रामसर स्थल | Ramsar Site

रामसर स्थल | Ramsar Site : रामसर कन्वेंशन 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामरस शहर में आस्तित्व में आया। भारत 1 फरवरी 1982 को रामसर कन्वेंशन में शामिल हुआ। वर्तमान (जुलाई 2023) में भारत में कुल 75 रामसर स्थल हैं। सर्वाधिक रामसर स्थलों की संख्या तमिलनाडु (14), तत्पश्चात उत्तर प्रदेश (10) में है।

रामसर स्थलों की सूची –

रामसर स्थलराज्यघोषित वर्ष
चिल्का झीलओडिशा1981
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यानराजस्थान1981
लोकटक झीलमणिपुर1990
वुलर झीलजम्मू-कश्मीर1990
हरिके झीलपंजाब1990
सांभर झीलराजस्थान1990
कंजली झीलपंजाब2002
रोपड़ आर्द्रभूमिपंजाब2002
कोलेरु झीलआंध्रप्रदेश2002
दीपोर बीलअसम2002
पोंग बांध झीलहिमाचल प्रदेश2002
त्सो मोरीरी झीललद्दाख2002
अष्टमुडी झीलकेरल2002
संस्थमकोट्टा झीलकेरल2002
वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि क्षेत्रकेरल2002
भोज आर्द्रभूमिमध्यप्रदेश2002
भितरकनिका मैंग्रोवओडिशा2002
प्वॉइंट कैलिमर और पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2002
पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमिपश्चिम बंगाल2002
चंदेरटल आर्द्रभूमिहिमाचल प्रदेश2005
रेणुका आर्द्रभूमिहिमाचल प्रदेश2005
होकेरा आर्द्रभूमिजम्मू-कश्मीर2005
सुरिंसर और मानसर झीलजम्मू-कश्मीर2005
रुद्रसागर झीलत्रिपुरा2005
ऊपरी गंगा नदीउत्तर प्रदेश2005
नालसरोवर पक्षी अभयारण्यगुजरात2012
सुंदरवन डेल्टा क्षेत्रप. बंगाल2019
नंदुर मध्यमेश्वरमहाराष्ट्र2019
केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्वपंजाब2019
नांगल वन्यजीव अभयारण्यपंजाब2019
व्यास संरक्षण रिजर्वपंजाब2019
नवाबगंज पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
साण्डी पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
समसपुर पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
समन पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
पार्वती आरगा पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
सरसई नावर झीलउत्तर प्रदेश2019
आसन कंजर्वेटिव रिजर्वउत्तराखण्ड2020
काबर ताल झीलबिहार2020
लोनार झीलमहाराष्ट्र2020
सुर सरोवर झीलउत्तर प्रदेश2020
त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्रलद्दाख2020
वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्रगुजरात2021
थोल झील वन्यजीव अभयारण्यगुजरात2021
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यानहरियाणा2021
भिड़ावास वन्यजीव अभयारण्यहरियाणा2021
हैदरपुर वेटलैंडउत्तर प्रदेश2021
बखीरा वन्यजीव अभयारण्यउत्तर प्रदेश2022
खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्यगुजरात2022
किरिकिली पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
पल्लिकरनई मार्स रिजर्व फॉरेस्टतमिलनाडु2022
पिचवरम मैंग्रोवतमिलनाडु2022
पाला आर्द्रभूमिमिजोरम2022
साख्य सागरमध्यप्रदेश2022
कुनथनकुलम पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
मन्नार की खाड़ीतमिलनाडु2022
उदयमार्थदपुरम पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
वेलोड पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्पलेक्सतमिलनाडु2022
सतकोसिया गॉर्जओडिशा2022
नंदा झीलगोवा2022
रंगनाथितु वी एसकर्नाटक2022
शिरपुर आर्द्रभूमिमध्यप्रदेश2022
टंपारा झीलओडिशा2022
हीराकुंड रिजर्वओडिशा2022
अनसुपा झीलओडिशा2022
यशवंत सागरमध्यप्रदेश2022
चित्रांगुडी पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
सुचिंद्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्पलेक्सतमिलनाडु2022
वडुवुर पक्षी विहारतमिलनाडु2022
कांजीरंकुलम पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
ठाणे क्रीकमहाराष्ट्र2022
हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्वजम्मू-कश्मीर2022
शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्वजम्मू-कश्मीर2022

