वैदिक सभ्यता (Vedic Period Age Civilization)

वैदिक काल वैदिक सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता के बाद वैदिक संस्कृति का उत्थान हुआ। इसकी जानकारी हमें वेदों से प्राप्त होती है। वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों पूर्व वैदिक (ऋग्वेदिक) काल और उत्तरवैदिक काल में बाँटा गया है। इस काल में मुद्रा प्रणाली की शुरुवात नहीं हुई थी। अर्थात राजा को दिये जाने वाले कर वस्तुओं के रूप में दिये जाते थे।

वेद और वेदांग –

वेद चार हैं – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, व अथर्ववेद। छन्द, कल्प, निरुक्त, ज्योतिष, शिक्षा, व्याकरण 6 वेदांग हैं। ऋग्वेद का पाठ करने वाला ‘होतृ’ कहलाता था। सामवेद का पाठ करने वाला ‘उद्गाता’ और यजुर्वेद का पाठ करने वाला ‘उध्वर्यु’ कहलाता था।

आर्य व वैदिक सभ्यता –

आर्यों का प्रारंभिक जीवन मुख्य रूप से पशुचारण का था। प्रारंभ के आर्य कोई स्थाई निवासी नहीं थे। ये भारत में सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। जर्मन विद्वान मैक्समूलर ने आर्यों का मूल-निवास मध्य एशिया बताया। इनके द्वारा विकसित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई। सिंधु घाटी सभ्यता से विपरीत यह ग्रामीण सभ्यता थी। आर्यों की भाषा संस्कृत थी। आर्यों की प्रशासनिक इकाई पाँच भागों राष्ट्र, जन, विश, ग्राम, कुल में विभक्त थी। आर्यों का समाज पितृप्रधान था। पुरुषसूक्त के अनुसार ब्राह्मण ब्राह्मा के मुख से, क्षत्रिय भुजाओं से, वैश्य जाँघों से और शूद्र पैरों से उत्पन्न हुए। आर्य तीन प्रकार के वस्त्र ‘वास, अधिवास, उष्णीव’ पहनते थे। उत्तरवैदिक काल में पक्की ईंटों का प्रयोग पहली बार कौशाम्बी नगर में किया गया। गोत्र नामक संस्था का जन्म उत्तरवैदिक काल में हुआ।

ऋग्वेद में उल्लिखित शब्द –

  • पिता – 335 बार
  • जन – 275 बार
  • इन्द्र – 250 बार
  • माता – 234 बार
  • अग्नि – 200 बार
  • गाय – 176 बार
  • विश – 175 बार
  • सोम – 144 बार
  • विदथ – 122 बार
  • गण – 46 बार
  • कृषि – 33 बार
  • वरुण – 30 बार
  • वर्ण – 23 बार
  • ब्राह्मण – 15 बार
  • ग्राम – 13 बार
  • राष्ट्र – 10 बार
  • क्षत्रिय – 9 बार
  • समिति – 9 बार
  • सभा – 8 बार
  • यमुना – 3 बार
  • गंगा – 1 बार
  • राजा – 1 बार
  • पृथ्वी – 1 बार

वैदिक शब्दावली –

  • अमाजू – आजीवन अविवाहित करने वाली स्त्री।
  • ग्रामिणी – ग्राम का मुखिया
  • विशपति – विश का प्रधान
  • राजन – जन का शासक
  • वेकनॉट(सूदखोर) – ब्याज लेकर ऋण देने वाला व्यक्ति
  • पुरप – दर्गपति
  • उर्वरा – जुते हुए खेत
  • पणि – व्यापार हेतु दूर-दूर तक जाने वाला व्यक्ति
  • पणि – मवेशी चोर
  • बृबु – पणियों का राजा
  • सोमरस – आर्यों का प्रमुख पेय पदार्थ
  • नीवि – अंदर पहने जाने वाले वस्त्र
  • वाजपति – गोचर भूमि का अधिकारी
  • लांगल – हल
  • कृत्तिवासा – चर्म धारण करने वाला
  • उग्र – अपराधियों के पकड़ने वाला
  • रयि – सम्पत्ति
  • पर्जन्य – बादल
  • अघ्न्या – न मारे जाने योग्य (गाय)
  • सभा – श्रेष्ठ व संभ्रांत लोगों की संस्था
  • समिति – सामान्य जनता का प्रतिनिधित्व करती थी
  • बृक – बैल
  • ऊर्दर – अनाज नापने के पात्र
  • निष्क – सोने का सिक्का या आभूषण
  • हिरण्य – सोना
  • शतमान – चाँदी का सिक्का
  • कीवाश – हलवाहा
  • गविष्टि – युद्ध के लिए प्रयुक्त शब्द
  • कुलप – परिवार या कुल का मुखिया (पिता)
  • मोमपाल – सोम का पालन करने वाला
  • पथी-कृत – अग्निदेव
  • करीष, शकृत – गोबर की खाद
  • भीषज – वैद्य
  • सिरा – उत्तरवैदिक काल में हल
  • पुरन्दर – शत्रुओं को पुरों (किलों) को ध्वस्त करने वाला
  • सीता – उत्तरवैदिक काल में हल की रेखा
  • निष्क व सतमान – उत्तरवैदिक काल में मुद्रा की इकाइयां
  • अवत – कूप (कुआँ)
  • रथेष्ट – कुशल रथ योद्धा
  • कल्प – वेद के हाथ
  • छन्द – वेद के पाद
  • ज्योतिष – वेद की आँखें
  • शिक्षा – वेद की नासिका
  • व्याकरण – वेद के मुख
  • निरुक्त – वेद के कान
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प्रमुख दर्शन व उनके प्रवर्तक –

