों की राजधानी बनाया।
- सिमुक
- शातकर्णी प्रथम
- हाल
- गौतमीपुत्र शातकर्णी (106-130 ई.)
- वशिष्ठीपुत्र पुलवामी (130-154 ई.)
- शिवश्री शातकर्णी (154-165 ई.)
- शिवस्कंद शातकर्णी (165-174 ई.)
- यज्ञश्री शातकर्णी (174-203 ई.)
- पुलवामी चतुर्थ (अंतिम शासक)
चेदि वंश –
चेदि वंश ने कलिंग पर राज्य किया था।
- महामेघवाहन
- खारवेल
गुप्त वंश के शासक –
- श्रीगुप्त
- घटोत्कच
- चंद्रगुप्त प्रथम (319-350 ई.)
- समुद्रगुप्त (350-375 ई.)
- चंद्रगुप्त द्वितीय/विक्रमादित्य (375-415 ई.)
- कुमारगुप्त प्रथम/महेंद्रादित्य (415-455 ई.)
- स्कंदगुप्त (455-467 ई.)
- पुरुगुप्त, नरसिंह गुप्त बालादित्य, कुमारगुप्त द्वितीय, बुद्धगुप्त, भानुगुप्त, वैन्यगुप्त, कुमारगुप्त त्रतीय
- विष्णुगुप्त तृतीय (अंतिम शासक)
पुष्यभूति वंश या वर्धन वंश –
- पुष्यभूति
- प्रभाकर वर्धन
- राज्यवर्धन
- हर्ष वर्धन (606-647 ई.)
मैत्रक वंश के शासक –
- भट्टारक
- धरसेन
- ध्रुवसेन प्रथम
- धरनपट्ट गुहसेन
- शिलादित्य प्रथम
मौखरि वंश के शासक –
- हरिवर्मा
- ईशान वर्मा
- सर्व वर्मा
बंगाल का पाल वंश –
- गोपाल (750-770 ई.)
- धर्मपाल (770-810 ई.)
- देवपाल (810-850 ई.)
- विग्रहपाल
- नारायण पाल
- राज्यपाल
- गोपाल द्वितीय
- विग्रहपाल द्वियीत
- महिपाल प्रथम (978-1038 ई.)
- रामपाल (1075-1120 ई.)
- कुमारपाल
- गोपाल तृतीय
- मदनपाल
बंगाल का सेन वंश –
- सामंतसेन
- विजयसेन (1095-1158 ई.)
- बल्लालसेन (1158-1178 ई.)
- लक्ष्मण सेन (1179-1205 ई.)
कश्मीर का कार्कोट वंश –
- दुर्लभ वर्धन
- दुर्लभक (632-682 ई.)
- चंद्रापीड
- तारापीड
- ललितादित्य मुक्तिपीड
- डयापीड (अंतिम शासक)
उत्पल वंश –
- अवंति वर्मन (855-883 ई.)
- रानी दिद्दा (980-1003 ई.)
कश्मीर का लोहार वंश –
- संग्रामराज (1003-1028 ई.)
- अनंत
- हर्ष (कश्मीर का नीरो) – कल्हण इसी का आश्रित कवि था।
- जयसिंह (अंतिम शासक) -1128 से 1155 ई.
गुर्जर प्रतिहार
- हरिश्चंद्र
- नागभट्ट प्रथम (730-756 ई.)
- वत्सराज (775-800 ई.)
- मिहिरभोज प्रथम (836-885 ई.)
- महेंद्रपाल प्रथम (885-910 ई.)
- महिपाल प्रथम (912-944)
- महेंद्रपाल द्वितीय
- देवपाल
- विनायक पाल द्वितीय
- महिपाल द्वितीय
- विजयपाल
- राज्यपाल
- यशपाल (अंतिम शासक)
कन्नौज का गहड़वाल वंश –
- चंद्र देव
- गोविंद चंद्र (1114-1155 ई.) – सर्वाधिक शक्तिशाली शासक
- जयचंद (1170-1194 ई.) – गोरी से हुई चंदावर की लड़ाई में मारा गया।
शाकंभरी का चौहान वंश –
- अजयराज – अजमेर की स्थापना की और उसे राजधानी बनाया।
- विग्रहराज चतुर्थ/वीसलदेव (1153-1163 ई.)
