फ्लोरेंस नाइटिंगेल – Florence Nightingale को Lady with The Lamp के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 12 मई 1820 ई. को एक उच्च व समृद्ध ब्रिटिश फैमिली में हुआ था। इन्हें आधुनिक नर्सिंग आन्दोलन का जन्मदाता माना जाता है। ये पेशे से नर्स एवं सांख्यिकीशास्त्री थीं। लेकिन उच्च कुल में जन्म लेने के बाद भी इन्होंने सेवा का मार्ग चुना। परिवार के विरोध के बाद भी इन्होंने असहायों एवं वंचितों की सेवा का मार्ग चुना। इन्होंने दिसंबर 1844 ई. में चिकित्सा सेवाओं को सुधारने का कार्यक्रम शुरु किया।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की सेवा का रहा। यह युद्ध जुलाई 1853 से सितंबर 1855 तक चला। इन्होंने अक्टूबर 1854 ई. में 38 महिलाओं का एक दल घायलों की सेवा के लिए तुर्की भेजा। उनके इसी समय किये गए सेवा कार्यों हेतु लेडी विद दे लैंप की उपाधि प्रदान की गई। डॉक्टर्स के चले जाने के बाद भी वे रात के अंधेरे में मोमबत्ती जलाकर घायलों की सेवा में तत्पर रहतीं। लेकिन युद्ध में घायलों की सेवा के दौरान इन्हें गंभीर संक्रमण ने जकड़ लिया। 13 अगस्त 1910 को लंदन, यूनाइटेड किंगडम में इनकी मृत्यु हो गई। इनकी कब्र सेंट मार्टरेट्स चर्च के प्रांगण में बनी हुई है।
इन्होंने 1859 ई. में सेंट थॉमस अस्पताल में एक नाइटिंगेल प्रशिक्षण विद्यालय की स्थापना की। इसी बीच इनके द्वारा ‘Notes on Nursing‘ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी गई। 1869 ई. में इन्हें महारानी विक्टोरिया द्वारा रॉयल रेड क्रॉस से सम्मानित किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस –
फ्लोरेंस नाइटिंगेल – Florence Nightingale को आधुनिक नर्सिंग व्यवस्था का जन्मदाता कहा जाता है। इनके जन्मदिवस 12 मई को हर साल विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस माह दुनिया के कई अस्पतालों द्वारा 6 से 12 मई के बीच अंतर्राष्ट्रीय नर्स सप्ताह मनाया जाता है।