‘राजस्थान सामान्य ज्ञान’ शीर्षक के इस लेख में राजस्थान सामान्य ज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया गया है। राजस्थान भारत के 28 राज्यों में से एक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का ‘सबसे बड़ा राज्य‘ है।पहले इसे राजपूताना या राजपूतों का स्थान (राजस्थान) के नाम से जाना जाता था। इसका क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है। इतिहासकार कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक में राजस्थान के लिए ‘रायथान’, ‘राजवाड़ा’ और ‘राजस्थान’ शब्दों का प्रयोग किया। 26 जनवरी 1950 को राज्य का नाम विधिवत रूप से राजस्थान रखा गया।
राजस्थान एक नजर में
राज्य | राजस्थान |
राजधानी | जयपुर |
गठन | 1 नवंबर 1956 |
स्थापना दिवस | 30 मार्च |
मुख्यमंत्री | भजनलाल शर्मा |
राज्यपाल | कलराज मिश्र |
पहले मुख्यमंत्री | हीरालाल शास्त्री |
पहले राज्यपाल | गुरुमुख निहाल सिंह |
उच्च न्यायालय | जोधपुर |
मण्डल | 07 |
जिले | 33 |
लोकसभा सदस्य | 25 |
राज्यसभा सदस्य | 10 |
विधानसभा सदस्य | 200 |
लिंगानुपात | 928 |
राज्य पशु | चिंकारा, ऊँट |
राज्य पक्षी | गोडावण |
राज्य पुष्प | रोहिड़ा |
राज्य वृक्ष | खेजड़ी |
सर्वोच्च पर्वत चोटी | गुरुशिखर |
भाषा | हिंदी, राजस्थानी |
सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला जिला | जैसलमेर |
नदियाँ | चम्बल, व्यास, बनास, लूनी |
लोकनृत्य | घूमर, कोटा, चकरी, कठपुतली नृत्य |
बोलियां | मेवाड़ी, मारवाड़ी, मेवात, मालवी, ब्रज, बांगड़ी, मालवी |
वन व उद्यान | सरिस्का टाइगर रिजर्व,
केवलादेव घाना,
रणथम्भौर सारिस्का वन्यजीव अभ्यारण्य |
राजधानी –
राजस्थान की राजधानी ‘जयपुर’ है। राज्य का सबसे बड़ा नगर भी जयपुर ही है।
सीमावर्ती क्षेत्र –
राज्य की सीमा 5 भारतीय राज्यों के साथ एक देश पाकिस्तान से लगती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, व गुजरात इसके सीमावर्ती राज्य हैं। राजस्थान की 1070 किमी. पश्चिमोत्तर सीमा पाकिस्तान के साथ भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाती है। गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, व बाड़मेर पाकिस्तान की सीमा पर अवस्थित राजस्थान के जिले है।
राजस्थान का एकीकरण, गठन व वर्तमान स्वरूप –
भारत की आजादी के वक्त राजस्थान में कुल 19 रियासतें और दो केंद्र शासित प्रदेश थे। 18 मार्च 1948 को भरतपुर, धौलपुर, अलवर व करौली रियासतों का विलय कर ‘मत्स्य संघ’ की स्थापना की गई। तब इसकी राजधानी अलवर को बनाया गया। इसके बाद 25 मार्च 1948 को बूंदी, कोटा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, शाहपुरा, टोंक व डूंगपुर का विलय राजस्थान संघ में हुआ। फिर 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर रियासत का विलय कर इसका नाम ‘संयुक्त राजस्थान संघ’ पड़ा। परंतु राजस्थान के एकीकरण का अधिकांश कार्य 30 मार्च 1949 को पूरा हुआ जब जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, व जैसलमेर का विलय हुआ। इसके साथ ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना। इसी तिथि को राज्य के गठन की तिथि माना जाता है। 30 मार्च को हर साल राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
