राजस्थान सामान्य ज्ञान ( Rajasthan )

‘राजस्थान सामान्य ज्ञान’ शीर्षक के इस लेख में राजस्थान सामान्य ज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। राजस्थान भारत के 28 राज्यों में से एक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का ‘सबसे बड़ा राज्य‘ है।पहले इसे राजपूताना या राजपूतों का स्थान (राजस्थान) के नाम से जाना जाता था। इसका क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है। इतिहासकार कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक में राजस्थान के लिए ‘रायथान’, ‘राजवाड़ा’ और ‘राजस्थान’ शब्दों का प्रयोग किया। 26 जनवरी 1950 को राज्य का नाम विधिवत रूप से राजस्थान रखा गया।

हिंदी प्रेम

राजस्थान एक नजर में

राज्यराजस्थान
राजधानीजयपुर
गठन1 नवंबर 1956
स्थापना दिवस30 मार्च
मुख्यमंत्रीभजनलाल शर्मा
राज्यपालकलराज मिश्र
पहले मुख्यमंत्रीहीरालाल शास्त्री
पहले राज्यपालगुरुमुख निहाल सिंह
उच्च न्यायालयजोधपुर
मण्डल07
जिले33
लोकसभा सदस्य25
राज्यसभा सदस्य10
विधानसभा सदस्य200
लिंगानुपात928
राज्य पशुचिंकारा, ऊँट
राज्य पक्षीगोडावण
राज्य पुष्परोहिड़ा
राज्य वृक्षखेजड़ी
सर्वोच्च पर्वत चोटीगुरुशिखर
भाषाहिंदी, राजस्थानी
सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला जिलाजैसलमेर
नदियाँचम्बल, व्यास, बनास, लूनी
लोकनृत्यघूमर, कोटा, चकरी, कठपुतली नृत्य
बोलियांमेवाड़ी, मारवाड़ी, मेवात, मालवी, ब्रज, बांगड़ी, मालवी
वन व उद्यानसरिस्का टाइगर रिजर्व,
केवलादेव घाना,
रणथम्भौर सारिस्का वन्यजीव अभ्यारण्य

राजधानी –

राजस्थान की राजधानी ‘जयपुर’ है। राज्य का सबसे बड़ा नगर भी जयपुर ही है।

सीमावर्ती क्षेत्र –

राज्य की सीमा 5 भारतीय राज्यों के साथ एक देश पाकिस्तान से लगती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, व गुजरात इसके सीमावर्ती राज्य हैं। राजस्थान की 1070 किमी. पश्चिमोत्तर सीमा पाकिस्तान के साथ भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाती है। गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, व बाड़मेर पाकिस्तान की सीमा पर अवस्थित राजस्थान के जिले है।

राजस्थान का एकीकरण, गठन व वर्तमान स्वरूप –

भारत की आजादी के वक्त राजस्थान में कुल 19 रियासतें और दो केंद्र शासित प्रदेश थे। 18 मार्च 1948 को भरतपुर, धौलपुर, अलवर व करौली रियासतों का विलय कर ‘मत्स्य संघ’ की स्थापना की गई। तब इसकी राजधानी अलवर को बनाया गया। इसके बाद 25 मार्च 1948 को बूंदी, कोटा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, शाहपुरा, टोंक व डूंगपुर का विलय राजस्थान संघ में हुआ। फिर 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर रियासत का विलय कर इसका नाम ‘संयुक्त राजस्थान संघ’ पड़ा। परंतु राजस्थान के एकीकरण का अधिकांश कार्य 30 मार्च 1949 को पूरा हुआ जब जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, व जैसलमेर का विलय हुआ। इसके साथ ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना। इसी तिथि को राज्य के गठन की तिथि माना जाता है। 30 मार्च को हर साल राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

15 अप्रैल 1949 को वृहत्तर राजस्थान संघ में मत्स्य संघ का विलय हो गया। 26 जनवरी 1950 को सिरोही रियासत को भी इस संघ में मिला लिया गया। 1 नवंबर 1956 को देलवाड़ा, आबू, व सुनेल टप्पा का विलय संघ में किया गया। इन सबके एकीकरण के बाद 1 नवंबर 1956 को राज्य का वर्तमान स्वरूप सामने आया।

राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की सूची –

मुख्यमंत्रीकब सेकब तक
हीरालाल शास्त्री7 अप्रैल 19495 जनवरी 1951
सी. एस. वेंकटाचारी6 जनवरी 195125 अप्रैल 1951
जयनारायण व्यास26 अप्रैल 19513 मार्च 1952
टीकाराम पालीवाल3 मार्च 195231 अक्टूबर 1952
जयनारायण व्यास1 नवंबर 195212 नवंबर 1954
मोहनलाल सुखाड़िया13 नवंबर 195413 मार्च 1967
राष्ट्रपति शासन13 मार्च 196726 अप्रैल 1967
मोहनलाल सुखाड़िया26 अप्रैल 19679 जुलाई 1971
बरकतुल्ला खान10 जुलाई 197110 अगस्त 1973
हरिदेव जोशी11 अगस्त 197329 अप्रैल 1977
राष्ट्रपति शासन29 अप्रैल 197721 जून 1977
भैरोंसिंह शेखावत22 जून 197716 फरवरी 1980
जगन्नाथ पहाड़िया6 जून 198013 जुलाई 1981
शिवचरण माथुर13 जुलाई 198123 फरवरी 1985
हीरालाल देवपुरा23 फरवरी 198510 मार्च 1985
हरिदेव जोशी10 मार्च 198520 जनवरी 1988
शिवचरण माथुर20 जनवरी 19884 दिसंबर 1989
हरिदेव जोशी4 दिसंबर 19894 मार्च 1990
भैरोंसिंह शेखावत4 मार्च 199015 दिसंबर 1992
राष्ट्रपति शासन15 दिसंबर 19924 दिसंबर 1993
भैरोंसिंह शेखावत4 दिसंबर 199329 नवंबर 1998
अशोक गहलोत1 दिसंबर 19988 दिसंबर 2003
वसुंधरा राजे सिंधिया8 दिसंबर 200311 दिसंबर 2008
अशोक गहलोत12 दिसंबर 200813 दिसंबर 2013
वसुंधरा राजे सिंंधिया13 दिसंबर 201317 दिसंबर 2018
अशोक गहलोत17 दिसंबर 20183 दिसंबर 2023
भजन लाल शर्मा15 दिसंबर 2023

राजभाषा –

राज्य की राजभाषा ‘हिंदी’ है।

राजस्थान के प्रमुख स्थल –

दिलवाड़ा का जैन मंदिर, पुष्कर का ब्रह्म मंदिर (अजमेर), चित्तौड़गढ़ का कीर्ति स्तंभ या विजयस्तंभ, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर)।

रब्बाव मुइनुद्दीन की दरगाह, ढाई दिन का झोपड़ा, रणथम्भौर वन्यजीव अभ्यारण्य।

पोखरण – भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण साल 1974 में राजस्थान के ही पोखरण में किया था।

थार मरुस्थल – भारत का सबसे विस्तृत मरुस्थल ‘थार’ इसी राज्य में अवस्थित है।

इंदिरा गाँधी नहर परियोजना –

विश्व की सबसे विस्तृत सिंचाई परियोजना इंदिरा गाँधी नहर परियोजना विश्व की सबसे विस्तृत सिंचाई परियोजना इसी राज्य में अवस्थित है।

सांभर झील –

तटीय झीलों के अतिरिक्त भारत के आंतरिक भाग में अवस्थित यह खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह जयपुर, अजमेर और नागौर जिलों में विस्तृत है। देश के कुल नमक उत्पादन का 8.7 प्रतिशत इसी झील से होता है। खारी, खंडेला, मेंथा, व रुपनगढ़ नदियां इस झील में आकर मिलती हैं।

चित्रकला की शैलियां

पहली बार आनंद कुमार स्वामी ने अपनी पुस्तक ‘राजपूत पेंटिंग्स’ में साल 1916 ई. में राजस्थानी चित्रकला का पहला विभाजन किया था। राजस्थानी चित्रकला की शुरुवात अपभ्रंश, जैन, व मालव आदि कलाओं के सामंजस्य से हुई है। राजस्थानी चित्रकला को 5 स्कूलों में विभक्त किया गया है –