राष्ट्रीय प्रतीक : चिह्न | ध्वज | गान | गीत इत्यादि

राष्ट्रीय प्रतीक : चिह्न | ध्वज | गान | गीत | पशु | पक्षी | पुष्प | वृक्ष इत्यादि…

  • प्रतीक चिह्न – अशोक की लाट
  • ध्वज – तिरंगा
  • राष्ट्रगान – जन गण मन
  • राष्ट्रगीत – वन्दे मातरम्
  • पशु – बाघ
  • पक्षी – मोर
  • पुष्प – कमल
  • वृक्ष – बरगद
  • नदी – गंगा
  • जलीय जीव – डॉल्फिन
  • फल – आम

राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) –

राष्ट्रीय प्रतीक : राष्ट्रीय ध्वज

संविधान सभा द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज के स्वरूप को 24 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। इसे संविधान सभा में हंसा मेहता द्वारा प्रस्तुत किया गया था। यह तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों द्वारा निर्मित है। जिसमें सबसे ऊपर की पट्टी केसरिया, उससे नीचे सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी होती है। बीच वाली सफेद रंग की पट्टी पर नीले रंग का 24 तीलियों वाला चक्र बना होता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में कुल चार रंग होते हैं। यह चक्र अशोक सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। राष्ट्रीय ध्वज की लम्बाई व चौंड़ाई में 3 व 2 का अनुपात होता है। इस ध्वज में केसरिया रंग जागृति व शौर्य का, सफेद रंग सत्य व पवित्रता का, और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक होता है।

भारतीय ध्वज संहिता 2002 के अनुसार भारत के सभी नागरिकों व निजी संस्थाओं को भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शन का अधिकार प्राप्त है। जनवरी 2004 के उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के द्वारा इसे संविधान के अनुच्छेद-19(1) (अ) के तहत नागरिकों का मूल अधिकार माना गया। राष्ट्रीय शोक के समय राष्ट्रीय ध्वज को झुका दिया जाता है। देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के निधन पर राष्ट्रीय ध्वज को 12 दिनों तक के लिए झुका दिया जाता है। वहीं देश के पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति या पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर राष्ट्रीय ध्वज को 7 दिनों तक के लिए झुका दिया जाता है। प्रसिद्ध झण्डा गीत ‘झण्डा ऊँचा रहे हमारा’ की रचना श्यामलाल पार्षद गुप्त’ ने की। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का पहली बार प्रदर्शन 14 अगस्त 1947 की रात किया गया था।

राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न (National Emblem) –

भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक की लाट

भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न सारनाथ (वाराणसी) के अशोक स्तंभ का शीर्ष है। इसमें चार सिंह एक दूसरे से पीठ सटाए बैठे हैं। भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया। इसके नीचे देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा गया है। सत्यमेव जयते वाक्य को मुण्डक उपनिषद से लिया गया है। शासकीय कार्यों में प्रयोग हेतु यह भिन्न-भिन्न रंग का होता है। भारत के मंत्रियों द्वारा नीला राजचिह्न प्रयोग किया जाता है। राज्यसभा सदस्यों व अधिकारियों द्वारा लाल राजचिह्न प्रयोग किया जाता है। लोकसभा सदस्यों द्वारा हरा राजकीय प्रतीक प्रयोग किया जाता है।