  • सांख्य दर्शन (सबसे प्राचीन) – कपिल मुनि
  • चार्वाक दर्शन – चार्वाक
  • न्याय दर्शन – गौतम ऋषि
  • योग दर्शन – पतंजलि
  • वैशेषिक दर्शन – कणाद या उलूक
  • पूर्व मीमांसा – जैमिनी
  • उत्तर मीमांसा – बादरायण

ऋग्वैदिक नदियों के प्राचीन व नवीन नाम –

  • कुंभा – काबुल
  • शतुद्रि – सतलज
  • पुरुषणी – रावी
  • विपाशा – व्यास
  • सदानीरा – गंडक
  • क्रुभ – कुर्रम
  • वितस्ता – झेलम
  • आस्किनी – चिनाव
  • गोमती – गोमल
  • सुवस्तु – स्वात्
  • दृसद्धती – घग्घर

वैदिक कालीन देवी देवता –

  • इन्द्र – युद्ध व वर्षा के देवता।
  • विष्णु – विश्व के संरक्षक व पालनकर्ता।
  • अग्नि – मनुष्य व देवताओं के बीच की कड़ी, देवताओं का मुख।
  • द्यौ – आकाश के देवता (सबसे प्राचीन)।
  • मरुत – आँधी व तूफान के देवता।
  • पूषन – पशुओं के देवता।
  • आश्विन – विपत्तियों को हरने वाले देवता।
  • सोम – वनस्पति के देवता।
  • उषा – प्रगति व उत्थान के देवता।
  • सरस्वती – प्रारंभ में नदी देवी, बाद में विद्या की देवी।
  • अरण्यानी – जंगल की देवी।

वैदिक सभ्यता संबंधी तथ्य -1

  • ऋग्वैदिक समाज चार वर्णों – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र में बँटा हुआ था।
  • ऋग्वैदिक काल में वर्ण विभाजन व्यवसाय पर आधारित था।
  • ऋग्वेद के 10वें मण्डल के पुरुष सूक्त में चारो वर्णों का उल्लेख मिलता है।
  • ऋग्वेद में किसी प्रकार के न्यायाधिकारी का उल्लेख नहीं है।
  • संगीत, रथदौड़, घुड़दौड़, द्यूतक्रीड़ा आर्यों के प्रमुख मनोरंजन थे।
  • स्त्रियां पति के साथ यज्ञ कार्य में हिस्सा ले सकती थीं।
  • विधवा अपने देवर से विवाह कर सकती थी।
  • देवताओं की उपासना का मुख्य तरीका स्तुतिपाठ करना व यज्ञ बलि अर्पित करना था।
  • स्तुतिपाठ पर अधिक बल था।

 

  • दासों के बारे में स्पष्ट जानकारी सर्वप्रथम ऋग्वेद से ही मिलती है।
  • ऋग्वेद में वर्णित सभी नदियों में सरस्वती सबसे महत्वपूर्ण व पवित्र नदी मानी जाती थी।
  • ऋग्वेदिक नदियों में सर्वाधिक बार जिक्र सिंधु नदी का हुआ है।
  • गौहत्या करने वाले को मृत्युदण्ड या देशनिकाला देने का प्रावधान था।
  • सभा और समिति राजा को परामर्श देने वाली संस्थाएं थीं।
  • स्त्रियां भी सभा व समिति में भाग ले सकती थीं।
  • युद्ध में कबीले का नेतृत्व राजा करता था।
  • बलि अथवा आहूत में शाक, जौं इत्यादि वस्तुएं दी जाती थीं।
  • लेन-देन में वस्तु विनिमय की प्रणाली प्रचलित थी।
  • ऋग्वेद के 7वें मण्डल में दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख मिलता है।

