उपसर्ग व प्रत्यय (Prefix and Suffix in Hindi) – हिंदी भाषा में उपसर्ग व प्रत्यय का प्रयोग कर बहुत सारे नए शब्दों की रचना हुई है। उपसर्ग व प्रत्यय विस्तृत में –
उपसर्ग
स्वतंत्र अस्तित्व न होने के बाद भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलकर एक विशेष अर्थ प्रदान करते हैं। उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है जो किसी शब्द से पहले जुड़कर विशेष अर्थ प्रदान करता है। उपसर्ग दो शब्दों ‘उप’ और ‘सर्ग’ से बना है। ‘उप’ से तात्पर्य समीप, निकट, पास से है, सर्ग अर्थात् सृष्टि करना। उपसर्ग से तात्पर्य समीप बैठकर नये अर्थ वाले शब्द की रचना करना। संस्कृत में उपसर्गों की संख्या 19 है, हिंदी में उपसर्गों की संख्या 10 है। वहीं उर्दू में उपसर्गों की संख्या 12 है।
संस्कृत के उपसर्ग – अर्थ – निर्मित शब्द
- अ – (निषेध, विरोध) – असत्य, अविश्वास, असुविधा इत्यादि।
- अति – (अधिक, ऊपर, उस पार) – अतिशय, अतिवृष्टि, अतिक्रमण,अत्यावश्यक, अत्याचार, अत्यंत, अतिशय, अतिकाल, अतिरिक्त इत्यादि।
- अधि – (ऊपर, श्रेष्ठ, प्रधान) – अधिपति, अधिकार, अधिग्रहण, अध्यक्ष, अधिराज, अधिगुण, अधिष्ठाता इत्यादि।
- अन् – (अभाव) – अनन्त, अनभिज्ञ, अनादि, अनर्थ, अनपेक्षित, अनाचार इत्यादि।
- अनु – (पीछे, समान, प्रत्येक) – अनुज, अनुचर, अनुसरण, अनुक्रमण, अनुकूल, अनुक्रम, अनुग्रह, अनुशासन, अनुसंधान, अनुचित, अनुभूत, अनुदिन इत्यादि।
- अप – (बुरा, विरोध, हीनता, दूर) – अपवाद, अपराध, अपकार, अपमान, अपकीर्ति, अपशब्द, अपयश, अपमानित, अपकर्ष, अपहरण, अपव्यय इत्यादि।
- अभि – (ओर, निकट, सम्मुख) – अभिमान, अभिशाप, अभिलाषा, अभिमुख, अभियोग, अभिज्ञान, अभिवादन, अभिजात, अभ्यागत, अभिसार इत्यादि।
- आ – (ओर, समेत, सीमा) – आमरम, आक्रमण, आचरण, आगमन, आहार, आकर्षण, आलेख, आरम्भ इत्यादि।
- उप – (समान, निकट) – उपकार, उपयुक्त, उपमान, उपहार, उपवन, उपदेश, उपयोग, उपनाम, उपमंत्री, उपसंहार, उपस्थिति इत्यादि।
- निर/निर् – (निषेध, रहित, बाहर) – निर्दोष, निरपराध, निर्भय, निश्छल, निरुत्तर, निराकार, निर्जन, निर्वाह, निराकरण इत्यादि।
- परि – (पूर्ण, चारो ओर, आस-पास) – परिक्रमा, परिवहन, पर्यावरण, परिमार्जन, परिहार, परिवर्तन, परिपूर्ण, परिणाम, परिमाण, परिजन, परिकल्पना, परिभाषा, परिग्रह, परिधान, परिचय, परितोष इत्यादि।
- वि – (विशेष, भिन्न, अभाव) – विभिन्न, विजय, विराम, विराग, वियोग, विज्ञान, विस्मरण, विहार, विमल, विच्छिन्न, विभाग, विनय, विकास, विकार इत्यादि।