15 अप्रैल 1949 को वृहत्तर राजस्थान संघ में मत्स्य संघ का विलय हो गया। 26 जनवरी 1950 को सिरोही रियासत को भी इस संघ में मिला लिया गया। 1 नवंबर 1956 को देलवाड़ा, आबू, व सुनेल टप्पा का विलय संघ में किया गया। इन सबके एकीकरण के बाद 1 नवंबर 1956 को राज्य का वर्तमान स्वरूप सामने आया।
राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की सूची –
मुख्यमंत्री | कब से | कब तक |
हीरालाल शास्त्री | 7 अप्रैल 1949 | 5 जनवरी 1951 |
सी. एस. वेंकटाचारी | 6 जनवरी 1951 | 25 अप्रैल 1951 |
जयनारायण व्यास | 26 अप्रैल 1951 | 3 मार्च 1952 |
टीकाराम पालीवाल | 3 मार्च 1952 | 31 अक्टूबर 1952 |
जयनारायण व्यास | 1 नवंबर 1952 | 12 नवंबर 1954 |
मोहनलाल सुखाड़िया | 13 नवंबर 1954 | 13 मार्च 1967 |
राष्ट्रपति शासन | 13 मार्च 1967 | 26 अप्रैल 1967 |
मोहनलाल सुखाड़िया | 26 अप्रैल 1967 | 9 जुलाई 1971 |
बरकतुल्ला खान | 10 जुलाई 1971 | 10 अगस्त 1973 |
हरिदेव जोशी | 11 अगस्त 1973 | 29 अप्रैल 1977 |
राष्ट्रपति शासन | 29 अप्रैल 1977 | 21 जून 1977 |
भैरोंसिंह शेखावत | 22 जून 1977 | 16 फरवरी 1980 |
जगन्नाथ पहाड़िया | 6 जून 1980 | 13 जुलाई 1981 |
शिवचरण माथुर | 13 जुलाई 1981 | 23 फरवरी 1985 |
हीरालाल देवपुरा | 23 फरवरी 1985 | 10 मार्च 1985 |
हरिदेव जोशी | 10 मार्च 1985 | 20 जनवरी 1988 |
शिवचरण माथुर | 20 जनवरी 1988 | 4 दिसंबर 1989 |
हरिदेव जोशी | 4 दिसंबर 1989 | 4 मार्च 1990 |
भैरोंसिंह शेखावत | 4 मार्च 1990 | 15 दिसंबर 1992 |
राष्ट्रपति शासन | 15 दिसंबर 1992 | 4 दिसंबर 1993 |
भैरोंसिंह शेखावत | 4 दिसंबर 1993 | 29 नवंबर 1998 |
अशोक गहलोत | 1 दिसंबर 1998 | 8 दिसंबर 2003 |
वसुंधरा राजे सिंधिया | 8 दिसंबर 2003 | 11 दिसंबर 2008 |
अशोक गहलोत | 12 दिसंबर 2008 | 13 दिसंबर 2013 |
वसुंधरा राजे सिंंधिया | 13 दिसंबर 2013 | 17 दिसंबर 2018 |
अशोक गहलोत | 17 दिसंबर 2018 | 3 दिसंबर 2023 |
भजन लाल शर्मा | 15 दिसंबर 2023 | |
राजभाषा –
राज्य की राजभाषा ‘हिंदी’ है।
राजस्थान के प्रमुख स्थल –
दिलवाड़ा का जैन मंदिर, पुष्कर का ब्रह्म मंदिर (अजमेर), चित्तौड़गढ़ का कीर्ति स्तंभ या विजयस्तंभ, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर)।
रब्बाव मुइनुद्दीन की दरगाह, ढाई दिन का झोपड़ा, रणथम्भौर वन्यजीव अभ्यारण्य।
पोखरण – भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण साल 1974 में राजस्थान के ही पोखरण में किया था।
थार मरुस्थल – भारत का सबसे विस्तृत मरुस्थल ‘थार’ इसी राज्य में अवस्थित है।
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना –
विश्व की सबसे विस्तृत सिंचाई परियोजना इंदिरा गाँधी नहर परियोजना विश्व की सबसे विस्तृत सिंचाई परियोजना इसी राज्य में अवस्थित है।
सांभर झील –