2 वैदिक काल वैदिक सभ्यता संबंधी तथ्य

  • आर्यों द्वारा खोजी गई धातु लोहा (श्याम अयस्) थी।
  • ताँबे को लोहित अयस् कहा जाता था।
  • इस समय राजा की कोई संगठित सेना नहीं थी।
  • युद्ध के समय संगठित की गई सेना को नागरिक सेना कहा जाता था।
  • दसराज्ञ युद्ध पौरुषणी(रावी) नदी के तट पर सुदास(विजयी) और 10 जनों के बीच हुआ था।
  • बाल विवाह व पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था।
  • ऋग्वेद में लोपामुद्रा, घोषा, आपला, सिकता जैसी विदुषी स्त्रियों का वर्णन मिलता है।
  • पशुपालन व कृषि आर्यों का मुख्य व्यवसाय था।
  • आर्यों का सर्वाधिक प्रिय पशु घोड़ था।
  • प्रारंभ में ऋग्वैदिक कबीलाई समाज तीन वर्गों योद्धा, पुरोहित, सामान्य लोगों में विभक्त था।
  • चौथ वर्ग शूद्र का जिक्र पहली बार ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में मिलता है।
  • आर्यों के सर्वाधिक प्रिय देवता इन्द्र थे।
  • अग्नि को देवताओं का मुख कहा जाता था। अग्निदेव को मनुष्य व देवताओं के बीच की कड़ी कहा जाता था।
  • उत्तरवैदिक काल में इन्द्र का स्थान प्रजापति ने ले लिया।
  • उत्तरवैदिक काल में राज्याभिषेक के दौरान राजसूय यज्ञ किया जाता था।
  • उत्तर वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था व्यवसाय की जगह जन्म से निर्धारित होने लगी।
  • ‘सत्यमेव जयते’ मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।
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ऋग्वैदिक देवता –

ऋग्वेद में देवताओं की कुल तीन श्रेणियां थीं।

  • पृथ्वी के देवता – पृथ्वी, सोम, अग्नि, वरस्वती, वृहस्पति आदि।
  • आकाश के देवता – सूर्य, मित्र, वरुण, द्यौस, उषा, अश्विन, आदित्य, पूषन, विष्णु, सवितृ आदि।
  • अंतरिक्ष के देवता – इंद्र, वायु, मरुत, रुद्र, पर्जन्य, आपः मातरिश्वन आदि।

वैदिक काल वैदिक सभ्यता से संबंधित प्रश्न उत्तर –

प्रश्न 1 – हल की जुताई से संबंधित अनुष्ठानों की विस्तृत जानकारी किस ब्राह्मण से प्राप्त होती है ?

उत्तर – शतपथ ब्राह्मण

प्रश्न 2 – एक स्थान पर विश द्वारा राजा के चुनाव का वर्णन किस वेद में मिलता है ?

उत्तर – अथर्ववेद

प्रश्न 3 – शतपथ ब्राह्मण में कितने प्रकार के रत्नियों का वर्णन मिलता है ?

उत्तर – 12 प्रकार के

प्रश्न 4 – किस ब्राह्मण के अनुसार ब्राह्मण सूत का, क्षत्रिय सन का और वैश्य ऊन का यज्ञोपवीत (जनूऊ) धारण किया करते थे ?

उत्तर – तैत्तरीय ब्राह्मण

प्रश्न 5 – चारो वर्णों के कर्तव्यों का वर्णन सर्वप्रथम किस ब्राह्मण ग्रंथ मे मिलता है ?

उत्तर – ऐतरेय ब्राह्मण

प्रश्न 6 – श्वेताश्व उपनिषद किस देवता को समर्पित है ?

उत्तर – रुद्र देवता

प्रश्न 7 – किस उपनिषद् में स्पष्ट रूप से ‘इतिहास-पुराण’ को पंचम वेद कहा गया है ?

उत्तर – छांदोग्य उपनिषद्

प्रश्न 8 – ”राजा वही होता है, जिसे प्रजा का अनुमोदन प्राप्त हो” यह किस ब्राह्मण ग्रंथ का कथन है ?