मारवाड़ स्कूल

जैसलमेर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, नागौर मारवाड़ स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। जोधपुर उपशैली के प्रमुख शासक महाराजा जसवंत सिंह और मानसिंह थे। ‘दुर्गा सप्तरानी’ जोधपुर शैली का प्रमुख ग्रंथ है, जो कि सूरसागर व रसिकप्रिया पर आधारित ग्रंथ है। बारहमासा, रसिकप्रिया व कृष्ण लीला बीकानेर उपशैली के प्रमुख चित्रित ग्रंथ है। ‘बड़ी-ठड़ी’ किशनगढ़ उपशैली के अंतर्गत आती है। मूलराज जैसलमेर उपशैली के से संबंधित शासक थे। आम के वृक्ष, कौआ, चील, गोड़े व, ऊंट का प्रयोग जोधपुर व बीकानेर उपशैली के चित्रों में किया गया है। किशनगढ़ उपशैली में केले के वृक्ष की आकृति का प्रयोग किया गया है।

मेवाड़ स्कूल

इसे ही राजस्थानी चित्रकला की मूल शैली माना जाता है। उदयपुर, देवगढ़, चावंण्ड, नाथद्वार मेवाड़ स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। इस स्कूल की शैली के विकास का श्रेय राणा कुंभा को जाता है। मेवाड़ चित्र शैली का पहला चित्रित ग्रंथ ‘श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्ण‘ को माना जाता है। ‘सुपासनाहचरित‘ इस स्कूल शैली का दूसरा चित्रित ग्रंथ है। ‘रंगमाला’ चावंण्ड उपशैली का प्रमुख ग्रंथ है। कदम्ब के वृक्ष, हाथी व चकोर के चित्रों का प्रयोग उदयपुर उपशैली में किया गया है। नाथद्वार उपशैली में गाय के चित्रों का प्रयोग किया गया है।

ढूढांड़ स्कूल

जयपुर, आमेर, अलवर, उणियारा ढूढांड़ स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। रामायण, महाभारत, कृष्णलीला, शिकार व युद्ध प्रसंग जयपुर उपशैली से संबंधित चित्रित ग्रंथ व विषय हैं। आमेर उपशैली मानसिंहमिर्जा राजा जयसिंह से संबंधित है। रज्मनामा, आदिपुराण, व भागवत आमेर उपशैली से संबंधित चित्रित ग्रंथ हैं। पीपल व वट वृक्ष और गोड़ा व मोर के चित्रों का प्रयोग जयपुर व अलवर उपशैली में किया गया है।

हाड़ौती स्कूल

कोटा, बूंदी, दुगारी हाड़ौती स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। इन क्षेत्रों पर चौहानवंशी हाड़ाओं का प्रभुत्व रहा इसलिए इस उपशैली को हाड़ौती स्कूल के नाम से जाना गया। ढोला-मारू, व भागवत पुराण कोटा उपशैली के प्रमुख चित्रित ग्रंथ हैं। राव सुजनसिंह के समय में बूंदी शैली के चित्रों का रेखांकन हुआ। ऋतु वर्णन, रागरागिनी, बारहमासा, नायिका भेद बूँदी उपशैली के प्रमुख चित्रित ग्रंथ हैं। खजूर के वृक्ष का प्रयोग कोटा व बूंदी शैली के चित्रों में किया गया है।

कलावृत्त, आयाम, अंकन, चितेरा, धोरां, पैग, क्रिएटिव आर्टिस्ट ग्रुप इत्यादि संस्थाएं हैं जो राजस्थानी चित्रकला के विकास में लगी हैं। सुरजीत सिंह चोयल राजस्थान की पहली महिला चित्रकार थीं। राजस्थान में आधुनिक चित्रकला को शुरु करने का श्रेय कुंदन लाल मिस्त्री को जाता है।

राजस्थानी संगीत (ध्रुपद शैली)-

ध्रुपद शैली की चार प्रमुख वाणियां गोहरावाणी, डागुरवाणी, खण्डहारवाणी, व नोहरवाणी हैं। संगीत सम्राट तानसेन गोहरावाणी से संबंधित थे।

ललित कला अकादनी, जयपुर

इसकी स्थापना 24 नवंबर 1957 को राज्य में कलात्मक गतिविधियों के संचालन व प्रदर्शनी के आयोजन इत्यादि के लिए  की गई। राज्य में कलात्मक व सांस्कृतिक एकता स्थापित करना भी इसका उद्देश्य है।

