भारत की नदियां (Rivers 0f India) शीर्षक के इस लेख में भारत की प्रमुख नदियों के बारे में जानकारी दी गई है। भारत नदियों का देश है। यहाँ पर बहुत सी प्रमुख व गौड़ नदियों का अस्तित्व है।
सिंधु नदी तंत्र
सिन्धु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास सानोख्याबाब ग्लेशियर ने निकलती है। इसकी कुल लम्बाई 2880 किलोमीटर है। भारत में सिंधु नदी की लम्बाई 1114 किलोमीटर है। सिंधु नदी तंत्र के अंतर्गत सिंधु, सतलज, रावी, व्यास, झेलव व चिनाव नदियाँ आती हैं। सिंधु नदी में बायीं ओर से पंजाब की 5 नदियाँ मिलती हैं। ये पांच नदियां रावी, व्यास, चेनाव, सतलज व झेलम हैं। इसी कारण पंजाब को पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। ये पांचो नदियां मीठनकोट में संयुक्त रूप से सिंधु में मिलती हैं। दायीं ओर से सिंधु में मिलने वाली नदियाँ काबुल, कुर्रम, गोमल, व श्योक हैं। सिंधु नदी अटक के समीप मैदानी भागों में प्रवेश करती है। कराँची के पूरब में ये अरब सागर में गिर जाती है।
झेलम नदी –
झेलम नदी पीरपंजाल पर्वत श्रेणी के पदस्थल बेरीनाग के निकट शेषनाग झील से निकलती है। यह नदी बहती हुई जम्मू-कश्मीर की वुलर झील में मिल जाती है। यह मुजफ्फराबाद से मंगला तक पाकिस्तानी सीमा के समानांतर बहती है। अनंतनाग से बारामूला तक इसमें नौकागमन होता है। झेलम और रावी नदियां पाकिस्तान में चेनाव में मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 724 किलोमीटर है। भारत में इसकी लम्बाई 400 किलोमीटर है।
रावी, व्यास व चेनाव –
- चेनाव नदी को हिमाचल प्रदेश में चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है।
- रावी नदी का उद्गम स्थल कांगड़ा जिले के रोहतांग दर्रे के निकट है। इसकी कुल लम्बाई 725 किलोमीटर है। आगे चलकर यह चिनाब नदी में मिल जाती है।
- इसी के समीप व्यासकुंड से व्यास नदी निकलती है। इसका उद्गम स्थल रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुण्ड से है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 4330 मीटर है। इसकी कुल लम्बाई 470 किलोमीटर है। यह नदी कुल्लू घाटी से बहती हुई धौलाधार पर्वत को पार कर पंजाब के मैदानी क्षेत्र में पहुँचती है।
- व्यास नदी की घाटी को ही कुल्लू घाटी के नाम से जाना जाता है।
सतलज नदी –
मानसरोवर झील के निकट राकस ताल (समुद्र तल से ऊंचाई 4555 मीटर) से सतलज नदी निकलती है। कपूरथला के निकट व्यास नदी सतलज से मिलती है। सतलज नदी शिपकीला दर्रे के पास हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। सतलज की प्रमुख सहायक नदी स्पीति है। आगे चलकर सतलज नदी चिनाव में मिल जाती है। सतलज की कुल लम्बई 1500 किलोमीटर है। भारत में इसकी लम्बाई 1050 किलोमीटर है। यह नदी शिवालिक पर्वत श्रंखला को काटती हुई पंजाब में प्रवेश करती है। भाखड़ा नांगला बांध सतलज नदी पर ही बना है।
सिंधु नदी –
ये तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट चेमायुंगडोंग ग्लेशियर से निकलती है। सिंधु नदी की कुल लम्बाई 2880 किलोमीटर है। सिंधु नदी तंत्र भारत व पाकिस्तान दोनों ही देशों में फैला हुआ है। अतः विवाद से बचने हेतु इसके जल के उपयोग संबंधी समझौता भी जरूरी था। 1960 ई. में दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता हुआ।
सिंधु जल समझौता – 1960
सिधु नदी तंत्र के जल के विवादरहित उपयोग हेतु भारत व पाकिस्तान के बीच साल 1960 में एक समझौता हुआ।
- इसके तहत भारत सिंधु, झेलव व चेनाव नदियों के 20% जल का उपयोग कर सकता है।
- अन्य दो नदियों रावी व सतलज के 80% जल का प्रयोग भारत करेगा।
- बाकी के जल का प्रयोग पाकिस्तान करेगा।
गंगा नदी तंत्र
गंगा नदी तंत्र के अंतर्गत गंगा, यमुना, कोसी, चम्बल, सोन, बेतवा, रामगंगा, गंडक, दामोदर, घाघरा, बागमती, बूढ़ी गंगा, काली सिंध, बनास, रिहंद नदियां आती हैं। गोमती, गंडक, कोसी, महागंगा, रामगंगा, घाघरा नदियां गंगा में बायीं ओर से आकर मिलती हैं। वास्तव में गंगा नदी अलकनंदा और भागीरथी नदियों का ही सम्मिलित रूप है। ये दोनों नदियाँ देवप्रयाग में मिलकर गंगा नदी बनती है। परंतु गंगा नदी का प्रमुख स्त्रोत गंगोत्री हिमनद (उत्तराखंड) है।
