कौटिल्य का अर्थशास्त्र (Kautilya ka Arthshastra)

कौटिल्य का अर्थशास्त्र

कौटिल्य का अर्थशास्त्र – यह भारत का पहला राजनीतिक ग्रंथ है। इसमें 15 अभिकरण, 180 प्रकरण हैं। कौटिल्य को विष्णुगुप्त और चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है। इनके बचपन का नाम विष्णुगुप्त था। विष्णुगुप्त इनका पितृप्रदत्त नाम है, कामन्दक की नीतिशास्त्र में इनके इसी नाम का उल्लेख हुआ है। हेमचंद्र की पुस्तक में इन्हें वात्स्यायन/पक्षिलस्वामी कहा गया है। चाणक्य को भारत का मैकियावेली कहा जाता है। पुराणों में कौटिल्य को द्विजर्षभ (श्रेष्ठ ब्राह्मण) कहा गया है। चाणक्य का जन्म – तक्षशिला के ब्राह्मण परिवार में, पिता-चणक ऋषि, माता-यशोमती।

कौटिल्य का अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण तथ्य

कामन्दक के नीति शास्त्र में अर्थशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का संकलन है

मेरुतुंग की प्रबंधचिंतामणि अर्थशास्त्र पर टीका है

कौटिल्य ने वर्णाश्रम को सामाजिक संगठन का आधार माना

अर्थशास्त्र में शूद्रों को आर्य, – म्लेच्छों से भिन्न माना

कौटिल्य ने शूद्रों को सेना में भर्ती होने की छूट दी

इसमें राज्य का सप्तांग सिद्धांत वर्णित है।

कौटिल्य ने तलाक को मोक्ष कहा

अर्थशास्त्र – कृषि, पशुपालन, वाणिज्य को शूद्रों का धर्म बताया

शूद्रों को सेना में भर्ती होने व संपत्ति का भी अधिकार दिया, सभी वर्णों को सेना में भर्ती का अधिकार दिया।

कौटिल्य ने स्त्रियों का मोक्ष(तलाक) का अधिकार दिया है।

अर्थशास्त्र में सती प्रथा का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।

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कौटिल्य नो चाण्डालों के अतिरिक्त अन्य सभी वर्णसंकर जातियों को शूद्र माना है।

कौटिल्य ने – 9 प्रकार के दासों का उल्लेख किया है।

इनके अनुसार दासों को बड़े स्तर पर कृषि कार्य में लगाया गया।

दासों की स्थिति संतोषजनक थी, उन्हें संपत्ति रखने व बेचने का अधिकार था

अर्थशास्त्र में ब्राह्मणों को दी गई करमुक्त भूमि को ब्रह्मदेय कहा गया है

कौटिल्य के अनुसार भारत में अकाल पड़ते थे

अर्थशास्त्र के अनुसार आर्य शूद्रों को दास नहीं बनाया जा सकता

कौटिल्य ने पुत्रहीन पुरुष की अचल संपत्ति पर पुत्री का अधिकार माना

कौटिल्य कहते हैं जब राजा दरबार में बैठा हो तो प्रजा से बाहर प्रतीक्षा नहीं करवानी चाहिए

अर्थशास्त्र में महिला चिकित्सकों का उल्लेख मिलता है

शव विच्छेदन (पोस्टमॉर्टम) का भी उल्लेख अर्थशास्त्र में हुआ है

कौटिल्य ने चाण्डालों के अतिरिक्त अन्य सभी वर्ण संकर जातियों को शूद्र माना है।

कलिंग हाथियों के लिए प्रसिद्ध था इसीलिए अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया

कौटिल्य ने राजा को भूमि का स्वामी माना है

अर्थशास्त्र में शीर्षस्थ अधिकारियों को तीर्थ कहा गया है

इसमें 26 अध्यक्षों का उल्लेख हुआ है

गुप्तचर को गूढ़पुरुष कहा गया है

दो प्रकार के न्यायालयों का उल्लेख हुआ है –

धर्मस्थीय (नागरिकों के आपसी मामले) – दीवानी अदालत

कण्टकशोधन (राज्य और नागरिकों के बीच के मामले) – फौजदारी अदालत

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अर्थशास्त्र में तीन प्रकार की भूमि का जिक्र किया गया है – कृष्ट (जुती हुई), अकृष्ट (बिना जुती भूमि), स्थल (ऊँची)

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