उत्तर प्रदेश विधानमण्डल : विधानसभा और विधानपरिषद्, गठन, सदस्य संख्या, सर्वाधिक औऱ न्यूनतम सदस्य संख्या वाले जिले इत्यादि…
यूपी विधानमण्डल की संरचना –
उत्तर प्रदेश राज्य विधायिका के तीन अंग राज्यपाल, विधानपरिषद, विधानमण्डल होते हैं। विधानपरिषद राज्य विधानमण्डल का उच्च सदन है। वहीं विधानसभा राज्य विधानमण्डल का निम्न सदन है। विधानमण्डल द्वार पारित कोई भी बिल राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बनता है।
राज्य विधानपरिषद् का गठन 1921 ई. में किया गया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा –
1935 के भारत शासन अधिनियम के तहत उत्तरप्रदेश राज्य विधानसभा की स्थापना 1 अप्रैल 1937 ई. में की गई थी। वहीं स्वतंत्रता पश्चान उत्तर प्रदेश विधानसभा की पहली बैठक 3 नवंबर 1947 को हुई थी। 1950 में भारत के गणतंत्र होने के बाद इसके पहले अधिवेशन का आयोजन 2 फरवरी 1950 को किया गया।
यूपी विधानसभा के पहले अध्यक्ष –
पुरुषोत्तम दास टण्डन उत्तर प्रदेश विधानसभा के पहले अध्यक्ष थे। ये 31 जुलाई 1937 से 10 अगस्त 1950 तक यूपी विधानसभा में अध्यक्ष रहे। इस प्रकार पुरुषोत्तम दास टंडन यूपी विधानसभा के पहले, स्वतंत्रता पश्चात पहले और गणतंत्रता के बाद भी यूपी विधानसभा के पहले अध्यक्ष थे। वहीं नफीसुल हसन इसके दूसरे विधानसभा अध्य़क्ष (प्रथम कार्यकारी अध्यक्ष) थे। स्वतंत्र भारत के प्रथम आम चुनाव के बाद 19 मई 1952 को हुई विधानसभा की पहली बैठक के अध्यक्ष गोविंद खेर थे।
वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष –
नाम | कार्यकाल |
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राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन | 31 जिलाई 1937 - 10 अगस्त 1950 |
नफीसुल हसन (कार्यकारी) | 21 दिसंबर 1950 - 19 मई 1952 |
आत्माराम गोविंद खेर | 20 मई 1952 - 26 मार्च 1962 |
मदनमोहन वर्मा | 26 मार्च 1962 - 26 मार्च 1967 |
सुखदेव राजभर | 18 मई 2007 - 13 अप्रैल 2012 |
माताप्रसाद पाण्डे | 13 अप्रैल 2012 - 30 मार्च 2017 |
हृदयनारायण दीक्षित | 30 मार्च 2017 - 28 मार्च 2022 |
सतीश महाना | 29 मार्च 2022 से... |
विधानसभा सीटों की संख्या –
1967 में यूपी विधानसभा में सीटों की संख्या 431 थी। 1967 के बात ये सदस्य संख्या 426 रह गई। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखण्ड के निर्माण से हुए राज्य पुनर्गठन के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्य 404 (403+1) हो गई। जिनमें 89 सीटें (85 अनुसूचित जाति और 4 अनुसूचित जनजाति हेतु) आरक्षित हैं। इनमें से 403 निर्वाचित होते थे और 1 मनोनीत (एंग्ले-इंडियन)। लेकिन 25 जनवरी 2020 को 104 वें संशोधन के तहत 1 आंग्ल-भारतीय को मनोनीत की प्रथा समाप्त कर दी गई। इस प्रकार वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में सीटों की संख्या 403 है।
सर्वाधिक विधानसभा सीटों की संख्या प्रयागराज जिले में हैं। जहाँ कुल 12 विधानसभा सीटें हैं। वहीं सबसे कम विधानसभा सीटें श्रावस्ती जिले में हैं। जहँ सिर्फ 1 विधानसभा सीट है। 18वीं विधानसभा का कार्यकाल 11 मार्च 2022 को शुरु हुआ। सतीश महाना 29 मार्च 2022 से उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैं।
यूपी विधानपरिषद –
उत्तरप्रदेश विधानपरिषद् का गठन 1937 ई. में हुआ था। यह एक स्थाई सदन है जिसे भंग नहीं किया जा सकता। लेकिन इस सदन को समाप्त अवश्य किया जा सकता है। वर्तमान में यूपी विधानपरिषद में सीटों की कुल संख्या 100 है। उत्तराखण्ड के गठन से पूर्व उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 108 थी। विधानपरिषद के 1/3 सदस्यों को विधानसभा द्वारा, 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों द्वारा, 1/12 सदस्य स्नातकों (3 वर्ष के अनुभवी) द्वारा चुने जाते हैं। विधानपरिषद का निर्वाचन एकल संक्रमणीय पद्यति द्वारा किया जाता है। बाकी 1/6 सदस्यों को राज्यपाल द्वारा विविध क्षेत्रों से मनोनीत किया जाता है।
अब तक उत्तरप्रदेश में कुल 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।