तटीय झीलों के अतिरिक्त भारत के आंतरिक भाग में अवस्थित यह खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह जयपुर, अजमेर और नागौर जिलों में विस्तृत है। देश के कुल नमक उत्पादन का 8.7 प्रतिशत इसी झील से होता है। खारी, खंडेला, मेंथा, व रुपनगढ़ नदियां इस झील में आकर मिलती हैं।
चित्रकला की शैलियां –
पहली बार आनंद कुमार स्वामी ने अपनी पुस्तक ‘राजपूत पेंटिंग्स’ में साल 1916 ई. में राजस्थानी चित्रकला का पहला विभाजन किया था। राजस्थानी चित्रकला की शुरुवात अपभ्रंश, जैन, व मालव आदि कलाओं के सामंजस्य से हुई है। राजस्थानी चित्रकला को 5 स्कूलों में विभक्त किया गया है –
मारवाड़ स्कूल –
जैसलमेर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, नागौर मारवाड़ स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। जोधपुर उपशैली के प्रमुख शासक महाराजा जसवंत सिंह और मानसिंह थे। ‘दुर्गा सप्तरानी’ जोधपुर शैली का प्रमुख ग्रंथ है, जो कि सूरसागर व रसिकप्रिया पर आधारित ग्रंथ है। बारहमासा, रसिकप्रिया व कृष्ण लीला बीकानेर उपशैली के प्रमुख चित्रित ग्रंथ है। ‘बड़ी-ठड़ी’ किशनगढ़ उपशैली के अंतर्गत आती है। मूलराज जैसलमेर उपशैली के से संबंधित शासक थे। आम के वृक्ष, कौआ, चील, गोड़े व, ऊंट का प्रयोग जोधपुर व बीकानेर उपशैली के चित्रों में किया गया है। किशनगढ़ उपशैली में केले के वृक्ष की आकृति का प्रयोग किया गया है।
मेवाड़ स्कूल –
इसे ही राजस्थानी चित्रकला की मूल शैली माना जाता है। उदयपुर, देवगढ़, चावंण्ड, नाथद्वार मेवाड़ स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। इस स्कूल की शैली के विकास का श्रेय राणा कुंभा को जाता है। मेवाड़ चित्र शैली का पहला चित्रित ग्रंथ ‘श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्ण‘ को माना जाता है। ‘सुपासनाहचरित‘ इस स्कूल शैली का दूसरा चित्रित ग्रंथ है। ‘रंगमाला’ चावंण्ड उपशैली का प्रमुख ग्रंथ है। कदम्ब के वृक्ष, हाथी व चकोर के चित्रों का प्रयोग उदयपुर उपशैली में किया गया है। नाथद्वार उपशैली में गाय के चित्रों का प्रयोग किया गया है।
ढूढांड़ स्कूल –
जयपुर, आमेर, अलवर, उणियारा ढूढांड़ स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। रामायण, महाभारत, कृष्णलीला, शिकार व युद्ध प्रसंग जयपुर उपशैली से संबंधित चित्रित ग्रंथ व विषय हैं। आमेर उपशैली मानसिंह व मिर्जा राजा जयसिंह से संबंधित है। रज्मनामा, आदिपुराण, व भागवत आमेर उपशैली से संबंधित चित्रित ग्रंथ हैं। पीपल व वट वृक्ष और गोड़ा व मोर के चित्रों का प्रयोग जयपुर व अलवर उपशैली में किया गया है।
हाड़ौती स्कूल –
कोटा, बूंदी, दुगारी हाड़ौती स्कूल (उपशैली) के अंतर्गत आते हैं। इन क्षेत्रों पर चौहानवंशी हाड़ाओं का प्रभुत्व रहा इसलिए इस उपशैली को हाड़ौती स्कूल के नाम से जाना गया। ढोला-मारू, व भागवत पुराण कोटा उपशैली के प्रमुख चित्रित ग्रंथ हैं। राव सुजनसिंह के समय में बूंदी शैली के चित्रों का रेखांकन हुआ। ऋतु वर्णन, रागरागिनी, बारहमासा, नायिका भेद बूँदी उपशैली के प्रमुख चित्रित ग्रंथ हैं। खजूर के वृक्ष का प्रयोग कोटा व बूंदी शैली के चित्रों में किया गया है।