- पृथ्वीराज तृतीय/चौहान/रायपिथौरा (1178-1192 ई.)
चंदेल वंश –
- यशोवर्मन (925 – 950 ई.)
- धंग देव (950-1007 ई.)
- गंड देव
- विद्याधर चंदेल (1019-1029 ई.)
- परमर्दिदेव/परमल
मालवा का परमार वंश –
परमारों की प्रारंभिक राजधानी उज्जैन थी। बाद में इन्होंने धार को अपनी राजधानी बनाया।
- उपेंद्र अथवा कृष्णराज
- सीयक या श्रीहर्ष
- वाक्यपति मुंज (973-995 ई.)
- राजा भोज (1000-1055 ई.)
अन्हिलवाड़ा (गुजरात) का चालुक्य/सोलंकी वंश –
इस वंश के शासक जैन धर्म के पोषक व संरक्षक थे।
- मूलराज प्रथम
- भीम प्रथम (1022-1064 ई.) – इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक
- जयसिंह सिद्धराज (1094-1143 ई.) – प्रसिद्ध जैन आचार्य हेमचंद्र इसी के दरबार में थे।
- कुमारपाल (1143-1172 ई.)
- अजयपाल (1172 – 1176 ई.)
- मूलराज द्वितीय (1176 – 1178 ई.)
- भीम द्वितीय (1178 – 1195 ई.) – अंतिम शासक
कलचुरि (चेदि) वंश –
कलचुरि शासकों की राजधानी त्रिपुरी थी।
- कोकल्ल प्रथम
- गांगेय देव (1019 – 1040 ई.)
काकतीय वंश –
- प्रोल द्वितीय
- रुद्र प्रथम
- महादेव
- गणपति
होयसल वंश –
होयसल वंश की राजधानी द्वारसमुद्र (हलेबिड) थी।
- विष्णु वर्धन
- वीर बल्लाल तृतीय
चोल साम्राज्य –
संगम काल के तीन राज्यों में चोल राज्य सर्वाधिक शक्तिशाली था। उरैयूर इसका प्रमुख केंद्र था। चोल शासकों का राजकीय चिह्न बाघ था।
- एलारा
- करिकाल
चेर साम्राज्य के शासक –
- उदियन जेरल – महाभारत के योद्धाओं को भोजन कराया, पाकशाला बनवाई।
- नेंदुजीरल आदन
- शेनगुट्टवन (लाल चेर)
- सैईये (अंतिम शासक)
पांड्य शासक –
पांड्यों का साम्राज्य कावेरी नदी के दक्षिण में अवस्थित था। मदुरै पांड्य राज्य की राजधानी थी। कार्प (मछली) इस राज्य का राजकीय चिह्न था।
- नेडियोन
- नेंडुजेलियन
- नल्लिवकोडन (अंतिम शासक)
राष्ट्रकूट वंश –
राष्ट्रकूट शासकों की राजधानी मान्यखेट थी।
- दंतिदुर्ग
- अमोघवर्ष (814 – 878 ई.)
- इंद्र तृतीय
- कृष्ण तृतीय
- तैलप द्वितीय (अंतिम शासक)
वाकाटक वंश के शासक –
- विंध्यशक्ति (255 ई.)
- प्रवरसेन द्वितीय – राजधानी को नंदिवर्धन से प्रवरपुर ले गया।
पल्लव वंश –
- सिंह विष्णु (565 – 600 ई.)
- महेंद्रवर्मन प्रथम (600 – 630 ई.)
- नरसिंह वर्मन प्रथम (630 -668 ई.)