उत्तर – शतपथ ब्राह्मण

प्रश्न 9 – राजकीय यज्ञों में सबसे प्रसिद्ध व महत्वपूर्ण कौनसा यज्ञ है ?

उत्तर – अश्वमेद्य यज्ञ

प्रश्न 10 – याज्ञवल्क्य-गार्गी संवाद का वर्णन किस उपनिषद् में मिलता है ?

उत्तर – वृहदारण्यक उपनिषद्

प्रश्न 11 – वैदिक ऋचाओं की रचयिका लोपामुद्रा किस ऋषि की पत्नी थीं ?

उत्तर – अगस्त्य ऋषि

प्रश्न 12 – ऋग्वैदिक शिक्षा पद्यति की झलक किस सूक्त से मिलती है ?

उत्तर – मण्डूक सूक्त

प्रश्न 13 – पुनर्जन्म का सिद्धांत सर्वप्रथम किस ग्रंथ में देखने को मिलता है ?

उत्तर – शतपथ ब्राह्मण

प्रश्न 14 – वैश्य शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस संहिता में मिलता है ?

उत्तर – वाजसनेयी संहिता

प्रश्न 15 – तीन आश्रमों का वर्णन सर्वप्रथम किस ग्रंथ में मिलता है ?

उत्तर – छांदोग्य उपनिषद

प्रश्न 16 – चार आश्रमों का वर्णन सर्वप्रथम किस ग्रंथ में मिलता है ?

उत्तर – जबालोपनिषद्

प्रश्न 17 – कृषि संबंधी प्रक्रिया का उल्लेख ऋग्वेद के किस मंडल में मिलता है ?

उत्तर – चतुर्थ मण्डल

वैदिक काल वैदिक सभ्यता से संबंधित प्रश्न उत्तर –

प्रश्न 18 – आरुणि उद्दालक और श्वेत केतु के बीच संवाद का वर्णन किस उपनिषद में है ?

उत्तर – छान्दोग्य उपिषद्

प्रश्न 19 – सबसे विस्तृत उपनिषद कौनसा है ?

उत्तर – वृहदारण्यक उपनिषद्

प्रश्न 20 – वृहदकारण्यक उपनिषद के प्रधान प्रवक्ता कौन हैं ?

उत्तर – याज्ञवल्क्य

प्रश्न 21 – मवेशियों की वृद्धि के लिए किस वेद में प्रार्थना की गई है ?

उत्तर – अथर्ववेद

प्रश्न 22 – मैत्रेयी व कात्यायनी किसकी पत्नियां थीं ?

उत्तर – याज्ञवल्क्य

प्रश्न 23 – ‘यज्ञ ऐसी नौका है जिसपर भरोसा नहीं किया जा सकता’ किस उपनिषद् में वर्णित है ?

उत्तर – मुण्डक उपनिषद्

प्रश्न 24 – यम और नचिकेता संवाद किस उपनिषद में वर्णित है ?

उत्तर – कठोपनिषद्

प्रश्न 25 – निष्काम कर्म सिद्धांत का प्रथम प्रतिपादन किस उपनिषद में हुआ ?

उत्तर – एषोपनिषद्

प्रश्न 26 – मूर्तिपूजा का प्रारंभ किस काल में हुआ ?

उत्तर – उत्तरवैदिक काल

प्रश्न 27 – कौनसे मृदभाण्ड उत्तरवैदिक काल में सर्वाधिक प्रचलित थे ?

उत्तर – लाल मृदभाण्ड

प्रश्न 28 – ऋग्वेद के अनुसार कृषि हेतु खेत जोतने की शिक्षा सर्वप्रथम किसने द्वारा दी गई ?

उत्तर – अश्विनियों द्वारा

प्रश्न 29 – ऋग्वेद में किस एकमात्र अनाज का वर्णन मिलता है ?

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उत्तर – यव

प्रश्न 30 – ऋग्वेद में कृषि संबंधी प्रक्रिया का उल्लेख किस मण्डल में मिलता है ?

उत्तर – चौथे मण्डल में

प्रश्न 31 – ऋग्वैदिक लोग किस प्रकार की सार्वभौम सत्ता में विश्वास रखते थे ?

उत्तर – एकेश्वरवाद (आगे चलकर बहुलवाद)

प्रश्न 32 – आर्यो के देवताओं की कितनी श्रेणियां थीं ?

उत्तर – तीन (आकाश के, अंतरिक्ष के, पृथ्वी के देवता)

प्रश्न 33 – ऋग्वेद के सबसे महत्वपूर्ण देवता को किस अन्य नाम से जाना गया ?

