नवजोत सिंह सिद्धू Ι Navjot Singh Sidhu : नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेट, राजनीति और टीवी शो सभी जगह अपनी पहचान बना चुके सिद्धू को आज हर कोई पहचानता है। ये भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर व अमृतसर से पूर्व सासंद रह चके हैं।
प्रारंभिक जीवन –
20 अक्टूबर 1963 को नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म पंजाब के पटियाला में हुआ था। ये पंजाबी सिख होने के साथ पूर्णतः शाकाहारी व्यक्ति हैं। इनका विवाह नवजोत कौर से हुआ। जो पेशे से एक चिकिस्तक व एक राजनीतिक चेहरा हैं। नवजोत कौर को 2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव में अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से विधायक चुना गया।
क्रिकेट करियर –
नवजोत सिंह सिद्धू ने 1981-82 में क्रिकेट में पदार्पण किया। ये दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। 12 नवंबर 1983 को इन्होंने अहमदाबाद में वेस्ट इंडीज के विरुद्ध अपना पहला टेस्ट मैच खेला। 9 अक्टूबर 1987 को इन्होंने आस्ट्रेलिया के विरुद्ध वनडे मैच में पदार्पण किया। ये 1987 की वर्ल्ड कप टीम का भी हिस्सा थे। इन्होंने 1996-97 में टेस्ट मैच में वेस्ट इंडीज के खिलाफ दोहरा शतक लगाया था। 20 सितंबर 1998 को इन्होंने अपना अंतिम वनडे मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला। इन्होंने अपने करियर का अंतिम टेस्ट मैच 6 जनवरी 1999 को न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला। जिसमें इन्होंने सिर्फ 1 रन बनाया। 1999 में इन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। अपने 19 साल के क्रिकेट करियर में इन्होंने कुल 51 टेस्ट मैच और 136 एक दिवसीय क्रिकेट मैच खेले।
क्रिकेट कमेंट्री –
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सिद्धू ने दूरदर्शन पर क्रिकेट कमेंट्री करने शुरु किया।
नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक जीवन –
2004 में ये राजनीति में आये और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। 2004 के लोकसभा चुनाव में इन्होंने पंजाब की अमृतसर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की। 2016 में ये राज्यसभा सांसद नामित किये गए। लेकिन तीन माह बाद ही इन्होंने इस्तीफा दे दिया। 2017 में ये कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। 2017 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी और सिद्धू को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। साल 2019 में इन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। भाजपा के जाने माने नेता अरुण जेटली ने जब सिद्धू का केस लड़ा तो दोनों के आपसी संबंध काफी अच्छे हो गए। लेकिन जब 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अमृतसर से सिद्धू की जगह अरुण जेटली को टिकट दे दिया। तो सिद्धू ने ये चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी।
विवाद में रहे नवजोत सिंह सिद्धू –
पूर्व क्रिकेटर इमरान 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गए। तो इन्होंने अपने पूर्व क्रिकेटर मित्र को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया। उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के कारण सिद्दू विवादों में रहे। साथ ही पाकिस्तानी जनरल कमर जावेद से गले मिलने की तस्वीर भी लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा करके इनकी आलोचना की। सिद्धू ने पाकिस्तान का दौरा किया और करनतारपुर कॉरिडोर को खोने जाने की मांग की। जहाँ एक ओर लोगों ने इनकी पाकिस्तान यात्रा की आलोचना की। वहीं दूसरी ओर इन्हें करतारपुर कॉरिडोर खोलने जाने की अहम कड़ी मानकर इनकी प्रशंसा भी हुई।
जीतेगा पंजाब –
फरवरी 2020 में नवजोत सिंह सिद्धू ने जीतेगा पंजाब नाम से अपना यूट्यूब चैनल भी बनाया। इसके माध्यम से इन्होंने लोगों के साथ राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचारों को साझा किया।
किसान आंदोलन –
सिद्धू केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ धरने में भी शामिल हुए। साथ ही राहुल गांधी की पंजाब यात्रा के दौरान ट्रैक्टर रैली में भी शामिल हुए।
नवजोत सिंह सिद्धू पर केस और सजा –
1988 के रोजरेज के एक मामले में 19 मई 2022 को नवजोत सिंह को एक साल की सजा सुनाई गई। 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में पार्किंग को लेकर एक 65 वर्षीय बुजुर्ग पर हमला करने का आरोप सिद्धू पर था। जिस हमले के बाद उस गुरनाम सिंह नामक व्यक्ति को हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहाँ हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई थी। परिजनों ने सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कराया था। हालांकि निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था। लेकिन पीड़ित के परिवार ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी। तो सिद्धू ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट में अरुण जेटली ने सिद्धू का केस लड़ा था। 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को पलट दिया। इसके बाद 15 मई 2008 को पीड़ित के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट मे पुनर्विचार याचिका दायर की। इसके बाद 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1 साल की सजा सुनाई और एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
जेल से रिहा हुए सिद्धू –
1 अप्रैल 2023 को नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। वैसे इन्हें 1 साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन इनके अच्छे व्यवहार के चलते इन्हें 10 माह में ही रिहा कर दिया गया। अब सिद्धू के Y श्रेणी की सिक्योरिटी दी जा रही है। जब्कि जेल जाने से पहले इन्हें Z+ श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी। सिद्धू ने अपनी Z+ श्रेणी की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। सुबह से ही इनके समर्थक जेल के बाहर खड़े इनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। बाहर आते ही इन्होंने ढोल-नगाडे बजाकर इनका स्वागत किया। इनके वकील ने बताया कि नियम के अनुसार किसी कैदी के अच्छे व्यवहार के चलते हर माह 5-7 दिन की सजा कम होती जाती है। उसी आधार पर इनको एक साल पूरे होने से पहले ही रिहा कर दिया गया।