राजस्थान के कला संस्थान व उनकी स्थापना वर्ष –

  • भवानी नाट्यशाला, झालावाड़ – 1921 ई.
  • राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर – 1950
  • भारतीय लोक कला मण्डल – 1952
  • राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर – 1958
  • रूपायन संस्थान, जोधपुर – 1960
  • लोक संस्कृति शोध संस्थान, चूरु – 1964
  • उर्दू अकादमी, जयपुर – 1979
  • राजस्थान भाषा, साहित्य व संस्कृति अकादमी, बीकानेर – 1983
  • राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर – 1986
  • जवाहर कला केंद्र, जयपुर – 1993
  • प. झाबरमल शोध संस्थान, जयपुर – 2000

प्रमुख संगीत घराने –

  • जयपुर घराना – यह घराना खयाल गायकी से संबंधित है। इसका जन्मदाता मनरंग (भूपत खां) को माना जाता है। बाद में भूपत खां के पोते मो. अली खां ने इस घराने को प्रसिद्धि दिलाई।
  • डागर घराना बहराम खां डागर इसके प्रवर्तक हैं।
  • मेवाती घराना – इसे ग्वालियर घराने की शाखा माना जाता है। इसके प्रवर्तक उस्ताद घग्घे खां हैं।
  • पटियाला घराना – इसे जयपुर के उपघराने के नाम से भी जाना जाता है। फलेह अलीअली बख्श को इस घराने का प्रवर्तक माना जाता है।
  • सोनिया घराना – तानसेन के पुत्र सूरतसेन इस घराने के प्रवर्तक हैं।
  • अतरौली घराना – यह जयपुर घराने की शाखा है साहब खां इसके प्रवर्तक हैं।
  • अल्लादिया खां घरानाअल्लादिया खां इसके प्रवर्तक हैं।

लोक वाद्य

ढोलक, ढोल, घुंघरू, चिमटा, घंटा (घड़ियाल), घड़ा, मंजीरा, डमरू, मृदंग (पखावज), करताल, खड़ताल, डांडिया, रमझौल, झांझ, श्रीमंडल, झालर, भरनी, मांदल इत्यादि।

राज्य के लोकगीत –

  • पावड़ा – विवाह के बाद दामाद के लिए गाया जाता है।
  • घोड़ी – बारात प्रस्थान के समय गाया जाने वाला गीत।
  • काजलियों – होली के सयम गाया जाने वाला श्रंगार प्रधान गीत।
  • सीठड़े – गाली गीत – जो विवाह के समय आनंद लेने के लिए गाया जाता है।
  • जच्चा या होलर – बालक के जन्मोत्सव के मौके पर गाया जाता है।
  • हमसीठों – भील जनजाति के स्त्री व पुरुषों द्वारा साथ मिलकर गाया जाने वाला गीत।
  • लावणी – प्रियतम द्वारा अपनी प्रेमिका के लिए गाया जाता है।
  • कामण – वर को जादू टोने इत्यादि से बचाने के लिए विवाह के वक्त गाया जाता है।
  • कागा – कौवे को संबोधित कर गाया जाने वाला गीत।
  • कलाली – मेवाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध वीर रस प्रधान गीत।
  • ईण्डोणी – पानी भरने जा रही स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत।
  • केसरिया बालम – पति की प्रतीक्षा में विरह स्वरुप गाया जाने वाला गीत।
  • पंछीड़ा – कुछ क्षेत्रों में मेले के समय गाया जाने वाला गीत।
  • ओल्यूं – बेटी की विदाई के समय किसी की याद में गाया जाने वाला गीत।
  • सुवंटिया – भील स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत।

ढोला मारू, झोरावा, गोरंबंद, जलो (जलाल), बिछुड़ो, तेजा गीत, चिरमी, जीरो, सुपणा, कुरजां, मोरिया, बधवा, दुपट्टा, पीपली, हरजस, मरांसिये इत्यादि।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
  • जयसलमेर क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला है।
  • धौलपुर क्षेत्रफल की दृष्ट से राजस्थान को सबसे छोटा जिला है।
  • राज्य की सबसे प्राचीन पर्वत श्रंखला अरावली है।
  • सांभर झील राज्य की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
  • भारत में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुवात राजस्थान के ‘नागौर’ जिले से ही हुई थी।