कलावृत्त, आयाम, अंकन, चितेरा, धोरां, पैग, क्रिएटिव आर्टिस्ट ग्रुप इत्यादि संस्थाएं हैं जो राजस्थानी चित्रकला के विकास में लगी हैं। सुरजीत सिंह चोयल राजस्थान की पहली महिला चित्रकार थीं। राजस्थान में आधुनिक चित्रकला को शुरु करने का श्रेय कुंदन लाल मिस्त्री को जाता है।
राजस्थानी संगीत (ध्रुपद शैली)-
ध्रुपद शैली की चार प्रमुख वाणियां गोहरावाणी, डागुरवाणी, खण्डहारवाणी, व नोहरवाणी हैं। संगीत सम्राट तानसेन गोहरावाणी से संबंधित थे।
ललित कला अकादनी, जयपुर
इसकी स्थापना 24 नवंबर 1957 को राज्य में कलात्मक गतिविधियों के संचालन व प्रदर्शनी के आयोजन इत्यादि के लिए की गई। राज्य में कलात्मक व सांस्कृतिक एकता स्थापित करना भी इसका उद्देश्य है।
राजस्थान के कला संस्थान व उनकी स्थापना वर्ष –
- भवानी नाट्यशाला, झालावाड़ – 1921 ई.
- राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर – 1950
- भारतीय लोक कला मण्डल – 1952
- राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर – 1958
- रूपायन संस्थान, जोधपुर – 1960
- लोक संस्कृति शोध संस्थान, चूरु – 1964
- उर्दू अकादमी, जयपुर – 1979
- राजस्थान भाषा, साहित्य व संस्कृति अकादमी, बीकानेर – 1983
- राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर – 1986
- जवाहर कला केंद्र, जयपुर – 1993
- प. झाबरमल शोध संस्थान, जयपुर – 2000
प्रमुख संगीत घराने –
- जयपुर घराना – यह घराना खयाल गायकी से संबंधित है। इसका जन्मदाता मनरंग (भूपत खां) को माना जाता है। बाद में भूपत खां के पोते मो. अली खां ने इस घराने को प्रसिद्धि दिलाई।
- डागर घराना – बहराम खां डागर इसके प्रवर्तक हैं।
- मेवाती घराना – इसे ग्वालियर घराने की शाखा माना जाता है। इसके प्रवर्तक उस्ताद घग्घे खां हैं।
- पटियाला घराना – इसे जयपुर के उपघराने के नाम से भी जाना जाता है। फलेह अली व अली बख्श को इस घराने का प्रवर्तक माना जाता है।
- सोनिया घराना – तानसेन के पुत्र सूरतसेन इस घराने के प्रवर्तक हैं।
- अतरौली घराना – यह जयपुर घराने की शाखा है साहब खां इसके प्रवर्तक हैं।
- अल्लादिया खां घराना – अल्लादिया खां इसके प्रवर्तक हैं।
लोक वाद्य
ढोलक, ढोल, घुंघरू, चिमटा, घंटा (घड़ियाल), घड़ा, मंजीरा, डमरू, मृदंग (पखावज), करताल, खड़ताल, डांडिया, रमझौल, झांझ, श्रीमंडल, झालर, भरनी, मांदल इत्यादि।
राज्य के लोकगीत –
- पावड़ा – विवाह के बाद दामाद के लिए गाया जाता है।
- घोड़ी – बारात प्रस्थान के समय गाया जाने वाला गीत।
- काजलियों – होली के सयम गाया जाने वाला श्रंगार प्रधान गीत।
- सीठड़े – गाली गीत – जो विवाह के समय आनंद लेने के लिए गाया जाता है।
- जच्चा या होलर – बालक के जन्मोत्सव के मौके पर गाया जाता है।
- हमसीठों – भील जनजाति के स्त्री व पुरुषों द्वारा साथ मिलकर गाया जाने वाला गीत।
- लावणी – प्रियतम द्वारा अपनी प्रेमिका के लिए गाया जाता है।
- कामण – वर को जादू टोने इत्यादि से बचाने के लिए विवाह के वक्त गाया जाता है।
- कागा – कौवे को संबोधित कर गाया जाने वाला गीत।
- कलाली – मेवाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध वीर रस प्रधान गीत।
- ईण्डोणी – पानी भरने जा रही स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत।