- स – (सहित) – सरल, सहित, सबल, सपूत, सरस इत्यादि।
- सह (साथ) – सहमति, सहयोग, सहपाठी, सहकारी, सहचर, सहगान इत्यादि।
- सु – (अधिक, अच्छा, सहज) – सुगम, सुलभ, सुकर्म, सुकवि, सुयश, सुमार्ग, सुशिक्षित, सुवास, सुपथ, सुडौल, सुदूर इत्यादि।
हिन्दी के उपसर्ग – अर्थ – निर्मित शब्द
- अ – (अभाव) – अजान, अथाह, अचेत, अमोल, अगाध।
- अन – (निषेध) – अनजान, अनमोल, अनपढ़, अनभिज्ञ, अनासक्त, अनायास, अनगिनत, अनबन, अनमेल इत्यादि।
- अध – (आधा) – अधजलला, अधमरा, अधपका इत्यादि।
- उन – (एक कम) – उनचास, उन्यासी, उनतालीस, उन्नीस, उनतीस, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि।
- औ/अव – (हीनता, निषेथ) – अवगुण/औगुन, औसर, औघट, औढर इत्यादि।
- दु – (बुरा, हीन) – दुकान, दुबला, दुत्कार इत्यादि।
- नि – (अभाव, निषेध, विशेष) – निडर, निहत्था, निकम्मा, निखरा, निगोड़ा, निधड़क इत्यादि।
- बिन – (निषेध) – बिनव्याहा, बिनखाया, बिनदेखा, बिनबोया, बिनकाम, बिनचखा इत्यादि।
- भर – (पूरा, ठीक) – भरपेट, भरपूर, भरसक इत्यादि।
- कु-क (बुराई, हीनता) – कुपात्र, कपूत, कुढंग, कुखेत, कुघड़ी, कुकाठ इत्यादि।
- सु-स – (श्रेष्ठता, साथ) – सुडौल, सुजान, सुपात्र, सजग, सपूत, सहित, सरस, सुघड़, सगोत्र इत्यादि।
उर्दू के उपसर्ग – अर्थ – निर्मित शब्द
- अल – (निश्चित) – अलबत्ता, अलगरज इत्यादि।
- कम – (हीन, थोड़ा) – कमसिन, कमउम्र, कमखयाल इत्यादि।
- खुश – (अच्छा) – खुशमिजाज, खुशदिल, खुशहाल, खुशनसीब, खुशकिस्मत, खुशबू, खुशखबरी इत्यादि।
- गैर – (निषेध) – गैरकानूनी, गैरहाजिर, गैरसरकारी, गैरवाजिब इत्यादि।
- दर – (में) – दरमियान, दरकार इत्यादि।
- ना – (अभाव) – नामुमकिन, नालायक, नादान, नाराज, नापसंद, नामुराद इत्यादि।
- बद – (बुरा) – बदमिजाज, बद्दुआ, बद्तमीज, बदनसीब, बदगुमान, बदहजमी, बद्तर, बद्जात, बदमाश, बदनाम, बदबू, बदकिस्मत, बदकार इत्यादि।
- बर – (पर, ऊपर, बाहर) – बरदास्त, बरखास्त, बरवक्त इत्यादि।
- बिल – (साथ) – बिल्कुल।
- बे – (बिना) – बेरहम, बेईमान, बेइज्जत, बेवकूफ, बेतरह इत्यादि।
- ला – (बिना) – लापता, लावारिस, लाजवाब, लापरवाह, लाचार इत्यादि।
- हम – (बराबर, समान) – हमउम्र, हमदर्द, हमपेशा, हमशक्ल इत्यादि
प्रत्यय
शब्द के बाद लगाया जाने वाला अक्षर या अक्षर समूह प्रत्यय के नाम से जाना जाता है। प्रत्यय दो शब्दों ‘प्रति +अय‘ से मिलकर बना है। प्रति का अर्थ है ‘साथ में’ परंतु बाद में, और अय का अर्थ है चलने वाला। अर्थात् प्रत्यय वे हैं जो शब्दों के साथ में पर बाद में चलनेवाले या लगने वाले शब्द हैं। प्रत्यय भी उपसर्गों की भांति ही अविकारी शब्दांश हैं।