राष्ट्रगान (National Anthem) –

भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ है। जिसकी रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। इसे 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया था। इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया था। इसे टैगोर द्वारा 1912 ई. में तत्वबोधिनी में ‘भारत भाग्य विधाता’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया। इसका 1919 ई. में Morning Song of India नाम से अंग्रेजी अनुवाद किया। इसके गायन का समय 52 सेकेण्ड है। वहीं इसे गाने की संक्षिप्त अवधि 20 सेकेंड है जिसमे इसकी प्रथम व अंतिम पंक्तियां गायी जाती हैं। राष्ट्रगान के वर्तमान संगीतमयी धुन को बनाने का श्रेय कैप्टन रामसिंह ठाकुर (INA के सिपाही) को दिया जाता है।

राष्ट्रगीत –

राष्ट्रगीत

भारत का राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम’ है इसे आनंदमठ से लिया गया है। जिसकी रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने की। इसे राष्ट्रगीत का दर्जा 26 जनवरी 1950 को प्रदान किया गया। इसे पहली बार 1896 ई. में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन (1896) में गया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता रहीमतुल्ला सयानी ने की थी। इसे 1 मिनट 5 सेकेंड में गाया जाता है। किसी व्यक्ति को राष्ट्रगीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

राष्ट्रीय कैलेण्डर –

ग्रेगेरियन कैलेण्डर के साथ शक संवत् पर आधारित राष्ट्रीय पंचांग को सरकारी प्रयोग के लिए 22 मार्च 1957 को अपनाया गया। इसका पहला हिन्दी माह चैत्र का होता है।

राष्ट्रीय पशु –

राष्ट्रीय प्रतीक राष्ट्रीय पशु बाघ

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ (Tiger) है। इसका वैज्ञानिक नाम पैंथरा टाइग्रिस लिन्नायस है।

राष्ट्रीय पक्षी –

राष्ट्रीय प्रतीक राष्ट्रीय पक्षी मोर या मयूर

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है। इसका वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है। मोर प्रजाति में नर मादा से कहीं अधिक रंगीन व लंबे पंखों वाला होता है। नर की अपेक्षा मादा के पंख इतने लंबे व सुंदर नहीं होते। मोर का सीना नीला व चमकीला होता है। मोर प्रजाति की मादा भूरे रंग की होती है। मादा के पास लंबे सुंदर पंख नहीं होते।

राष्ट्रीय पुष्प –

राष्ट्रीय प्रतीक राष्ट्रीय पुष्प कमल

भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (Lotus) है। इसका वैज्ञानिक नाम निलम्बो न्यूसिफेरा गेर्टन है। यह एक प्राचीन पुष्प है जिसका भारत की प्राचीन गाथाओं व कलाओं से संबंधि है।

राष्ट्रीय फल –

आम

भारत का राष्ट्रीय फल आम है। इसका वैज्ञानिक नाम मेनिगिफेरा इंडिका है।

राष्ट्रीय वृक्ष –

बरगद

भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है। इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बेंथालेंसिस है।

राष्ट्रीय नदी –

गंगा

भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा है। इसे 4 नवंबर 2008 को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया।

राष्ट्रीय जलीय जीव –

डाल्फिन

भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा डॉल्फिन (प्लाटानिस्टा गैंगेटिक) है। इसे 5 अक्टूबर 2009 को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया।

राष्ट्रीय विरासत पशु –

हाथी (एलिफास इंडिका) भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु है।

राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर –

जन-गण-मन भारत का राष्ट्रगान है। वन्दे मातरम् को भारत के राष्ट्रगीत का दर्जा प्राप्त है।

भारतीय संसद के अधिवेशन का प्रारंभ राष्ट्रगान से और समापन वन्देमातरम से किया जाता है।

राष्ट्रगान को 52 सेकेण्ड में गाया जाता है। राष्ट्रगीत को 1 मिनट 5 सेकेंड में गाया जाता है।

राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगीत की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने की।

पहली बार राष्ट्रगान को 27 दिसंबर 1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया था। राष्ट्रगीत को पहली बार 1896 ई. के कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।

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