राजस्थान में प्रचलित कुछ उपनाम –

  • जयपुर – गुलाबी शहर
  • अजमेर – राजस्थान का हृदय
  • गोकुलभाई – राजस्थान का गाँधी

राजस्थान पुलिस भर्ती परीक्षा –

राज्य में 6,7,8 नवंबर 2020 को पुलिस भर्ती परीक्षा कराई जाएगी। 5438 पदों के लिए कुल 17 लाख से अधिक अभ्यर्ती परीक्षा में बैठेंगे। इसके लिए राज्य में 600 से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। यह पेपर दो पालियों में होगा। पहला सुबह 9 से 11 बजे तक और दूसरा 3 से शाम 5 बजे तक।

राजस्थान में कोरोना की स्थिति –

कोरोना संकट के चलते एक बर फिर राजस्थान के आठ जिलों में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। राजस्थान के कर्फ्यू लगाए गए जिले जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर, भीलवाड़ा, कुशलगढ़, सागरगढ़ हैं। कर्फ्यू के दौरान आपातकालीन सुविधाओं को छोड़कर सब बंद रहेगा। इनके अतिरिक्त अन्य शहरों में भी रात 10 बजे के बाद बाजार बंद करने के आदेश हैं। 20 मार्च को राज्य में 1 दिन में 445 नए लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद 21 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कोरोना कोर ग्रुप की बैठक में यह फैसला लिया गया। 25 मार्च से राजस्थान में आने वाले बाहरी यात्रियों की 72 घंटे की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। नेगेटिव रिपोर्ट के बिना आए यात्रियों को 15 दिन कोरंटाइन किया जाएगा।

मिस इंडिया 2023 : नंदिता गुप्ता

मिस इंडिया 2023
Miss India 2023 Nandita Gupta
Current Affairs in Hindi

फेमिना मिस इंडिया 2023 का ताज राजस्थान की 19 वर्षीय नंदिता गुप्ता को पहनाया गया। नन्दिता गुप्ता राजस्थान के कोटा की रहने वाली हैं। इन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। नंदिता भारत की 59वीं मिस इण्डिया चुनी गई हैं। नंदिता को यह ताज पूर्व मिस इंडिया सिनी शेट्टी द्वारा पहनाया गया। नंदिता के बाद दिल्ली की श्रेया पूंजा फर्स्ट रनरअप और मणिपुर की थौना ओजम स्ट्रेला लुवांग सेकेण्ड रनरअप रहीं। अब नंदिता मिस वर्ल्ड के अगले सीजन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

भारत के राजवंश – संस्थापक व राजधानियाँ

‘भारत के राजवंश – संस्थापक व राजधानियाँ’ शीर्षक के इस लेख में भारत के राजवंशों के संस्थापकों व राजधानियों को संकलित किया गया है। भारत में अब तक तमाम छोटे – बड़े राजवंशों का अस्तिवत्व रह चुका है।

काल के अनुसार एक राजवंश के पतन के साथ दूसरे की स्थापना का प्रचलन सदियों तक चलता रहा।

भारत में बहुत से छोटे-छोटे राजवंशों के साथ कुछ बड़े राजवंशों की भी स्थापना हुई। जिनके शासकों ने सदियों तक भारत पर शासन का परचम लहराया।