प्रत्यय के भेद –
मूल रूप से प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं, कृत् प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय। क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त प्रत्यय को कृत् प्रत्यय कहते हैं। कृत् प्रत्यय के मेल से बने शब्दों को कृदन्त कहते हैं। इनसे संज्ञा व विशेषण बनते हैं। इसके विपरीत संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अन्त में लगने वाले प्रत्यय को तद्धित प्रत्यय कहते हैं। तद्धित प्रत्यय के मेल से बनने वाले शब्दों को तद्धितान्त कहा जाता है।
शब्द (कृदन्त) – (कृत) प्रत्यय
- प्रहार,सर्प, देव, काम – अ
- गानेवाला – वाला
- दातृ – तृ
- मिलाप – आप
- होनहार – हार
- कृत्य – य
- लड़ाई – आई
- रखैया – ऐया
- खेवैया – वैया
- भिड़न्त – अन्त
- देन – न
- चटनी – नी
- झूला – आ
- मथानी – आनी
- रेती – ई
- झाड़ू – ऊ
- कसौटी – औटी
- बेलन – न
- बेलना – ना
- बेलनी – नी
- उठान – आन
- छलिया – इया
- टिकाऊ – आऊ
- तैराक – आक
- खिलाड़ी – आड़ी
- झगड़ालू – आलू
- बढ़िया – इया
- कारक – अक
- खिन्न – न
- नयन – अन
- दर्शनीय – अनीय
- शक्ति – ति
- अड़ियल – इयल
- कर्त्तव्य – तव्य
- विद्यमान – मान
- वेदना – अना
- पुजापा – आपा
- बढ़िया – इया
- अड़ियल, मरियल – इयल
- लड़ैत, बचैत – ऐत
- हँसोड़ – ओड़
- भगोड़ा – ओड़ा
- पिअक्कड़ – अक्कड़
- खिंचाव – आव
- वन्दना – अना
- भुलावा – आवा
- निकास – आस
- इच्छा, पूजा – आ
- यज्ञ – ञ्
- मृगया – या
- सुहावन – वन
- गवैया – वैया
- मिलनसार – सार
- पावन – आवन
- गाता, मरता, बहता – ता
- पावनी – आवनी
- सजावट – आवट
- चिल्लाहट – आहट
- बोली, त्यागी – ई
- तनु – उ
- भिक्षुक – उक
- गायक – अक
- राखनहार – हार
- रोवनहारा – हाला
- समझौता, मनौती – औती
- पिसौनी – औनी
- बैठक – क
- बैठकी – की
- देनगी – गी
- भुलौवत – औवत
- खपत – त
- चढ़ती – ती
प्रत्यय (तद्धित) – शब्द (तद्धितान्त)
- अ – गौरव, लाघव, वासुदेव, मानव, कौरव, शैव, पार्थ, पाण्डव, नैश, मौन
- अक – शिक्षक
- आ – चूरा, भूखा
- आई – अच्छाई, चतुराई, चौड़ाई
- आयत – अपनायत
- आयन – कत्यायन, रामायण, बादरायण
- आर – सुनार, लुहार, दुधार
- आरा – छुटकारा
- आल – ससुराल, दयाल
- आस – मिठास
- आहट – कड़वाहट