- नरसिंह वर्मन द्वितीय (700 – 728 ई.)
- दंतिवर्मन
- अपराजित (अंतिम शासक)
चोल वंश के शासक
- विजयालय
- परांतक प्रथम (907 – 953 ई.)
- परांतक द्वितीय या सुंदर चोल
- उत्तम चोल
- राजराज प्रथम (985 – 1014 ई.)
- राजेंद्र प्रथम – गंगैकोंडचोलपुरम को राजधानी बनाया।
- राजेंद्र द्वितीय
- वीर राजेंद्र
- अधिराजेंद्र
- कुलोत्तुंग प्रथम (1070 – 1120 ई.) – इसका पिता चालुक्य व माता चोल थी।
- कुलोत्तुंग द्वितीय (1135 – 1150 ई)
- राजेंद्र तृतीय (अंतिम शासक)
गुलाम वंश के शासक –
- कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-10 ई.)
- आरामशाह (1210 ई.)
- इल्तुतमिश (1210-36 ई.)
- रुकनुद्दीन फिरोज (1236 ई.)
- रजिया सुल्तान (1236-40 ई.)
- बहरामशाह (1240-42 ई.)
- अलाउद्दीन मसूदशाह (1242-46 ई.)
- नासिरुद्दीन महमूद (1246-65 ई.)
- बलबन (1266-87 ई.)
- कैकुबाद (1287-90 ई.)
- क्यूमर्स (1290 ई.)
खिलजी वंश के शासक –
- जलालुद्दीन खिलजी (1290-96 ई.)
- इब्राहीम रुकनुद्दीन (1296 ई.)
- अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.)
- शिहाबुद्दीन उमर (1316 ई.)
- मुबारक शाह (1316-20 ई.)
तुगलक वंश के शासक –
- गयासुद्दीन तुगलक (1320-25 ई.)
- मुहम्मद बिन तुगलक (1325-51 ई.)
- फिरोजशाह तुगलक (1351-88 ई.)
- गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय 1388-89 ई.)
- अबूबक्र शाह (1389-90 ई.)
- नासिरुद्दीन मोहम्मद (1390-94 ई.)
- अलाउद्दीन सिकंदर शाह (1394 ई.)
- नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ई.)
सैय्यद वंश के शासक –
- खिज्र खां (1414-21 ई.)
- मुबारक शाह (1421-34 ई.)
- मुहम्मद शाह (1434-45 ई.)
- आलमशाह (1445-51 ई.)
लोदी वंश के शासक –
- बहलोल लोदी (1451-89 ई.)
- सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.)
- इब्राहीम लोदी (1517-26 ई.)
मुगल वंश के शासक –
- बाबर (1526-30 ई.)
- हुमायूं (1530-40 ई.) (1555-56 ई.)
- अकबर (1556-1605 ई.)
- जहाँगीर (1605-1827 ई.)
- शाहजहाँ (1627-58 ई.)
- औरंगजेब आलमगीर (1658 -1707 ई.)
- बहादुर शाह (1707-12 ई.)
- जहाँदार शाह (1712-13 ई.)
- फर्रुखशियर (1713-19 ई.)
- रफी उद् दरजात (28 फरवरी – 4 जून 1719 ई.)
- रफी उद् दौला (6 जून – 17 सितंबर 1719 ई.)
- मुहम्मद शाह या रौशन अख्तर (1719-48 ई.)
- अहमदशाह (1748-54 ई.)
- आलमगीर द्वितीय (1754-58 ई.)
- शाहजहाँ तृतीय (1758-59 ई.)
- शाहआलम द्वितीय (1759 – 1806 ई.)
- अकबर द्वितीय (1808-37 ई.)
- बहादुर शाह जफर (1837-57 ई.)
भारत के राजवंश में मुगल वंश अंतिम सिद्ध हुआ। इसके बाद भारत में ब्रिटिश क्राउन का अधिकार हो गया।
‘भारत के राजवंश व शासक’ लेख समाप्त।