उत्तर – पुरंदर

प्रश्न 34 – वैदिक काल के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण देवता कौनसे हैं ?

उत्तर – अग्नि

प्रश्न 35 – वैदिक काल के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण देवता कौन हैं ?

उत्तर – वरुण

प्रश्न 36 – ऋग्वेद में किस देवता को ऋतस्य गोपा और असुर भी कहा गया है ?

उत्तर – वरुण

प्रश्न 37 – ऋग्वेद में पेय पदार्थों का देवता किसे माना गया है ?

उत्तर – सोम

वैदिक काल वैदिक सभ्यता से संबंधित प्रश्न उत्तर –

प्रश्न 38 – ऋग्वेद का कौनसा मंडल सोम देवता को समर्पित है ?

उत्तर – 9वां मण्डल

प्रश्न 39 – ऋग्वेद में कौन कौनसी देवियों का जिक्र हुआ है ?

उत्तर – उषा, अदिति, सूर्या आदि।

प्रश्न 40 – ऋग्वेद के एक मंत्र में किसे त्रयम्बक कहा गया है ?

उत्तर – रुद्र शिव

प्रश्न 41 – कौनसे देवता वैदिक काल में पशुओं के और उत्तरवैदिक काल में शूद्रों के देवता हो गए ?

उत्तर – पूषन

प्रश्न 42 – आर्यों की सर्वप्रमुख नदी कौनसी थी ?

उत्तर – सिन्धु

प्रश्न 43 – ऋग्वेद की रचना कब हुई ?

उत्तर – 1700 ई. पू. के आस पास

प्रश्न 44 – किस वेद में सभा व समिति को प्रजापति की पुत्रियां कहा गया है ?

उत्त – अथर्ववेद

प्रश्न 45 – ऋग्वेद में प्रारंभिक कबीलाई समाज कितने वर्गों में बँटा था ?

उत्तर – तीन

प्रश्न 46 – ऋग्वेद में शर्ध, व्रात, गण क्या थे ?

उत्तर – सैन्य इकाइयाँ

प्रश्न 47 – वैदिक काल में सामाजिक विभाजन का प्रमुख कारण क्या था ?

उत्तर – स्थानीय निवासियों पर आर्यों की विजय

प्रश्न 48 – दशराज्ञ युद्ध में किसकी जीत हुई ?

उत्तर – सुदास

प्रश्न 49 – भारत में आर्य सर्वप्रथम कहाँ पर आकर बसे ?

उत्तर – सप्तसैंधव प्रदेश

प्रश्न 50 – ऋग्वैदिक काल में विवाह की आयु लगभग कितनी थी ?

उत्तर – 16-17 वर्ष

उत्तरवैदिक काल

ऋग्वैदिक काल के बाद उत्तरवैदिक काल आता है। इसी काल में सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्य व उपनिषदों की रचना हुई। इस युग में सभ्यता का क्षेत्र सप्त सैंधव से कुरुक्षेत्र तक पहुँच गया। इस संस्कृति का प्रमुख केंद्र मध्यदेश था। भरत एवं पुरु मिलकर कुरु कहलाए। चतुर्वश और क्रिवि मिलकर पांचाल कहलाए। इस काल में अंग व मगध आर्यों के क्षेत्र से बाहर थे।

उत्तरवैदिक काल से संबंधित प्रश्न उत्तर –

प्रश्न – उत्तरवैदिक संस्कृति का प्रमुख केंद्र कहाँ पर था ?

उत्तर – मध्यदेश

प्रश्न – कौनसे क्षेत्र उत्तरवैदिक काल में आर्यों के अंतर्गत नहीं आते थे ?

उत्तर – अंग व मगध

प्रश्न – उत्तरवैदिक कालीन ग्रंथों में किस एक पर्वत श्रंखला का जिक्र मिलता है ?

उत्तर – त्रिककुद

प्रश्न – मैनाक पर्वत का वर्णन किस ग्रंथ में मिलता है ?

उत्तर – तैत्तरीय अरण्यक

प्रश्न – दक्षिण के एक पर्वत का उल्लेख किस उपनिषद में मिलता है ?

उत्तर – कौशीतकी उपनिषद

प्रश्न – उत्तरवैदिक कालीन नदियों रेवा और सदानीरा का उल्लेख किस ब्राह्मण ग्रंथ में मिलता है ?

उत्तर – शतपथ ब्राह्मण

प्रश्न – अथर्ववेद में मगध को लोगों को क्या कहा गया है ?

उत्तर – व्रात्य

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