इनमें चार वंश प्रमुख हैं-  मौर्य वंश, गुप्त वंश, गुलाम वंश व मुगल वंश।

भारत के राजवंश – संस्थापक व राजधानियाँ

राजवंशसंस्थापकराजधानी
हर्यकबिम्बिसारराजग्रह
शिशुनाग वंशशिशुनागवैशाली
नंद वंशमहापद्मनंदपाटलिपुत्र
मौर्य वंशचंद्रगुप्त मौर्यपाटलिपुत्र
कण्व वंशवासुदेवपाटलिपुत्र
सातवाहनसिमुकप्रतिष्ठान/पैठान
गुप्तवंशश्रीगुप्तपाटलिपुत्र
हूणवंशतोरमाणस्यालकोट
सेनवंशसामंतसेनलखनौती
परमार उपेंद्रधारानगरी
गहड़वालचंद्रदेवकन्नोज
गुर्जर प्रतिहारनागभट्ट प्रथमकन्नौज
राष्ट्रकूटदंतिदुर्गमान्यखेट
चोलविजयालयतंजौर
पांण्यनेडियोनमदुरै
यादव वंशभिल्लभ पंचमदेवगिरि
होयसलविष्णुवर्धनद्वारसमुद्र
कलचुरीकोकल्लत्रिपुरी
सोलंकीमूलराजअन्हिलवाड़
शर्कीमलिक सरवरजौनपुर
भोसलेशिवाजीरायगढ़
पालगोपालमुंगेर
चौहानवासुदेवअजमेर
कुषाणकुजुल कडफिससपुरुषपुर
वर्धन पुष्यभूतिथानेश्वर-कन्नोज
चंदेलनन्नुकखजुराहो-महोबा
पल्लवसिंहवर्मन चतुर्थकाँचीपुरम
शुंगपुष्यमित्रपाटलिपुत्र
चालुक्यजयसिंहवातापी/बादामी
चालुक्यविष्णुवर्धनवेंगी
चालुक्यतैलप द्वितीयमान्यखेट/कल्याण
गुलामवंशकुतुबुद्दीन ऐबकलाहौर
खिलजी जलालुद्दीन खिलजीदिल्ली
तुगलकगयासुद्दीन तुगलकदिल्ली
सैयदखिज्रखाँदिल्ली
लोदी बहलोल लोदीदिल्ली
मुगलबाबरदिल्ली
संगमहरिहर, बुक्काविजयनगर
सालुवनरसिंहविजयनगर
तुलुववीरनरसिंहविजयनगर
आरविडूतुरुमलपेनुकोंडा
कुतुबशाहीकुली कुतुबशाहगोलकुंडा
आदिलशाहीआदिलशालबीजापुर
निजामशाहीमलिक अहमदअहमदनगर
इमादशाहीफतेहउल्लाह इमादशाहबरार
बहमनीहसन गंगूगुलबर्गा (बीदर)
बरीदशाहीअमीर अली बरीदबीदर
कार्कोट दुर्लभवर्धन-
उत्पलअवंतिवर्मन-
हैदराबाद का स्वतंत्र राज्यनिजाम उल मुल्कहैदराबाद
भारत के राजवंश, संस्थापकों व राजधानियों से संबंधित प्रश्न उत्तर –

प्रश्न – हर्यक वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – बिम्बिसार

प्रश्न – शिशुनाग वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – शिशुनाग

प्रश्न – नंद वंश की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर – महापद्मनंद ने

प्रश्न – मौर्य वंश की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर – चंद्रगुप्त मौर्य

प्रश्न – कण्व वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – वासुदेव

प्रश्न – सातवाहन वंश की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर – सिमुक

प्रश्न – गुप्त वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – श्रीगुप्त

प्रश्न – सेन वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – सामंत सेन

प्रश्न – परमार वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – उपेंद्र

प्रश्न – गहड़वाल वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – चंद्रदेव गहड़वाल

प्रश्न – गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर – नागभट्ट प्रथम

प्रश्न – राष्ट्रकूट राजवंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – दंतिदुर्ग

प्रश्न – पाड्य वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – नेडियोन

प्रश्न – सोलंकी वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – मूलराज

प्रश्न – शर्की साम्राज्य का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – मलिक सरवर

प्रश्न – पाल वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – गोपाल

प्रश्न – चौहान वंश की स्थापना किसने की थी ?

उत्तर – वासुदेव

प्रश्न – वर्धन वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – पुष्यभूति

प्रश्न – चालुक्य वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – जयसिंह

प्रश्न – वेंगी के चालुक्य वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – विष्णुवर्धन

प्रश्न – मान्यखेट के चालुक्य या कल्याणी के चालुक्य वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – तैलप द्वितीय

प्रश्न – गुलाम वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – कुतुबुद्दीन ऐबक

प्रश्न – खिलजी वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – जलालुद्दीन खिलजी

प्रश्न – तुगलक वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – गयासुद्दीन तुगलक

प्रश्न – सैय्यद वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – खिज्र खाँ

प्रश्न – लोदी वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – बहलोल लोदी

प्रश्न – मुगल वंश की स्थापना किसने की ?

उत्तर – बाबर

प्रश्न – संगम वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – हरिहर और बुक्का

प्रश्न – बहमनी साम्राज्य का संस्थापक कौन था ?

उत्तर – हसन गंगू

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