हरिद्वार के निकट गंगा नदी मैदानी भागों में प्रवेश करती है। गंगा नदी का सर्वाधिक विस्तार उत्तर प्रदेश में है। यमुना इसकी प्रमुख सहायक नदी है। यमुना नदी गंगा में दायीं ओर से आकर प्रयागराज में मिलती है। सोन नदी दक्षिणी पठार से आकर गंगा में मिलती है। छोटा नागपुर पठार से आकर दामोदर नदी गंगा में मिलती है। टोंस व पुनपुन नदी गंगा में दायीं ओर से आकर मिलती हैं। भारतीय राज्यों में बहने के बाद यह नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है। बांग्लादेश में गंगा नदी को पद्मा के नाम से जाना जाता है। इसके बाद यह बंगाल की खाड़ी में समुद्र में मिल जाती है। गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है।
यमुना नदी –
- यमुना गंगा नदी की सबसे प्रमुख सहायक नदी है।
- इसका उद्गम उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जिले के यमनोत्री हिमनद से होता है।
- सिंध, केन, चम्बल और बेतवा इसकी सहायक नदियाँ हैं।
- सोन नदी अमरकंटक पहाड़ियों से नर्मदा के उद्गम स्थल के करीब से निकलती हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
ब्रह्मपुत्र नदी का अपवाह तीन देशों तिब्बत, भारत और बांग्लादेश में होता है। मानसरोवर झील के निकट आंग्सी ग्लेशियर (महान हिमनद) ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र को सांगपो के नाम से जाना जाता है। मरियन ला दर्रा इस नदी के बेसिन को मानसरोवर झील से अलग करता है। अरुणाचल प्रदेश में इसे दिहांग के नाम से जाना जाता है। पासीघाट के निकट दिबांग और लोहित नदियां इसमें आकर मिलती हैं। इसके बाद इसे ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। इसके बाद यह असम घाटी में प्रवेश करती है। यहाँ पर बहुत सी नदियां इसमें आकर मिलती हैं। इसके बाद ये बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश में इसे जमुना के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर कुछ नदियों के मिलन के बाद अंत में ये पद्मा(गंगा) में मिल जाती है।
प्रायद्वीपीय नदियां
प्रायद्वीपीय नदियां वर्षा जल पर ही निर्भर होने के कारण मौसमी नदियां हैं। ये हिमालयी नदियों की तुलना में अधिक पुरानीं हैं। इन नदियों की ढाल प्रवणता मंद है। ये अधिकतर उथली नदियां हैं। ठोस पठारी भागों से बहने के कारण इनमें विसर्पण की क्रिया नहीं पायी जाती। अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियां पश्चिम से पूरब की ओर बहती हैं। पश्चिमी घाट इनके जल विभाजक का कार्य करता है। परंतु नर्मदा व ताप्ती नदियां पूरब से पश्चिम की ओर बहती हैं।
गोदावरी नदी तंत्र –
गोदावरी नदी तंत्र के अंतर्गत गोदावरी, वेनगंगा, पेनगंगा, वर्धा, इंद्रावती, मंजरा नदियाँ आती हैं। इनमें नर्मदा व ताप्ती पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां हैं। गोदावरी नदी महाराष्ट्र ने नासिक जिले से निकलती है। यह प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे लम्बी (1465 किलोमीटर) नदी है। गोदावरी को दक्षिण भारत की गंगा के नाम से जाना जाता है। महाबलेश्वर के निकट एक झरने से कृष्णा नदी निकलती है। यह प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे लंबी (1400 किमी.) नदी है। भीमा, तुंगभद्रा, कोयना, मालप्रभा, व घाटप्रभा इसकी सहायक नदियां हैं। विजयवाड़ा के निकट डेल्टा बनाकर यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कृष्णा व पेन्नार नदियों के मध्य अवस्थित पेन्नार बेसिन का अधिकांश भाग आंध्र प्रदेश में है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरि श्रेणी से निकलती हैं। 800 किमी. का सफर तय करके कावेरीपत्तनम के पास बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
लम्बाई के क्रम में प्रायद्वीपीय नदियां क्रमशः – गोदावरी, कृष्णा, महादनी, नर्मदा, व कावेरी।
अन्य नदियां –
निकासी व्यवस्था न होने के कारण राजस्थान की नदियाँ समुद्र तक नहीं पहुंच पातीं।
ये खारी झीलों में मिलकर रेगिस्तान की रेत में समा जाती हैं।
नदी की सहायक नदियां
- सिंधु – झेलम, सललज, रावी, व्यास, चिनाव, काबुल, कुर्रम, गोमल, व श्योक।
- गंगा – यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, सोन, टोंस, दामोदर, पुनपुन, कोसी, महानन्दा, ब्रह्मपुत्र।
- कावेरी – हेमवती, हेरांगी, शिम्सा, अर्कावती, सुवर्णरेखा, अमरावती, भवानी, काबिनी, व लक्ष्मणतीर्थ।
- पेन्नार – चित्रावती, जयमंगली।
- कृष्णा – भीमा, तुंगभद्रा, कोयना, मालप्रभा, व घाटप्रभा।