- इक – वार्षिक, तार्किक, मौखिक, लौकिक, पुष्पित
- इत – पुष्पित, आनन्दित, फलित
- इम – अग्रिम
- इमा – रक्तिमा, शुक्लिमा
- इय – क्षत्रिय
- इया – खटिया, आढ़तिया
- इल – तुन्दिल, तन्द्रिल
- इष्ठ – बलिष्ठ, गरिष्ठ
- ई – पक्षी, खेती, देहाती, ढोलकी, तेली, तमोली
- ईन – कुलीन, ग्रामीण
- ईय – राष्ट्रीय, पाणिनीय
- ईला – रंगीला
- उल – पृथुल, मातुल
- ऊ – बाजारू
- एड़ी – भँगेड़ी
- एय – राधेय, कौन्तेय, पौरुषेय
- एरा – अँधेरा, ममेरा, फुफेरा, चचेरा, तहेरा
- एल – नकेल
- ऐल – खपरैल
- ओला – सँपोला
- औती – बपौती
- क – दर्शक, बालक, ढोलक
- की – कनकी
- ड़ा – बछड़ा
- ड़ी – टँगड़ी
- चित् – कदाचित्
- जा – भतीजा
- टा – चोट्टा
- ठ – कर्मठ
- त – रंगत
- तन –अद्यतन
- तः – अंशतः
- ता – बुद्धिमत्ता, मूर्खता, शत्रुता, वीरता, लघुता, जनता, एकता, मानवता
- ती – कमती
- त्य – पाश्चात्य
- त्व – गुरुत्व, मनुष्यत्व, वीरत्व, लघुत्व
- त्र – अन्यत्र
- था – अन्यथा
- दा – सर्वदा
- धा – शतधा
- निष्ठ – कर्मनिष्ठ
- पा – बुढ़ापा
- पन – अपनापन, लड़कपन, कालापन, कमीनापन
- म – मध्यम
- मान् – बुद्धिमान्, शक्तिमान्
- मय – जलमय, दयामय, आनन्दमय, काष्ठमय
- मी – वाग्मी
- य – माधुर्य, दैत्य, ग्राम्य, पाण्डित्य
- र – मधुर, मुखर
- री – कोठरी
- ल – वत्सल, मांसल
- लु – निद्रालु, तन्द्रालु
- वान् – धनवान्
- वत् – यावत्
- वी – मेधावी, लखनवी, मायावी
- व्य – भ्रातृव्य
- श – कर्कश, रोमश
- शः – क्रमशः
- स – धमस
- सात् – भस्मसात्, आत्मसात्
- हा – भुतहा
- हरा – सुनहरा
- हारा – लकड़हारा
- हाल – ननिहाल
विदेशी भाषाओं के शब्द व प्रत्यय –
- आ – सफेदा
- ई – खुशी, ईरानी, आसमानी
- ईन – शौकीन
- ईना – महीना, कमीना
- नामा – इकरारनामा
- गी -मर्दानगी
- कार – काश्तकार, पेशकार
- गार – मददगार, खिदमतगार
- बान – मेजबान
- ईचा – बागीचा
- दान – गुलाबदान
- आब – गुलाब
- आना – मर्दाना, जनाना
- आनी – जिस्मानी, रूहानी
- इन्दा – शर्मिन्दा, कारिन्दा
- खोर – हरामखोर
- गीर – राहगीर
- दार – फौजदार
- नुमा – कुतुबनुमा
- नशीन – पर्दानशीन
- बर – पैगम्बर
- बार – दरबार
- जार – बाजार
- बाज – नशेबाज
- नाक – दर्दनाक
- ची – बाबरची
- मन्द – अक्लमन्द
- वार – उम्मीदवार
- आबाद – अहमदाबाद
- गाह – ईदगाह
- म – बेगम
- जादा – हरामजादा, शहजादा
- गीन – गमगीन
- अन्दाज – तीरन्दाज
- दार – दूकानदार
- इस्तान – तुर्किस्तान
- साज – घड़ीसाज
- आवेज – दस्तावेज
- इयत – कैफियत, इंसानियत
– उपसर्ग व प्रत्यय ।