लेखन कला में विराम चिह्नों का प्रयोग भावों को सरल व सुबोध बनाने और कही गई बात में सटीकता लाने के लिए किया जाता है। जिससे लेखक द्वारी की गई रचना का सही भाव पाठकों तक पहुंच सके। हिंदी में कुछ विराम चिह्नों का प्रयोग अधिक तो कुछ का बहुत कम मात्रा में किया जाता है। हिंदी के विराम चिह्न निम्नलिखित हैं।
पूर्ण विराम –
पूर्ण विराम का अर्थ है पूरी तरह ठहरना या रुकना।
यह किसी कथन के पूर्ण होने पर प्रयोग में लाया जाता है।
विस्मयबोधक और प्रश्ववाचक वाक्यों के अतिरिक्त अन्य सभी वाक्यों के अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है।
परंतु जब एक वाक्य का संबंध अगले वाक्य से हो तो पहले वाले वाक्य में पूर्ण विराम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
अल्प विराम –
हिंदी भाषा में यह सर्वाधिक प्रयोग किया जाने वाला विराम चिह्न है।
अर्द्ध विराम –
जब पूर्ण विराम से थोड़ा कम और अल्प विराम से थोड़ा अधिक रूकना हो वहां पर अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है।
संयुक्त व मिश्रित वाक्यों में जहां पर विरोधाभास उत्पन्न हो, उनके बीच में अर्द्धविराम का प्रयोग किया जाता है।
जब किसी वाक्य में एक समान अधिकरण का प्रयोग हो तो वहां पर भी इसी का प्रयोग होता है।
प्रश्नवाचक चिह्न –
जब वाक्य में किसी प्रश्नवाचक शब्द (क्यों, कहाँ, क्या, कैसे, किसका इत्यादि) का प्रयोग हुआ हो या वाक्य से प्रश्न किए जाने का बोध हो रहा हो, वहां पर प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
इसके अतिरिक्त विस्मय की स्थित में और व्यंग्यात्मक उक्ति में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
उप विराम –
उप विराम का प्रयोग अधिकांशतः शीर्षकों में किया जाता है।
योजनक चिह्न –
इसका सर्वाधिक प्रयोग द्वंद्व समास में किया जाता है। जहाँ दो शब्दों को जोड़ना हो या उनके बीच के संबंध को दर्शाना हो।
हिंदी के विराम चिह्न और उनके संकेत –
चिह्न का नाम | संकेत |
---|---|
पूर्ण विराम | । |
प्रश्नवाचक चिह्न | ? |
अल्प विराम | , |
अर्द्ध विराम | ; |
उप विराम | : |
योजक चिह्न | - |
उद्धरण या अवतरण चिह्न | '' " |
रेखिका या निर्देशिका | _ |
विवरण चिह्न | :- |
त्रुटिपूरक या विस्मरण | ^ |
संक्षेप सूचक | . |
लोप निर्देशक | ...... |
समानता या तुल्यता सूचक | = |
कोष्ठक | () {} [] |
विस्मयसूचक या सम्बोधक | ! |
लाघव चिह्न | o |