- केसरिया बालम – पति की प्रतीक्षा में विरह स्वरुप गाया जाने वाला गीत।
- पंछीड़ा – कुछ क्षेत्रों में मेले के समय गाया जाने वाला गीत।
- ओल्यूं – बेटी की विदाई के समय किसी की याद में गाया जाने वाला गीत।
- सुवंटिया – भील स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत।
ढोला मारू, झोरावा, गोरंबंद, जलो (जलाल), बिछुड़ो, तेजा गीत, चिरमी, जीरो, सुपणा, कुरजां, मोरिया, बधवा, दुपट्टा, पीपली, हरजस, मरांसिये इत्यादि।
महत्वपूर्ण तथ्य
- क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
- जयसलमेर क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला है।
- धौलपुर क्षेत्रफल की दृष्ट से राजस्थान को सबसे छोटा जिला है।
- राज्य की सबसे प्राचीन पर्वत श्रंखला अरावली है।
- सांभर झील राज्य की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
- भारत में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुवात राजस्थान के ‘नागौर’ जिले से ही हुई थी।
राजस्थान में प्रचलित कुछ उपनाम –
- जयपुर – गुलाबी शहर
- अजमेर – राजस्थान का हृदय
- गोकुलभाई – राजस्थान का गाँधी
राजस्थान पुलिस भर्ती परीक्षा –
राज्य में 6,7,8 नवंबर 2020 को पुलिस भर्ती परीक्षा कराई जाएगी। 5438 पदों के लिए कुल 17 लाख से अधिक अभ्यर्ती परीक्षा में बैठेंगे। इसके लिए राज्य में 600 से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। यह पेपर दो पालियों में होगा। पहला सुबह 9 से 11 बजे तक और दूसरा 3 से शाम 5 बजे तक।
राजस्थान में कोरोना की स्थिति –
कोरोना संकट के चलते एक बर फिर राजस्थान के आठ जिलों में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। राजस्थान के कर्फ्यू लगाए गए जिले जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर, भीलवाड़ा, कुशलगढ़, सागरगढ़ हैं। कर्फ्यू के दौरान आपातकालीन सुविधाओं को छोड़कर सब बंद रहेगा। इनके अतिरिक्त अन्य शहरों में भी रात 10 बजे के बाद बाजार बंद करने के आदेश हैं। 20 मार्च को राज्य में 1 दिन में 445 नए लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद 21 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कोरोना कोर ग्रुप की बैठक में यह फैसला लिया गया। 25 मार्च से राजस्थान में आने वाले बाहरी यात्रियों की 72 घंटे की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। नेगेटिव रिपोर्ट के बिना आए यात्रियों को 15 दिन कोरंटाइन किया जाएगा।
मिस इंडिया 2023 : नंदिता गुप्ता
फेमिना मिस इंडिया 2023 का ताज राजस्थान की 19 वर्षीय नंदिता गुप्ता को पहनाया गया। नन्दिता गुप्ता राजस्थान के कोटा की रहने वाली हैं। इन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। नंदिता भारत की 59वीं मिस इण्डिया चुनी गई हैं। नंदिता को यह ताज पूर्व मिस इंडिया सिनी शेट्टी द्वारा पहनाया गया। नंदिता के बाद दिल्ली की श्रेया पूंजा फर्स्ट रनरअप और मणिपुर की थौना ओजम स्ट्रेला लुवांग सेकेण्ड रनरअप रहीं। अब नंदिता मिस वर्ल्ड के अगले सीजन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।